प्रिलिम्स फैक्ट्स (30 Oct, 2023)



एक राष्ट्र, एक छात्र आईडी

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में कई राज्य सरकारों ने स्कूलों से विद्यार्थियों के लिये एक नए पहचान पत्र बनाने हेतु माता-पिता की सहमति लेने का अनुरोध किया, जिसे स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री (Automated Permanent Academic Account Registry- APAAR) के रूप में जाना जाता है।

विद्यार्थियों के लिये ID, APAAR का उद्देश्य?

  • परिचय:
    • पहल के तहत प्रत्येक विद्यार्थी को एक लाइफटाइम APAAR आईडी मिलेगी, जिससे शिक्षार्थियों, स्कूलों और सरकारों के लिये पूर्व-प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक शैक्षणिक प्रगति को ट्रैक करना आसान हो जाएगा।
    • APAAR डिजिलॉकर के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करेगा। डिजिलॉकर एक डिजिटल प्रणाली है जहाँ छात्र अपने महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ और उपलब्धियाँ, जैसे; परीक्षा परिणाम एवं रिपोर्ट कार्ड संगृहीत कर सकते हैं।
  • आवश्यकता:
    • APAAR शुरू करने का लक्ष्य शिक्षा ग्रहण करने की कागज़ी प्रक्रियाओं में होने वाली समस्याओं को समाप्त करना और छात्रों को दस्तावेज़ साथ लाने या ले जाने की आवश्यकता को कम करना है।
    • इसका उद्देश्य एक सकारात्मक बदलाव लाना है, जिससे राज्य सरकारों को साक्षरता दर, विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की दर तथा कई अन्य तथ्यों को ट्रैक करने में सहायता मिलेगी जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा में सुधार करना सरल हो सकेगा।
    • APAAR का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों के लिये एकल, विश्वसनीय संदर्भ प्रदान करके धोखाधड़ी और डुप्लिकेट शैक्षणिक प्रमाणपत्रों से निपटना भी है।

APAAR ID की कार्यप्रणाली:

  • शैक्षणिक क्रेडिट बैंक (ABC) के साथ जुड़ाव:
    • प्रत्येक विधार्थी के पास एक अलग APAAR ID होगी जो शैक्षणिक क्रेडिट बैंक (ABC) से जुड़ी होगी, जो एक डिजिटल स्टोरहाउस है जिसमें छात्रों द्वारा उनके शैक्षणिक करियर में अर्जित क्रेडिट का विवरण होगा।
  • स्कूलों का परिवर्तन:
    • यदि छात्र स्कूल बदलता है, चाहे राज्य के भीतर या किसी अन्य राज्य में, ABC में उसका सारा डेटा सिर्फ APAAR ID साझा करने से उसके नए स्कूल में स्थानांतरित हो जायेगा।
      • छात्रों को दस्तावेज़ या स्थानांतरण प्रमाणपत्र प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • APAAR के लिये नामांकन: 
    • APAAR के लिये पंजीकरण करने के लिये छात्रों को नाम, उम्र, जन्मतिथि, लिंग और एक तस्वीर सहित बुनियादी जानकारी दर्ज़ करनी होगी। इस जानकारी को उनके आधार नंबर का उपयोग करके सत्यापित किया जाएगा।
    • छात्रों को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होगी और वे APAAR ID बनाने के लिये शिक्षा मंत्रालय के साथ अपने आधार नंबर तथा जनसांख्यिकीय जानकारी साझाकरण को स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प चुन सकते हैं।
      • नाबालिगों के लिये माता-पिता को सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा, जिससे मंत्रालय UIDAI के साथ प्रमाणीकरण के लिये छात्र के आधार नंबर का उपयोग कर सके।
    • APAAR ID बनाने के लिये पंजीकरण स्वैच्छिक है, अनिवार्य नहीं।

APAAR को लेकर चिंताएँ:

  • गोपनीयता के मुद्दे:
    • आधार विवरण साझा करने से माता-पिता और छात्रों में चिंता बढ़ जाती है, उन्हें डर है कि इससे बाह्य समूह उनकी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • UDISE+ से संबंधित चिंताएँ: 
    • सरकार का कहना है कि छात्रों द्वारा साझा की गई जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा और शैक्षिक गतिविधियों में लगी संस्थाओं, जैसे संयुक्त ज़िला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (Unified District Information System for Education + - UDISE+) डेटाबेस को छोड़कर किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किया जाएगा।
      • लेकिन डेटा के किसी भी उल्लंघन को रोकने तथा UDISE+ हेतु सख्ती से पालन करने के लिये वर्तमान में कोई निर्धारित दिशा-निर्देश नहीं हैं।

संयुक्त ज़िला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE Plus):

    • यह स्कूली शिक्षा पर सबसे बड़ी प्रबंधन सूचना प्रणालियों में से एक है। इसे वर्ष 2018-2019 में डेटा प्रविष्टि में तेज़ी लाने, त्रुटियों को कम करने, डेटा गुणवत्ता में सुधार करने और डेटा सत्यापन को आसान बनाने हेतु शुरू किया गया था।
    • यह स्कूल और उसके संसाधनों से संबंधित कारकों के विषय में विवरण एकत्र करने संबंधी एक एप्लीकेशन है।
      • यह UDISE का एक अद्यतित और उन्नत संस्करण है, जिसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012-13 में शुरू किया गया था।
  • इसमें 1.49 मिलियन से अधिक स्कूल, 9.5 मिलियन शिक्षक और 265 मिलियन से अधिक छात्र शामिल हैं।
  • यह समग्र भारत में सरकारी और निजी स्कूलों में कक्षा 1 से 12 तक के शिक्षा मापदंडों को मापने में मदद करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)

  1. राज्य की नीति के निर्दशक तत्त्व
  2. ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय
  3. पंचम अनुसूची
  4. षष्ठ अनुसूची
  5. सप्तम अनुसूची

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर- (d)


भारत ने रेफरेंस फ्यूल का उत्पादन शुरू किया

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

भारत ने 'रेफरेंस' ग्रेड पेट्रोल और डीज़ल का उत्पादन प्रारंभ करके आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसने न केवल घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति करने बल्कि निर्यात बाज़ार में भी निवेश करने का वादा भी किया गया है।

  • ऐतिहासिक रूप से केवल कुछ चुनिंदा कंपनियाँ, मुख्य रूप से यूरोप और अमेरिका में स्थित, भारत को रेफरेंस फ्यूल प्रदान करती थीं।

रेफरेंस फ्यूल:

  • परिचय:  
    • रेफरेंस फ्यूल (पेट्रोल और डीज़ल), उच्च मूल्य वाले प्रीमियम उत्पादों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो विशेष रूप से ऑटोमोटिव मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) तथा ऑटोमोटिव परीक्षण एवं प्रमाणन में कार्यरत संस्थानों द्वारा वाहनों को कैलिब्रेट करने तथा परीक्षण करने हेतु उपयोग किये जाते हैं।
  • विशेषताएँ: 
    • इनमें रेगुलर या प्रीमियम ईंधन की तुलना में अधिक विशिष्टताएँ होती हैं। इसमें विभिन्न विशिष्टताओं जैसे सीटेन नंबर, फ्लैश पॉइंट, श्यानता, सल्फर एवं जल की मात्रा, हाइड्रोजन शुद्धता और एसिड नंबर शामिल हैं।
      • उदाहरण के लिये, रेफरेंस ग्रेड पेट्रोल और डीज़ल की ऑक्टेन संख्या 97, रेगुलर एवं प्रीमियम ईंधन की ऑक्टेन संख्या से अधिक होती है, जो क्रमशः 87 व 91 है।
  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा स्वदेशी उत्पादन:
    • भारत ऐतिहासिक रूप से इन विशिष्ट ईंधनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर था। हालाँकि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने अब ओडिशा में अपनी पारादीप रिफाइनरी में स्वदेशी रूप से 'रेफरेंस' ग्रेड पेट्रोल और हरियाणा में अपनी पानीपत इकाई में डीज़ल विकसित किया है।
      • पारादीप रिफाइनरी से रेफरेंस गैसोलीन (पेट्रोल) ईंधन E0, E5, E10, E20, E85, E100 में उपलब्ध होगा।
      • पानीपत रिफाइनरी से रेफरेंस डीज़ल ईंधन B7 ग्रेड में उपलब्ध हो सकेगा।
    • लाभ: 
      • लागत लाभ: आयातित ‘रेफरेंस फ्यूल’ की लागत 800-850 रुपए प्रति लीटर के बीच है, जबकि घरेलू उत्पादन से लागत कम होकर लगभग 450 रुपए प्रति लीटर होने का अनुमान है, जो पर्याप्त लागत लाभ को दर्शाता है।
      • वाहन निर्माताओं को लाभ: यह विकास वाहन निर्माताओं के लिये न्यूनतम समय सीमा (लीड टाइम) प्रदान करेगा, जिससे बेहतर कीमत पर आयात प्रतिस्थापन संभव हो सकेगा।

नोट: 

  • E0, E5, E10, E20, E85, E100 विभिन्न इथेनॉल-गैसोलीन सम्मिश्रणों को संदर्भित करते हैं। इथेनॉल सम्मिश्रण विभिन्न इथेनॉल-गैसोलीन मिश्रण बनाने के लिये इथेनॉल को गैसोलीन के साथ मिलाने की प्रक्रिया है। इस सम्मिश्रण का उद्देश्य गैसोलीन चालित वाहनों से समग्र कार्बन फुट प्रिंट और उत्सर्जन को कम करना है।
  • डीज़ल B7 एक ईंधन है जिसमें 7% तक अतिरिक्त जैव घटक उपस्थित होते हैं।
  • ऑक्टेन संख्या:
    • यह इंजन नॉक ध्वनि (Engine Knocking) के प्रति ईंधन के प्रतिरोध को मापता है। उच्च ऑक्टेन संख्या गैसोलीन में समयपूर्व दहन के प्रति बेहतर प्रतिरोध का संकेत देती है। 
  • सीटेन संख्या:
    • डीज़ल ईंधन की प्रज्ज्वलन गुणवत्ता को इंगित करता है। एक उच्च सीटेन संख्या आसान प्रज्ज्वलन का प्रतीक है।
  • फ्लैश प्वाइंट:
    • यह वह न्यूनतम तापमान है जिस पर कोई पदार्थ क्षण भर के लिये प्रज्ज्वलन होने के लिये पर्याप्त वाष्प उत्पन्न करता है।
  • श्यानता
    • किसी तरल पदार्थ के प्रवाह के प्रतिरोध को मापता है, उच्च श्यानता गाढ़े, कम तरल पदार्थ जैसे व्यवहार को इंगित करती है।
  • अम्ल संख्या
    • यह तेल में अम्लीय पदार्थ की मात्रा को प्रदर्शित करती है।

थैलियम विषाक्तता

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में महाराष्ट्र के महागाँव ग्राम में एक परिवार के कई सदस्य थैलियम विषाक्तता के शिकार हो गए, यह एक रसायन है जो धीमी गति से कार्य करता है और इसका पता लगाना मुश्किल होता है।

थैलियम से सम्बंधित मुख्य तथ्य:

  • परिचय:
    • थैलियम (Tl) परमाणु क्रमांक 81 वाला एक रासायनिक तत्त्व है, इसकी खोज वर्ष 1861 में सर विलियम क्रुक्स ने की थी।
      • यह एक नरम, भारी और अप्रत्यास्थ धातु है।
    • हत्यारों ने अपनी योजनाओं में थैलियम, एक गंधहीन और स्वादहीन ज़हर, का उपयोग किया है जिसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल है।
  • गुण:
    • यह एक नरम, चाँदी जैसी सफेद धातु है जो आसानी से धूमिल हो जाती है।
  • स्रोत:
    • यह पृथ्वी के क्रस्ट में अल्प मात्रा में पाया जाता है।
    • यह कई अयस्कों में पाया जाता है। इनमें से एक है पाइराइट, जिसका उपयोग सल्फ्यूरिक एसिड के उत्पादन के लिये किया जाता है। कुछ थैलियम पाइराइट्स से प्राप्त होता है, लेकिन यह मुख्य रूप से ताँबा, जस्ता और सीसा शोधन के उप-उत्पाद के रूप में भी प्राप्त होता है।
  • उपयोग:
    • थैलियम की विषाक्त प्रकृति के कारण इसका उपयोग प्रतिबंधित है।
    • थैलियम सल्फेट, जो एक समय कृंतक नाशक था, अब कई विकसित देशों में घरेलू उपयोग के लिये प्रतिबंधित है।
    • इसका उपयोग फोटोइलेक्ट्रिक सेल के निर्माण के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में किया जाता है।
    • थैलियम ऑक्साइड का उपयोग अधिक अपवर्तन ग्लास और कम पिघलने वाले ग्लास बनाने के लिये किया जाता है।
    • इसका उपयोग निम्न तापमान वाले थर्मामीटर और कृत्रिम आभूषणों के विनिर्माण में भी किया जाता है।
  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे:
    • थैलियम तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है जिससे सिरदर्द, कमज़ोरी और चिड़चिड़ापन जैसे शारीरिक गतिविधियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। बार-बार इसके संपर्क में आने से कँपकँपी, मतिभ्रम, कोमा की स्थिति और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
  • एंटीडोट:
    • प्रशिया ब्लू का उपयोग गैर-रेडियोधर्मी थैलियम पॉइज़निंग में किया जाता है।

मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना

स्रोत: द हिंदू 

नेचर में प्रकाशित हालिया दो अध्ययनों के अनुसार, मंगल  के तरल आयरन कोर के पूरी तरह से पिघली हुई सिलिकेट परत से घिरे होने की संभावना है।

  • अध्ययन के लिये मंगल ग्रह पर तीन वर्ष के दौरान आए भूकंपों के डेटा का उपयोग किया गया, जिसमें उल्कापिंड के प्रभाव से उत्पन्न हुई दो भूकंपीय घटनाएँ भी शामिल थीं।
  • नासा के इनसाइट मार्स लैंडर ने मंगल के आंतरिक भाग से गुज़रने वाली भूकंपीय तरंगों को अभिलेखित करने के लिये सिस्मिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर (SEIS) नामक एक उपकरण का उपयोग किया।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • मंगल के कोर संरचना:
    • वर्ष 2021 में नासा के इनसाइट लैंडर के SEIS प्रोजेक्ट से मिले प्रमाणों ने मंगल ग्रह में एक बड़े, कम घनत्व वाले कोर की उपस्थिति का संकेत दिया, जिसमें तरल लोहा और सल्फर, कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन जैसे हल्के तत्त्व शामिल थे। 
    • हालाँकि हालिया दोनों अध्ययन इस निष्कर्ष का खंडन करते हैं। इन अध्ययनों में पाया गया है कि मंगल ग्रह का कोर लगभग पिघली हुई सिलिकेट चट्टान की 150 किमी. मोटी परत से आच्छादित है, जो पहले की तुलना में कोर के उच्चतम घनत्व का संकेत देता है।
  • कोर के सतह की गलत व्याख्या:
    • अध्ययनों से पता चलता है कि इस सिलिकेट परत के ऊपरी हिस्से को प्रारंभ में भ्रमवश कोर की सतह मान लिया गया था। इस पुनर्व्याख्या का तात्पर्य है कि मंगल का कोर पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट अर्थात् संगठित है, जो मंगल पर रसायनों की प्रचुरता के मौजूदा ज्ञान के साथ बेहतर समन्वय को प्रदर्शित करता है।
      • इन संशोधित निष्कर्षों से पता चलता है कि अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष में गठन के बाद मंगल ग्रह का आंतरिक भाग अशांत रहा होगा और इसका तापमान कम-से-कम 2,000 केल्विन तक पहुँच गया होगा, जो अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में ऊष्मा प्रवाह के अधिक शांत प्रक्रिया के विपरीत था।
  • मंगल के भू-गर्भीय इतिहास पर प्रभाव:
    • ये निष्कर्ष मंगल के भू-गर्भीय इतिहास को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं क्योंकि ये मंगल ग्रह के गठन के प्रारंभिक चरण के अधिक गतिशील और ऊर्जावान होने का संकेत देते हैं। पिघली हुई सिलिकेट परत की उपस्थिति एक प्रबल और अशांत आंतरिक भाग का संकेत देती है, जो संभवतः मंगल के भू-गर्भीय विकास तथा ग्रह के भीतर तत्त्वों के वितरण को प्रभावित करती है।

इनसाइट्स मार्स लैंडर: 

  • परिचय:
    • इनसाइट (Interior Exploration using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport) को वर्ष 2018 में 24 महीने के मिशन पर भेजा गया था।
    • इनसाइट मंगल ग्रह के गहरे आंतरिक भाग का अध्ययन करेगा।
    • लैंडिंग स्थल एलीसियम प्लैनिटिया (भूमध्य रेखा के ठीक उत्तर में एक समतल मैदान है, जिसे गहरे मंगल ग्रह के आंतरिक भाग का अध्ययन करने के लिये उपयुक्त स्थान माना जाता है), जहाँ इनसाइट पूरे समय स्थिर और शांत रह सकता है।
  • कार्य:
    • मार्स इनसाइट का लक्ष्य लाल ग्रह के आंतरिक रहस्यों को उजागर करने के तरीके के रूप में भूकंप और कंपन का अवलोकन करना है।
    • मिशन का उद्देश्य सौर मंडल के शुरुआती दिनों में चट्टानी ग्रह निर्माण संबंधी महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब खोजना है।

विभिन्न मंगल मिशन:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ‘‘यह प्रयोग तीन ऐसे अंतरिक्षयानों को काम में लाएगा जो एक समबाहु त्रिभुज की आकृति में उड़ान भरेंगे जिसमें प्रत्येक भुजा एक मिलियन किलोमीटर लंबी है और यानों के बीच लेज़र चमक रही होंगी।’’ कथित प्रयोग किसे संदर्भित करता है? (2020)

(a) वॉयेजर-2
(b) न्यू हॉरायज़न्स
(c) LISA पाथफाइंडर
(d) इवोल्वड LISA

उत्तर : (d) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. इसरो द्वारा लॉन्च किया गया मंगलयान:
  2. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  3.  संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला दूसरा देश बन गया है। 
  4.  भारत अपने पहले ही प्रयास में स्वयं के अंतरिक्षयान द्वारा मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल एकमात्र देश बन गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 अक्तूबर, 2023

अभ्यास काज़िंद-2023

भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की टुकड़ी संयुक्त सैन्य 'अभ्‍यास काज़िंद-2023' के 7वें संस्करण में भाग लेने हेतु कज़ाखस्तान के लिये रवाना हुई।  

  • इस सैन्य अभ्यास का आयोजन 30 अक्तूबर से 11 नवंबर, 2023 तक कतर, कज़ाखस्तान में किया जाएगा।
  • भारत और कज़ाखस्तान के बीच संयुक्त अभ्यास को वर्ष 2016 में ‘अभ्यास प्रबल दोस्‍तीक’ के रूप में शुरू किया गया था। दूसरे संस्करण के बाद अभ्यास को कंपनी-स्तरीय अभ्यास में अपग्रेड किया गया और इसका नाम बदलकर ‘अभ्यास काज़िंद’ कर दिया गया। इस वर्ष वायु सेना को शामिल करके अभ्यास को द्वि-सेवा अभ्यास के रूप में अपग्रेड किया गया है। 
    • अभ्यास के इस संस्करण में दोनों सैन्‍य पक्ष संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के अंतर्गत उप-औपचारिक वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करेंगे।   

और पढ़ें…काज़िंद- 2022

2023 तुर्की-सीरिया भूकंप के कारण

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन फरवरी 2023 में तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंपों पर प्रकाश डालता है। अभूतपूर्व पैमाने और विनाश के साथ आए इन भूकंपों ने भूगर्भीय बलों की जटिल परस्पर क्रिया पर गहनता से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकताओं पर बल दिया है।

  • पृथ्वी की पर्पटी भूगर्भीय प्लेटों में विभाजित है, जहाँ टकराव, पृथक्करण अथवा फिसलन जैसी अंतःक्रियाओं के कारण भ्रंश (Fault) लाइन्स बनती हैं।
    • 700 कि.मी. और 1,500 कि.मी. तक फैली पूर्व और उत्तरी अनातोलियन भ्रंश लाइन्स ने तुर्की भूकंप में मूल कारक की भूमिका निभाई।
  • भूकंपों के दौरान, भूकंपीय कैस्केड (भूकंप के दौरान भ-पर्पटी में टूटने अथवा गति की प्रतिक्रिया) से फॉल्ट लाइन्स अव्यवस्थित हो गई थी। जिससे अनुमान से कहीं अधिक बड़ी क्षति हुई।
  • ये निष्कर्ष भूकंपीय घटनाओं की अप्रत्याशित प्रकृति को रेखांकित करते हैं और भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में आपदा को रोकने के लिये बिल्डिंग कोड लागू करने में कमियों को उजागर करते हैं।

एयरलाइंस द्वारा डार्क पैटर्न बिक्री - 'साइबर अपराध' 

हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपना ध्यान एयरलाइंस और ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों के भीतर पहचानी जाने वाली विवादास्पद प्रथाओं की ओर निर्देशित किया है, इनकी पहचान "डार्क पैटर्न" के रूप में की गई है, जो संभावित साइबर अपराध संबंधी चिंताओं को बढ़ाता है।

  • इससे उपभोक्ता शिकायतों की बड़ी संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा है। विशेष रूप से सरकार ने सीट चयन और अतिरिक्त शुल्क से संबंधित भ्रामक ऑनलाइन प्रथाओं को सुधारने के लिये प्रमुख वाहक IndiGo को बुलाया है।
  • डार्क पैटर्न, वेबसाइटों या ऐप्स में उपयोग की जाने वाली जोड़-तोड़ वाली डिज़ाइन रणनीतियाँ हैं। इन्हें उपयोगकर्त्ताओं को भ्रमित करने या ऐसे कार्य हेतु प्रेरित करने के लिये तैयार किया गया है जो शायद वे नहीं करना चाहते हों।
    • इनमें अप्रत्यक्ष शुल्क तथा भ्रामक लेआउट शामिल हो सकते हैं, जिनका उद्देश्य उपयोगकर्त्ताओं को ऐसे कार्य करने के लिये मजबूर करना है जो कंपनी को लाभ पहुँचाते हैं, न कि उपयोगकर्त्ता को।

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NPS हेतु PFRDA का अनिवार्य पेनी-ड्रॉप सत्यापन

पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) ग्राहकों के लिये अनिवार्य 'पेनी ड्रॉप' सत्यापन शुरू किया है, जिससे निकासी के दौरान समय पर फंड ट्रांसफर सुनिश्चित हो सके।

  • पेनी ड्रॉप सत्यापन प्रक्रिया में सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसियाँ (Central Recordkeeping Agencies- CRA) बचत बैंक खाते की सक्रिय स्थिति की पुष्टि करती हैं और ग्राहकों के स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (Permanent Retirement Account Number- PRAN) या जमा किये गए दस्तावेज़ों के साथ खाते में नाम को क्रॉस-रेफरेंस करती हैं।
  • नाम मिलान वाले सत्यापन की सफलता निकास/निकासी अनुरोधों को संसाधित करने और ग्राहक बैंक खाते के विवरण को संशोधित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • पेनी ड्रॉप सत्यापन में विफलता ऐसे किसी भी अनुरोध पर रोक लगाती है, जिससे CRA को सुधार के लिये नोडल कार्यालयों के साथ सहयोग करने हेतु प्रेरित किया जाता है।

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