अंतर्राष्ट्रीय संबंध
18वाँ भारत-आसियान शिखर सम्मेलन
- 02 Nov 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-आसियान शिखर सम्मेलन, एक्ट ईस्ट नीति, ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति मेन्स के लिये:भारत-आसियान मैत्री वर्ष का महत्त्व एवं संभावनाएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने आसियान के वर्तमान अध्यक्ष ब्रुनेई के आमंत्रण पर 18वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
- सभी राजनेताओं ने वर्ष 2022 को ‘भारत-आसियान मैत्री वर्ष’ के रूप में घोषित किया।
- आसियान-भारत शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और यह भारत व आसियान को उच्चतम स्तर पर जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी में आसियान:
भारत की एक्ट ईस्ट नीति एवं व्यापक इंडो-पैसिफिक विज़न के लिये भारत के दृष्टिकोण में आसियान की केंद्रीयता को रेखांकित किया गया।
- ‘हिंद-प्रशांत के लिये आसियान आउटलुक’ और भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (Indo-Pacific Oceans Initiative:IPOI) के बीच सामंजस्य पर पूर्ण भरोसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और आसियान के राजनेताओं ने इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिये सहयोग पर ‘भारत-आसियान संयुक्त वक्तव्य’ के अनुमोदन का स्वागत किया।
- हाल ही में भारत ने 16वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को भी संबोधित किया, जहाँ उसने एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आसियान केंद्रीयता आधारित भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का स्वागत किया गया।
- भारत-आसियान कनेक्टिविटी:
- आसियान देशों और भारत के बीच अधिक-से-अधिक लोगों तक भौतिक एवं डिजिटल कनेक्टिविटी के महत्त्व को भी रेखांकित किया गया।
- भारत ने भारत-आसियान सांस्कृतिक संपर्क को और मज़बूत करने के लिये आसियान सांस्कृतिक विरासत सूची की स्थापना हेतु अपने समर्थन की घोषणा की।
- व्यापार और निवेश:
- कोविड के बाद आर्थिक सुधार के लिये आपूर्ति शृंखला के विविधीकरण और लचीलेपन के महत्त्व के संबंध में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को संशोधित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
- नियम-आधारित आदेश:
- दक्षिण चीन सागर और आतंकवाद सहित साझा हित और गंभीर चिंता वाले क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के प्रावधानों को बनाए रखने सहित इस क्षेत्र में नियम-आधारित आदेश को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है।
- कोविड-19:
- इस क्षेत्र में महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के अथक प्रयासों पर प्रकाश डाला गया और साथ ही इस दिशा में आसियान की पहलों को आवश्यक समर्थन प्रदान करने की बात कही।
- भारत ने म्याँमार के लिये आसियान की मानवीय पहल हेतु 200,000 अमेरिकी डॉलर और आसियान के कोविड-19 रिस्पांस फंड हेतु 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की चिकित्सा सामग्री का योगदान दिया है।
- इस क्षेत्र में महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत के अथक प्रयासों पर प्रकाश डाला गया और साथ ही इस दिशा में आसियान की पहलों को आवश्यक समर्थन प्रदान करने की बात कही।
भारत-आसियान और चीन:
- परंपरागत रूप से भारत-आसियान संबंधों का आधार साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों के कारण व्यापार एवं व्यक्तियों के बीच संबंध रहा है, अभिसरण का एक और हालिया व ज़रूरी क्षेत्र चीन के बढ़ते प्रभुत्त्व को संतुलित करना है।
- भारत और आसियान दोनों का लक्ष्य चीन की आक्रामक नीतियों के विपरीत क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास के लिये एक नियम-आधारित सुरक्षा ढाँचा स्थापित करना है।
- भारत की तरह वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई जैसे कई आसियान सदस्यों का चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है, जो कि चीन के साथ संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- भारत ने वर्ष 2014 में अपने पिछले दृष्टिकोण की तुलना में अधिक रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ न केवल दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ बल्कि प्रशांत क्षेत्र में भी जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति को एक्ट ईस्ट में फिर से जीवंत कर दिया।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान)
- परिचय:
- यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों, अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर व थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई।
- इसके सदस्य राज्यों के अंग्रेज़ी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर इसकी अध्यक्षता वार्षिक रूप से प्रदान की जाती है।
- आसियान देशों की कुल आबादी 650 मिलियन है और संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह लगभग 86.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार के साथ भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- सदस्य:
- आसियान दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम का एक संगठन है।
हिंद-प्रशांत के लिये आसियान का दृष्टिकोण:
- यह इस क्षेत्र में सहयोग हेतु मार्गदर्शन करने एवं आसियान की सामुदायिक निर्माण प्रक्रिया को बढ़ाने तथा आसियान के नेतृत्व वाले पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन जैसे मौजूदा तंत्र को और अधिक मज़बूत करने हेतु एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिये एक सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने में मदद करना, सामान्य चुनौतियों का समाधान करना, नियम-आधारित क्षेत्रीय संरचना को बनाए रखना व घनिष्ठ आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना तथा इस प्रकार आपसी विश्वास को और अधिक मज़बूती प्रदान करना है।
भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI)
- यह देशों के लिये एक खुली, गैर-संधि आधारित पहल है जो इस क्षेत्र में आम चुनौतियों के सहकारी व सहयोगी समाधान के लिये मिलकर काम करती है।
- IPOI निम्नलिखित सात स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु मौजूदा क्षेत्रीय संरचना और तंत्र पर आधारित है:
- समुद्री सुरक्षा
- समुद्री पारिस्थितिकी
- समुद्री संसाधन
- क्षमता निर्माण और संसाधन साझाकरण
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग
- व्यापार संपर्क और समुद्री परिवहन