तपेदिक | 06 Sep 2021
प्रिलिम्स के लियेतपेदिक, बेसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) वैक्सीन मेन्स के लियेतपेदिक रोग और उसकी रोकथाम से संबंधित वैश्विक प्रयास |
चर्चा में क्यों?
बेसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) वैक्सीन ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिये हैं और यह वर्तमान में ‘तपेदिक’ (TB) की रोकथाम के लिये उपलब्ध एकमात्र वैक्सीन है।
प्रमुख बिंदु
- ‘तपेदिक’ (TB)
- टीबी या क्षय रोग ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो कि लगभग 200 सदस्यों वाले ‘माइकोबैक्टीरियासी परिवार’ से संबंधित है।
- कुछ माइकोबैक्टीरिया मनुष्यों में टीबी और कुष्ठ रोग का कारण बनते हैं तथा अन्य काफी व्यापक स्तर पर जानवरों को संक्रमित करते हैं।
- टीबी, मनुष्यों में सबसे अधिक फेफड़ों (पल्मोनरी टीबी) को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य अंगों (एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी) को भी प्रभावित कर सकता है।
- टीबी एक बहुत ही प्राचीन रोग है और मिस्र में तकरीबन 3000 ईसा पूर्व में इसके अस्तित्व में होने का दस्तावेज़ीकरण किया गया था।
- वर्तमान में टीबी एक इलाज योग्य रोग है।
- टीबी या क्षय रोग ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो कि लगभग 200 सदस्यों वाले ‘माइकोबैक्टीरियासी परिवार’ से संबंधित है।
- ट्रांसमिशन
- टीबी रोग हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब ‘पल्मोनरी टीबी’ से पीड़ित कोई व्यक्ति खाँसता, छींकता या थूकता है, तो वह टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देता है।
- लक्षण
- ‘पल्मोनरी टीबी’ के सामान्य लक्षणों में बलगम के साथ खाँसी और कई बार खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न कम होना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल है।
- टीबी का वैश्विक प्रभाव:
- वर्ष 2019 में टीबी के 87% नए मामले केवल 30 उच्च संक्रमण वाले देशों में देखने को मिले थे।
- टीबी के नए मामलों में से दो-तिहाई मामलों में केवल आठ देशों का योगदान है:
- इनमें भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
- भारत में जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच 1.8 मिलियन टीबी के मामले दर्ज किये गए, जबकि एक वर्ष पूर्व यह संख्या 2.4 मिलियन थी।
- वर्ष 2019 में मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट-टीबी (MDR-TB) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये एक गंभीर खतरा बना रहा।
- ‘मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस’ (MDR-TB) टीबी का एक प्रकार है, जिसका इलाज दो सबसे शक्तिशाली एंटी-टीबी दवाओं के साथ नहीं किया जा सकता है। ‘एक्स्टेंसिव ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस’ (XDR-TB) टीबी का वह रूप है, जो ऐसे बैक्टीरिया के कारण होता है जो कई सबसे प्रभावी एंटी-टीबी दवाओं के प्रतिरोधी होते हैं।
- बीसीजी (BCG) वैक्सीन :
- बीसीजी वैक्सीन को दो फ्राँसीसी वैज्ञानिकों अल्बर्ट कैलमेट (Albert Calmett) और केमिली गुएरिन (Camille Guerin) द्वारा माइकोबैक्टीरियम बोविस [Mycobacterium bovis (जो मवेशियों में टीबी का कारण बनता है)] के एक स्ट्रेन में परिवर्तन करके विकसित किया गया था, जिसे पहली बार वर्ष 1921 में मनुष्यों में प्रयोग किया गया था।
- भारत में बीसीजी का चयन पहली बार वर्ष 1948 में सीमित पैमाने पर किया गया था तथा यह वर्ष 1962 में राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम का एक हिस्सा बन गया।
- एक टीके के रूप में इसका प्राथमिक उपयोग टीबी के खिलाफ किया जाता है तथा इसके अतिरिक्त यह नवजात शिशुओं के श्वसन और जीवाणु संक्रमण, कुष्ठ एवं बुरुली अल्सर (Buruli Ulcer) जैसे अन्य माइकोबैक्टीरियल रोगों से भी बचाता है।
- मूत्राशय के कैंसर और घातक मेलेनोमा बीमारी में एक इम्यूनोथेरेपी एजेंट के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- बीसीजी के बारे में सबसे रोचक तथ्य है कि यह कुछ भौगोलिक स्थानों पर अच्छा काम करता है, जबकि कुछ जगहों पर इतना प्रभावी नहीं होता है। आमतौर पर भूमध्य रेखा से दूरी बढ़ने के साथ-साथ ‘बीसीजी वैक्सीन’ की प्रभावकारिता भी बढ़ती जाती है।
- यूके, नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क में इसकी प्रभावकारिता काफी अधिक है तथा भारत, केन्या एवं मलावी जैसे भूमध्य रेखा पर या उसके आस-पास स्थित देशों में, जहाँ क्षय रोग का भार अधिक है, वहाँ इसकी प्रभावकारिता बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता है।
- संबंधित पहल :
- वैश्विक प्रयास :
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ एक संयुक्त पहल "शोध. उपचार. सर्व. #EndTB" (Find. Treat. All. #EndTB") शुरू की है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व तपेदिक रिपोर्ट (Global Tuberculosis Report) भी जारी करता है।
- भारत के प्रयास :
- क्षय रोग उन्मूलन वर्ष 2017-2025 हेतु राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP), निक्षय इकोसिस्टम (राष्ट्रीय टीबी सूचना प्रणाली), निक्षय पोषण योजना (NPY द्वारा वित्तीय सहायता), टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान।
- वर्तमान में नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण के अंतर्गत टीबी के लिये दो टीके विकसित किये गए हैं - वैक्सीन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट 1002 (VPM1002) तथा माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्राणी' (MIP)।
- वैश्विक प्रयास :