अंतर्राष्ट्रीय संबंध
स्टार्टअप की परिभाषा में बदलाव लाने की तैयारी में सरकार
- 07 Mar 2017
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समाचारों में क्यों?
विदित हो कि केंद्र सरकार स्टार्टअप इंडिया स्कीम के तहत ‘स्टार्टअप’ की परिभाषा में व्यापक बदलाव लाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सरकार क्या बदलाव लाने जा रही है, यह जानने के लिये पहले हमें स्टार्टअप इंडिया के तहत स्टार्टअप की वर्तमान परिभाषा जाननी होगी।
स्टार्टअप क्या हैं ?
स्टार्टअप इंडिया स्कीम के तहत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं का लाभ वही स्टार्टअप उठा सकते हैं जिनका पंजीकरण पाँच साल से पहले नहीं हुआ हो, जो भारत में ही पंजीकृत हैं और जिनका पिछले वित्तीय वर्ष का सालाना कारोबार 25 करोड़ से अधिक न हो, और जो नई तकनीक के विकास और अनुसन्धान की दिशा में कार्य कर रहे हों।
क्या होगा बदलाव?
गौरतलब है कि सरकार स्टार्टअप की परिभाषा में तकनीक विकास और अनुसन्धान की शर्त को ज़्यों का त्यों रखेगी लेकिन विभिन्न प्रकार के स्टार्टअप के लिये अलग-अलग पंजीकरण की समय सीमा तय करने पर विचार कर रही है और कारोबार संबंधी दायित्वों में भी परिवर्तन लाने पर ज़ोर दे रही है।
क्यों आवश्यक है बदलाव?
विशेषज्ञों के अनुसार बायो-टेक्नोलॉजी और चिकित्सीय उपकरण के क्षेत्र में अनुसन्धान कर रहे स्टार्टअप के लिये पाँच साल की समय सीमा व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इन क्षेत्रों में तकनीक और अनुसन्धान के स्तर पर उल्लेखनीय कार्य हेतु कम से कम 8 से 10 वर्ष तक का समय लग जाता है। अतः केवल उन्हीं स्टार्टअप को सहायता देना, जो केवल 5 वर्ष पुरानी है, एक सार्थक शर्त नहीं कही जा सकती।
कारोबार सीमा के अंतर्गत 25 करोड़ से अधिक के कारोबार को सरकारी सहायता न देने को भी विशेषज्ञों द्वारा एक गैरज़रूरी शर्त बताया जा रहा है क्योंकि किसी स्टार्टअप द्वारा किये गए निवेश पर शर्त लगाना ज़्यादा व्यावहारिक है।
क्या होगा प्रभाव?
गौरतलब है कि सरकार द्वारा स्टार्टअप की परिभाषा के अंतर्गत तय किये गए शर्तों के बाद स्टार्टअप इंडिया के तहत प्राप्त 1662 सहायता निवेदनों में से केवल 146 स्टार्टअप के सहायता निवेदन ऐसे थे जिन्हें सरकारी मदद की शर्तों के तर्कसंगत पाया गया था। यह दिखाता है कि कैसे कल्याणकारी उद्देश्यों वाली स्टार्टअप इंडिया स्कीम उम्मीदों के अनुरूप प्रगति नहीं कर पा रही है। अतः यदि सरकार स्टार्टअप की परिभाषा में व्यापक बदलाव के माध्यम से इस योजना में सुधार करती है तो निश्चित ही यह स्वागत योग्य कदम है। हालाँकि स्टार्टअप इंडिया ही नहीं बल्कि तमाम योजनाओं का समय-समय पर अवलोकन और अवलोकन के माध्यम से कमियों की पहचान एवं उनमें सुधार किये जाने की आवश्यकता है।