वस्त्र उद्योग के लिये उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना | 09 Sep 2021
प्रिलिम्स के लिये:उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना मेन्स के लिये:वस्त्र उद्योग के लिये PLI योजना का महत्त्व और वस्त्र उद्योग की चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने वस्त्र उद्योग हेतु ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ (PLI) योजना को मंज़ूरी दी है।
- वस्त्र क्षेत्र हेतु ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना, केंद्रीय बजट 2021-22 के दौरान 13 क्षेत्रों के लिये घोषित PLI योजना का हिस्सा है, जिसमें 1.97 लाख करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल है।
- RoSCTL, RoDTEP और इस क्षेत्र में सरकार के अन्य उपायों जैसे- प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर कच्चे माल की उपलब्धता एवं कौशल विकास आदि के साथ ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना के माध्यम से वस्त्र निर्माण क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की जा सकेगी।
प्रमुख बिंदु
- ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिये केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में एक PLI योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है।
- विदेशी कंपनियों को भारत में इकाई स्थापित करने के लिये आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों की स्थापना या विस्तार के लिये प्रोत्साहित करना भी है।
- इस योजना को ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी हार्डवेयर जैसे लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, व्हाइट गुड्स, रासायनिक सेल, खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों के लिये भी अनुमोदित किया गया है।
- वस्त्र उद्योग के संदर्भ में PLI योजना की विशेषताएंँ:
- इसके तहत उच्च मूल्य वाले मानव निर्मित फाइबर (MMF) कपड़े, वस्त्र और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
- 5 वर्ष की अवधि में इस क्षेत्र को उत्पादन पर 10,683 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
- पात्र उत्पादकों को दो चरणों में प्रोत्साहन:
- पहला: कोई भी व्यक्ति या कंपनी जो एमएमएफ फैब्रिक, गारमेंट्स और तकनीकी टेक्सटाइल के उत्पादों के उत्पादन के लिए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और सिविल कार्यों (भूमि और प्रशासनिक भवन लागत को छोड़कर) में न्यूनतम 300 करोड़ रुपए का निवेश करने का इच्छुक है, भाग लेने के लिए पात्र होगा।
- दूसरा: उन्हीं शर्तों के तहत (जैसे पहले चरण के मामले में) न्यूनतम 100 करोड़ रुपए खर्च करने के इच्छुक निवेशक आवेदन करने के पात्र होंगे।
- अपेक्षित लाभ:
- निवेश और रोज़गार में वृद्धि:
- इससे 19,000 करोड़ रुपए से अधिक का नया निवेश होगा, जिससे कुल कारोबार 3 लाख करोड़ और इस क्षेत्र में 7.5 लाख से अधिक नौकरियों के अतिरिक्त सहायक गतिविधियों के लिये कई लाख से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- वस्त्र उद्योग मुख्य रूप से महिलाओं को रोज़गार देता है, इसलिये यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाएगी और औपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी को बढ़ाएगी।
- इससे 19,000 करोड़ रुपए से अधिक का नया निवेश होगा, जिससे कुल कारोबार 3 लाख करोड़ और इस क्षेत्र में 7.5 लाख से अधिक नौकरियों के अतिरिक्त सहायक गतिविधियों के लिये कई लाख से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
- पिछड़े क्षेत्रों को प्राथमिकता:
- साथ ही आकांक्षी ज़िलों, टियर-3, टियर-4 कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी और इसके माध्यम से उद्योग को पिछड़े क्षेत्रों में ले जाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा.
- यह योजना विशेष रूप से गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा आदि जैसे राज्यों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।
- साथ ही आकांक्षी ज़िलों, टियर-3, टियर-4 कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी और इसके माध्यम से उद्योग को पिछड़े क्षेत्रों में ले जाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा.
- निवेश और रोज़गार में वृद्धि:
वस्त्र उद्योग
- वस्त्र और वस्त्र उद्योग श्रम प्रधान क्षेत्र है जो भारत में 45 मिलियन लोगों को रोज़गार देता है, रोज़गार के मामले में इस क्षेत्र का कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा स्थान है।
- भारत का वस्त्र क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है और पारंपरिक कौशल, विरासत तथा संस्कृति का भंडार एवं वाहक है।
- इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है-
- असंगठित क्षेत्र छोटे पैमाने का है जो पारंपरिक उपकरणों और विधियों का उपयोग करता है। इसमें हथकरघा, हस्तशिल्प एवं रेशम उत्पादन शामिल हैं।
- संगठित क्षेत्र आधुनिक मशीनरी और तकनीकों का उपयोग करता है तथा इसमें कताई, परिधान एवं वस्त्र शामिल हैं।