भारत-स्वीडन इनोवेशन समिट | 11 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:G-20, नवाचार दिवस, पेरिस जलवायु समझौता, लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांज़िशन मेन्स के लिये:भारत-स्वीडन संबंध |
चर्चा में क्यों?
भारत और स्वीडन ने 26 अक्तूबर, 2021 को 8वाँ नवाचार दिवस (Innovation Day) मनाया।
- थीम: 'एक्सेलरेटिंग इंडिया-स्वीडन ग्रीन ट्रांज़िशन' (Accelerating India Sweden Green Transition)।
प्रमुख बिंदु
- ग्रीन ट्रांज़िशन:
- भारत अपनी पेरिस जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और इन प्रतिबद्धताओं से और अधिक बेहतर लक्ष्य प्राप्त करने की राह पर है।
- स्वीडन का उद्देश्य वर्ष 2045 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के पश्चात् नकारात्मक शुद्ध उत्सर्जन हासिल करना है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) के नेतृत्व वाले इंडस्ट्री ट्रांज़िशन कार्यक्रम (लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांज़िशन) में भारत और स्वीडन एक साथ हैं।
- हाइब्रिड ग्रीन स्टील (कम कार्बन फुटप्रिंट के साथ) के लॉन्च के साथ नवाचार का प्रभाव दोनों पर पड़ेगा, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 30% है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा अनुसंधान व नवाचार:
- भारत-स्वीडन नवाचार सहयोग, भारत-स्वीडन नवाचार भागीदारी और संयुक्त कार्य योजना (JAP) द्वारा निर्देशित है।
- वर्ष 2018 में स्मार्ट शहरों, नवाचार और अगली पीढ़ी के परिवहन को शामिल करने के लिये संयुक्त कार्य योजना (JAP) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग पहले से ही इनक्यूबेटर कनेक्ट, डिजिटल हेल्थ केयर और ग्लोबल बायो इंडिया कार्यक्रमों पर स्वीडिश भागीदारों के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भागीदारी बढ़ रही है।
- सर्कुलर इकॉनमी पर विचार:
- दोनों देशों ने चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) पर एक नए संयुक्त कार्य योजना का आह्वान किया, जिसमें स्वास्थ्य विज्ञान और वेस्ट टू वेल्थ जैसे विषय शामिल थे।
- सर्कुलर इकॉनमी में ऐसे बाज़ार शामिल हैं जो उत्पादों को स्क्रैप करने और फिर नए संसाधनों के उपयोग के बजाय पुन: उपयोग करने के लिये प्रोत्साहन देते हैं।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य, रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्द्धन संगठन तथा बुजुर्गों की देखभाल के प्रावधान जैसे व्यापक विषयों पर 2021-2022 में नई योजना शुरू करने पर सहमति व्यक्त की गई।
- दोनों देशों ने चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) पर एक नए संयुक्त कार्य योजना का आह्वान किया, जिसमें स्वास्थ्य विज्ञान और वेस्ट टू वेल्थ जैसे विषय शामिल थे।
भारत-स्वीडन संबंध
- राजनीतिक संबंध:
- वर्ष 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए और दशकों से लगातार मज़बूत स्थिति में हैं।
- पहला भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन (भारत, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, आइसलैंड और डेनमार्क) वर्ष 2018 में स्वीडन में आयोजित किया गया था।
- स्वीडन ने नवंबर 2020 में भारत की सह-अध्यक्षता में प्रथम भारत-नॉर्डिक-बाल्टिक (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया सहित) कॉन्क्लेव में भी भाग लिया।
- बहुपक्षीय जुड़ाव:
- भारत और स्वीडन ने संयुक्त रूप से वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के सहयोग से लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांज़िशन (LeadIT) लॉन्च किया।
- 1980 के दशक में भारत और स्वीडन ने 'सिक्स नेशन पीस समिट' (जिसमें अर्जेंटीना, ग्रीस, मैक्सिको और तंजानिया भी शामिल थे) के फ्रेमवर्क के अंतर्गत परमाणु निरस्त्रीकरण के मुद्दों पर एक साथ काम किया।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत और स्वीडन मानवीय मामलों पर एक वार्षिक संयुक्त वक्तव्य प्रस्तुत करते हैं।
- वर्ष 2013 में स्वीडिश प्रेसीडेंसी के दौरान भारत किरुना मंत्रिस्तरीय बैठक में एक पर्यवेक्षक के रूप में आर्कटिक परिषद में शामिल हुआ।
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- एशिया में चीन तथा जापान के बाद भारत, स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार (Trade Partner) है।
- वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2016) से बढ़कर 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2019) हो गया है।
- रक्षा और एयरोस्पेस (स्वीडन-भारत संयुक्त कार्य योजना 2018): यह अंतरिक्ष अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, नवाचार और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में सहयोग पर प्रकाश डालता है।
आगे की राह
- यूरोपीय संघ का सदस्य होने के नाते स्वीडन यूरोपीय संघ और यूरोपीय संघ के देशों के साथ भारत की साझेदारी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- सामरिक जुड़ाव, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश परिदृश्यों से पारस्परिक रूप से लाभकारी पद्धति के तहत साझा आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
- मार्च 2021 के शिखर सम्मेलन के बाद नई दिल्ली और स्टॉकहोम के बीच रणनीतिक हितों के समेकन की संचालित गतिविधियों से क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तरों पर विशेष रूप से कोविड-19 भू-राजनीतिक कूटनीति को परिभाषित करने में एक त्रुटिहीन प्रभाव पड़ने की संभावना है (विशेष रूप से वर्ष 2023 में जी-20 प्रेसीडेंसी हेतु भारत का बढ़ता प्रभुत्त्व)।