प्रिलिम्स फैक्ट्स (22 Nov, 2022)



ग्रेट नॉट

ये केरल के तट पर शीतकालीन प्रवास के लिये रूस से 9,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हैं।

  • यह मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) को पार करने वाले दो प्रवासी पक्षियों में से एक है, दूसरा गुजरात के जामनगर में देखा गया है।

Great-knot

ग्रेट नॉट:

  • संरचना:
    • यह एक मध्यम आकार का भारी-भरकम वेडर (लंबी गर्दन व लंबे पैर) वाला पक्षी है जिसकी सीधी गहरी-भूरी चोंच और पीले-भूरे रंग के पैर होते हैं।
    • इसके सिर पर एक धारीदार क्राउन जैसी संरचना होती है जिसमें अस्पष्ट सफेद भौंहैं होती हैं। इसका ऊपरी हिस्सा भूरे रंग का होता है, जिस पर गहरे पंख होते हैं और निचला हिस्सा सफेद होता है।
    • इसकी पीठ एकदम सफेद होती है और पूँछ भूरे रंग की होती है।
    • प्रजनन अंगों के समीप काले धब्बे पाए जाते हैं।
  • वैज्ञानिक नाम: कैलिडरिस टेनुइरोस्ट्रिस
  • संरक्षण स्थिति:
  • वितरण:
    • यह प्रजाति उत्तर-पूर्व साइबेरिया, रूस ऑस्ट्रेलिया साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया के समुद्र तट और भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा अरब प्रायद्वीप के पूर्वी तट पर सर्दियों में प्रजनन करती है।
      • भारत में यह गुजरात और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
      • उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और चीन का पीत सागर वसंत एवं शरद ऋतु में प्रवासन के दौरान महत्त्वपूर्ण पड़ाव स्थल हैं।
  • आवास और पारिस्थितिकी:
    • आश्रय वाले तटीय आवासों में बड़े अंतःज्वारीय मडफ्लैट्स या सैंडफ्लैट्स होते हैं, जिनमें इनलेट्स, बेज़, बंदरगाह, मुहाने और लैगून शामिल हैं।
    • ये अक्सर समुद्र तटों पर पास के मडफ्लैट्स, स्पिट और टापुओं पर एवं कभी-कभी नग्न चट्टानों या रॉक प्लेटफॉर्म पर देखे जाते हैं।

सेंट्रल एशियन फ्लाईवे (CAF):

  • यह रूस (साइबेरिया) में सबसे उत्तरी प्रजनन मैदानों को पश्चिम और दक्षिण एशिया, मालदीव तथा ब्रिटिश हिंद महासागरीय क्षेत्र में सबसे उत्तरी गैर-प्रजनन (सर्दियों) के मैदानों से जोड़ने वाले विभिन्न जलपक्षियों के लिये 30 से अधिक देशों तक फैला एक प्रवास मार्ग है।
  • CAF दुनिया के नौ फ्लाईवे में से है और भारतीय उपमहाद्वीप से गुजरने वाले इन फ्लाईवे की संख्या तीन है। अन्य दो इस प्रकार हैं:
    • ईस्ट एशियन ऑस्ट्रेलियन फ्लाईवे (EAAF) और एशियन ईस्ट अफ्रीकन फ्लाईवे (AEAF)।
  • फ्लाईवे में भारत की रणनीतिक भूमिका है क्योंकि यह इस प्रवासी मार्ग का उपयोग करने वाली 90% से अधिक पक्षी प्रजातियों को महत्त्वपूर्ण पड़ाव स्थल की सुविधा उपलब्ध कराता है।
    • अपने वार्षिक चक्र के दौरान पक्षियों के एक समूह द्वारा उपयोग किया जाने वाला क्षेत्र फ्लाईवे कहलाता है जिसमें उनके प्रजनन क्षेत्र, सर्दी वाले क्षेत्रों में रुकना शामिल है।

स्रोत: द हिंदू


नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022

हाल ही में जारी नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 (NRI-2022) की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपनी स्थिति में छह स्थानों का सुधार किया है और अब इसे 61वें स्थान पर रखा गया है।

नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022:

  • परिचय:
    • नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स (NRI) रिपोर्ट चार क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन के आधार पर 131 अर्थव्यवस्थाओं के नेटवर्क रेडीनेस परिदृश्य का माप करती है:
      • प्रौद्योगिकी, लोग, शासन और प्रभाव।
    • यह रिपोर्ट वाशिंगटन डीसी में स्थित एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी, गैर-पक्षपातपूर्ण अनुसंधान और शैक्षिक संस्थान पोर्टुलांस इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई है।
    • साल के सूचकांक में 49 उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ, 32 ऊपरी-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ, 36 निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ और 14 कम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँँ शामिल हैं।
  • वैश्विक रैंकिंग:
    • अमेरिका द्वारा सबसे अधिक नेटवर्क में तैयार किये गये हैं तथा  नीदरलैंड (चौथें से) अब पहले स्थान पर आ गया  है
    • सूचकांक में सबसे बेहतर परिणाम सिंगापुर के हैं जो कि ( दूसरें) स्थान पर है, जबकि डेनमार्क (छठवें) और फिनलैंड (सातवें) स्थान पर है।
    • शीर्ष 10 में जगह बनाने वाले अन्य पाँच देश स्वीडन (तीसरे), स्विट्ज़रलैंड ( पाँचवें ) जर्मनी (आठवें), दक्षिण कोरिया (नौवें) और नॉर्वे (दसवें) हैं।
    • शीर्ष दस देशों के आधार पर NRI पुष्टि करता है कि यूरोप, एशिया और प्रशांत के कुछ हिस्सों तथा उत्तरी अमेरिका में उन्नत अर्थव्यवस्था दुनिया के सबसे नेटवर्क बेहतर में आती हैं।
  • भारत की स्थिति:
    • भारत ने न केवल अपनी रैंकिंग में सुधार किया है, बल्कि वर्ष 2021 में 49.74 से वर्ष 2022 में 51.19 तक अपना स्कोर भी सुधारा है।
    • भारत कई संकेतकों में सबसे आगे है:
      • भारत ने "AI प्रतिभा एकाग्रता" में पहली रैंक हासिल की।
      • "देश का “मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट ट्रैफ़िक" और "अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ" में दूसरा स्थान।
      • "दूरसंचार सेवाओं में वार्षिक निवेश" और "घरेलू बाज़ार आकार" में तीसरा स्थान।
      • "सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी (ICT) सेवा निर्यात" में चौथा स्थान।
      • "FTTH/बिल्डिंग इंटरनेट सब्सक्रिप्शन" और "AI वैज्ञानिक प्रकाशन" में 5वीं रैंक है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास अपनी आय के स्तर को देखते हुए अपेक्षा से अधिक नेटवर्क तत्परता है।
      • यूक्रेन और इंडोनेशिया के बाद निम्न-मध्यम-आय वाले देशों के समूह में भारत 36 में से तीसरे स्थान पर है।

स्रोत: पी.आई.बी.


ओलिव रिडले कछुए

ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के जोड़े ओडिशा तट के साथ गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य  के समुद्री जल पर उभरना शुरू हो गए हैं,  जो इन लुप्तप्राय समुद्री प्रजातियों के वार्षिक सामूहिक शुरुआत को चिह्नित करता है

ओलिव रिडले कछुए:

  • परिचय:
    • ओलिव रिडले कछुए विश्व में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक हैं।
    • ये कछुए मांसाहारी होते हैं और इनका पृष्ठवर्म ओलिव रंग (Olive Colored Carapace) का होता है जिसके आधार पर इनका यह नाम पड़ा है।
    • ये कछुए अपने अद्वितीय सामूहिक घोंसले (Mass Nesting) अरीबदा (Arribada) के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं, अंडे देने के लिये हज़ारों मादाएँ एक ही समुद्र तट पर एक साथ यहाँ आती हैं।
  • पर्यावास:
    • ये मुख्य रूप से प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागरों के गर्म पानी में पाए जाते हैं।
    • ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य को विश्व में समुद्री कछुओं के सबसे बड़े प्रजनन स्थल के रूप में जाना जाता है।

POSCO-Port

  • सुरक्षा स्थिति:
  • संकट:
    • समुद्री प्रदूषण और अपशिष्ट।
    • मानव उपभोग: इन कछुओं का मांस, खाल, चमड़े और अंडे के लिये इनका शिकार किया जाता है।
    • प्लास्टिक कचरा: पर्यटकों और मछली पकड़ने वाले मछुआरे द्वारा फेंके गए प्लास्टिक और  जाल, पॉलिथीन एवं अन्य कचरों का लगातार बढ़ता मलबा।
    • फिशिंग ट्रॉलर: ट्रॉलर के उपयोग से समुद्री संसाधनों का अत्यधिक दोहन अक्सर समुद्री अभयारण्य के भीतर 20 किलोमीटर की दूरी तक मछली नहीं पकड़ने के नियम का उल्लंघन करता है।
    • कई मृत कछुओं पर चोट के निशान पाए गए थे जो यह संकेत देते हैं कि वे ट्रॉलर या गिल जाल में फँस गए होंगे।
  • ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण की पहल:
    • ऑपरेशन ओलिविया:
      • प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले भारतीय तटरक्षक बल का "ऑपरेशन ओलिविया" 1980 के दशक के आरंभ में शुरू हुआ था, यह ओलिव रिडले कछुओं की रक्षा करने में मदद करता है क्योंकि वे नवंबर से दिसंबर तक प्रजनन और घोंसले बनाने के लिये ओडिशा तट पर एकत्र होते हैं।
        • यह अवैध ट्रैपिंग गतिविधियों को भी रोकता है।
    • टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (TED) का अनिवार्य उपयोग:
      • भारत में इनकी आकस्मिक मौत की घटनाओं को कम करने के लिये ओडिशा सरकार ने ट्रॉल के लिये टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (Turtle Excluder Devices- TED) का उपयोग अनिवार्य कर दिया है, जालों को विशेष रूप से एक निकास कवर के साथ बनाया गया है जो कछुओं के जाल में फँसने के दौरान उन्हें भागने में सहायता करता है।
    • टैगिंग:
      • प्रजातियों और इसके आवासों की रक्षा के लिये वैज्ञानिक, गैर-संक्षारक धातु टैग के साथ लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं को टैग करते हैं। यह उन्हें कछुओं की गतिविधियों को ट्रैक करने और उन स्थानों की पहचान करने में मदद करता है जहाँ वे अक्सर जाते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है? (2015)

(a) खारे पानी का मगर
(b) ऑलिव रिड्ले टर्टल (कूर्म)
(c) गंगा नदी डॉल्फिन
(d) घड़ियाल

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • गंगा नदी डॉल्फिन या गंगा डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है। गंगा नदी डॉल्फ़िन को आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में खोजा गया था। यह भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों के कुछ हिस्सों तथा बांग्लादेश में कर्णफुली नदी में रहती है।
  • इसे IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल किया गया है।
  • प्रजातियों की जनसंख्या में गिरावट के मुख्य कारक घटते प्रवाह के कारण अवैध शिकार और निवास स्थान में गिरावट, भारी गाद, बैराजों का निर्माण है जो इस प्रवासी प्रजाति के लिये भौतिक बाधा पैदा करते हैं।

अतः विकल्प C सही उत्तर है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी

हाल ही में जापान में आयोजित तीसरे वार्षिक शिखर सम्मेलन में निवर्तमान परिषद अध्यक्ष, फ्राँस द्वारा वर्ष 2022-23 के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) की अध्यक्षता भारत को सौंपी गई।

  • यह घटनाक्रम दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 की अध्यक्षता संभालने के बाद हुआ है।

वार्षिक GPAI शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:

  • टोक्यो इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने वाला पहला एशियाई शहर है।
  • बैठक में निम्नलिखित चार विषयों पर चर्चा की गई:
    • ज़िम्मेदार AI,
    • डेटा शासन,
    • काम का भविष्य,
    • नवाचार और व्यावसायीकरण।
  • AI पर राष्ट्रीय कार्यक्रम और एक राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी (NDGFP) के निर्माण के संदर्भ के साथ ही भारत ने AI के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करने के लिये इसके कुशल उपयोग हेतु अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
    • NDGFP का उद्देश्य गैर-व्यक्तिगत डेटा तक समान पहुँच सुनिश्चित करना और सरकारी डेटा साझाकरण के लिये संस्थागत ढाँचे में सुधार करने, डिज़ाइन द्वारा गोपनीयता और सुरक्षा के आसपास सिद्धांतों को बढ़ावा देने तथा उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI):

  • परिचय:
    • इसे पंद्रह सदस्य देशों के साथ जून, 2020 में लॉन्च किया गया था।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता में वैश्विक भागीदार को G7 के भीतर विकसित एक विचार के परिणाम' के रूप में वर्णित किया गया है।
    • उपरोक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इस पहल के तहत AI से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयुक्त गतिविधियों की सहायता से AI के संबंध में सिद्धांत (Theory) और व्यवहार (Practice) के बीच मौजूद अंतर को समाप्त करने की कोशिश की जाएगी।
    • यह पहल विज्ञान, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक मंच पर एक साथ लाकर कृत्रिम बुद्धिमता पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान करती है।
  • सदस्य देश:
    • वर्तमान में GPAI में सदस्य देशों की संख्या 25 हैं:
      • ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राज़ील, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्राँस, जर्मनी, भारत, आयरलैंड, इज़रायल, इटली, जापान, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, पोलैंड, कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया), सिंगापुर, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU)।
    • संस्थापक देश:
      • ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्लोवेनिया, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • परिचय:
    • यह उन कार्यों को पूरा करने वाली मशीनों की कार्रवाई का वर्णन करता है जिनके लिये ऐतिहासिक रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
    • इसमें मशीन लर्निंग, पैटर्न रिकग्निशन, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क्स, सेल्फ एल्गोरिदम आदि जैसी प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं।
    • उदाहरण: मनुष्यों के आदेशों को समझने और मानव जैसे कार्यों को करने के लिये लाखों एल्गोरिदम और कोड हैं। अपने उपयोगकर्त्ताओं के लिये फेसबुक के सुझाए गए दोस्तों की सूची, एक पॉप-अप पेज, जो पसंदीदा ब्रांड के जूते और इंटरनेट ब्राउज़ करते समय स्क्रीन पर कपड़ों की आगामी बिक्री के बारे जानकारी देना इत्यादि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्य है।
    • AI प्रक्रियाओं को स्वचालित करता है और मानवीय त्रुटि को कम करता है लेकिन AI की प्रमुख सीमा यह है कि यह डेटा से सीखता है। इसका मतलब है कि डेटा में  भी प्रकार की अशुद्धि परिणाम में देखी जा सकती है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में अपेक्षित योगदान:
    • AI से वर्ष 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 967 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2025 तक भारत की GDP में 450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ने की उम्मीद है, जो देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर GDP लक्ष्य का 10% है।

AI से संबंधित पहल:

स्रोत: मिंट


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 नवंबर, 2022

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये वैश्विक साझेदारी समूह

भारत ने 21 नवंबर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेतु वैश्विक साझेदारी समूह की अध्‍यक्षता ग्रहण की। यह समूह मानव केंद्रित विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दायित्त्वपूर्ण उपयोग में सहायता के लिये एक अंतर्राष्‍ट्रीय पहल है। इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने टोक्यो में इस समूह की बैठक में वर्चुअल माध्‍यम से भाग लिया। इस दौरान भारत ने फ्राँस से प्रतीकात्‍मक रूप से समूह की अध्‍यक्षता ग्रहण की। भारत ने इससे पूर्व इंडोनेशिया के बाली में जी-20 संगठन की अध्‍यक्षता प्राप्‍त की थी। इसके अंतर्गत भारत ने समूह के सदस्‍य देशों के साथ विश्‍व भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सदुपयोग के लिये कार्ययोजना बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता जाहिर की। भारत आधुनिक साइबर कानूनों और कार्ययोजना के लिये एक व्‍यवस्‍था तैयार कर रहा है जो पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्‍वास तथा जबावदेही के सिद्धातों द्वारा संचालित होगी।

क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान 

केंद्रीय आयुष, पत्‍तन, नौवहन और जलमार्ग मंत्री ने 20 नवंबर, 2022 को सिलचर में क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (RRIUM) के अत्याधुनिक परिसर का उद्घाटन किया। अभी हाल में खोला गया यह संस्थान आयुष चिकित्‍सा प्रणालियों में से एक परंपरागत यूनानी चिकित्सा के बारे में पूर्वोत्तर में स्‍थापित पहला केंद्र है। 3.5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले इस नए परिसर का निर्माण 48 करोड़ रूपए की लागत से किया गया है। इस परिसर का विकास भारत सरकार के उद्यम-राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम (NPCC) द्वारा किया गया है। इसे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (CCRUM) को सौंपा गया है।उन्‍होंने यह भी बताया कि यूनानी पद्धति न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक दवा पद्धतियों में से एक है। यूनानी चिकित्सा पर यह अत्याधुनिक संस्थान अब सिलचर से काम कर रहा है ताकि लोगों को अच्‍छा उपचार प्राप्त करने और जीवन की गुणवत्ता को फिर से हासिल करने में मदद मिले। यूनानी चिकित्सा का मूल विश्वास इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि मानव शरीर की अपनी ही स्वयं की उपचार शक्ति होती है जिसे बढ़ावा देने की ज़रूरत पड़ती है। इस  चिकित्‍सा प्रणाली का मुख्‍य लाभ यह है कि यह हर्बल दवाइयों का उपयोग करके रोगों की रोकथाम और उपचार में मदद करती है।  

रेज़ांग ला 

हाल ही में 18 नवंबर, 2022 को रेज़ांग ला की लड़ाई की 60वीं वर्षगाँठ मनाई गई। चुशुल घाटी के दक्षिण-पूर्वी रिज पर बर्फीले पहाड़ की चोटी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लड़ी गई ‘रेज़ांग ला’ की लड़ाई को अक्सर 1962 में युद्ध के दौरान महान भारतीय ताकत के प्रदर्शन के रूप में याद किया जाता है। 13 कुमाऊँ  की चार्ली कंपनी के सैनिकों को 18 नवंबर, 1962 की उस सर्द रात में ‘लास्ट मैन, लास्ट राउंड’ तक लड़ने के लिये जिस तरह की ताकत की ज़रूरत थी, उसका उन्होंने प्रदर्शन किया था। इस कंपनी के 120 सैनिकों और अधिकारियों में से 114 की मौत हो गई फिर भी वे दुश्मन के 1000 से ज़्यादा सैनिकों को मार गिराने में कामयाब हुए थे। रेज़ांग ला, भारत के लद्दाख और चीनी प्रशासित स्पैंगुर (Spanggur Lake) झील बेसिन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक पहाड़ी दर्रा है। यह चुशूल घाटी के पूर्वी वाटरशेड रिज पर स्थित है जिस पर चीन दावा कर रहा है। यह 16,000 फुट की ऊँचाई पर स्थित रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण चुशूल गाँव और स्पैंगुर झील के आसपास के ऊँचे पहाड़ों के बीच एक संकरी खाई है, जो भारतीय और चीनी दोनों क्षेत्रों में फैली हुई है।