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भारतीय अर्थव्यवस्था

सौर ऊर्जा के लिये श्रीलंका को ऋण

  • 18 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लाइन ऑफ क्रेडिट, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 

मेन्स के लिये:

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु भारत और वैश्विक स्तर पर की गईं पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने सौर ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये श्रीलंका को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) प्रदान करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह LOC की 1.75% ब्याज दर पर 20 वर्षों की अवधि के लिये है।

  • इस समझौते पर श्रीलंका सरकार और भारतीय निर्यात-आयात (EXIM) बैंक के बीच हस्ताक्षर किये गए थे।
  • EXIM बैंक एक विशिष्ट वित्तीय संस्थान है, जिसका पूर्ण स्वामित्व भारत सरकार के पास है।

Sri-Lanka

लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit-LOC):

  • लाइन ऑफ क्रेडिट एक प्रकार का ‘सुलभ ऋण’ (Soft Loan) होता है जो एक देश की सरकार द्वारा किसी अन्य देश की सरकार को रियायती ब्याज दरों पर दिया जाता है। 
  • आमतौर पर LOC इस प्रकार की शर्तों से जुड़ी होती है कि उधार लेने वाला देश उधार देने वाले देश से कुल LOC का निश्चित हिस्सा आयात करेगा। इस प्रकार दोनों देशों को अपने व्यापार और निवेश संबंधों को मज़बूत करने का अवसर मिलता है।

प्रमुख बिंदु:

LOC का महत्त्व:

  • यह श्रीलंका में सौर ऊर्जा क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं जैसे- घरों और सरकारी भवनों के लिये रूफटॉप सोलर फोटो-वोल्टाइक सिस्टम को वित्तपोषित करने में मदद करेगा।
    • इनमें से कुछ परियोजनाओं की घोषणा मार्च 2018 में दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के संस्थापक सम्मेलन के दौरान की गई थी।
  •  सौर ऊर्जा के वैश्विक सहयोग के लिये भारत की पहल :
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA):
      • ISA की स्थापना भारत की पहल के बाद हुई थी। इसकी शुरुआत संयुक्त रूप से पेरिस में 30 नवंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान COP-21 से पृथक भारत और फ्राँस द्वारा की गई थी।
      • ISA की अंतर्राष्ट्रीय संचालन समिति की पाँचवीं बैठक में 121 संभावित सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था, जो पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच में स्थित हैं।
      • 89 देशों ने ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
      • ISA का विज़न एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड (OSOWOG) को सक्षम बनाना है।
    • एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड (OSOWOG):
      • यह वैश्विक सहयोग की सुविधा के लिये एक ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करता है, जो परस्पर अक्षय ऊर्जा संसाधनों (मुख्य रूप से सौर ऊर्जा) के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र जिसे मूल रूप से साझा किया जा सकता है, का निर्माण करता है ।
  • भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये योजनाएँ: हाल ही में भारत ने इटली को पीछे छोड़ते हुए सौर ऊर्जा परिनियोजन में वैश्विक स्तर पर 5वाँ स्थान हासिल किया है।
    • राष्ट्रीय सौर मिशन (जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का एक हिस्सा): इसका उद्देश्य पूरे देश में सौर ऊर्जा की स्थापना के लिये नीतिगत शर्तें बनाकर भारत को सौर ऊर्जा में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।
    • रूफटॉप सौर योजना: घरों की छत पर सौर पैनल स्थापित कर सौर ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ग्रिड से जुड़ी रूफटॉप सौर योजना (द्वितीय चरण) को लागू कर रहा है।
    • भारत में उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI)।
    • अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्कों के विकास हेतु योजना: यह मौजूदा सोलर पार्क योजना के तहत अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (UMREPPs) विकसित करने की एक योजना है।
    • किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाभियान (KUSUM): इस योजना में ग्रिड से जुड़े अक्षय ऊर्जा विद्युत संयंत्र (0.5 - 2 मेगावाट)/सौर जल पंप/ग्रिड से जुड़े कृषि पंप शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018: इस नीति का मुख्य उद्देश्य बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर फोटो-वोल्टेइक हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने के लिये एक ढाँचा प्रदान करना है।
    • अटल ज्योति योजना (AJAY): इसे सितंबर 2016 में उन राज्यों में सौर स्ट्रीट लाइटिंग (SSL) सिस्टम की स्थापना के लिये लॉन्च किया गया था, जहाँ 50% से कम घरों में ग्रिड विद्युत् उपलब्ध है (जनगणना 2011 के अनुसार)।
    • सूर्यमित्र कौशल विकास कार्यक्रम: सौर प्रतिष्ठानों की देखभाल करने हेतु ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना।

स्रोत: द हिंदू

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