प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (National Judicial Data Grid- NJDG) ने भारत में न्यायिक कार्यवाही के प्रबंधन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड:
- परिचय:
- NJDG 18,735 ज़िला तथा अधीनस्थ न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के आदेशों, निर्णयों एवं मामलों के विवरण का एक डेटाबेस है जिसे ई-न्यायालय प्रोजेक्ट के तहत एक ऑनलाइन मंच के रूप में स्थापित किया गया है।
- डेटा को कनेक्टेड ज़िला और तालुका न्यायालयों द्वारा लगभग वास्तविक समय के आधार पर अपडेट किया जाता है। यह देश के सभी कंप्यूटरीकृत ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही/निर्णयों से संबंधित डेटा प्रदान करता है।
- सभी उच्च न्यायालय भी वेब सेवाओं के माध्यम से NJDG में शामिल हो गए हैं, जिससे सार्वजनिक प्रतिवादियों को आसान पहुँच की सुविधा मिल रही है।
- विशेषताएँ:
- राष्ट्रीय डेटा शेयरिंग और एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी (NDSAP) के अनुरूप NJDG केंद्र एवं राज्य सरकारों को एक ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) प्रदान करता है।
- यह API निर्दिष्ट विभागीय आईडी और एक्सेस कुंजियों का उपयोग करके NJDG डेटा तक सुव्यवस्थित पहुँच में मदद करता है।
- यह सुविधा संस्थागत वादियों के मामलों का मूल्यांकन और निगरानी करने के लिये है तथा भविष्य में गैर-संस्थागत वादियों तक पहुँच बढ़ाने की योजना है।
- राष्ट्रीय डेटा शेयरिंग और एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी (NDSAP) के अनुरूप NJDG केंद्र एवं राज्य सरकारों को एक ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) प्रदान करता है।
- महत्त्व:
- NJDG मामलों की पहचान, प्रबंधन और लंबित मामलों को कम करने के लिये एक निगरानी उपकरण के रूप में काम करता है।
- यह मामलों के निपटान में देरी को कम करने के लिये नीतिगत निर्णय लेने के लिये समय पर इनपुट प्रदान करने में सहायता करता है तथा लंबित मामलों को कम करने में मदद करता है।
- यह न्यायालय की कार्यवाही और प्रणालीगत बाधाओं की बेहतर निगरानी की सुविधा भी प्रदान करता है तथा इस प्रकार एक कुशल संसाधन प्रबंधन उपकरण के रूप में कार्य करता है।
- भूमि विवाद से संबंधित मामलों को ट्रैक करने के लिये 26 राज्यों के भूमि रिकॉर्ड डेटा को NJDG के साथ जोड़ा गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान:
- वर्ष 2018 के लिये ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट में विश्व बैंक (WB) ने अनुबंध प्रवर्तन की सुविधा प्रदान करने वाली केस प्रबंधन रिपोर्ट तैयार करने में NJDG की भूमिका की सराहना की।
- यह मान्यता कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में NJDG के महत्त्व को रेखांकित करती है।
ई-कोर्ट परियोजनाओं के तहत अन्य पहल:
- केस सूचना सॉफ्टवेयर (CIS)
- आभासी न्यायालय
- वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग (VC)
- राष्ट्रीय सेवा और इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं की ट्रैकिंग (NSTEP)
- न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये सुप्रीम कोर्ट पोर्टल
प्रारंभिक परीक्षा
ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस
स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स
मच्छर जनित बीमारियाँ विश्व के विभिन्न हिस्सों में एक बड़ा खतरा बनी हुई हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका में ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस (EEE) वायरस की उपस्थिति से इस खतरे में और वृद्धि हो गई है।
- हाल ही में अलबामा और न्यूयॉर्क में इस दुर्लभ वायरस से होने वाली बीमारी के मामले देखे गए हैं, जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस:
- परिचय
- ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस (EEE) एक वायरल बीमारी है जिसके कारण मस्तिष्क में सूजन की समस्या होती है। यह संक्रमित मच्छर के काटने से लोगों और जानवरों में फैलती है।
- EEE की पहचान पहली बार वर्ष 1831 में मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में घोड़ों में की गई थी।
- ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस (EEE) एक वायरल बीमारी है जिसके कारण मस्तिष्क में सूजन की समस्या होती है। यह संक्रमित मच्छर के काटने से लोगों और जानवरों में फैलती है।
- कारण: EEE ईस्टर्न इक्विन इंसेफेलाइटिस वायरस (EEEV) के कारण होता है, जो जीनस अल्फावायरस (Genus Alphavirus) और टोगाविरिडे (Togaviridae) परिवार से संबंधित है।
- EEE वायरस में सिंगल स्ट्रैंडेड, पॉजिटिव-सेंस वाला RNA जीनोम होता है।
- EEEV मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों [विशेष रूप से कुलीसेटा मेलानुरा समूह (Culiseta Melanura Group) से संबंधित प्रजातियों] के काटने से फैलता है।
- ये मच्छर मनुष्यों और घोड़ों (डेड-एंड होस्ट/Dead-End Hosts) सहित पक्षियों (रिज़र्वायर होस्ट/Reservoir Hosts) तथा स्तनधारियों को संक्रमित करते हैं।
- यह वायरस मनुष्यों के बीच या घोड़ों जैसे जानवरों से मनुष्यों में नहीं फैलता है।
- लक्षण: EEE से जुड़े लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जो अक्सर तेज़ी से बढ़ते हैं:
- यह वायरस आमतौर पर तेज़ बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना और मतली से शुरू होता है।
- जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है और गंभीर लक्षण उत्पन्न होने की संभावना होती है, जिनमें दौरे, भटकाव और यहाँ तक कि कोमा भी शामिल है।
- प्रभाव:
- लगभग 33% संक्रमित व्यक्ति जीवित नहीं बच पाते हैं, आमतौर पर लक्षण देखे जाने के 2 से 10 दिनों के बीच मृत्यु हो जाती है।
- वायरस से बचे लोगों को लंबे समय तक न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, 50 वर्ष से ऊपर और 15 वर्ष से कम आयु वालों के इससे संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है।
- उपचार:
- वर्तमान में ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
- संक्रमण के खतरे को कम करने के लिये व्यक्तियों को कई एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी जाती है, जिसमें रिपेलेंट का उपयोग और सुरक्षात्मक कपड़े पहनकर मच्छरों के काटने से बचना शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अगस्त, 2023
मेटा का नया AI मॉडल 100 भाषाओं के अनुवाद और प्रतिलेखन में सक्षम
मेटा ने एक AI मॉडल विकसित किया है जिसे SeamlessM4T के नाम से जाना जाता है, यह टेक्स्ट और स्पीच दोनों में 100 से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने तथा प्रतिलेखन में सक्षम है। यह अनुवाद और प्रतिलेखन के लिये एक अग्रणी ऑल-इन-वन बहुभाषी एवं मल्टीमॉडल AI टूल है।
- मेटा का लक्ष्य उपयोगकर्ताओं को विविध बहुभाषी सामग्री तक व्यापक पहुँच प्रदान करके अंतर्संबंधता को बढ़ाना है।
- यह अंग्रेज़ी सहित लगभग 100 इनपुट भाषाओं और लगभग 35 आउटपुट भाषाओं में स्पीच-टू-स्पीच अनुवाद करने में सक्षम है।
- SeamlessM4T का यह एकीकृत दृष्टिकोण त्रुटियों और देरी को कम करता है, अनुवाद प्रक्रियाओं की दक्षता एवं गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- मेटा का टेक्स्ट-टू-टेक्स्ट मशीन ट्रांसलेशन मॉडल जिसे नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड (NLLB) के नाम से जाना जाता है, लगभग 200 भाषाओं का समर्थन करता है। विशेष रूप से NLLB को इसके अनुवाद प्रदाताओं में से एक के रूप में विकिपीडिया में एकीकृत किया गया है।
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चैल वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ ब्लैक बाज देखा गया
हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित चैल वन्यजीव अभयारण्य में पहली बार एक दुर्लभ काला बाज देखा गया है। इस विशिष्ट प्रकार के काले बाज को पहले भी चंबा क्षेत्र में देखा गया है।
- यह बाज एक्सीपिट्रिडे परिवार का है और इक्टिनेटस जीनस का एकमात्र सदस्य है।
- ये अपने पर्याप्त आकार और अनूठी विशेषताओं के लिये प्रसिद्ध हैं, जो अक्सर जंगली पहाड़ी और पहाड़ी क्षेत्रों में देखे जाते हैं।
- ये भारतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ प्रायद्वीपीय भारत में पूर्वी एवं पश्चिमी घाट के जंगलों में पाए जाते हैं।
- IUCN के अनुसार, इसकी संरक्षण की स्थिति को "न्यूनतम चिंता" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- चैल वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के जानवर पाए जाते हैं, जिनमें रीसस मकाक, तेंदुए, भारतीय मंटजैक, गोराल, साही, जंगली सूअर, लंगूर और हिमालयी काले भालू शामिल हैं। इसने सरीसृपों और पक्षियों की कई लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में योगदान दिया है।
दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना:
भारत की प्रमुख जलविद्युत कंपनी NHPC लिमिटेड ने NHPC की 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना के लिये पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश में रेलवे साइडिंग के निर्माण हेतु RITES के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। RITES, रेल मंत्रालय के अधीन एक मिनीरत्न अनुसूची 'A' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
- अपनी मूल शक्ति का प्रयोग कर RITES NHPC दिबांग और अरुणाचल प्रदेश में अन्य आगामी परियोजनाओं के लिये एवं रेल अवसंरचना सुविधाओं के विकास हेतु व्यापक और कुशल समाधान प्रदान करेगा।
- दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना एक बाढ़ नियंत्रण एवं जलविद्युत परियोजना है जिसे अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक दिबांग नदी पर विकसित करने की योजना है।
- इसे भारत के राज्य संचालित नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
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हबल स्पेस टेलीस्कोप ने अनियमित आकाशगंगा की छवि खींची
हबल स्पेस टेलीस्कोप ने एरिडानस (Eridanus) के दक्षिणी तारामंडल में 28.7 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित अनियमित आकाशगंगा ESO 300-16 की एक छवि खींची है।
- अनियमित आकाशगंगाओं का स्पष्ट रूप से परिभाषित आकार नहीं होता है और वे डिफ्यूज़ बादल के रूप में दिखाई देती हैं। आकाशगंगा कोर की ओर चमकीली, नीली गैस का एक बुलबुला दिखाई देता है।
- ESO 300-16 को एक इमेजिंग अभियान के हिस्से के रूप में कैप्चर किया गया था जिसे एवरी नोन नियरबाय गैलेक्सी के नाम से जाना जाता है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी के 10 मेगापार्सेक या 32.6 मिलियन प्रकाश वर्ष के भीतर सभी आकाशगंगाओं की हबल छवियों की एक पूरी सूची बनाना है।
- यहाँ तक कि प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तय करता है वह भी खगोलीय दूरियों को मापने के लिये सुविधाजनक नहीं है, यही कारण है कि खगोलशास्त्री पारसेक का उपयोग करते हैं।
- एक पारसेक 3.26 प्रकाश वर्ष या 30.9 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है। एक मेगापारसेक दस लाख पारसेक के समान होता है।
- एवरी नोन नियरबाई गैलेक्सी अभियान का लक्ष्य शेष 25% आकाशगंगाओं पर कब्ज़ा करना है। हबल ने पहले अभियान के हिस्से के रूप में लेंटिकुलर आकाशगंगा NGC 6684 और अनियमित बौनी आकाशगंगा NGC 1156 पर कब्ज़ा कर लिया है।
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