वर्ष 2030 तक एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत | 08 Jan 2022
प्रिलिम्स के लिये:सकल घरेलू उत्पाद (GDP), स्टार्टअप, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), 'मेक इन इंडिया', इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति-2019 (NPE 2019) मेन्स के लिये:भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित चिंताएँ और इस संबंध में उठाए गए कदम |
चर्चा में क्यों?
‘इंफॉर्मेशन हैंडलिंग सर्विसेज़’ (IHS) मार्किट रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वर्ष 2030 तक जापान को एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पीछे छोड़ सकता है।
- भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के बाद छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- आईएचएस मार्किट दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं को संचालित करने वाले प्रमुख उद्योगों और बाज़ारों के लिये सूचना, विश्लेषण और समाधान प्रस्तुत करने वाली एक अग्रणी वैश्विक कंपनी है।
नोट: किसी देश की समग्र अर्थव्यवस्था का आकार प्रायः उसके सकल घरेलू उत्पाद द्वारा मापा जाता है, जो किसी दिये गए वर्ष में किसी देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य होता है।
प्रमुख बिंदु
- जीडीपी अनुमान:
- मूल्य के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2021 में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसके वर्ष 2030 तक बढ़कर 8.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है।
- यह बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के मामले में जापान को पीछे करने हेतु काफी है, जिससे भारत वर्ष 2030 तक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
- पिछले वित्त वर्ष में 7.3% की गिरावट की तुलना में वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 8.2% रहने का अनुमान है।
- हालाँकि चालू वित्त वर्ष (FY) की गति वर्ष 2022-23 में भी जारी रहेगी और भारत 6.7% की वृद्धि दर हासिल करेगा।
- मूल्य के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2021 में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसके वर्ष 2030 तक बढ़कर 8.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है।
- विभिन्न क्षेत्रों की भूमिका:
- भारत की विकास दर को बढ़ाने में ई-कॉमर्स क्षेत्र के साथ-साथ विनिर्माण, बुनियादी ढाँचा और सेवा क्षेत्र की बड़ी भूमिका है।
- इतना ही नहीं, डिजिटलीकरण बढ़ने से आने वाले समय में ई-कॉमर्स बाज़ार और बड़ा हो जाएगा।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक 1.1 अरब भारतीयों के पास इंटरनेट होगा, वर्ष 2020 में यह संख्या 50 करोड़ थी।
- वृद्धि दर:
- कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मज़बूत और स्थिर दिखता है, जो इसे अगले दशक में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला देश बनाता है।
- लंबी अवधि में भी बुनियादी ढाँचा क्षेत्र और स्टार्टअप जैसे तकनीकी विकास भारत की तीव्र विकास दर को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
- दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते भारत उद्योगों की एक विस्तृत शृंखला में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण दीर्घकालिक विकास बाज़ारों में से एक बन जाएगा, जिसमें ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिसंपत्ति प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल और सूचना प्रौद्योगिकी एवं रसायन जैसे विनिर्माण उद्योग तथा बैंकिंग, बीमा जैसे सेवा उद्योग शामिल हैं।
- मध्यम वर्ग का समर्थन:
- भारत को सबसे ज्यादा मदद उसके विशाल मध्यम वर्ग से मिलती है, जो उसकी मुख्य उपभोक्ता शक्ति है।
- अगले दशक में भारतीय उपभोक्ता खर्च भी दोगुना हो जाएगा। यह वर्ष 2020 में 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2030 में 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो सकता है।
- भारत को सबसे ज्यादा मदद उसके विशाल मध्यम वर्ग से मिलती है, जो उसकी मुख्य उपभोक्ता शक्ति है।
- एफडीआई अंतर्वाह:
- पिछले पाँच वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह में बड़ी वृद्धि 2020 और 2021 में भी मज़बूत गति के साथ जारी है।
- इसे वैश्विक प्रौद्योगिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) जैसे कि Google और Facebook से निवेश के बड़े प्रवाह से बढ़ावा मिल रहा है, जो भारत के बड़े घरेलू उपभोक्ता बाज़ार की ओर आकर्षित हैं।
- भारत की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति:
- वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद के अनंतिम अनुमानों के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर भारत की GDP वित्त वर्ष 2012 की पहली तिमाही में 694.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
- भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा यूनिकॉर्न बेस है, जहाँ 21 से अधिक यूनिकॉर्न का सामूहिक मूल्य 73.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल
- 'मेक इन इंडिया' और इलेक्ट्रॉनिक्स 2019 पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई 2019)
- विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई)
- प्रमुख दूरसंचार क्षेत्र के सुधार:
- सितंबर 2021 में प्रमुख दूरसंचार क्षेत्र में सुधारों को मंजूरी दी गई है, जिससे रोज़गार, विकास, प्रतिस्पर्द्धा और उपभोक्ता हितों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- समायोजित सकल राजस्व और बैंक गारंटी (BGs) का युक्तिकरण तथा स्पेक्ट्रम साझाकरण को प्रोत्साहित करना प्रमुख सुधारों में से हैं।
- डीप ओशन मिशन:
- भारत सरकार ने अगस्त 2021 में अगले पाँच वर्षों में 4,077 करोड़ (553.82 मिलियन अमेरिकी डाॅलर) के बजट परिव्यय के साथ डीप ओशन मिशन (DOM) को मंज़ूरी दी।
- अक्षय स्रोतों पर ध्यान देना:
- ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये भारत अक्षय स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा का 40% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने की योजना बना रहा है, जो वर्तमान में 30% से अधिक है और वर्ष 2022 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 175 गीगाटन (GW) तक बढ़ाना है।
- इसके अनुरूप भारत और यूनाइटेड किंगडम ने संयुक्त रूप से मई 2021 में वर्ष 2030 तक जलवायु परिवर्तन में सहयोग एवं मुकाबला करने हेतु एक 'रोडमैप 2030' लॉन्च किया।
आगे की राह
- एक ओर जहाँ वर्ष 2021 में विनिर्माण और निर्माण जैसे क्षेत्रों में तेजी से सुधार हुआ, वहीं दूसरी ओर, कम-कुशल व्यक्ति, महिलाएंँ, स्वरोज़गार वाले लोग और छोटी फर्में पीछे रह गईं।
- बुनियादी ढांँचा और विनिर्माण दो स्तंभ हैं जिनका उपयोग संरचनात्मक रूप से विकास को आगे बढ़ाने के लिये किया जाना चाहिये।
- हालांँकि बुनियादी ढांँचे के निर्माण या निवेश चक्र के पुनरुद्धार के लिये, सामान्य तौर पर निजी क्षेत्र को भी योगदान देना शुरू करना होगा।
- निजी कॉरपोरेट और घरों में पुनरुद्धार के लिये बुनियादी बातें वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से बैंकों के साथ बेहतर स्थिति, कॉरपोरेट्स और कम ब्याज दर शासन के साथ उभर रही हैं।
- वित्त वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि घरेलू आय कितनी तेजी से बढ़ रही है एवं अनौपचारिक क्षेत्र और छोटी फर्मों में गतिविधि सामान्य रहती है।
- निजी क्षेत्र को लंँबी अवधि के लिये संपत्ति निर्मित करने के साथ भारत में व्यापार को आसान बनाने तथा लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना चाहिये।
- कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी भारत के विकास का एक प्रमुख चालक है। इसलिये भारत को महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी चाहिये।