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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 28 Jun, 2024
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

शत्रु एजेंट अध्यादेश

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने आतंकवादी समर्थकों पर मुकदमा चलाने के लिये विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act- UAPA) के स्थान पर शत्रु एजेंट अध्यादेश (Enemy Agents Ordinance), 2005 का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें आजीवन कारावास अथवा मृत्युदंड जैसी सज़ा का प्रावधान है।

शत्रु एजेंट अध्यादेश क्या है?

  • परिचय:
    • यह सर्वप्रथम वर्ष 1917 में जम्मू-कश्मीर (J&K) के डोगरा महाराजा द्वारा जारी किया गया था।
      • इसे 'अध्यादेश' इसलिये कहा जाता था क्योंकि डोगरा शासन के दौरान बनाए गए कानूनों को अध्यादेश कहा जाता था।
    • विभाजन के बाद का विकास: इस अध्यादेश को वर्ष 1948 में महाराजा द्वारा कश्मीर संविधान अधिनियम, 1939 की धारा 5 के अंतर्गत अपनी विधि निर्माण की शक्तियों का प्रयोग करते हुए कानून के रूप में पुनः अधिनियमित किया गया।
    • कानूनी आधार: शत्रु एजेंट अध्यादेश को बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान, 1957 की धारा 157 के तहत शामिल करके इसका संरक्षण किया गया।
  • अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद हुए संवैधानिक परिवर्तन: 
  • शत्रु अध्यादेश के प्रमुख प्रावधान:
    • शत्रु एजेंट की परिभाषा: 
      • शत्रु एजेंट अध्यादेश स्वयं शत्रु के स्थान पर उसके (शत्रु) के एजेंटों अथवा मित्रों को लक्षित करता है। यह कश्मीर पर वर्ष 1947 में हुए कबायली आक्रमण के संदर्भ में “शत्रु” को परिभाषित करता है।
      • कोई व्यक्ति जो षड्यंत्र कर किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर शत्रु की सहायता करने के आशय से कार्य करता है, उसे शत्रु एजेंट की संज्ञा दी जाती है।
    • दंड: 
      • शत्रु एजेंटों को मृत्युदंड अथवा आजीवन कारावास अथवा 10 वर्ष तक संभव विस्तार वाले कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा और ज़ुर्माने का भी दायी होगा
    • न्यायिक सत्यापन और विचारण:
      • रहमान शागू बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य, 1959 मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने शत्रु एजेंट अध्यादेश को बरकरार रखा।
      • शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत उच्च न्यायालय के परामर्श से सरकार द्वारा नियुक्त विशेष न्यायाधीश द्वारा मुकदमा चलाया जाता है।
        • अध्यादेश के तहत अभियुक्त न्यायालय की अनुमति के बिना वकील नहीं रख सकता है और निर्णय के विरुद्ध अपील करने का कोई प्रावधान नहीं है।

विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (UAPA) क्या है?

  • विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (UAPA) 1967 में लागू किया गया था और इसका प्रारंभिक उद्देश्य अलगाववादी आंदोलनों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों से निपटना था।
  • आतंकवादी वित्तपोषण, साइबर-आतंकवाद, व्यक्तिगत पदनाम और संपत्ति की ज़ब्ती से संबंधित प्रावधानों को शामिल करने के लिये इसमें कई बार संशोधन किया गया, जिसमें नवीनतम संशोधन वर्ष 2019 में देखा गया। 
  • यह राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency- NIA) को देश भर में UAPA के तहत दर्ज मामलों की जाँच करने और मुकदमा चलाने का अधिकार देता है। यह आतंकवादी कृत्यों के लिये उच्चतम दंड के रूप में मृत्युदंड और आजीवन कारावास का प्रावधान करता है। 
  • यह संदिग्धों को बिना किसी आरोप या ट्रायल के 180 दिनों तक हिरासत में रखने और आरोपियों को ज़मानत देने से इनकार करने की अनुमति देता है, जब तक कि न्यायालय संतुष्ट न हो जाए कि वे दोषी नहीं हैं। 
  • यह आतंकवाद को ऐसे किसी भी कृत्य के रूप में परिभाषित करता है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु या आघात का कारण बनता है या इसकी मंशा रखता है, या किसी संपत्ति को क्षति पहुँचाता है या नष्ट करता करता है, या जो भारत या किसी अन्य देश की एकता, सुरक्षा या आर्थिक स्थिरता को खतरे में डालता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे बड़ा (क्षेत्रफल के अनुसार) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है? (2008)

(a) कांगड़ा
(b) लद्दाख
(c) कच्छ
(d) भीलवाड़ा

उत्तर: (b)


रैपिड फायर

अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन की 64वीं परिषद बैठक

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत नें जून 2024 में नई दिल्ली में 64वीं अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (ISO) परिषद बैठक की मेज़बानी की।

  • बैठक में "चीनी और जैव ईंधन-उभरते परिदृश्य" (Sugar and Biofuels-Emerging Vistas) विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों, भारतीय चीनी मिल अधिकारियों, उद्योग संघों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया।
  • इसमें वैश्विक चीनी सेक्टर के भविष्य, जैव ईंधन, संधारणीयता और किसानों की भूमिका पर चर्चा की गई।
  • भारत विश्व में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता और ब्राज़ील के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • गन्ना विश्व में इथेनॉल उत्पादन (मकई के बाद) के लिये दूसरा सर्व प्रमुख फीडस्टॉक है।

ISO:

  • ISO, संयुक्त राष्ट्र (UN) से संबद्ध निकाय है जिसका मुख्यालय लंदन में स्थित है।
  • इसके सदस्य देशो की संख्या 85 है जिनका कुल वैश्विक चीनी उत्पादन में 90% योगदान हैं और इसका कार्य प्रमुख चीनी उत्पादक, उपभोक्ता तथा इसका व्यापार करने वाले देशों को एक साथ लाना है।
  • ISO के कई सदस्य देश ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस का भी हिस्सा हैं और यह गठबंधन का विस्तार करने तथा जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिये एक अन्य मंच की भूमिका निभा सकता है।

और पढ़ें: भारत में गन्ना उत्पादन, चीनी उद्योग


रैपिड फायर

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय

हाल ही में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की 185वीं जयंती मनाई गई।

  • 27 जून 1838 को जन्मे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय एक अनुकरणीय उपन्यासकार, सामाजिक व्यंग्यकार, पत्रकार और बंगाल पुनर्जागरण के प्रमुख व्यक्ति थे।
  • उन्होंने संस्कृत में वंदे मातरम की रचना की, जिसके पहले दो छंदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया और यह स्वतंत्रता संग्राम में लोगों के लिये प्रेरणा का स्रोत था।
  • उनके और भारतीय साहित्य के बेहतरीन ग्रंथों में से एक, आनंदमठ (1882), जो संन्यासी विद्रोह (1770-1820) की पृष्ठभूमि पर आधारित है, में भी वंदे मातरम शामिल है।
    • बंगाल में 1770 के भीषण अकाल के बाद संन्यासियों ने विद्रोह कर दिया, जिससे भयंकर अराजकता और दुःख पैदा हो गया।
  • उन्होंने 1872 में एक मासिक साहित्यिक पत्रिका, बंगदर्शन की भी स्थापना की, जिसके माध्यम से बंकिम को बंगाली पहचान और राष्ट्रवाद के उद्भव को प्रभावित करने का श्रेय दिया जाता है।
  • उनकी अन्य उल्लेखनीय कृतियों में दुर्गेशनंदिनी (1865) कपालकुंडला (1866), कृष्णकांतर विल (1878), देवीचौधरी (1884), बिशबृक्ष (द पॉइज़न ट्री), चंद्रशेखर (1877) और राजमोहन की पत्नी शामिल हैं।
    • उन्होंने एक वकील और जिला न्यायाधीश के रूप में भी काम किया।

और पढ़ें: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय


रैपिड फायर

विश्व ड्रग दिवस 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

प्रतिवर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा उनकी अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है, जिसे विश्व ड्रग दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

  • इस दिवस की स्थापना दिसंबर 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग एवं अवैध नशीली दवाओं की तस्करी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये की गई थी।
  • वर्ष 2024 का थीम था “साक्ष्य स्पष्ट है: रोकथाम में निवेश करें”
  • मादक पदार्थों की अवैध तस्करी एवं उनका दुरुपयोग एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या है और साथ ही संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) के अनुसार वर्ष 2018 में दुनिया भर में लगभग 269 मिलियन लोगों ने मादक पदार्थों का उपयोग किया।
    • वर्ष 1997 में स्थापित, UNODC विश्व स्तर पर मादक पदार्थ नियंत्रण एवं अपराध रोकथाम कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
  • गृह मंत्रालय के अनुसार, भारत में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा पंजाब वर्ष 2019 से वर्ष 2021 के बीच तीन वर्षों में NDPS अधिनियम के तहत दर्ज सर्वाधिक FIR वाले शीर्ष तीन राज्य हैं।

और पढ़ें… नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस


रैपिड फायर

वर्साय की संधि

हाल ही में वर्साय की संधि की वर्षगाँठ मनाई गई जिस पर 28 जून 1919 को फ्राँस के पेरिस में स्थित वर्साय पैलेस में हस्ताक्षर किये गए थे।

  • यह उन संधियों में से एक थी जिसने आधिकारिक तौर पर पाँच वर्षों तक जारी संघर्ष अर्थात् प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) को समाप्त कर दिया।
  • इस संधि में जर्मनी और विजयी मित्र राष्ट्रों, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस तथा यूनाइटेड किंगडम शामिल थे, के बीच शांति की शर्तों का उल्लेख किया गया था।
  • इस संधि के युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद (War Guilt Clause) के तहत प्रथम विश्व युद्ध के कारण हुई साड़ी तबाही के लिये जर्मनी और अन्य केंद्रीय शक्तियों (जैसे- ऑस्ट्रिया-हंगरी) को ज़िम्मेदार ठहराया गया।
  • इसके कारण क्षेत्र अतिक्रमण, सैन्य बलों में कमी और जर्मनी द्वारा मित्र राष्ट्रों को क्षतिपूर्ति भुगतान करना पड़ा।
  • जर्मन आबादी के विघटन को बाद में हिटलर ने जर्मन आक्रमण और विस्तार को सही सिद्ध करने के लिये किया।
  • इसने पूरे यूरोपीय अर्थव्यवस्था के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न किया जिसके कारण वर्ष 1929 की महामंदी हुई।
  • इस संधि ने जर्मनों में नाराज़गी पैदा की जिन्होंने इसे एक निर्धारित शांति के रूप में देखा और इसे द्वितीय विश्व युद्ध के कारणों में से एक माना जाता है।
  • इससे जर्मन लोग क्रोधित हुए और उन्होंने इसे एक जबरन लागू की गई शांति के रूप में देखा और साथ ही इसे द्वितीय विश्व युद्ध के कारणों में से एक माना जाता है।
  • इसके अतिरिक्त, इस संधि के कारण राष्ट्र संघ का गठन हुआ।

और पढ़ें: प्रथम विश्व युद्ध


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