प्रारंभिक परीक्षा
IDEX और डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज
प्रिलिम्स के लिये:डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) प्राइम, डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज, डेफकनेक्ट 2.0, डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइज़ेशन के लिये नवाचार। मेन्स के लिये:अटल इनोवेशन मिशन, स्टार्टअप्स/एमएसएमई, स्वदेशीकरण के संबंध में सरकार की पहल। |
चर्चा में क्यों है?
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने नई दिल्ली में डेफकनेक्ट 2.0 (DefConnect 2.0) के दौरान इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) प्राइम और छठा डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (DISC 6) लॉन्च किया।
- डेफकनेक्ट 2.0 रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिये स्टार्टअप, बड़ी कंपनियों तथा सशस्त्र बलों के कर्मियों को एक साथ लाने हेतु एक दिवसीय कार्यक्रम है।
iDEX नवाचार :
- iDEX, वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था, यह एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र है जो भारतीय सेना के आधुनिकीकरण एवं तकनीकी रूप से उन्नत समाधान देने हेतु नए अन्वेषक और उद्यमियों को शामिल करके रक्षा व एयरोस्पेस में नवाचार तथा प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देगा।
- मुख्य उद्देश्य:
- स्वदेशीकरण: नई, स्वदेशी और नवीन प्रौद्योगिकी का तीव्र विकास।
- नवाचार: सह-निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये उन्नत स्टार्टअप संस्कृति का निर्माण करना।
- यह अनुसंधान और विकास के लिये सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग(MSMEs), स्टार्टअप, व्यक्तिगत नवप्रवर्तनकर्ताओं, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों व शिक्षाविदों को अनुदान प्रदान करता है।
- ‘iDEX प्राइम’ का लक्ष्य रक्षा क्षेत्र में लगातार बढ़ते स्टार्टअप की मदद के लिये 1.5 करोड़ रुपए से लेकर 10 करोड़ रुपए तक की आवश्यकता वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- iDEX को "रक्षा नवाचार संगठन" द्वारा वित्तपोषित और प्रबंधित किया जाता है।
- iDEX पोर्टल को व्यापक प्रचार और बेहतर दृश्य क्षेत्र प्रदान करने एवं iDEX गतिविधियों के बेहतर सूचना प्रबंधन के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों से अधिक कुशल तरीके निपटने के लिये लॉन्च किया गया है।
रक्षा नवाचार संगठन (DIO):
- DIO कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत गठित एक गैर-लाभकारी संगठन है।
- यह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा वित्तपोषित है।
- यह iDEX को उच्च स्तरीय नीति मार्गदर्शन प्रदान करता है।
डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज क्या है?
- इसका उद्देश्य राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा (National Defence and Security) के क्षेत्र में उत्पादों के प्रोटोटाइप/व्यावसायिक उत्पादों का निर्माण करने हेतु स्टार्टअप/MSMEs/इनोवेटर्स का समर्थन करना है।
- पहला डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (DISC) 4 अगस्त, 2018 को बंगलूरू में लॉन्च किया गया था।
- इसे रक्षा मंत्रालय द्वारा अटल इनोवेशन मिशन (Atal Innovation Mission) के साथ साझेदारी में लॉन्च किया गया था।
- अटल इनोवेशन मिशन (AIM) हमारे देश में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने तथा उद्यमशीलता से संबंधित इकोसिस्टम विकसित करने संबंधी भारत सरकार की प्रमुख पहल है।
- कार्यक्रम के अंतर्गत स्टार्टअप, भारतीय कंपनियाँ और व्यक्तिगत नवप्रवर्तनकर्त्ता (अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों सहित) भाग ले सकते हैं।
- DISC 6 में पहली बार नवगठित सात रक्षा कंपनियों, भारतीय तटरक्षक बल और गृह मंत्रालय के अधीन संगठनों की भागीदारी देखी गई।
स्वदेशीकरण से संबंधित सरकार की पहलें:
- प्रथम नकारात्मक स्वदेशीकरण
- सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची
- रक्षा क्षेत्र में नई एफडीआई नीति
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020
- रक्षा औद्योगिक गलियारे
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला
हाल ही में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेले (National Apprenticeship Mela) का आयोजन किया गया।
- कौशल विकास और उद्यमिता की राष्ट्रीय नीति, 2015 प्रशिक्षुता उचित मानदेय के साथ एक कुशल कार्यबल को लाभकारी रोज़गार प्रदान करने के साधन के रूप में मान्यता देती है।
- प्रशिक्षुता एक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें एक व्यक्ति एक कंपनी द्वारा प्रशिक्षु के रूप में संलग्न होता है तथा अल्पावधि का प्रशिक्षण प्राप्त करता है।
राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला :
- इसका उद्देश्य एक लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को काम पर रखने में सहायता करना और नियोक्ताओं को उचित प्रतिभा का दोहन करने व बेहतर प्रशिक्षण के साथ अलग-अलग प्रकार के व्यावहारिक कौशल प्रदान करने में सहायता करना है।
- आवेदकों को नए कौशल विकसित करने के लिये सरकारी मानकों के अनुसार मासिक वजीफा मिलेगा, अर्थात् आवेदकों को सीखने के साथ कमाने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
- पीएम अपरेंटिसशिप मेले (PM Apprenticeship Mela) में भाग लेने हेतु 5वीं - 12वीं कक्षा पास प्रमाणपत्र, कौशल प्रशिक्षण प्रमाणपत्र, आईटीआई डिप्लोमा या स्नातक डिग्री रखने वाले व्यक्ति पात्र हैं।
- आवेदकों को राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र मिलेगा, जिससे प्रशिक्षण के बाद उनके रोज़गार की संभावना बढ़ जाएगी।
- NCVET को MSDE द्वारा 5 दिसंबर, 2018 को अधिसूचित किया गया था।
प्रशिक्षुता से संबंधित सरकारी नीतियांँ:
- प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 को उद्योगों में प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को नौकरी हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करके विनियमित करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था।
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय अधिनियम के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार प्रशासनिक मंत्रालय है।
- सरकार ने उद्योग और युवाओं दोनों के लिये तथा इसे अधिक आकर्षक बनाने हेतु दिसंबर 2014 में इस अधिनियम में व्यापक संशोधन किये हैं।
- संशोधन में शामिल प्रमुख परिवर्तन हैं:
- कुल कार्यबल (संविदा कर्मचारियों सहित) के 2.5% से 10% के बैंड के साथ अप्रेंटिस के व्यापार-वार और इकाई-वार विनियमन की पुरानी प्रणाली को बदलना, वैकल्पिक ट्रेडों की शुरुआत, कारावास जैसे कड़े प्रावधानों को हटाना व उद्योगों को बुनियादी प्रशिक्षण को आउट-सोर्स करने की अनुमति देना।
- संशोधन में शामिल प्रमुख परिवर्तन हैं:
राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना:
- सरकार ने प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने और नियोक्ताओं को प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने की प्रेरणा देने के लिये 19 अगस्त, 2016 को राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्द्धन योजना (National Apprenticeship Enhancement Plan-NAPS) की शुरुआत की थी।
- NAPS ने अपरेंटिस प्रोत्साहन योजना (APY) का स्थान ले लिया है।
- योजना में निम्नलिखित दो घटक हैं:
- निर्धारित वजीफे के 25% की प्रतिपूर्ति अधिकतम 1500 रुपए प्रति माह प्रति प्रशिक्षु को भारत सरकार द्वारा उन सभी नियोक्ताओं के लिये जो प्रशिक्षुओं को नियुक्त करते हैं, प्रदान की जाती है।
- बिना किसी शिक्षुता प्रशिक्षण के सीधे आने वाले प्रशिक्षुओं के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण प्रदाताओं (BTPs) को भारत सरकार द्वारा बुनियादी प्रशिक्षण की लागत की प्रतिपूर्ति (अधिकतम 500 घंटे/3 महीने के लिये 7500/- रुपए की सीमा तक) औपचारिक प्रशिक्षण के दौरान प्रदान की जाती है।
शिक्षुता को बढ़ावा देने से संबंधित पहलें:
- शिक्षुता और कौशल में उच्च शिक्षित युवाओं के लिये योजना (श्रेयस)
- औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिये कौशल सुदृढ़ीकरण परियोजना (स्ट्राइव)
- युवाह यूथ स्किलिंग इनिशिएटिव
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 अप्रैल, 2022
अजय कुमार सूद
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर के भौतिक विज्ञानी अजय कुमार सूद को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने सरकार का नया प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) नियुक्त किया है, जो उनके पदभार ग्रहण करने की तारीख से या अगले आदेश तक तीन साल की अवधि के लिये प्रभावी होगा। वह प्रख्यात जीव विज्ञानी के. विजय राघवन का स्थान लेंगे। 2 अप्रैल को के. विजय राघवन के सेवानिवृत्त होने के बाद से PSA का पद खाली पड़ा था। वर्ष 2018 में के. विजय राघवन को प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने वैक्सीन और ड्रग डेवलपमेंट टास्क फोर्स के साथ-साथ महामारी के प्रबंधन का नेतृत्व करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2021 में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था लेकिन उनके कार्यकाल का विस्तार कर दिया गया था। सत्तर वर्षीय अजय कुमार सूद वर्तमान में IISc बैंगलोर में एक प्रोफेसर हैं। वह प्रधानमंत्री के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं। सरकार ने नवंबर, 1999 में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की स्थापना की थी। PSA के कार्यालय का उद्देश्य प्रधानमंत्री और कैबिनेट को विज्ञान से संबंधित मामलों पर व्यावहारिक तथा उद्देश्यपूर्ण सलाह देना है।
डिजिटल बस
20 अप्रैल, 2022 को महाराष्ट्र के राज्य पर्यावरण मंत्री, आदित्य ठाकरे ने मुंबई की पहली पूरी तरह से डिजिटल बस का उद्घाटन किया, जो गेटवे ऑफ इंडिया से चर्चगेट रूट पर चलेगी। इसे एक अनूठी ‘टैप-इन टैप-आउट’ सुविधा के साथ लॉन्च किया गया है। यह सुविधा इस रूट की सभी 10 बसों में लागू की जाएगी और बाद में शहर के सभी 438 रूटों पर इसका विस्तार किया जाएगा। यह देश की पहली 100% डिजिटल बस सेवा है और इसका उद्देश्य बस टिकट प्रणाली के डिजिटलीकरण को बढ़ाना है। यह प्रणाली यात्रियों को सुविधा और सुगमता प्रदान करेगी क्योंकि वे अपने स्मार्ट कार्ड का उपयोग कर या स्मार्टफोन पर ‘चलो’ एप के माध्यम से टैप-इन करने में सक्षम होंगे। यात्रा पूरी करने के बाद यदि वे एप का उपयोग टैप आउट करने के लिये करते हैं तो उन्हें अपने मोबाइल फोन पर एक रसीद प्राप्त होगी और यदि वे स्मार्ट कार्ड का उपयोग करते हैं तो वे अपना टिकट भी प्राप्त कर सकते हैं।
भारत का पहला वाणिज्यिक-ग्रेड ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र
ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) ने जोरहाट, असम में भारत का पहला वाणिज्यिक-ग्रेड ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किया है। हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये यह संयंत्र ऑयल इंडिया के 500kW सौर संयंत्र पंप स्टेशन से अक्षय ऊर्जा का उपयोग करेगा। शुरू किये गए इस नए पायलट प्रोजेक्ट की दैनिक उत्पादन क्षमता 10 किग्रा. है, जिसे बढ़ाकर 30 किग्रा. प्रतिदिन किया जाएगा। हरित हाइड्रोजन में जीवाश्म ईंधन की जगह लेने की क्षमता है। प्राकृतिक गैस और ग्रीन हाइड्रोजन के सम्मिश्रण तथा मौजूदा OIL बुनियादी ढाँचे पर इसके प्रभाव को लेकर ऑयल इंडिया द्वारा IIT गुवाहाटी के सहयोग से एक विस्तृत अध्ययन शुरू किया गया है। कंपनी द्वारा मिश्रित ईंधन के वाणिज्यिक अनुप्रयोगों का अध्ययन किये जाने की भी योजना है। इस प्लांट में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये इस्तेमाल होने वाली बिजली मौजूदा 500kW सोलर प्लांट द्वारा 100 kW अनियन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (AEM) इलेक्ट्रोलाइज़र एरे का उपयोग करके उत्पन्न की जाती है। यह संयंत्र ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के देश के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
SAANS पहल
कर्नाटक के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के. सुधाकर ने 20 अप्रैल, 2022 को 'निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिये सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई' (Social Awareness and Action to Neutralise Pneumonia Successfully- SAANS) की शुरुआत की। SAANS एक अभियान है जिसे पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया की शीघ्र पहचान और अधिक जागरूकता सुनिश्चित करने के लिये शुरू किया गया है। निमोनिया (Pneumonia) फेफड़ों का संक्रमण है जो वायरल, बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण के कारण होता है। भारत में निमोनिया उन बच्चों के स्वास्थ्य के लिये खतरा बना हुआ है, जो पाँच वर्ष से कम उम्र के हैं तथा देश में पाँच वर्ष से कम उम्र के 15 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। कर्नाटक राज्य व्यापक जनसंचार माध्यमों और डिजिटल अभियानों द्वारा निमोनिया के प्रति सामुदायिक जागरूकता पैदा कर रहा है। इस संबंध में आशा कार्यकर्त्ताओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। राज्य भर में गंभीर निमोनिया के मामलों के लिये सुविधा-स्तरीय प्रबंधन को मज़बूत किया जा रहा है। इसके साथ ही स्किल स्टेशन स्थापित किये जा रहे हैं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। राज्य के सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा सक्रिय रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की जाँच की जा रही है ताकि निमोनिया की जल्द पहचान की जा सके।