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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 25 Sep, 2021
  • 21 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 25 सितंबर, 2021

माइक्रोचिप: मानव निर्मित सबसे छोटी उड़ान संरचना

Microchip: Smallest Man-Made Flying Structure

हाल ही में ‘नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी’ (US) ने उड़ान क्षमता योग्य एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप या माइक्रोफ्लियर का निर्माण किया है, जो अब तक की सबसे छोटी मानव निर्मित उड़ान संरचना है।

Microchip

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह एक रेत के दाने के आकार का है और इसमें कोई मोटर या इंजन नहीं है।
    • यह मेपल के पेड़ के प्रोपेलर बीज की तरह हवा के माध्यम से उड़ान भरता है और हवा के ही माध्यम से एक हेलीकॉप्टर की तरह घूमता है।
  • डिज़ाइन का विचार
    • इंजीनियरों ने मेपल के पेड़ों और अन्य प्रकार के हवा में बिखरे हुए बीजों का अध्ययन करके इसका डिज़ाइन विकसित किया है, इसे इस प्रकार तैयार किया है कि जब यह ऊँचाई से गिराया जाए तो नियंत्रित तरीके से धीमी गति से गिरेगा।
      • यह गुण इसकी उड़ान को अधिक स्थिर बनाता है और इसे एक व्यापक क्षेत्र कवर करने में मदद करता है, जिससे यह अधिक समय तक हवा में रह सकता है।
    • वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग प्रकार के माइक्रोफ्लियर डिज़ाइन किये हैं, जिनमें तीन पंखों वाला एक माइक्रोफ्लियर भी शामिल है, जो कि ट्रिस्टेलेटिया बीज पर पंखों जैसा दिखता है।
  • महत्त्व
    • इसमें सेंसर, पावर स्रोत, वायरलेस संचार हेतु एंटेना और डेटा स्टोर करने के लिये एम्बेडेड मेमोरी सहित अल्ट्रा-मिनिएचराइज़्ड तकनीक शामिल की जा सकती है।
      • ‘मिनिएचराइज़ेशन’ का आशय छोटे यांत्रिक, ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों एवं उपकरणों के निर्माण की प्रक्रिया से है।
    • यह वायु प्रदूषण और वायुजनित रोगों की निगरानी के लिये महत्त्वपूर्ण है।

CIPS एक्सीलेंस इन प्रोक्योरमेंट अवार्ड्स 2021

CIPS Excellence in Procurement Awards 2021 

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) को ‘डिजिटल टेक्नोलॉजी के सर्वश्रेष्ठ उपयोग’ के लिये CIPS एक्सीलेंस इन प्रोक्योरमेंट अवार्ड्स 2021 (CIPS Excellence in Procurement Awards) का विजेता घोषित किया गया। 

  • GeM का चयन दो अन्य वर्गों अर्थात् ‘पब्लिक प्रोक्योरमेंट प्रोजेक्ट ऑफ द ईयर‘ तथा ‘ बेस्ट इनिशिएटिव टू बिल्ड ए डाइवर्स सप्लाई बेस‘ में भी फाइनलिस्ट के रूप में किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • CIPS अवार्ड्स:
    • यह प्रोक्योरमेंट (खरीद) कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के बाद GeM इस वर्ग में विजेता बनकर उभरी।
    • इसका आयोजन लंदन के चार्टर्ड इंस्टीच्यूट ऑॅफ प्रोक्योरमेंट एंड सप्लाई (CIPS) के तत्त्वावधान में किया जाता है।
      • CIPS, 150 देशों में एक समुदाय के साथ प्रोक्योरमेंट तथा आपूर्ति प्रबंधन में अच्छे प्रचलनों को बढ़ावा देने के लिये समर्पित एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन तथा पेशेवर निकाय है।
  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM):
    • परिचय:
      • GeM विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारों के विभागों/संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिये वन-स्टॉप राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल है।
      • मंत्रालयों व केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) द्वारा GeM पर उपलब्ध वस्तुओं और सेवाओं की खरीद करना अनिवार्य है।
      • यह सरकारी उपयोगकर्त्ताओं को उनके पैसे का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने की सुविधा के लिये ई-बोली और रिवर्स ई-नीलामी जैसे उपकरण भी प्रदान करता है।
      • वर्तमान में GeM के पास 30 लाख से अधिक उत्पाद हैं, इसके पोर्टल पर अब तक 10 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हो चुका है।
    • लॉन्च:
      • इसे वर्ष 2016 में सरकारी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिये लॉन्च किया गया था।
    • नोडल मंत्रालय:
      • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय।
  • GeM का महत्त्व:
    • यह पारदर्शी और लागत प्रभावी खरीद को सक्षम बनाता है।
    • भारत की आत्मनिर्भर भारत नीति को बढ़ावा देता है।
    • इसने सार्वजनिक खरीद में छोटे स्थानीय विक्रेताओं के प्रवेश की सुविधा प्रदान की है।
    • ऑनलाइन मार्केटप्लेस समान उत्पादों के लिये कई संस्थाओं से मांग कर सकता है।

‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार

National Service Scheme Awards

हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति ने वर्ष 2019-20 के लिये ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ (NSS) पुरस्कार प्रदान किये।

प्रमुख बिंदु

  • ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार
    • वर्ष 2019-20 के लिये ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार तीन अलग-अलग श्रेणियों में जैसे- विश्वविद्यालय, प्‍लस टू परिषदों, एन.एस.एस. इकाइयों और उनके कार्यक्रम अधिकारियों तथा स्वयंसेवकों को दिये गए हैं। 
  • स्थापना
    • राष्ट्रीय सेवा योजना की 25वीं वर्षगाँठ के अवसर पर वर्ष 1993-94 में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा एनएसएस पुरस्कारों की स्थापना की गई थी।
  • उद्देश्य
    • युवा एनएसएस छात्र स्वयंसेवकों को सामुदायिक सेवा के माध्यम से अपने व्यक्तित्व विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करना।
    • एनएसएस स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु कार्यक्रम अधिकारियों और कार्यक्रम समन्वयकों को प्रोत्साहित करना।
    • सामुदायिक कार्य के प्रति अपनी निस्वार्थ सेवा जारी रखने के लिये एनएसएस स्वयंसेवकों को प्रेरित करना।
  • राष्ट्रीय सेवा योजना:
    • परिचय:
      • NSS एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसे वर्ष 1969 में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से युवा छात्रों के व्यक्तित्व और चरित्र के विकास के उद्देश्य से शुरू किया गया था। NSS की विचारधारा महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है।
      • इसका आदर्श वाक्य ‘मैं नहीं बल्कि आप’ (Not me but You) है।
    • NSS स्वयंसेवक:
      • वे नियमित और विशेष शिविर गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक प्रासंगिकता के मुद्दों पर काम करते हैं, जिसमें साक्षरता एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, पर्यावरण संरक्षण, समाज सेवा कार्यक्रम, महिला सशक्तीकरण के कार्यक्रम, आर्थिक विकास गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम, आपदाओं के दौरान बचाव व राहत आदि शामिल हैं।

गोवा की जीआई (GI) टैग प्राप्त फेनी 

GI Tagged Feni: Goa

हाल ही में गोवा सरकार की फेनी नीति 2021 ने भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणित काजू से निर्मित गोवा की फेनी को अन्य अंतर्राष्ट्रीय शराब जैसे- मेक्सिको की टकीला (Tequila), जापानी शेक (Sake) और रूस की वोदका (Vodka) के बराबर लाने का मार्ग प्रशस्त किया है।

  • वर्ष 2016 में गोवा सरकार ने फेनी को गोवा की हेरिटेज स्प्रिट (Heritage Spirit of Goa) के रूप में वर्गीकृत किया।

प्रमुख बिंदु 

  • गोवा काजू फेनी:
    • यह 'हेरिटेज ड्रिंक' (Heritage Drink) का दर्जा प्राप्त करने वाला देश का पहला शराब उत्पाद है जिसे वर्ष 2000 में जीआई प्रमाणन प्राप्त हुआ। केवल काजू फेनी को जीआई-टैग प्रदान किया गया है।
    • फेनी, नारियल या काजू के फलों से बना एक काढ़ा है और गोवा के लोकाचार एवं पहचान का पर्याय है।
    • पुर्तगालियों द्वारा ब्राज़ील से भारत में काजू के पौधों को आयात करने के बाद फेनी का निर्माण पहली बार 1600 के दशक में गोवा में किया गया था। वर्तमान में गोवा में फेनी की 26 किस्मों का निर्माण होता है।
    • इसका उपयोग विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं, व्यंजनों में किया जाता है तथा यह अपने औषधीय महत्त्व के लिये भी जानी जाती है। 
  • गोवा के अन्य जीआई-टैग प्राप्त उत्पाद:
    • खोला लाल मिर्च/कैनाकोना मिर्च (Khola Red Chilies/Canacona Chillies), मसालेदार हरमल मिर्च (Spicy Harmal Chillies),मंडोली या मोइरा केला (Myndoli Banana or Moira Banana) और पारंपरिक गोअन खाजे (Goan Khaje) मिठाई।
  • भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) प्रमाणन:
    • परिचय:
      • भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।  
      • इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।
      • इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।  
        • इसका उपयोग कृषि, प्राकृतिक और निर्मित वस्तुओं हेतु किया जाता है।
      • माल के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999  भारत में माल से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण और उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
      • यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के तहत व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी एक हिस्सा है।.
    • प्रशासित:
      • पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक जो कि भौगोलिक संकेतकों का रजिस्ट्रार (Registrar) है।
        • भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री/लेखागार चेन्नई में स्थित है।
    • पंजीकरण की वैधता:
      • भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है।
      • इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
  • वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
  • वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
  • महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।  
  • जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है। कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 सितंबर, 2021

कमला भसीन

महिला अधिकार कार्यकर्त्ता कमला भसीन का हाल ही में 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। कमला भसीन का जन्म 24 अप्रैल, 1946 को राजस्थान में हुआ था और उनके पिता डॉक्टर थे। वह ‘संगत-ए फेमिनिस्ट नेटवर्क’ के साथ अपने कार्य के लिये काफी प्रसिद्ध थीं, साथ ही उन्हें उनकी कविता ‘क्यूँकि मैं लड़की हूँ, मुझे पढ़ना है’ के लिये भी जाना जाता है। एक सामाजिक वैज्ञानिक के रूप में कमला भसीन 35 वर्षों से अधिक समय तक विकास, शिक्षा, लिंग, मीडिया और कई अन्य संबंधित मुद्दों से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने वर्ष 1972 में राजस्थान में ग्रामीण एवं शहरी गरीबों के सशक्तीकरण हेतु एक स्वैच्छिक संगठन के साथ कार्य करना शुरू किया था। वर्ष 1976 से वर्ष 2001 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (FAO) के साथ काम किया। वर्ष 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस्तीफा दे दिया और ‘संगत’ संगठन के साथ बतौर संस्थापक सदस्य और सलाहकार के रूप में कार्य शुरू किया। 

हेंसन क्रेटर

‘इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एक क्रेटर का नाम ‘मैथ्यू हेंसन’ के नाम पर रखा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में ‘स्वेर्ड्रुप’ और ‘डी गेर्लाचे’ क्रेटर्स के बीच स्थित ‘हेंसन क्रेटर’ वह क्षेत्र है जहाँ ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) द्वारा ‘आर्टेमिस मिशन’ के तहत लैंडिंग की योजना बनाई गई है। 8 अगस्त, 1866 को मैरीलैंड में जन्मे मैथ्यू अलेक्जेंडर हेंसन अफ्रीकी अमेरिकी खोजकर्त्ता थे, जिन्होंने प्रसिद्ध अन्वेषक ‘रॉबर्ट ई. पियरी’ के साथ कई अन्वेषण अभियानों में हिस्स्सा लिया, जिनमें वर्ष 1909 में उत्तरी ध्रुव का अन्वेषण अभियान भी शामिल है। इस अभियान के दौरान ‘मैथ्यू हेंसन’ दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले पहले अन्वेषकों में से एक थे। ज्ञात हो कि आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के माध्यम से नासा ने वर्ष 2024 तक पहली महिला और अगले पुरुष को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है। आर्टेमिस मिशन के माध्यम से नासा नई प्रौद्योगिकियों, क्षमताओं और व्यापार दृष्टिकोण का प्रदर्शन करना चाहता है जो भविष्य में मंगल ग्रह में अन्वेषण के लिये आवश्यक होंगे।

विष्णुओनीक्स नेपच्यून

जर्मन शोधकर्त्ताओं के हालिया अध्ययन के दौरान ऊदबिलाव की एक पूर्व अज्ञात प्रजाति के जीवाश्म की खोज की गई है, जिसे ‘विष्णुओनीक्स नेपच्यून’ नाम दिया गया है। इस प्रजाति की खोज ‘हैमरस्चमीडे’ क्षेत्र में 11.4 मिलियन वर्ष पुराने स्ट्राटा से की गई थी, जो जर्मनी के बवेरिया में एक जीवाश्म स्थल है जिसका अध्ययन पिछले लगभग 50 वर्षों से किया जा रहा है। यह यूरोप में ‘विष्णुओनीक्स’ प्रजाति के किसी भी सदस्य की पहली खोज है। ‘विष्णुओनीक्स’ मध्यम आकार के शिकारी जानवर थे, जिनका वज़न औसतन 10-15 किलोग्राम था। इससे पूर्व इस प्रजाति के सदस्यों के ज्ञात अवशेष केवल एशिया और अफ्रीका में प्राप्त हुए थे। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि ‘विष्णुओनीक्स’ लगभग 12 मिलियन वर्ष पूर्व पूर्वी अफ्रीका तक पहुँच गए थे। ‘विष्णुओनीक्स’ काफी हद तक जल पर निर्भर थे और वे भूमि पर लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकते थे। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, उन्होंने एशिया और यूरोप के बीच की लंबी दूरी की यात्रा संभवतः 12 मिलियन वर्ष पूर्व की थी, जब आल्प्स पर्वतमाला का निर्माण अपने प्रारंभिक चरण में था। 

दुनिया का सबसे ऊँचा इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन

सतत् पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति ज़िले के ‘काज़ा’ में दुनिया के सबसे ऊँचे (500 फीट ऊँचा) इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। इस चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाले यात्री काज़ा में चार्जिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। ध्यातव्य है कि भारत में सरकार द्वारा ‘इलेक्ट्रिक वाहनों’ के विकास के लिये पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने हेतु कई प्रयास किये गए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक कुल कारों एवं दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के 30% की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का विकास तेज़ी से हो रहा है जो सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहायक होगा।


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