प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 28 अप्रैल, 2020
बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद
Bodoland Territorial Council
COVID-19 के कारण असम में ‘बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र ज़िलों’ (Bodoland Territorial Area Districts- BTAD) में राज्यपाल शासन लागू हो सकता है।
- गौरतलब है कि बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (Bodoland Territorial Council- BTC) का मौजूदा कार्यकाल 27 अप्रैल, 2020 को समाप्त हो चुका है और इसके लिये 4 अप्रैल, 2020 को चुनाव होने थे किंतु COVID-19 महामारी के कारण इन्हें अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया है।
मुख्य बिंदु:
- राज्यपाल बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र ज़िलों (BTAD) का संवैधानिक प्रमुख होता है। बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र ज़िलों (BTAD) संविधान की 6वीं अनुसूची के अंतर्गत आता है और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (BTC) द्वारा प्रशासित होता है।
स्वायत्त जिला परिषद
(Autonomous District Council):
- भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के वे जनजातीय क्षेत्र शामिल हैं जो अनुसूचित क्षेत्रों से तकनीकी रूप से भिन्न हैं।
- संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिये इन राज्यों में जनजातीय लोगों के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान करती है। संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत यह विशेष प्रावधान किया गया है।
- यह एक स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद और स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADCs) के माध्यम से आदिवासियों को विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करने की स्वतंत्रता देता है।
- स्वायत्त ज़िला परिषद, राज्य के अंदर ऐसे ज़िले हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने राज्य विधान मंडल के अंतर्गत स्वायत्तता अलग-अलग रूप में प्रदान की है।
- चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त ज़िलों के रूप में गठित किया गया है किंतु वे संबंधित राज्य के कार्यकारी प्राधिकरण से बाहर नहीं हैं।
रोहतांग दर्रा
Rohtang Pass
COVID-19 के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनज़र हिमाचल प्रदेश के लाहौल एवं स्पीति ज़िलों को आवश्यक राहत सामग्री पहुँचाने के लिये सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation- BRO) ने 25 अप्रैल, 2020 को तीन हफ्ते पहले ही रोहतांग दर्रे (Rohtang Pass) को खोल दिया।
मुख्य बिंदु:
- भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में रोहतांग दर्रा हिमालय की पूर्वी पीर पंजाल श्रेणी में 13,058 फीट पर अवस्थित है।
- पीर पंजाल श्रेणी (Pir Panjal Range) हिमालय की एक पर्वतमाला है जो भारत के हिमाचल प्रदेश व जम्मू एवं कश्मीर तथा पाक-अधिकृत कश्मीर में विस्तृत है।
- रोहतांग दर्रा पीर पंजाल श्रृंखला पर बना एक पर्वतीय रास्ता है जो मनाली से करीब 51 किलोमीटर दूर है। यह रास्ता कुल्लू घाटी को लाहौल एवं स्पीति से जोड़ता है।
- उल्लेखनीय है कि देश की सबसे लंबी सड़क सुरंगों में से एक अटल सुरंग (रोहतांग सुरंग) हिमालय के पूर्वी पीर पंजाल श्रृंखला में रोहतांग दर्रे के नीचे 10,171 फुट की ऊँचाई पर बनाई जा रही है।
- यह सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी में 46 किलोमीटर की कमी करेगी और परिवहन लागत में करोड़ों रुपए की बचत करेगी।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन में रोहतांग को भी गिना जाता है। जून के महीने में यहाँ अधिक संख्या में पर्यटक आते हैं। दिसंबर में सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के बाद इसे बंद कर दिया जाता है और जून में इसे फिर से पर्यटकों के लिये खोल दिया जाता है।
नोबेल पुरस्कार और क्यूरी परिवार
Nobel award and Curie Family
20 अप्रैल, 1902 को मैरी क्यूरी और पियरे क्यूरी ने पेरिस (फ्राँस) की एक प्रयोगशाला में पिचब्लेंडे (Pitchblende) नामक एक खनिज से रेडियोधर्मी ‘रेडियम लवण’ को सफलतापूर्वक पृथक किया।
मुख्य बिंदु:
- फ्राँसीसी भौतिक विज्ञानी हेनरी बेकरेल (Henri Becquerel) द्वारा फॉस्फोरेसेंस (Phosphorescence) पर वर्ष 1896 में किये गए प्रयोग से प्रेरित होकर क्यूरी युगल ने दो रेडियोधर्मी तत्त्वों पोलोनियम (परमाणु क्रमांक-84) और रेडियम (परमाणु क्रमांक- 88) का पता लगाया।
- इस खोज के लिये वर्ष 1903 में मैरी क्यूरी (विश्व की पहली नोबल पुरस्कार पाने वाली महिला) को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
- मैरी क्यूरी ने वर्ष 1903 के नोबेल पुरस्कार को अपने साथी शोधकर्त्ता पियरे क्यूरी और हेनरी बेकरेल के साथ रेडियोधर्मिता पर उनके संयुक्त काम के लिये साझा किया।
- शुद्ध धातु के रूप में रेडियम का उत्पादन करने के कारण मैरी क्यूरी को वर्ष 1911 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इस प्रकार वर्ष 1911 में उन्होंने दूसरा नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रचा।
- वर्ष 1911 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में रॉयल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ (Royal Academy of Sciences) में एक व्याख्यान देते हुए मैरी क्यूरी ने ‘रेडियोधर्मी तत्वों’ और ‘रेडियोधर्मिता’ नामक घटना के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण विवरण साझा करते हुए बताया कि ‘रेडियोधर्मिता पदार्थ की एक परमाणविक विशेषता है और यह नए तत्त्वों को खोजने का एक माध्यम प्रदान कर सकती है।’
- उन्होंने रेडियम के रासायनिक गुणों के बारे में भी बताया जो नए तत्त्व यूरेनियम की तुलना में एक लाख गुना अधिक रेडियोधर्मी था।
हालाँकि नोबेल पुरस्कार पाने वाली मैरी क्यूरी, क्यूरी परिवार की अंतिम सदस्य नहीं थी। वर्ष 1935 में रेडियोधर्मी तत्त्वों के कृत्रिम निर्माण पर किये गए संयुक्त कार्य के कारण रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मैरी क्यूरी की पुत्री इरने क्यूरी (Irene Curie) और उनके पति एवं सह-शोधकर्त्ता फ्रैडरिक जूलियट (Frederic Joliot) को दिया गया।
- इस प्रकार क्यूरी परिवार को कुल चार नोबेल पुरस्कार मिले हैं जो किसी एक एकल परिवार द्वारा जीता गया सर्वोच्च सम्मान है।
स्वामित्त्व योजना
SVAMITVA Scheme
केंद्रीय पंचायती राज मंत्री ने 27 अप्रैल, 2020 को नई दिल्ली में भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय (Ministry of Panchayati Raj) की एक नई पहल स्वामित्त्व योजना (SVAMITVA Scheme) के बारे में दिशा-निर्देश जारी किया।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य ग्रामीण लोगों को अपनी आवासीय संपत्तियों के दस्तावेज़ का अधिकार प्रदान करना है ताकि वे अपनी संपत्ति का उपयोग आर्थिक उद्देश्यों के लिये कर सकें।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना को वर्तमान में छह राज्यों हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में प्रायोगिक तौर पर लागू किया जा रहा है।
- इसके तहत नवीनतम सर्वेक्षण विधियों एवं ड्रोन तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण आवास भूमि की मैपिंग की जा सकती है।
- इस वर्ष के दौरान पंजाब एवं राजस्थान में 101 सतत परिचालन संदर्भित स्टेशन (Continuously Operating Reference Stations- CORS) स्थापित किये जाएंगे जो अगले वर्ष गाँवों के आवासीय क्षेत्रों के सर्वेक्षण एवं मानचित्रण के लिये मंच तैयार करेंगे।
सहयोगी मंत्रालय/विभाग:
- यह योजना भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय, राज्य पंचायती राज विभाग, राज्य राजस्व विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से ड्रोन तकनीकी द्वारा नवीनतम सर्वेक्षण विधियों के उपयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में रिहायशी ज़मीनों के सीमांकन के लिये संपत्ति सत्यापन का समाधान करेगी।
स्वामित्व योजना के लाभ:
- यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के निर्माण एवं राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित करने और संपत्ति के अधिकार पर स्पष्टता सुनिश्चित करने में मदद करेगी। इससे संपत्ति संबंधी विवादों को हल करने में भी मदद मिलेगी।
- इसके कार्यक्रम के तहत बनाए गए मानचित्रों से बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (Gram Panchayat Development Plans- GPDPs) के निर्माण में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर पंचायती राज मंत्री ने ई-ग्राम स्वराज के बारे में एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) भी जारी की। जिसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि पंचायतों को दी गई धनराशि का दुरुपयोग न हो और इसके इस्तेमाल में पारदर्शिता लाई जा सके।
- इस प्रक्रिया से पंचायती राज मंत्रालय के भुगतान पोर्टल पीआरआईएसॉफ्ट (Panchayati Raj Institutions Accounting Software- PRIASoft) और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (Public Finance Management System- PFMS) पोर्टल को एकीकृत करके एक मज़बूत वित्तीय प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलेगी।
- इसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत नियोजन, प्रगति रिपोर्टिंग एवं कार्य-आधारित लेखांकन के माध्यम से देशभर में पंचायती राज संस्थानों में ई-शासन की बेहतर पारदर्शिता एवं मज़बूती को सुनिश्चित करना है।