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भारतीय अर्थव्यवस्था

RoDTEP योजना

  • 19 Aug 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

RoDTEP योजना, मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम, ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ मूल्य

मेन्स के लिये

योजना का महत्त्व और संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय’ ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये 8,555 उत्पादों हेतु ‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना के तहत कर रिफंड दरों की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना 

  • RoDTEP योजना निर्यातकों को ऐसे अंतर्निहित केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शुल्क या करों को वापस कर देगी, जिन पर अब तक या तो छूट नहीं दी जा रही थी या उन्हें वापस नहीं किया जा रहा था, जिसके कारण भारत के निर्यातकों को नुकसान हो रहा था।
  • यह योजना उन करों या शुल्कों पर लागू नहीं होगी, जिन पर पहले ही छूट दी जा चुकी है या जिन्हें वापस किया जा चुका है। 

लॉन्च

  • इसे जनवरी 2021 में ‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया था, जो विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं थी।
    • MEIS योजना के तहत निर्यात के ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ (FOB) मूल्य पर 2% से 7% का अतिरिक्त लाभ प्रदान किया जा रहा था।
    • विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के अनुसार, एक देश को MEIS जैसी निर्यात सब्सिडी नहीं दी जा सकती है यदि उस देश की प्रति व्यक्ति आय 1000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है और भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2017 में 1000 अमेरिकी डॉलर से अधिक थी। भारत बाद में ‘विश्व व्यापार संगठन’ में यह मामला हार गया और उसे भारतीय निर्यातकों की सहायता के लिये WTO के नियमों के अनुरूप एक नई योजना बनानी पड़ी।
  • परिधान निर्यातकों के लिये ‘राज्य और केंद्रीय लेवी तथा कर’ (RoSCTL) योजना की छूट अलग से अधिसूचित की गई है।

दरें

  • विभिन्न क्षेत्रों के लिये कर रिफंड दरें 0.5% से 4.3% तक हैं।
  • यह छूट निर्यात के ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ मूल्य के प्रतिशत के रूप में दी जाएगी।

निर्गमन

महत्त्व:

  • भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना:
    • विद्युत् शुल्क पर कर, परिवहन में ईंधन पर मूल्यवर्द्धित कर, कृषि क्षेत्र आदि जैसे करों की प्रतिपूर्ति भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
    • अगले 5-10 वर्षों में भारत द्वारा प्रतिस्पर्द्धात्मकता, व्यापार प्रवाह और निर्यात संख्या को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की आशा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों की बराबरी:
    • भारतीय निर्यातक, निर्यात के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने में सक्षम होंगे क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर निर्भर होने के बजाय देश के भीतर निर्यातकों को सस्ते परीक्षण और प्रमाणन उपलब्ध कराया जाएगा।
    • इससे देश के लिये अर्थव्यवस्था और उद्यमों हेतु कार्यशील पूंजी में वृद्धि होगी।
  • स्वचालित कर निर्धारण:
    • साथ ही इसके तहत निर्यातकों के लिये टैक्स असेसमेंट पूरी तरह से ऑटोमेटिक हो जाएगा। व्यवसायों को एक स्वचालित धन वापसी-मार्ग के माध्यम से जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) के लिये उनके रिफंड तक पहुँच प्राप्त होगी।

मुद्दे:

  • कम दर:
    • इस योजना ने कई निर्यातकों को निराश किया क्योंकि कम बजट आवंटन के साथ दरें MEIS दरों से काफी कम हैं।
    • इन दरों में बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग उत्पादों में स्टील जैसे कच्चे माल में अंतर्निहित करों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
  • बड़े क्षेत्रों का वंचन:
    • ऐसा प्रतीत होता है कि ये लाभ प्रमुख निर्यात जैसे- स्टील, फार्मा आदि और अग्रिम प्राधिकरण, निर्यात उन्मुख इकाई (EOU), विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), आदि के तहत किये गए निर्यात के लिये उपलब्ध नहीं है।
    • इसका भारतीय निर्यात की प्रतिस्पर्द्धात्मकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और निर्यातकों के बीच नकारात्मक भावना पैदा होगी।

फ्रेट ऑन बोर्ड:

  • इसे फ्री ऑन बोर्ड (FOB) भी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल यह इंगित करने के लिये किया जाता है कि शिपिंग के दौरान किसी भी वस्तु के क्षतिग्रस्त या नष्ट होने पर कौन उत्तरदायी है।
    • "FOB ऑरिजिन" का अर्थ है कि खरीदार जोखिम में है और विक्रेता द्वारा उत्पाद को शिप किये जाने के बाद माल पर खरीददार का स्वामित्व होता है।
    • "FOB डेस्टिनेशन" का अर्थ है कि जब तक माल खरीदार तक नहीं पहुँचता तब तक किसी भी प्रकार के नुकसान का जोखिम विक्रेता पर बना रहता है।
  • FOB की शर्तें खरीदार की माल सूची  लागत (Inventory Cost) को प्रभावित करती हैं; शिप किये गए माल में देयता को जोड़े जाने से माल सूची लागत बढ़ जाती है तथा नोवल या शुद्ध आय कम हो जाती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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