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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 24 Jul, 2024
  • 7 min read
रैपिड फायर

नेशनल टाइम रिलीज़ स्टडी रिपोर्ट, 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs- CBIC) ने नेशनल टाइम रिलीज़ स्टडी (National Time Release Study- NTRS) 2024 रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत के 9 बंदरगाहों पर कार्गो रिलीज़ समय को मापा गया है।

  • NTRS, 2024 रिपोर्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय व्यापार सुविधा कार्य योजना (National Trade Facilitation Action Plan- NTFAP) लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति का आकलन करना, विभिन्न व्यापार सुविधा पहलों के प्रभाव की पहचान करना और रिलीज़ समय में तथा अधिक तेज़ी से कमी लाने में आने वाली चुनौतियों की पहचान करना है।
    • NTFAP का उद्देश्य कुशल, पारदर्शी, जोखिम-आधारित, समन्वित, डिजिटल, निर्बाध और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रक्रियाओं के माध्यम से सीमा पार निकासी तंत्र को बदलना है, जिसे अत्याधुनिक समुद्री बंदरगाह, हवाई अड्डे और भूमि सीमाएँ समर्थन प्रदान करती हैं।
  • NTRS, 2024 वार्षिक राष्ट्रीय स्तर का चौथा अध्ययन है, जिसमें 1 जनवरी से 7 फरवरी, 2024 तक आयात और निर्यात हेतु सीमा पर निकासी समय का विश्लेषण करने के लिये मानकीकृत पद्धति का उपयोग किया गया है।
  • अध्ययन में CBIC पूर्व-भुगतान सीमा शुल्क अनुपालन सत्यापन पहल की दक्षता पर प्रकाश डाला गया है।
    • CBIC पूर्व-भुगतान सीमा शुल्क अनुपालन सत्यापन (Pre-payment Customs Compliance Verification- PCCV) पहल में, सभी सीमा शुल्क औपचारिकताएँ पूरी कर ली जाती हैं और आयातक द्वारा शुल्कों के भुगतान के लिये केवल अंतिम मंजूरी लंबित रहती है।

और पढ़ें: CBIC ने नेशनल टाइम रिलीज़ स्टडी (NTRS), 2023 रिपोर्ट जारी की


रैपिड फायर

निपाह वायरस

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में केरल के एक 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस (Nipah Virus) से संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो गई।

  • निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला) है और यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है।
  • प्रकृति: निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा यह हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
  • संचरण: NiV प्रारंभ में घरेलू सुअरों, कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों और भेड़ों में देखा गया।
    • यह रोग पटरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ अथवा 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं। यह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय निकलने वाले तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
  • मृत्यु दर: इसमें मृत्यु दर 40% से 75% तक होती है।
  • लक्षण: मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि शामिल है।
  • निदान: शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से रियल टाइम पॉलीमिरेज़ चेन रिएक्शन ( Real-Time Polymerase Chain Reaction- RT-PCR) और एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे (Enzyme-Linked Immunosorbent assay- ELISA) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाने से निदान किया जा सकता है।
  • रोकथाम: वर्तमान में मनुष्यों और जानवरों, दोनों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया: इसने निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है।

अधिक पढ़ें: निपाह वायरस संक्रमण (NiV)


रैपिड फायर

लाल डोरा-मुक्त हरियाणा

हरियाणा के सभी गाँवों को लाल डोरा-मुक्त बना दिया गया है। राज्य सरकार ने 25 दिसंबर 2019 को सुशासन दिवस पर गाँवों को "लाल डोरा-मुक्त" बनाने की योजना शुरू की थी।

  • यह ड्रोन तकनीक का प्रयोग करके भू-परिसंपत्तियों की मैपिंग और वैधानिक स्वामित्व कार्ड जारी करने के साथ गाँव के मकान मालिकों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करके ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में परिसंपत्ति के स्पष्ट स्वामित्व की स्थापना की दिशा में एक सुधारात्मक कदम है।
    • इसके तहत प्रत्येक गाँव में ग्रामीण और आवासीय क्षेत्रों का फील्ड सत्यापन किया गया और 'लाल डोरा' के अंतर्गत आने वाली प्रत्येक भू-परिसंपत्ति की मैपिंग का बारीकी से निरीक्षण किया गया।
  • कुछ राज्यों में गाँवों की आबादी वाले क्षेत्र (जिन्हें पंजाब और हरियाणा में "लाल डोरा" भूमि और कुछ स्थानों पर "आबादी" के रूप में जाना जाता है) को अधिकतर ऐसे सर्वेक्षणों से बाहर रखा गया था।
    • कई भारतीय ग्रामीण समुदायों को दस्तावेज़ी भूमि अधिकार प्राप्त नहीं थे, इसके बदले में उन्हें आवासीय क्षेत्रों में भू-स्वामित्व का दावा करने के लिये वास्तविक आधिपत्य पर निर्भर रहना पड़ता था।
    • ग्रामीण भू-परिसंपत्ति के मालिक बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ के बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिये अपनी परिसंपत्ति का उपयोग वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में नहीं कर सकते हैं।

और पढ़ें: स्वामित्व योजना


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