प्रिलिम्स फैक्ट्स (29 Nov, 2024)



मोइरे पदार्थ और अतिचालकता

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नेचर अध्ययन में पाया गया कि अर्द्धचालकों से बने मोइरे पदार्थ भी अतिचालक हो सकते हैं, एक ऐसा गुण जो पहले केवल ग्राफीन तक ही सीमित माना जाता था।

मोइरे सामग्रियों के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: मोइरे पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनमें दो आवर्त संरचनाओं को न्यून कोण पर रखने पर उत्पन्न हस्तक्षेप पैटर्न के कारण अद्वितीय गुण होते हैं।
  • मोइरे सामग्रियों का निर्माण: मोइरे सामग्रियों को दो-आयामी (2-D) सामग्री, जैसे टंगस्टन डाइसेलेनाइड, की दो परतों को एक साथ मिलकर और एक परत को एक छोटे कोण (3.65º) पर घुमाकर बनाया जाता है।
    • परतों के बीच का वक्रता एक अद्वितीय मोइरे पैटर्न बनाती है जो नए इलेक्ट्रॉनिक व्यवहार को जन्म देता है जो अलग-अलग परतों में मौजूद नहीं होता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक गुण: परतों में वक्रता इलेक्ट्रॉनिक संरचना में फ्लैट बैंड बनाती है, जहाँ इलेक्ट्रॉन लगभग स्थिर ऊर्जा  के साथ धीरे-धीरे गति करते हैं।
    • यह धीमी गति इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अंतःक्रिया को बढ़ावा देती है, जो अतिचालकता के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • टंगस्टन डाइसेलेनाइड (tWSe₂) पर अनुसंधान: tWSe₂, एक अर्द्धचालक मोइरे पदार्थ, ने लगभग -272.93º C के क्रांतिक तापमान पर अतिचालकता का प्रदर्शन किया, जो उच्च तापमान वाले अतिचालकों के बराबर है।
    • tWSe₂ में अतिचालकता अवस्था अन्य मोइरे पदार्थों की तुलना में अधिक स्थिर पाई गई।
  • ग्राफीन अतिचालकता के साथ तुलना: ग्राफीन -आधारित मोइरे सामग्री इलेक्ट्रॉन-जालक अंतःक्रियाएँ और फ्लैट बैंड गठन के माध्यम से अतिचालकता की स्थिति प्राप्त करती है, जबकि tWSe₂ इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अंतःक्रिया पर निर्भर करता है, जिससे यह अधिक स्थिर और संभावित रूप से अधिक मज़बूत हो जाता है।
    • इलेक्ट्रॉन-जालक अंतःक्रियाएँ किसी पदार्थ की क्रिस्टल संरचना में इलेक्ट्रॉनों और परमाण्विक जालक (परमाणुओं की व्यवस्था) के बीच की अंतःक्रियाएँ हैं।
  • निष्कर्षों का महत्त्व: कम तापमान पर स्थिर अतिचालकता क्वांटम कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स में व्यावहारिक अनुप्रयोगों को सक्षम बनाती है।
    • यह भविष्य की प्रौद्योगिकियों के लिये नई सामग्रियों के डिजाइन में सहायता कर सकता है।

नोट: अतिचालकता कुछ सामग्रियों का वह गुण है जो उन्हें एक क्रांतिक तापमान (Tc) से नीचे ठंडा करने पर बिना ऊर्जा हानि के दिष्ट धारा (DC) विद्युत का संचालन करने में सक्षम बनाता है। 

  • ये पदार्थ अतिचालक अवस्था में परिवर्तित होते समय चुंबकीय क्षेत्र भी उत्सर्जित करते हैं।
  • अतिचालकता की खोज वर्ष 1911 में हेइके कामेरलिंग-ओनेस ने की थी। इस खोज के लिये उन्हें वर्ष 1913 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
  • उदाहरण के लिये, MRI मशीनें नियोबियम और टाइटेनियम के मिश्र धातु का उपयोग करती हैं।

और पढ़ें: कार्बन के अपरूप

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न:  निम्नलिखित में से कौन-सा वह संदर्भ है जिसमें "क्यूबिट" शब्द का उल्लेख किया गया है?

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम कंप्यूटिंग
(c) दृश्य प्रकाश संचार तकनीक
(d) बेतार (वायरलेस) संचार तकनीक 

उत्तर: (b)


हाई एल्टीट्यूड सिकनेस

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में उत्तराखंड में एक चोटी पर चढ़ने का प्रयास करते समय केरल के एक ट्रैकर की हाई एल्टीट्यूड सिकनेस (High-Altitude Sickness- HAS) या तीव्र पर्वतीय बीमारी (Acute Mountain Sickness- AMS) के कारण हुई मृत्यु ने पहाड़ों में ट्रैकिंग के खतरों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। 

  • लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्ग प्रायः 3,000 मीटर से अधिक ऊँचे होते हैं, जिससे अपरिचित ट्रेकर्स में AMS का खतरा बढ़ जाता है।
  • हाई एल्टीट्यूड सिकनेस तब होती है जब व्यक्ति पर्याप्त अनुकूलन के बिना 2,400 मीटर से उच्च ऊँचाई पर तेज़ी से चढ़ जाता है।
    • जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती है, वायुदाब और ऑक्सीजन का स्तर दोनों कम हो जाते हैं, जिससे हाइपोक्सिया उत्पन्न होता है, जो शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी है।
    • इसके लक्षणों में सिरदर्द, मतली, थकान और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
  • HAS/AMS के गंभीर मामलों में हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (High Altitude Pulmonary Edema- HAPE) और हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा (High Altitude Cerebral Edema- HACE) हो सकती है, जो दोनों ही जीवन के लिये खतरा पैदा करने वाली स्थितियाँ हैं, जिनमें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।
    • उच्च ऊँचाई पर शरीर अपनी सांसों की गति बढ़ाकर (हाइपरवेंटिलेशन का कारण बन सकता है) अधिक लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करके, रक्त को गाढ़ा करके तथा हृदय पर दबाव डालकर अनुकूलन करता है। 
    • HAPE के कारण फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है और सांस लेने में समस्या हो जाती है, जबकि HACE के कारण भ्रम, मतिभ्रम और कोमा की स्थिति पैदा हो जाती है।
  • उपचार रणनीतियाँ:
    • आपातकालीन स्थितियों में पूरक ऑक्सीजन या पोर्टेबल हाइपरबेरिक चैम्बर AMS और HACE के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
    • एसिटाज़ोलैमाइड और डेक्सामेथासोन जैसे औषधीय उपचार, अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकते हैं।

High_Altitude_Sickness

अधिक पढ़ें: उच्च तुंगता पर पाए जाने वाले रोगजनक


CCI ने मेटा पर ज़ुर्माना लगाया

स्रोत: एचटी

हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने व्हाट्सएप की 2021 गोपनीयता नीति अपडेट  के माध्यम से अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिये मेटा पर 213.14 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया।

  • यह निर्णय व्हाट्सएप को विज्ञापन उद्देश्यों के लिये अन्य मेटा कंपनियों के साथ उपयोगकर्त्ता डेटा साझा करने से रोकता है और यह अनिवार्य करता है कि किसी भी डेटा साझाकरण के लिये उपयोगकर्त्ता की सहमति प्राप्त की जानी चाहिए। 
    • CCI ने पाया कि व्हाट्सएप के 2021 नीति अपडेट ने उपयोगकर्त्ताओं को ऑप्ट आउट करने के विकल्प के बिना विस्तारित डेटा संग्रह शर्तों को स्वीकार करने के लिये मज़बूर किया, जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के तहत एक अनुचित स्थिति है।
    • नई नीति से वाणिज्यिक शोषण और राजनीतिक सूक्ष्म लक्ष्यीकरण को बढ़ावा मिल सकता है।
    • इस फैसले में व्हाट्सएप को डेटा साझा करने की प्रथाओं के संबंध में स्पष्ट स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है, जिससे उपयोगकर्त्ताओं के लिये पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • व्हाट्सएप की नीति श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट के साथ भी विरोधाभासी है, जो डेटा संरक्षण विधेयक 2019 का आधार बनती है, जिसमें डेटा स्थानीयकरण और डेटा उपयोग को उसके मूल उद्देश्य तक सीमित करना शामिल है। 
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) एक वैधानिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम 2002 को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।

और पढ़ें: व्हाट्सएप और गोपनीयता का उल्लंघन


लाल सागर

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

अशांत समुद्री स्थिति की चेतावनी के बीच, मिस्र के तट के पास लाल सागर में एक नौका के पलट जाने के बाद से 17 विदेशी पर्यटक लापता हैं।

  • लाल सागर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है, जो अपने गोताखोरी स्थलों और समुद्री जीवन के लिये जाना जाता है। 
  • लाल सागर: यह अफ्रीका और एशिया के बीच हिंद महासागर का एक प्रवेश द्वार है ।
    • ‘इनलेट’ पानी की एक संकरी पट्टी होती है जो समुद्र या झील से भूमि में या द्वीपों के बीच जाती है 
  • सीमावर्ती देश: मिस्र, सऊदी अरब, यमन, सूडान, इरिट्रिया और जिबूती।
    • लाल सागर, दक्षिण में 'बाब अल मंदेब' जलडमरूमध्य और अदन की खाड़ी के माध्यम से हिंद महासागर से जुड़ा हुआ है ।
    • उत्तरी लाल सागर में सिनाई प्रायद्वीप, अकाबा की खाड़ी और स्वेज़ की खाड़ी शामिल हैं, जो स्वेज़ नहर की ओर जाती है
  • यह ग्रेट रिफ्ट वैली (एफ्रो-अरेबियन रिफ्ट वैली) के एक हिस्से पर स्थित है।

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और पढ़ें: लाल सागर में बढ़ता संकट


डार्क टूरिज़्म

स्रोत: द हिंदू

यूक्रेन में स्थिति के परिणामस्वरूप "डार्क टूरिज़्म" अधिक लोकप्रिय हो गया है, जहाँ आगंतुक युद्ध के बाद की स्थिति और स्थानीय समुदायों पर इसके प्रभावों को देखने के लिये संघर्ष क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हैं। इस प्रकार के पर्यटन को थानाटूरिज़्म या ग्रिफ टूरिज़्म के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें मृत्यु और त्रासदी से जुड़ी जगहों पर जाना शामिल है। 

  • यूक्रेनी राजनेताओं और नागरिकों के बीच प्रतिक्रियाएँ भिन्न-भिन्न हैं, जो इसे या तो "रक्त-धन" या आय के स्रोत के रूप में देखते हैं।
  • डार्क टूरिज़्म इंडिया:
    • कुलधरा गाँव, जैसलमेर: कई मिथकों और भयानक कहानियों वाला एक परित्यक्त गाँव, अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रबंधित एक ऐतिहासिक स्थल है।
    • अनेक मिथकों और डरावनी कहानियों वाला एक परित्यक्त गाँव, जो वर्तमान में एक ऐतिहासिक स्थल है जिसका प्रबंधन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है।
    • सेलुलर ज़ेल, पोर्ट ब्लेयर (काला पानी): एक औपनिवेशिक युग का कारागार जहाँ स्वतंत्रता सेनानियों को गंभीर यातनाएँ सहनी पड़ीं; अब यह एक राष्ट्रीय संग्रहालय है जो ब्रिटिश शासन के तहत भारत के काले इतिहास को प्रदर्शित करता है।
    • रूपकुंड झील, उत्तराखंड (कंकाल झील): सैकड़ों कंकालों के अवशेषों वाली एक रहस्यमयी झील, जिसकी उत्पत्ति का रहस्य अभी भी अनसुलझा है।
    • लोथल, गुजरात: सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्त्वपूर्ण स्थल, लोथल एक प्राचीन शहर है जो विश्व की सबसे पुरानी नगरीय बस्तियों को दर्शाता है।
    • डुमास बीच, सूरत: अपनी हॉन्टेड और भयग्रस्त लोककथाओं के लिये जाना जाने वाला यह स्थान अलौकिक रूप से उत्साही लोगों के लिये आकर्षण का केंद्र है।

और पढ़ें: भारत में पर्यटन