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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 23 Nov, 2022
  • 25 min read
प्रारंभिक परीक्षा

हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिये भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र

हाल ही में हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिये भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (National Centre of Excellence for Green Port & Shipping-NCoEGPS) की शुरुआत मुंबई में आयोजित “इनमार्को 2022" (INMARCO 2022) में की गई।

  • इनमार्को एक चतुर्वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन और प्रदर्शनी है जिसकी मेज़बानी इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन इंजीनियर्स (भारत) द्वारा की जाती है।

हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिये भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS):

  • परिचय:
    • यह हरित समाधान प्रदान करने की दिशा में पत्तन, पोत, परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping and Waterways- MOPSW) की एक प्रमुख पहल है।
    • NCoEGPS पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम की रूपरेखा के तहत काम करेगा।
    • ऊर्जा और संसाधन संस्थान (The Energy and Resources Institute-TERI) इस परियोजना के लिये सूचना एवं कार्यान्वयन भागीदार है।
  • लक्ष्य:
    • केंद्र का उद्देश्य भारत में शिपिंग क्षेत्र में कार्बन तटस्थता और चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy- CE) को प्रोत्साहित करने के लिये ग्रीन शिपिंग हेतु एक नियामक रूपरेखा तथा वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने का रोड मैप विकसित करना है।
      • ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) और जहाज़ों द्वारा उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषकों से वैश्विक पर्यावरण को संरक्षित करने के लिये जहाज़ द्वारा लोगों और वस्तुओं के परिवहन हेतु संसाधनों एवं ऊर्जा के कम उपयोग के अभ्यास को ग्रीन शिपिंग कहा जाता है।
    • भारत अपने प्रत्येक प्रमुख पोतों की कुल बिजली मांग में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को 10% से कम की वर्तमान हिस्सेदारी से बढ़ाकर 60% करने का लक्ष्य रखता है।
      • यह सौर और पवन ऊर्जा के सहयोग से किया जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोग उत्पादों को विकसित करके पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं इंजीनियरिंग में 'मेक इन इंडिया' को सशक्त बनाना।
    • इन क्षेत्रों में विभिन्न चुनौतियों का सबसे उपयुक्त समाधान प्रदान करने के लिये नवाचारों को सक्षम बनाना
    • अत्याधुनिक सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान से सक्षम उद्योग के लिये सक्षम जनशक्ति का पूल तैयार करना।
    • जटिल समस्याओं की पहचान और विश्लेषण तथा मुद्दों को हल करने में वैज्ञानिक अध्ययन प्रौद्योगिकी विकास तकनीकी शाखा के माध्यम से अल्पकालिक समाधान प्रदान करने में आत्मनिर्भरता।
  • महत्त्व:
    • यह मिशन पर्यावरण उचित जीवनशैली (Lifestyle for the Environment-LiFE) आंदोलन को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है क्योंकि इसका उद्देश्य बंदरगाहों को बदलना और शिपिंग को पर्यावरण के अनुकूल बनाना है।
    • केंद्र सभी बंदरगाहों, नौवहन, समुद्री राज्यों के साथ उनकी समस्याओं को समझने एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से समाधान की पेशकश करेगा।
  • संबंधित पहल:
    • बंदरगाहों ने वर्ष 2030 तक प्रति टन कार्गो के कार्बन उत्सर्जन को 30% तक कम करने का भी लक्ष्य रखा है।
    • मैरीटाइम विज़न डॉक्यूमेंट 2030 एक स्थायी समुद्री क्षेत्र और जीवंत नीली अर्थव्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण पर 10 साल का खाका है।
    • ग्रीन शिपिंग से संबंधित एक पायलट परियोजना का संचालन करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organisation- IMO) की ग्रीन वॉयज 2050 (GreenVoyage2050) प्रोजेक्ट के तहत भारत को पहले देश के रूप में चुना गया है।

ग्रीन वॉयज 2050 प्रोजेक्ट:

  • ग्रीन वॉयज 2050 प्रोजेक्ट नॉर्वे सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के बीच मई 2019 में शुरू की गई परियोजना है, जिसका उद्देश्य शिपिंग उद्योग को भविष्य में कम कार्बन उत्सर्जक में बदलना है।
  • वैश्विक साझेदारी प्रारंभिक IMO ग्रीनहाउस गैस (GHG) रणनीति का समर्थन करके अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग के लिये प्रासंगिक जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (Small Islands Developing States-SIDS) एवं अल्प विकसित देशों (Least Developed Countries-LDC) सहित विकासशील देशों का समर्थन कर रही है।
  • ग्रीन वॉयज 2050 के महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक प्रौद्योगिकी समाधानों के प्रदर्शन और परीक्षण के लिये वैश्विक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न: 'इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR-ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. इसकी स्थापना हाल ही में समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है।
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम संघ (IOR-ARC) हिंद महासागर में देशों की एक क्षेत्रीय सहयोग पहल है जिसे मार्च 1997 में मॉरीशस में इसके सदस्यों के मध्य आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • IOR-ARC एकमात्र अखिल भारतीय महासागर समूह है। इसमें 23 सदस्य देश और 9 डायलॉग पार्टनर हैं।
  • इसका उद्देश्य हिंद महासागर रिम क्षेत्र में व्यापार, सामाजिक-आर्थिक तथा सांस्कृतिक सहयोग के लिये एक मंच उपलब्ध कराना है, जो लगभग दो अरब लोगों का प्रतिनिधित्त्व करता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • हिंद महासागर रिम सामरिक और कीमती खनिजों, धातुओं एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों, समुद्री संसाधनों तथा ऊर्जा से समृद्ध है, जो सभी विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों (EEZ), महाद्वीपीय समतल और गहरे समुद्री तल से प्राप्त किये जा सकते हैं।

अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

अरिट्टापट्टी जैवविविधता विरासत स्थल

हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने मदुरै ज़िले के मेलूर ब्लॉक में अरिट्टापट्टी को जैवविविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site-BHS) घोषित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है।

  • यह तमिलनाडु का पहला और भारत का 35वाँ जैवविविधता विरासत स्थल है।

अरिट्टापट्टी:

  • अरिट्टापट्टी गाँव पारिस्थितिक और ऐतिहासिक महत्त्व की दृष्टि से समृद्ध है, इसमें पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियाँ हैं जिनमें तीन महत्त्वपूर्ण रैप्टर शामिल हैं; शिकारी पक्षी अर्थात्:
    • लैगर फाल्कन
    • शाहीन बाज़
    • बोनेली ईगल
  • यह भारतीय पैंगोलिन, स्लेंडर लोरिस और अजगर जैसे वन्यजीवों का भी आवास स्थल है।
  • जैव विविधता से समृद्ध यह क्षेत्र सात पहाड़ियों या द्वीपीय पर्वतों (इन्सेलबर्ग) की एक शृंखला से घिरा हुआ है जो वाटरशेड के रूप में 72 झीलों, 200 प्राकृतिक झरनों और तीन चेक डैम के जल-पुनर्भरण का कार्य करता है।
    • 16वीं शताब्दी में पांड्य राजाओं के शासनकाल के दौरान निर्मित अनाइकोंडन झील उनमें से एक है।
  • कई महापाषाण संरचनाएँ, शैलकृत मंदिर, तमिल ब्राह्मी शिलालेख और जैन धर्म से संबंधित संरचनाएँ इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्त्व को दर्शाते हैं।

जैव विविधता विरासत स्थल:

  • परिचय:
    • जैव विविधता विरासत स्थल ऐसे पारिस्थितिक तंत्र होते हैं जिसमें अनूठे, सुभेद्य पारिस्थितिक तंत्र स्थलीय, तटीय एवं अंतर्देशीय जल तथा समृद्ध जैवविविधता वाले वन्य प्रजातियों के साथ-साथ घरेलू प्रजातियों, दुर्लभ एवं संकटग्रस्त, कीस्टोन प्रजाति पाए जाते हैं।
  • कानूनी प्रावधान:
    • जैवविविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37(1) के प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकार स्थानीय निकायों के परामर्श से समय-समय पर इस अधिनियम के अंतर्गत जैवविविधता के महत्त्व के क्षेत्रों को सरकारी राजपत्र में अधिसूचित कर सकती है
  • प्रतिबंध:
    • BHS का निर्माण स्थानीय समुदायों द्वारा स्वेच्छा से तय किये गए प्रथाओं के अलावा उनके द्वारा प्रचलित प्रथाओं और उपयोग में लाई जाने वाली प्रथाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता। इसका उद्देश्य संरक्षण उपायों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना है।
  • भारत का पहला BHS:
    • भारत का पहला जैवविविधता विरासत स्थल 2007 में नल्लूर इमली ग्रोव बेंगलुरु, कर्नाटक में घोषित किया गया।
  • BHS के अंतिम पाँच परिवर्द्धन:
    • त्रिपुरा में देबारी या छबिमुरा (सितंबर 2022)
    • त्रिपुरा में बेटलिंगशिब और इसके आसपास (सितंबर 2022)
    • असम में हेजोंग कछुआ झील (अगस्त 2022)
    • असम में बोरजुली वाइल्ड राइस साइट (अगस्त 2022)
    • मध्य प्रदेश में अमरकंटक (जुलाई 2022)

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

रोज़गार मेला और कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल

प्रधानमंत्री ने रोज़गार मेले के तहत 71,000 से अधिक युवाओं को नियुक्ति-पत्र प्रदान करने के कार्यक्रम का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारंभ किया।

  • प्रधानमंत्री ने सरकारी विभागों में नई नियुक्तियों के लिये डिज़ाइन किये गए एक विशेष ऑनलाइन ओरिएंटेशन कोर्स 'कर्मयोगी प्रारंभ' का भी शुभारंभ किया है।

रोज़गार मेले के मुख्य बिंदु:

  • रोज़गार मेला देश के युवाओं को रोज़गार के अवसर प्रदान करने के लिये केंद्र सरकार की एक पहल है।
  • रोजगार मेला योजना के तहत सभी उम्मीदवारों के लिये ग्रुप A और B राजपत्रित पदों, और ग्रुप B गैर राजपत्रित तथा समूह C गैर राजपत्रित पदों पर आवेदन करने के लिये 10 लाख नौकरिंयाँ उपलब्ध होंगी।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) भी विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में बड़ी संख्या में भर्ती करेगा।

कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल:

  • कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम के तहत एक पहल है, यह सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है (NPCSCB)।
  • यह मॉड्यूल विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्त सभी अधिकारियों के लिये एक ऑनलाइन उन्मुखीकरण पाठ्यक्रम है।
  • इसमें सरकारी कर्मचारियों के लिये एक आचार संहिता, कार्यस्थल नैतिकता और अखंडता, मानव संसाधन नीतियाँ तथा अन्य लाभ एवं भत्ते शामिल होंगे जो उन्हें नीतियों के साथ अनुकूल होने और नई भूमिकाओं के निर्वहन में सहायक होंगे।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के लोगों के हितों का ध्यान रखते हुए सिविल सेवा संचालित करना है जो सभी परिवर्तन का केंद्र है।

 स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक

चर्चा में क्यों?

भारत जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index -CCPI) 2023 में 8वें स्थान पर है।

  • वर्ष 2022 के CCPI में भारत का रैंक 10वाँ था।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक:

  • परिचय:
    • प्रकाशन:
      • यह जर्मनवॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा वर्ष 2005 से वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाता है।
    • विस्तार क्षेत्र:
      • यह 57 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण संबंधी उपायों के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण के तौर पर कार्य करता है।
        • इसके तहत शामिल सभी देश संयुक्त तौर पर 92 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस (GHG) का उत्सर्जन करते हैं।
    • लक्ष्य:
      • इसका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और अलग-अलग देशों द्वारा जलवायु संरक्षण की दिशा में किये गए प्रयासों एवं प्रगति के बीच तुलना करने में सक्षम बनाना है।
    • मानदंड:
      • यह सूचकांक चार श्रेणियों के अंतर्गत 14 संकेतकों पर देशों के समग्र प्रदर्शन के आधार पर जारी किया जाता है। GHG उत्सर्जन (समग्र स्कोर का 40%), नवीकरणीय ऊर्जा (20%), ऊर्जा उपयोग (20%), और जलवायु नीति (20%)।
  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2023:
    • कुल प्रदर्शन (देशों के संदर्भ में):
      • किसी भी देश द्वारा बेहतर प्रदर्शन नहीं करने के कारण किसी भी देश को समग्र उच्च रेटिंग प्राप्त नहीं हुई।
        • इसीलिये शीर्ष तीन स्थान (समग्र प्रदर्शन वाले) खाली रहते हैं
      • डेनमार्क, स्वीडन, चिली और मोरक्को केवल चार छोटे देश थे जो क्रमशः भारत से ऊपर चौथे, पाँचवें, छठे और सातवें स्थान पर थे।
      • G-20 देशों में भारत शीर्ष 10 में स्थान बनाने वाला एकमात्र देश है।
      • यूनाइटेड किंगडम CCPI 2023 में 11वें स्थान पर रहा।
      • चीन CCPI 2023 में 51वें स्थान पर रहा है और बहुत कम रेटिंग मिली है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका (US) तीन पायदान चढ़कर 52वें स्थान पर पहुँच गया है जो अभी भी कुल मिलाकर बहुत कम रेटिंग है।
      • इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान 63वें स्थान पर है, अतः CCPI 2023 में अंतिम स्थान पर रखा गया है।
    • भारत की स्थिति:
      • प्रदर्शन:
        • भारत को विश्व के शीर्ष 5 देशों में एवं जी-20 देशों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है।
        • सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की रैंकिंग सबसे अच्छी है।
        • जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से भारत ने GHG उत्सर्जन एवं ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रेटिंग अर्जित की है।
        • भारत अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्यों (2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के साथ तारतम्य रखते हुए) को पूरा करने के लिये सही राह पर है।
          • हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा कीदिशा 2030 लक्ष्य के लिये ट्रैक पर नहीं है।
      • चिंताएँ:
        • पिछले CCI के बाद से भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को अपडेट किया है और वर्ष 2070 के लिये शुद्ध शून्य लक्ष्य की घोषणा की है। हालाँकि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये रोडमैप और ठोस कार्य योजनाएँ नहीं हैं।
        • भारत उन नौ देशों में से एक है जो वैश्विक कोयला उत्पादन के 90% के लिये ज़िम्मेदार है। यह 2030 तक अपने गैस और तेल उत्पादन को 5% से अधिक बढ़ाने की भी योजना बना रहा है।
        • यह 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के साथ असंगत है।
      • सुझाव:
        • विशेषज्ञों ने एक न्यायोचित और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के साथ-साथ विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा और रूफटॉप फोटोवोल्टिक के लिये क्षमताओं की आवश्यकता पर ज़ोर देने का सुझाव दिया।
        • एक कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र, उप-राष्ट्रीय स्तर पर अधिक क्षमताओं की आवश्यकता और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये ठोस कार्य योजनाएँ प्रमुख मांगें हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

 प्रश्न: 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध-प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक की स्थापना करने को सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान
(d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ‘'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान', UNFCCC के तहत पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये व्यक्त की गई प्रतिबद्धता को बताता है।
  • CoP-21 में दुनिया भर के देशों ने सार्वजनिक रूप से उन कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार की, जिन्हें वे अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत क्रियान्वित करना चाहते थे। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है जो "वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को बढ़ावा देता है और इस शताब्दी के उत्तरार्द्ध में नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।" अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 नवंबर, 2022

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच 

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच-APEC के 21 सदस्य देशों ने आपूर्ति शृंखलाओं और बाज़ारों को खुला रखने के प्रति संकल्प व्‍यक्‍त किया है। APEC सदस्‍यों ने बैंकॉक में जारी संयुक्त घोषणापत्र में युद्ध के कारण होने वाली मानवीय पीड़ा का उल्लेख किया है। इसके अलावा युद्ध के कारण आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति, आपूर्ति  शृंखला तथा ऊर्जा एवं खाद्य सुरक्षा पर पड़ने वाले कुप्रभावों को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 29वीं APEC बैठक के बाद सदस्‍य देशों ने घोषणापत्र जारी किया। इसमें मज़बूत, संतुलित, सुरक्षित, टिकाऊ और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिये APEC के सदस्य देशों की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई है। इसकी अगली बैठक वर्ष 2023 में अमेरिका में होगी।

कामेंग जलविद्युत स्टेशन 

हाल ही में प्रधानमंत्री ने कामेंग जलविद्युत परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया है। राज्य के स्वामित्व वाली नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NEEPCO) द्वारा 600 मेगावाट की कामेंग पनबिजली परियोजना विकसित की गई है। यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले में स्थित है। यह परियोजना 80 किमी. से अधिक क्षेत्र में विस्तृत है जो लगभग 8,200 करोड़ रुपए की लागत से विकसित की गई है। यह रन-ऑफ़-द-रिवर योजना कामेंग नदी की सहायक नदियोंं, बिचोम और टेंगा नदियों के जल का उपयोग करती है। इसमें 2 बाँध, बिचोम और टेंगा हैं एवं प्रत्येक वर्ष 3,353 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पन्न करने हेतु प्रत्येक 150 मेगावाट की चार इकाइयाँ शामिल हैं। यह तवांग ज़िले में भारत-तिब्बत सीमा पर बर्फ से ढकी गोरी चेन पर्वत (Gori Chen Mountain) के नीचे हिमनद झील से निकलती है। कामेंग एक सीमा पारीय (Transboundary) नदी नहीं है। यह पश्चिम कामेंग ज़िले के भालुकपोंग क्षेत्र, अरुणाचल प्रदेश और असम के सोनितपुर ज़िले से होकर बहती है। अपने निचले बहाव क्षेत्र में यह एक गुंफित (Braided) नदी बन जाती है और यह ब्रह्मपुत्र नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। यह असम के कोलिया भोमोरा सेतु पुल के पूर्व में स्थित तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी से मिलती है। 


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