प्रारंभिक परीक्षा
मार्सक्वेक
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर रिकॉर्ड किये गए सबसे बड़े भूकंप के कारणों का खुलासा किया है। यह खोज वैज्ञानिक महत्त्व रखती है और लाल ग्रह के भूविज्ञान तथा उसकी भूकंपीय घटनाओं में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करके आगामी मंगल अन्वेषणों के निहितार्थ रखती है।
मार्सक्वेक से संबंधित हालिया निष्कर्ष:
- मार्सक्वेक (Marsquake) या मार्शियन भूकंप, मंगल ग्रह पर होने वाली एक भूकंपीय घटना है। वर्ष 2022 में मंगल पर 4.7 तीव्रता वाला एक भूकंप दर्ज किया गया था।
- इसके आने का पहला संदेह पिछले उल्कापिंड-जनित भूकंपों से मिलते-जुलते भूकंपीय संकेतों के कारण उल्कापिंड का प्रभाव था।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन और संयुक्त अरब अमीरात अंतरिक्ष एजेंसी जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों ने मंगल ग्रह पर एक क्रेटर की खोज के लिये एक अभूतपूर्व परियोजना हेतु सहयोग किया।
- हालाँकि खोज में कोई इम्पैक्ट क्रेटर नहीं मिला, इससे यह निष्कर्ष निकला कि भूकंप आंतरिक टेक्टोनिक बलों के कारण आया, जो बढ़ी हुई भूकंपीय गतिविधियों का संकेत देती हैं।
- इसका कारण मंगल के क्रस्ट के भीतर संचित तनाव को बताया गया, जो विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग शीतलन और सिकुड़न दर के कारण अरबों वर्षों में विकसित हुआ।
- यह खोज भविष्य के मंगल अन्वेषणों के लिये प्रभावी है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित लैंडिंग साइट्स और जिन क्षेत्रों से बचना चाहिये, की पहचान करने में सहायता मिलेगी।
मंगल ग्रह से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- मंगल क्रम में सूर्य से चौथे नंबर का ग्रह है, इसका नाम रोम के युद्ध देवता के आधार पर रखा गया है। इसके विशिष्ट लाल रंग के कारण इसे प्राय: "लाल ग्रह" भी कहा जाता है। यह लाल रंग मुख्य रूप से इसकी सतह की चट्टानों और मृदा में आयरन ऑक्साइड, जिसे आमतौर पर जंग के रूप में जाना जाता है, की अत्यधिक मात्रा के कारण होता है।
- मंगल, बुध के बाद हमारे सौर मंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है, इसका व्यास लगभग 6,791 किलोमीटर है, जो पृथ्वी के आकार का लगभग आधा है।
- इसके दो प्राकृतिक उपग्रह हैं, जिन्हें फोबोस और डीमोस के नाम से जाना जाता है।
- यह अत्यधिक ठंडा ग्रह है, सूर्य से इसकी अधिक दूरी होने के कारण इसके भूमध्यरेखीय क्षेत्रों तापमान 20°C तक पहुँच जाता है और ध्रुवीय क्षेत्रों का तापमान -140°C तक गिर जाता है।
- ओलंपस मॉन्स मंगल ग्रह पर स्थित है, जो हमारे सौर मंडल का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी है, यह माउंट एवरेस्ट से लगभग तीन गुना ऊँचा है।
- मंगल ग्रह का एक दिन 24 घंटे और 37 मिनट का होता है, जो पृथ्वी के दिन से थोड़ा अधिक लंबा होता है लेकिन सूर्य के चारों ओर विस्तारित कक्षा के कारण मंगल ग्रह के एक वर्ष की अवधि 687 दिन (पृथ्वी से लगभग दोगुना) होती है।
- मंगल की घूर्णन धुरी सूर्य के चारों ओर उसकी कक्षा के तल के संबंध में 25 डिग्री तक झुकी हुई है। यह पृथ्वी के समान है, जिसका अक्षीय झुकाव 23.4 डिग्री है।
- मंगल ग्रह पर अलग-अलग मौसम अनुभव किये गए हैं, लेकिन वे पृथ्वी के मौसमों की तुलना में अधिक लंबे समय तक बने रहते हैं।
मंगल ग्रह पर भेजे गए मिशन:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
प्रारंभिक परीक्षा
राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में भारत द्वारा राजनयिक प्रोटोकॉल के कथित उल्लंघन के संबंध में कनाडाई विदेश मंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों की प्रतिक्रिया के रूप में भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की कार्रवाई राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय के अनुच्छेद 11.1 में उल्लिखित प्रावधानों के अनुरूप है।
राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय:
- परिचय:
- राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय (वर्ष 1961) की स्थापना मौलिक सिद्धांतों और शर्तों को परिभाषित करने के लिये की गई है जो यह नियंत्रित करते हैं कि देशों को एक-दूसरे के राजनयिक प्रतिनिधियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये।
- इसे 14 अप्रैल, 1961 को ऑस्ट्रिया के वियना में न्यू हॉफबर्ग में आयोजित राजनयिक समागम और प्रतिरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा अभिसमय को स्वीकृत किया गया था।
- इसका उद्देश्य राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना और प्रभावी संचार एवं समन्वय बनाए रखना है।
- आज विश्व के 193 देशों ने इस अभिसमय का अनुमोदन किया है।
- भारत ने राजनयिक संबंध (वियना अभिसमय) अधिनियम, 1972 के माध्यम से इसकी पुष्टि की।
- राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय (वर्ष 1961) की स्थापना मौलिक सिद्धांतों और शर्तों को परिभाषित करने के लिये की गई है जो यह नियंत्रित करते हैं कि देशों को एक-दूसरे के राजनयिक प्रतिनिधियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये।
- प्रमुख प्रावधान:
- अधिनियम का एक प्रमुख सिद्धांत राजनयिक प्रतिरक्षा है। यह राजनयिकों को उस मेज़बान देश में कुछ कानूनों और करों से छूट देता है जहाँ वे तैनात हैं। यह सुनिश्चित करता है कि राजनयिक बिना किसी डर या धमकी के अपने कर्त्तव्यों को पूरा करें।
- इस अभिसमय के अनुच्छेद 29 के अनुसार, राजनयिकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। मेज़बान देश को राजनयिक अभिकर्त्ता के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना आवश्यक है तथा यह राजनयिक के व्यक्तित्त्व, स्वतंत्रता या गरिमा को किसी भी प्रकार के नुकसान या उल्लंघन से रोकने हेतू सभी आवश्यक उपाय करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- इस अभिसमय का अनुच्छेद 11.1 मेज़बान देश को मौजूदा परिस्थितियों के साथ-साथ विशेष राजनयिक मिशन की अनूठी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, विदेशी राजनयिक मिशन के आकार पर न्यायी एवं उचित सीमाएँ बनाने का अधिकार देता है।
- अभिसमय का अनुच्छेद 9 प्राप्तकर्त्ता राज्य को स्पष्टीकरण की आवश्यकता के बिना मिशन के प्रमुख या राजनयिक स्टाफ के किसी भी सदस्य को अवांछित या अप्रिय घोषित करने की अनुमति देता है तथा यह अधिसूचना किसी भी समय की जा सकती है।
- अधिनियम का एक प्रमुख सिद्धांत राजनयिक प्रतिरक्षा है। यह राजनयिकों को उस मेज़बान देश में कुछ कानूनों और करों से छूट देता है जहाँ वे तैनात हैं। यह सुनिश्चित करता है कि राजनयिक बिना किसी डर या धमकी के अपने कर्त्तव्यों को पूरा करें।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 अक्तूबर, 2023
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का स्थापना दिवस
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) एक समर्पित बल है जो तिब्बत (चीन) के साथ लगने वाली भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार है। ITBP के स्थापना दिवस (24 अक्तूबर) पर प्रधानमंत्री ने देश की सीमा सुरक्षा और अखंडता की रक्षा में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका में उनके अटूट दृढ़ संकल्प एवं साहस की सराहना की।
- ITBP भारत की एक विशेष पर्वतीय बल है, जिसकी स्थापना 24 अक्तूबर, 1962 को भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद की गई थी, शुरुआत में इस बल की तैनाती भारत-चीन सीमा पर की गई थी।
- ITBP का गठन शुरू में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) अधिनियम, 1949 के तहत किया गया था। हालाँकि वर्ष 1992 में संसद ने ITBP अधिनियम लागू किया और 1994 में नियम बनाए।
- हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में ITBP की तैनाती नक्सल विरोधी अभियानों सहित विभिन्न आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था हेतु की गई। यह बल अधिक ऊँचाई वाले बचाव और पर्वतारोहण अभियानों में अपनी विशेषज्ञता के लिये जाना जाता है।
और पढ़ें…केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल
पीएम श्री स्कूलों के लिये ICT लैब
कक्षाओं में आधुनिक तकनीक को अपनाने हेतु हरियाणा में पीएम श्री स्कूलों के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) प्रयोगशालाएँ एवं स्मार्ट क्लासरूम शुरू किये जाएंगे जो शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि के साथ छात्रों को बेहतर ढंग से सीखने का अनुभव प्रदान करेगा।
- ICT लैब और स्मार्ट क्लासरूम शहरी-ग्रामीण डिजिटल गैप को समाप्त कर समान शिक्षा के अवसर प्रदान करते हैं।
- पीएम श्री देश भर में 14500 से अधिक स्कूलों के उन्नयन और विकास के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार/राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों में से चयनित मौजूदा स्कूलों का उन्नयन करना है।
- ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी घटकों का पालन के साथ अनुकरणीय स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे तथा अपने आसपास के अन्य स्कूलों का मार्गदर्शन भी करेंगे।
और पढ़ें… डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (DIKSHA), डिजिटल इंडिया मिशन
बॉल लाइटनिंग
बॉल लाइटनिंग एक दुर्लभ प्राकृतिक परिघटना है जिसमें आमतौर पर आकाशीय बिजली (तड़ित) गिरने वाले स्थान के पास एक प्रदीप्त गोल पिंड दिखाई देता है।
- यह बंद खिड़कियों में भी प्रवेश कर सकता है और आमतौर पर फुसफुसाहट की ध्वनि के साथ उत्पन्न होता है जिसकी अवधि कुछ सेकंड हो सकती है।
- इसका रंग परिवर्तनशील होता है और यह पिंड प्रायः विस्फोट के साथ नष्ट होता है। हालाँकि यह आमतौर पर विनाशकारी नहीं होता है।
- इसके अलावा इसे ग्लोब लाइटनिंग भी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि ये पिंड प्लाज़्मा से बने होते हैं, जो स्वतंत्र रूप से परिक्रमण करने वाले आयनों के साथ पदार्थ की एक आयनित अवस्था है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लंबे समय से चल रहे रोज़गार मुद्दे में सुधार
हाल ही के एक ऐतिहासिक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक रोज़गार के मामले में हुए 30 वर्ष पुराने अन्याय (Injustice) में सुधार किया है।
- न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए संबंधित विभाग को एक व्यक्ति को 10 वर्ष के लिये परिवीक्षाधीन पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया।
- संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उन स्थितियों में "पूर्ण न्याय" देने का विशिष्ट अधिकार प्रदान करता है जहाँ कानून या विधान कोई उपाय प्रदान नहीं कर सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि एक सार्वजनिक नियोक्ता, जो संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार 'राज्य' श्रेणी के अंतर्गत आता है, किसी वैध तथा उचित कारण के बिना किसी उम्मीदवार को नौकरी से बर्खास्त नहीं कर सकता है।
- यह निर्णय चयन प्रक्रिया की शुरुआत से ही स्पष्ट तथा निष्पक्ष पात्रता मानदंड के महत्त्व को रेखांकित करता है तथा सार्वजनिक रोज़गार में गैर-भेदभाव के सिद्धांत की पुष्टि करता है।
और पढ़ें… सर्वोच्च न्यायालय