कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने घोषणा की कि समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
- इस वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती के उपलक्ष्य में बिहार में तीन दिवसीय समारोह आयोजित किया जा रहा है।
कर्पूरी ठाकुर कौन थे?
- कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें "जन नायक" कहा जाता है, एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने वर्ष 1970-71 और 1977-79 तक दो बार बिहार के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
- प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक आधार (1942-1967): वह एक स्वतंत्रता सेनानी और कट्टर समाजवादी थे, जिन्होंने जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया तथा रामनंदन मिश्रा जैसे दिग्गजों के मार्गदर्शन में काम किया।
- OBC के बीच अत्यंत पिछड़ा वर्ग (Extremely Backward Class- EBC) के रूप में सूचीबद्ध नाई समुदाय (Nai community) का प्रतिनिधित्व किया।
- वर्ष 1952 में राजनीति में प्रवेश किया और वर्ष 1985 तक विधायक रहे।
- OBC के बीच अत्यंत पिछड़ा वर्ग (Extremely Backward Class- EBC) के रूप में सूचीबद्ध नाई समुदाय (Nai community) का प्रतिनिधित्व किया।
- मुख्यमंत्री का कार्यकाल और नीतियाँ: वर्ष 1977 में उनके मुख्यमंत्रित्व काल में, मुंगेरी लाल आयोग ने पिछड़े वर्गों को अत्यंत पिछड़े वर्गों (मुसलमानों के कमज़ोर वर्गों सहित) और पिछड़े वर्गों में पुनर्वर्गीकृत करने की सिफारिश की।
- वर्ष 1978 में उन्होंने एक अभूतपूर्व आरक्षण मॉडल पेश किया, जिसमें OBC, EBC, महिलाओं और उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये विशिष्ट कोटा के साथ 26% आरक्षण आवंटित किया गया।
- इस पुनर्वर्गीकरण को मंडल आयोग की रिपोर्ट के प्रभाव के रूप में भी देखा गया, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27% आरक्षण का समर्थन किया गया था।
- हिंदी और उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में बढ़ावा देने, स्कूल की फीस माफ करने तथा पंचायती राज को मज़बूत करने सहित व्यापक नीतियाँ लागू की।
- वर्ष 1978 में उन्होंने एक अभूतपूर्व आरक्षण मॉडल पेश किया, जिसमें OBC, EBC, महिलाओं और उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये विशिष्ट कोटा के साथ 26% आरक्षण आवंटित किया गया।
भारत रत्न पुरस्कार क्या है?
- भारत रत्न भारतीय गणराज्य का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
- इतिहास और विकास: वर्ष 1954 में स्थापित यह पुरस्कार जाति, व्यवसाय, स्थिति या लिंग के भेदभाव के बिना, उच्चतम क्रम की असाधारण सेवा/प्रदर्शन की मान्यता में प्रदान किया जाता है।
- यह पुरस्कार मूल रूप से कला, साहित्य, विज्ञान और सार्वजनिक सेवाओं में उपलब्धियों तक सीमित था।
- लेकिन दिसंबर 2011 में सरकार ने मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र को शामिल करने के लिये मानदंडों का विस्तार किया।
- प्रथम प्राप्तकर्त्ता: भारत रत्न के प्रथम प्राप्तकर्त्ता सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी. वी. रमन थे, जिन्हें वर्ष 1954 में सम्मानित किया गया था।
- हाल ही में वर्ष 2019 में, यह नानाजी देशमुख, भूपेन हजारिका और प्रणव मुखर्जी को प्रदान किया गया था।
- प्रमुख पहलु:
- यह अनिवार्य नहीं है कि हर वर्ष भारत रत्न प्रदान किया जाए।
- ऐसा कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि भारत रत्न केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाना चाहिये।
- यह पुरस्कार एक स्वाभाविक भारतीय नागरिक, एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीहु, जिन्हें मदर टेरेसा (1980) के नाम से जाना जाता है और दो गैर-भारतीयों - खान अब्दुल गफ्फार खान तथा नेल्सन मंडेला (1990) को प्रदान किया गया है।
- भारत रत्न हेतु सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा भारत के राष्ट्रपति को की जाती है।
- भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या किसी विशेष वर्ष में अधिकतम तीन वर्ष तक सीमित है।
- पुरस्कार प्रदान किये जाने पर, प्राप्तकर्त्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है।
- पुरस्कार में कोई मौद्रिक अनुदान नहीं है।
- संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार, पुरस्कार का उपयोग प्राप्तकर्त्ता के नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में नहीं किया जा सकता है।
- हालाँकि एक पुरस्कार धारक अपने बायोडाटा/लेटरहेड/विजिटिंग कार्ड आदि में निम्नलिखित अभिव्यक्ति का उपयोग करके यह बताना आवश्यक समझता है कि वह राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित पुरस्कार का प्राप्तकर्त्ता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही नहीं है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
भारत में जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों के लिये निवेश मंच
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI आयोग), भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) तथा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली में 'भारत में जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिये निवेश फोरम' की शुरुआत की।
भारत में जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिये निवेश फोरम क्या है?
- परिचय:
- इस पहल का उद्देश्य भारत में विभिन्न हितधारकों के बीच जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिये एक निवेश और साझेदारी रणनीति बनाना है।
- फोरम/मंच ने छह प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा और विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान की, जिनमें शामिल थे:
- जलवायु अनुकूल कृषि (अनुभव और उपाय)।
- डिजिटल बुनियादी ढाँचे और समाधान।
- जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों (घरेलू और वैश्विक) का वित्तपोषण।
- जलवायु अनुकूल मूल्य शृंखलाएँ।
- जलवायु अनुकूलन के लिये उत्पादन प्रथाएँ और इनपुट।
- जलवायु अनुकूलन के लिये लैंगिक मुख्यधारा और सामाजिक समावेशन।
- जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों में निवेश का महत्त्व:
- जलवायु परिवर्तन का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से इसकी आर्थिक रूप से कमज़ोर ग्रामीण आबादी प्रभावित होती है, जो काफी हद तक जलवायु आधारित कृषि आजीविका पर निर्भर है।
- भारत में कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कृषि का योगदान लगभग 13% है और यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है।
- भारतीय कृषि अत्यधिक तापमान, सूखा, बाढ़, चक्रवात और मृदा की लवणता से प्रभावित होती है।
- जलवायु परिवर्तन फसल की उपज, जल की उपलब्धता, मृदा-स्वास्थ्य, कीट एवं बीमारी के प्रकोप और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियाँ जलवायु परिवर्तन को कम करने और अनुकूलन करने, खाद्य उत्पादन बढ़ाने, गरीबी कम करने तथा आजीविका में सुधार लाने में मदद कर सकती हैं।
- कृषि-खाद्य प्रणालियों में जलवायु को मुख्यधारा में लाने के लिये वैश्विक जलवायु वित्त, घरेलू बजट और निजी क्षेत्र से बड़े निवेश की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से इसकी आर्थिक रूप से कमज़ोर ग्रामीण आबादी प्रभावित होती है, जो काफी हद तक जलवायु आधारित कृषि आजीविका पर निर्भर है।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO)
- FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी पर नियंत्रण हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
- प्रत्येक वर्ष 16 अक्तूबर को विश्व भर में विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1945 में FAO की स्थापना चिह्नित करने के लिये मनाया जाता है।
- भारत सहित 194 सदस्य देशों एवं यूरोपीय संघ के साथ FAO विश्वभर में 130 से अधिक देशों में कार्य करता है।
- यह रोम (इटली) स्थित संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता संगठनों में से एक है। इसकी सहयोगी संस्थाएँ विश्व खाद्य कार्यक्रम तथा कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) हैं।
- प्रमुख प्रकाशन:
- वैश्विक मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर की स्थिति (State of World Fisheries and Aquaculture - SOFIA)।
- विश्व के वनों की स्थिति (State of the World's Forests- SOFO)।
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति ( State of Food Security and Nutrition in the World - SOFI)।
- खाद्य और कृषि की स्थिति (State of Food and Agriculture - SOFA)।
- कृषि कोमोडिटी बाज़ार की स्थिति ( State of Agricultural Commodity Markets -SOCO)।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. FAO पारंपरिक कृषि प्रणालियों को 'सार्वभौमिक रूप से महपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (Globally Important System 'GIAHS)' की हैसियत प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत सरकार मेगा फुड पार्क की अवधारणा को किन-किन उद्देश्यों से प्रोत्साहित कर रही है? (2011) 1- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिये उत्तम अवसंरचना सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु। उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि क्षेत्र में हुई विभिन्न प्रकार की क्रांतियों की व्याख्या कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार मदद की है? (2017) |
मराठा आरक्षण में प्रगति
हाल ही में महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय की आरक्षण की मांग की प्रतिक्रया स्वरूप जाति प्रमाण पत्र नियमों में संशोधन का प्रस्ताव करते हुए एक गजट अधिसूचना जारी की है।
- इसका उद्देश्य मराठों हेतु कुनबी OBC प्रमाणन के दायरे को आसान बनाना और विस्तारित करना है, जिससे सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों तक उनकी पहुँच हो सके।
- राज्य ने महाराष्ट्र अनुसूचित जाति, विमुक्त जाति, घुमंतू जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विशेष पिछड़ा वर्ग (जारी करने और सत्यापन का विनियमन) जाति प्रमाण पत्र नियम, 2012 में सेज-सोयरे' (अर्थात वंशक्रम से संबंधित) शब्द जोड़कर संशोधन करने का प्रस्ताव किया है।
- इसका तात्पर्य यह है कि जिनके पास कुनबी प्रमाणपत्र है, उनके पूरे वंश को कुनबी प्रमाणपत्र मिलेगा।
और पढ़ें: मराठा कोटा
वीरता पुरस्कार
भारत के राष्ट्रपति ने 75वें गणतंत्र दिवस पर सशस्त्र बलों तथा सुरक्षा बलों के 80 कर्मियों को वीरता पुरस्कार प्रदान किये जाने की स्वीकृति प्रदान की जिनमें से 12 को मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
- सशस्त्र बलों, अन्य विधिक रूप से गठित बलों के अधिकारियों/कर्मियों तथा नागरिकों की बहादुरी तथा बलिदान के कार्यों का सम्मान करने के लिये भारत सरकार द्वारा वीरता पुरस्कारों की शुरुआत की गई।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पहले तीन वीरता पुरस्कार नामतः परमवीर चक्र, महावीर चक्र, एवं वीर चक्र भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी, 1950 को प्रारंभ किये गए थे जिनको 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था।
- इसके पश्चात अन्य तीन वीरता पुरस्कार अर्थात अशोक चक्र श्रेणी-I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III को भारत सरकार द्वारा 04 जनवरी, 1952 को प्रारंभ किये गए थे जिनको 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था ।
- इन पुरस्कारों का जनवरी, 1967 को क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र तथा शौर्य चक्र के रूप में पुनः नामकरण किया गया था ।
- इसके पश्चात अन्य तीन वीरता पुरस्कार अर्थात अशोक चक्र श्रेणी-I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III को भारत सरकार द्वारा 04 जनवरी, 1952 को प्रारंभ किये गए थे जिनको 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था ।
- इन वीरता पुरस्कारों की घोषणा वर्ष में दो बार की जाती है पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर तथा फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर।
- वीरता पुरस्कारों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- युद्धकालीन वीरता पुरस्कार
- ये पुरस्कार दुश्मन के समक्ष बहादुरी के लिये प्रदान किये जाते हैं।
- शांतिकालीन वीरता पुरस्कार
- ये पुरस्कार दुश्मन के समक्ष बहादुरी के साथ-साथ किये गए अन्य कार्यों के लिये दिये जाते हैं।
- युद्धकालीन वीरता पुरस्कार
- इन पुरस्कारों का वरीयता क्रम परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र है।
और पढ़ें…वीरता पुरस्कार
आदित्य-एल1: सूर्य की कक्षा में मैग्नेटोमीटर बूम की तैनाती
हाल ही में सूर्य का अध्ययन करने के लिये भारत के आदित्य-एल1 मिशन ने अपने छह-मैग्नेटोमीटर बूम को सफलतापूर्वक स्थापित किया है।
- अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतर्ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किये गए बूम में रणनीतिक रूप से 3 और 6 मीटर की दूरी पर रखे गए दो उच्च-सटीक मैग्नेटोमीटर सेंसर हैं।
- इसका निर्माण कार्बन फाइबर प्रबलित पॉलिमर खंडों से किया गया है
- लैग्रेंज बिंदु 1 पर स्थित आदित्य एल-1 का लक्ष्य कई तरंगदैर्ध्यों में सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्र का निरीक्षण करना है, जो सौर अनुसंधान में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
और पढ़ें: आदित्य-एल1 मिशन
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट केस रो बनाम वेड
22 जनवरी 1973 को संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने रो बनाम वेड मामले में फैसला सुनाया कि गर्भपात का अधिकार एक मूल अधिकार है।
- न्यायालय ने फैसला सुनाया कि निजता के संवैधानिक अधिकार में महिला का यह चुनने का अधिकार भी शामिल है कि उसे गर्भपात कराना है या नहीं। न्यायालय ने एक महिला के गर्भ को समाप्त करने की क्षमता पर निजता और स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांतों को लागू किया।
- हालाँकि सरकार अभी भी गर्भावस्था के चरण के आधार पर गर्भपात को विनियमित या प्रतिबंधित कर सकती है।
- इस फैसले में यह भी कहा गया है कि कोई व्यक्ति भ्रूण के व्यवहार्य अवस्था में आने तक गर्भपात का विकल्प चुन सकता है, जो आमतौर पर गर्भधारण के 24 से 28 सप्ताह के बीच होता है।
- रो बनाम वेड से पहले, पूरे देश में गर्भपात अवैध था। वर्ष 1973 के फैसले के बाद से कई राज्यों ने गर्भपात के अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में रो बनाम वेड के फैसले को पलटते हुए फैसला सुनाया कि अब गर्भपात कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मिसिसिपी के उस कानून को बरकरार रखा जिसमें गर्भावस्था के 15 सप्ताह के बाद के गर्भपात पर प्रतिबंध लगाया गया।
- इस फैसले ने 50 साल पुरानी कानूनी स्थिति को पलटते हुए अलग-अलग राज्यों के लिये गर्भपात के अधिकारों में कटौती या प्रतिबंध लगाने का मार्ग प्रशस्त किया।
और पढ़ें: यूएस रो बनाम वेड केस 1973