विनियमन समीक्षा प्राधिकरण 2.0 | 10 May 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Of India-RBI) ने दूसरे विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (Regulations Review Authority- RRA 2.0) की सहायता के लिये एक सलाहकार समूह का गठन किया है।
- रिज़र्व बैंक द्वारा नियमों को सुव्यवस्थित करने और विनियमित संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करने के उद्देश्य से 1 मई, 2021 से एक वर्ष की अवधि के लिये RRA 2.0 का गठन किया गया था।
प्रमुख बिंदु:
पृष्ठभूमि:
- RBI ने वर्ष 1999 में जनता, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से प्राप्त प्रतिपुष्टि (Feedback) के आधार पर विनियमों, परिपत्रों, रिपोर्टिंग प्रणालियों की समीक्षा के लिये पहले विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (RRA) की स्थापना की थी।
RRA 2.0:
- यह नियामक निर्देशों को सुव्यवस्थित करने, जहाँ भी संभव हो रिपोर्टिंग की प्रक्रियाओं तथा आवश्यकताओं को कम करके और विनियमित संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करने आदि विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- इसके अलावा यह विनियमित संस्थाओं से भी प्रतिपुष्टि प्राप्त करेगा।
- विनियमित संस्थाओं में वाणिज्यिक बैंक, शहरी सहकारी बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ शामिल हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक
गठन:
- भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार हुई थी।
- यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वामित्व वाला बैंक था, लेकिन वर्ष 1949 में RBI के राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
मुख्य कार्य:
- मौद्रिक प्रधिकारी (Monetary Authority): यह मौद्रिक नीति का प्रारूपण, क्रियान्वयन और निगरानी करता है।
- हाल की पहल: सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (Government Securities Acquisition Programme- G-SAP)।
- वित्तीय प्रणाली का नियामक और पर्यवेक्षक: बैंकिंग परिचालन के लिये विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधक: यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 का प्रबंधन करता है।
- मुद्रा जारीकर्त्ता: यह मुद्रा जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर मुद्रा और सिक्कों को नष्ट करता है।
- विकासात्मक भूमिका: राष्ट्रीय उद्देश्यों की सहायता के लिये व्यापक स्तर पर प्रोत्साहक कार्य करता है।
- भुगतान और निपटान प्रणाली का नियामक तथा पर्यवेक्षक: यह व्यापक स्तर पर जनता की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से देश में भुगतान प्रणालियों के सुरक्षित और कुशल तरीकों का परिचय तथा उन्नयन करता है।
- हाल की पहल: डिजिटल भुगतान सूचकांक, भुगतान अवसंरचना विकास कोष।
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI), देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिये एक अम्ब्रेला संगठन है।
- इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (The Payment and Settlement Systems Act, 2007) के प्रावधानों के तहत एक मज़बूत भुगतान और निपटान अवसंरचना के विकास हेतु स्थापित किया गया है।
- संबंधित कार्य:
- सरकार का बैंक: यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिये वाणिज्यिक बैंक के रूप में कार्य करता है तथा उनके बैंकर के रूप में भी कार्य करता है।
- बैंकों का बैंक: सभी अनुसूचित बैंकों के बैंकिंग खातों का अनुरक्षण करता है।
- वेज़ एंड मीन्स एडवांस (Ways and Means Advances- WMA) अल्पकालिक ऋण सुविधाएँ हैं, जो केंद्र और राज्यों को व्यय और प्राप्तियों के अंतर की पूर्ति करने के लिये RBI से धन उधार लेने की सुविधा प्रदान करता है।
RBI के प्रकाशन:
- उपभोक्ता आत्मविश्वास सर्वेक्षण (Consumer Confidence Survey- CCS): त्रैमासिक प्रकाशन।
- परिवारों की मुद्रास्फीति अपेक्षाओं का सर्वेक्षण (Inflation Expectations Survey of Households- IESH): त्रैमासिक प्रकाशन।
- वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report): अर्द्धवार्षिक
- मौद्रिक नीति रिपोर्ट (Monetary Policy Report): अर्द्धवार्षिक
- विदेशी मुद्रा भंडार पर रिपोर्ट (Report on Foreign Exchange Reserves): अर्द्धवार्षिक