शासन व्यवस्था
सुशासन दिवस
- 26 Dec 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:सुशासन दिवस, अटल बिहारी वाजपेयी, भारत छोड़ो आंदोलन मेन्स के लिये:सुशासन और संबंधित चुनौतियाँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 दिसंबर) को प्रतिवर्ष सुशासन दिवस (Good Governance Day) के रूप में मनाया जाता है।
सुशासन:
- परिचय:
- ‘शासन’ निर्णय लेने की एवं जिसके द्वारा निर्णय लागू किये जाते हैं, की प्रक्रिया है।
- शासन शब्द का उपयोग कई संदर्भों में किया जा सकता है जैसे कि कॉर्पोरेट प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन, राष्ट्रीय प्रशासन और स्थानीय शासन।
- सुशासन को ‘विकास के लिये देश के आर्थिक एवं सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति का प्रयोग करने के तरीके’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
- सुशासन की अवधारणा चाणक्य के युग में भी मौज़ूद थी। उन्होंने अर्थशास्त्र में इसका विस्तार से उल्लेख किया।
- नागरिक केंद्रित प्रशासन सुशासन की नींव पर आधारित होता है।
- सुशासन के 8 सिद्धांत:
- भागीदारी:
- लोगों को वैध संगठनों या प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी राय देने में सक्षम होना चाहिये।
- इसमें पुरुष एवं महिलाएँ, समाज के कमज़ोर वर्ग, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक आदि शामिल हैं।
- भागीदारी का तात्पर्य संघ एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी है।
- कानून का शासन:
- कानूनी ढाँचे को निष्पक्ष रूप से लागू किया जाना चाहिये, विशेषकर मानवाधिकार कानूनों के परिप्रेक्ष्य में।
- ‘कानून के शासन’ के बिना राजनीति, मत्स्य न्याय (Matsya Nyaya) के सिद्धांत का पालन करेगी जिसका अर्थ है ताकतवर कमज़ोर पर हावी होगा।
- सहमति उन्मुख:
- सर्वसम्मति उन्मुख निर्णय लेने से यह सुनिश्चित होता है कि भले ही प्रत्येक व्यक्ति, जो वह चाहता है उसे प्राप्त न कर पाए परंतु सभी को सामान्य न्यूनतम संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं, जो किसी अन्य के लिये हानिकारक भी नहीं होगा।
- यह एक समुदाय के सर्वोत्तम हितों पर व्यापक आम सहमति को पूरा करने के लिये अलग-अलग हितों की मध्यस्थता करता है।
- भागीदारी और समावेशिता:
- सुशासन एक समतामूलक समाज को बढ़ावा देता है।
- लोगों को अपना जीवन-स्तर सुधारने या उसको बनाए रखने के अवसर प्राप्त होने चाहिये।
- प्रभावशीलता और दक्षता:
- प्रक्रियाओं और संस्थानों को ऐसे परिणाम देने में सक्षम होना चाहिये जो उनके समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करते हों।
- अधिकतम उत्पादन के लिये समुदाय के संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिये।
- उत्तरदायित्व:
- सुशासन का उद्देश्य लोगों की बेहतरी है और यह सरकार द्वारा लोगों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित किये बगैर नहीं किया सकता है।
- सरकारी संस्थानों, निजी क्षेत्रों और नागरिक समाज संगठनों द्वारा सार्वजनिक एवं संस्थागत हितधारकों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिये।
- पारदर्शिता:
- सूचनाओं की प्राप्ति आम जनता के लिये सुलभ होनी चाहिये और यह उनके समझने और निगरानी योग्य होनी चाहिये।
- इसका अर्थ मुक्त मीडिया और उन तक सूचना की समग्र पहुँच भी है।
- जवाबदेही:
- संस्थानों और प्रक्रियाओं के तहत उचित समयावधि में सभी हितधारकों को सेवा प्रदान कि जानी चाहिये।
- भागीदारी:
भारत में सुशासन के मार्ग में आने वाली बाधाएँ:
- महिला सशक्तीकरण:
- सरकारी संस्थानों और अन्य संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
- भ्रष्टाचार:
- भारत में उच्च स्तर के भ्रष्टाचार को शासन की गुणवत्ता के सुधार के मार्ग में एक बड़ी बाधा के रूप में माना जाता है।
- न्याय में देरी:
- एक नागरिक को समय पर न्याय पाने का अधिकार है, लेकिन कई कारक हैं, जिसके कारण एक सामान्य व्यक्ति को समय पर न्याय नहीं मिलता है। इस तरह के एक कारण के रूप में न्यायालयों में कर्मियों और संबंधित सामग्री की कमी है।
- प्रशासनिक प्रणाली का केंद्रीकरण:
- निचले स्तर की सरकारें केवल तभी कुशलता से कार्य कर सकती हैं जब वे ऐसा करने के लिये सशक्त हों। यह विशेष रूप से पंचायती राज संस्थानों के लिये प्रासंगिक है जो वर्तमान में निधियों की अपर्याप्तता के साथ-साथ संवैधानिक रूप से सौंपे गए कार्यों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।
- राजनीति का अपराधीकरण:
- राजनीतिक प्रक्रिया का अपराधीकरण और राजनेताओं, सिविल सेवकों तथा व्यावसायिक घरानों के बीच साँठगाँठ सार्वजनिक नीति निर्माण और शासन पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।
- अन्य चुनौतियाँ:
- पर्यावरण सुरक्षा, सतत् विकास और वैश्वीकरण, उदारीकरण और बाज़ार अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ।
सुशासन में सुधार के लिये भारतीय पहल:
- गुड गवर्नेंस इंडेक्स (GGI):
- GGI को देश में शासन की स्थिति निर्धारित करने के लिये कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है।
- यह राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के प्रभाव का आकलन करता है।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना:
- इसका उद्देश्य "आम आदमी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ‘सामान्य सेवा वितरण आउटलेट्स’ के माध्यम से सस्ती कीमत पर सभी सरकारी सेवाओं को स्थानीय स्तर पर सुलभ बनाना और ऐसी सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है।"
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005:
- यह शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में एक प्रभावी भूमिका निभाता है।
- अन्य पहल: नीति आयोग की स्थापना, मेक इन इंडिया कार्यक्रम, लोकपाल आदि।
अटल बिहारी वाजपेयी:
- अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर (अब मध्य प्रदेश का एक हिस्सा) में हुआ था।
- उन्होंने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अंत कर दिया।
- वर्ष 1947 में वाजपेयी ने दीनदयाल उपाध्याय के समाचार पत्रों के लिये एक पत्रकार के रूप में राष्ट्रधर्म (एक हिंदी मासिक), पांचजन्य (एक हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक समाचार पत्रों-स्वदेश और वीर अर्जुन में काम करना शुरू किया। बाद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रभावित होकर वाजपेयी जी वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए।
- वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे और वर्ष 1996 तथा 1999 में दो बार इस पद के लिये चुने गए थे।
- एक सांसद के रूप में वाजपेयी को वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उन्हें "सभी सांसदों के लिये एक रोल मॉडल” के रूप में परिभाषित करता है।
- उन्हें वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से और वर्ष 1994 में दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. विभिन्न स्तरों पर सरकारी प्रणाली की प्रभावशीलता और शासन प्रणाली में लोगों की भागीदारी अन्योन्याश्रित हैं ”। भारत के संदर्भ में उनके संबंधों की चर्चा कीजिये। (2016) प्रश्न. 'शासन', 'सुशासन' और 'नैतिक शासन' शब्दों से आप क्या समझते हैं? (2016) |