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डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की वित्तीय प्रणाली का डिजिटलीकरण

  • 11 Nov 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

RuPay कार्ड, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय जाँच ब्यूरो, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 

मेन्स के लिये: 

भारत की वित्तीय प्रणाली का डिजिटलीकरण

चर्चा में क्यों:  

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने ‘भारतीय बैंक संघ’ (Indian Banks’ Association- IBA) की 73वीं सामान्य वार्षिक बैठक में कहा कि बैंकों को ऋण देने से नहीं बचना चाहिये, खासकर जब अर्थव्यवस्था बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि ऋणदाता संस्थानों को सभी भारतीय ग्राहकों के लिये सबसे पहले रुपे कार्ड (Rupay Card) की पेशकश करनी चाहिये, गैर-डिजिटल भुगतान को हतोत्साहित करना चाहिये और 31 मार्च, 2021 तक ग्राहक के आधार नंबर के साथ प्रत्येक बैंक खाते को जोड़ना चाहिये।
    • RuPay भारत में अपनी तरह का पहला घरेलू डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतान नेटवर्क है।
    • यह नाम रुपे (Rupee) और पेमेंट (Payment) दो शब्दों से मिलकर बना है जो इस बात पर ज़ोर देता है कि यह डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतानों के लिये भारत की स्वयं की पहल है।
    • इस कार्ड का उपयोग सिंगापुर, भूटान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन और सऊदी अरब में लेन-देन के लिये भी किया जा सकता है।
    • जनवरी 2020 तक 600 मिलियन से अधिक RuPay कार्ड धारक थे।
  • भारतीय बैंकों को केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के तहत  प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि वे तीन ‘C’ [केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), केंद्रीय जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)] के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें। यह उन्हें विवेकपूर्ण जोखिम लेने और बिना किसी डर के उधार देने में सक्षम बनाएगा।

क्रेडिट विस्तार और वित्तीय प्रणाली में अधिक बैंकों का प्रवेश: 

  • हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने वित्तीय प्रणाली में अधिक-से-अधिक प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के साथ-साथ क्रेडिट प्रसार के लिये अधिक बैंकों के प्रवेश की ज़रूरत का उल्लेख किया था।
    • भारत में लगभग 500-600 बैंक हैं जिनमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी शामिल हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास भारत की एक-चौथाई जनसंख्या होने के बावजूद कुल 26,000 बैंक हैं।
    • यद्यपि केवल आधा दर्जन बड़े बैंक ही अमेरिकी वित्तीय प्रणाली पर हावी हैं, छोटे बैंक अधिकतर MSME के ऋणदाता के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रकार ये बैंक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • उल्लेखनीय है कि विश्व के शीर्ष 100 में केवल एक भारतीय बैंक (SBI) शामिल है, जबकि चीन के 18 बैंक हैं।

वित्तीय समावेशन:

  • भारत में वित्तीय समावेशन में हाल के वर्षों में तेज़ी से प्रगति देखी गई है किंतु इसे और आगे बढ़ाने की ज़रूरत है।
  • वित्तीय समावेशन कम आय वाले लोग और समाज के वंचित वर्ग को वहनीय कीमत पर भुगतान, बचत, ऋण आदि सहित वित्तीय सेवाएँ पहुँचाने का प्रयास है। इसे ‘समावेशी वित्तपोषण’ भी कहा जाता है।
  • वित्तीय समावेशन का मुख्य उद्देश्य उन प्रतिबंधों को दूर करना है जो वित्तीय क्षेत्र में भाग लेने से लोगों को बाहर रखते हैं और बिना किसी भेदभाव के उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वित्तीय सेवाओं को उपलब्ध कराना है।

वित्तीय समावेशन से संबंधित भारत सरकार की पहल:

  • जैम (JAM) ट्रिनिटी: [जनधन-आधार-मोबाइल]
    • आधार, प्रधानमंत्री जनधन योजना और मोबाइल संचार में वृद्धि ने नागरिकों तक सरकारी सेवाओं के पहुँचने का तरीका बदल दिया है। 
      • एक अनुमान के अनुसार, अब तक लगभग 42 करोड़ जनधन बैंक खाते खोले जा चुके हैं।    
    • व्यक्तिगत पहचान की अवधारणा में महत्त्वपूर्ण बदलाव के साथ आधार न केवल एक सुरक्षित और आसानी से सत्यापन योग्य प्रणाली है, बल्कि वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया में यह एक महत्त्वपूर्ण टूल है।
  • ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं का विस्तार:
  • डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा: 
    • भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India-NPCI) द्वारा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस को मज़बूत करने के साथ ही पूर्व की तुलना में डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाया गया है।
    • आधार सक्षम भुगतान प्रणाली, आधार सक्षम बैंक खाते किसी भी समय या स्थान पर माइक्रो एटीएम का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं।
    • ऑफलाइन लेन-देन में सक्षम बनाने वाले प्लेटफॉर्म ‘अवसंरचनात्मक पूरक सेवा डेटा’ (Unstructured Supplementary Service Data-USSD) के कारण भुगतान प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाया गया है , जिससे सामान्य मोबाइल हैंडसेट पर भी इंटरनेट के बिना मोबाइल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करना संभव हो जाता है।
  •  वित्तीय साक्षरता:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘वित्तीय साक्षरता’ नामक एक परियोजना शुरू की है जिसका उद्देश्य केंद्रीय बैंक और सामान्य बैंकिंग अवधारणाओं के बारे में विभिन्न लक्षित समूहों जिनमें स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे, महिलाएँ, ग्रामीण और शहरी गरीब और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं, को वित्तीय जानकारी उपलब्ध कराना है।
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज़ मार्केट्स (National Institute of Securities Markets-NISM’s) ने ‘पॉकेट मनी’ नामक एक प्रमुख कार्यक्रम लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य स्कूली छात्रों में वित्तीय साक्षरता बढ़ाना है।

भारतीय बैंक संघ

(Indian Banks’ Association):

  • इसका गठन वर्ष 1946 में हुआ था।
  • यह भारत में कार्यरत बैंकिंग प्रबंधन का एक प्रतिनिधि निकाय है अर्थात् भारतीय बैंकों और मुंबई में स्थित वित्तीय संस्थानों का एक संघ है।
  • IBA का गठन भारतीय बैंकिंग के विकास, समन्वय एवं मज़बूती के लिये किया गया था। 
  • यह नई प्रणालियों के कार्यान्वयन एवं सदस्यों के बीच मानकों को अपनाने सहित विभिन्न तरीकों से सदस्य बैंकों की सहायता करता है।
  • वर्ष 1946 में प्रारंभिक तौर पर भारत में 22 बैंकों का प्रतिनिधित्त्व करने वाले एक निकाय के रूप में वर्तमान में IBA, भारत में कार्यरत 237 बैंकिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्त्व करता है।  

स्रोत: द हिंदू 

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