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भारतीय इतिहास

अबुल कलाम आज़ाद: राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

  • 12 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

असहयोग आंदोलन, अबुल कलाम आज़ाद, नमक सत्याग्रह, प्रथम विश्व युद्ध, भारत रत्न

मेन्स के लिये:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अबुल कलाम आज़ाद का योगदान 

चर्चा में क्यों?   

प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) के रूप में मनाया जाता है।

  • वर्ष 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। शिक्षा के महत्त्व को उजागर करने के उद्देश्य से देश के शैक्षणिक संस्थान इस दिन सेमिनार, निबंध-लेखन, कार्यशालाओं आदि का आयोजन करते हैं।

प्रमुख बिंदु 

Abul-Kalam-Azad

  • जन्म: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जिनका मूल नाम मुहियुद्दीन अहमद था, का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था।
    • आज़ाद एक शानदार वक्ता थे, जैसा कि उनके नाम से संकेत मिलता है- ‘अबुल कलाम’ का शाब्दिक अर्थ है ‘संवादों का देवता’ (Lord of Dialogues)।
  • संक्षिप्त परिचय:
    • वे  एक पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् थे।
  • योगदान (स्वतंत्रता पूर्व):
    • ये विभाजन के कट्टर विरोधी थे तथा हिंदू मुस्लिम एकता के समर्थक थे। 
      • वर्ष 1912 में उन्होंने उर्दू में अल-हिलाल नामक एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की, जिसने मॉर्ले-मिंटो सुधारों (1909) के बाद दो समुदायों के बीच हुए मनमुटाव को समाप्त कर हिंदू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
        • वर्ष 1909 के सुधारों के तहत मुसलमानों के लिये अलग निर्वाचक मंडल के प्रावधान का हिंदुओं द्वारा  विरोध किया गया था।
      • सरकार ने अल-हिलाल पत्रिका को अलगाववादी विचारों का प्रचारक माना और 1914 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया।
      • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर आधारित भारतीय राष्ट्रवाद और क्रांतिकारी विचारों के प्रचार के समान मिशन के साथ अल-बालाग नामक एक और साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया।
        • वर्ष 1916 में ब्रिटिश सरकार ने इस पत्र पर भी प्रतिबंध लगा दिया तथा  मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कलकत्ता से निष्कासित कर बिहार निर्वासित कर दिया गया, जहाँ से उन्हें वर्ष 1920 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद रिहा कर दिया गया था।
    • आज़ाद ने गांधीजी द्वारा शुरू किये गए असहयोग आंदोलन (1920-22) का समर्थन किया और 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हुए।
      • वर्ष 1923 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस  के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। 35 वर्ष की आयु में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस  की अध्यक्षता करने वाले  सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए।
    • वर्ष 1930 में मौलाना आज़ाद को गांधीजी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने तथा  नमक कानून का उल्लंघन करने के लिये गिरफ्तार किया गया था। उन्हें डेढ़ साल तक मेरठ जेल में रखा गया था।
    • वे 1940 में फिर से कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष बने और 1946 तक इस पद पर बने रहे।
  • एक शिक्षाविद्:
    • शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आज़ाद उदारवादी सर्वहितवाद/सार्वभौमिकता के प्रतिपादक थे, जो वास्तव में उदार मानवीय शिक्षा प्रणाली थी।
    • शिक्षा के संदर्भ में आज़ाद की विचारधारा पूर्वी और पश्चिमी अवधारणाओं के सम्मिलन पर केंद्रित थी जिससे पूरी तरह से एकीकृत व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। जहाँ  पूर्वी अवधारणा आध्यात्मिक उत्कृष्टता और व्यक्तिगत मोक्ष पर आधारित थी वहीं पश्चिमी अवधारणा ने सांसारिक उपलब्धियों और सामाजिक प्रगति पर अधिक बल दिया।
    • वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे जिसे मूल रूप से वर्ष 1920 में संयुक्त प्रांत के अलीगढ़ में स्थापित किया गया था।
  • उनकी रचनाएँ: बेसिक कॉन्सेप्ट ऑफ कुरान, गुबार-ए-खातिर, दर्श-ए-वफा, इंडिया विन्स फ्रीडम आदि।
  • योगदान (स्वतंत्रता के पश्चात्):
    • वर्ष 1947 में वह स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने और वर्ष 1958 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने देश के उत्थान के लिये उल्लेखनीय कार्य किये।
      • शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान देश में पहले IIT, IISc, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की गई थी।
    • विज्ञान संबंधी शिक्षा में प्रगति और विकास के लिये निम्नलिखित संस्थानों की स्थापना की गई:
    • अन्य देशों में भारतीय संस्कृति के परिचय हेतु भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations-ICCR)।
    • निम्नलिखित तीन अकादमियों का गठन किया:
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

स्रोत: पीआईबी 

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