प्रारंभिक परीक्षा
सर्वाधिक ऊर्जावान न्यूट्रिनो की खोज
स्रोत: द हिंदू
वैज्ञानिकों ने भूमध्य सागर में KM3NeT (क्यूबिक किलोमीटर न्यूट्रिनो टेलीस्कोप) वेधशाला का उपयोग करके उच्चतम ऊर्जा वाले न्यूट्रिनो की खोज की है।
यह पूर्व में देखे गए किसी भी पार्टिकल की तुलना में 30 गुना अधिक ऊर्जावान है, जो फोटॉन से 10-15 गुना अधिक ऊर्जावान है, यह विश्व के सबसे बड़े पार्टिकल एक्सेलेरेटर, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर पार्टिकल से 10,000 गुना अधिक शक्तिशाली है।
क्यूबिक किलोमीटर न्यूट्रिनो टेलीस्कोप (KM3NeT): KM3NeT भूमध्य सागर में एक निर्माणाधीन यूरोपियन रिसर्च फैसिलिटी है, जो न्यूट्रिनो का अध्ययन करती है।
- इसे दूरस्थ स्रोतों और पृथ्वी के वायुमंडल से आने वाले न्यूट्रिनो का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
नोट: भारत की न्यूट्रिनो वेधशाला परियोजना तमिलनाडु के थेनी ज़िले के पोट्टिपुरम गाँव में 1,200 मीटर गहरी गुफा में स्थापित करने का प्रस्ताव है।
न्यूट्रिनो क्या हैं?
- परिचय: न्यूट्रिनो, जिन्हें अक्सर "घोस्ट पार्टिकल" कहा जाता है, विद्युत रूप से तटस्थ, लगभग द्रव्यमान रहित सब एटॉमिक पार्टिकल होते हैं जो शायद ही कभी पदार्थ के साथ परस्पर क्रिया करते हैं।
- इससे ये चुंबकीय क्षेत्रों से विचलित हुए बिना तारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं के माध्यम से लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं, जिससे ये विश्वसनीय "ब्रह्मांडीय संदेशवाहक (Cosmic Messenger)" बन जाते हैं।
- न्यूट्रिनो के स्रोत:
- प्राकृतिक स्रोत: सूर्य (सौर न्यूट्रिनो), तारों में परमाणु प्रतिक्रियाएँ, सुपरनोवा और कॉस्मिक किरणें।
- कृत्रिम स्रोत: परमाणु रिएक्टर, रेडियोधर्मी क्षय और पार्टिकल एक्सेलेरेटर।
- बिग बैंग न्यूट्रिनो: प्रारंभिक ब्रह्मांड के अवशेष, जो कॉस्मोलॉजिकल अध्ययन में योगदान देते हैं।
- न्यूट्रिनो के प्रकार:
- क्वांटम मिश्रण के कारण यात्रा करते समय न्यूट्रिनो दोलन (एक फ्लेवर से दूसरे फ्लेवर में परिवर्तन) से गुजरते हैं।
- खगोलभौतिकी में महत्त्व:
- कॉस्मिक किरणों के विपरीत, न्यूट्रिनो बिना किसी बाधा के यात्रा करते हैं, जिससे ये उच्च ऊर्जा वाली खगोलभौतिकीय घटनाओं का पता लगाने के लिये महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं।
- वैज्ञानिक गहरे समुद्र या हिम वेधशालाओं का उपयोग करके न्यूट्रिनो का पता लगाते हैं, जो दुर्लभ अंतःक्रियाओं से उत्पन्न सेरेन्कोव विकिरण (प्रकाश की एक संसूचनीय चमक) को ग्रहण करती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में हाल ही में समाचार में आए दक्षिणी ध्रुव पर स्थित एक कण सूचकांक (पार्टिकल डिटेक्टर)' आइसक्यूब (IceCube)', के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व
स्रोत: द हिंदू
केरल के परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व (TR) में प्राणिजातीय सर्वेक्षण किया गया जिसमें रिज़र्व में विद्यमान प्रमुख प्रजातियों का विवरण दिया गया।
- प्रमुख प्रजातियाँ:
- पक्षी: रूफस-बेलिड हॉक-ईगल, इंडियन ग्रे हॉर्नबिल, ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल, सीलोन फ्रॉगमाउथ आदि।
- तितली: फाइव-बार स्वोर्डटेल, स्पॉट स्वोर्डटेल, साउथर्न बर्डविंग (भारत की दूसरी सबसे बड़ी तितली प्रजाति), नीलगिरि टाइगर आदि।
- अन्य: तेंदुए, सिंहपुच्छी मकाक, स्मूथ-कोटेड ओटर्स।
- परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व: यह केरल के पलक्कड़ और त्रिशूर ज़िलों में विस्तारित है और इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वर्ष 2009 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
- यह भारत के दक्षिणी पश्चिमी घाट के नेल्लियाम्पथी-अनामलाई परिदृश्य के भीतर एक अच्छी तरह से संरक्षित पारिस्थितिक क्षेत्र है।
- यह विश्व का पहला वैज्ञानिकतः प्रबंधित सागौन बागान है और यहाँ कन्नीमारा नामक विशालतम और प्राचीनतम सागौन का वृक्ष है।
- परम्बिकुलम, शोलायार और थेक्कडी नदियाँ इस रिज़र्व से होकर बहती हैं।
और पढ़ें: दक्षिण भारत में तितलियों का प्रवास
रैपिड फायर
मेजराना 1
स्रोत: TH
माइक्रोसॉफ्ट ने मेजराना 1 नामक एक चिप प्रस्तुत की है जो टोपोलॉजिकल कोर आर्किटेक्चर द्वारा संचालित विश्व की पहली क्वांटम चिप है, जिसका उद्देश्य क्वांटम कंप्यूटिंग में क्रांति लाना है।
- मेजराना 1 के बारे में मुख्य तथ्य: यह पहला क्वांटम चिप है जो टोपोलॉजिकल सुपरकंडक्टर (टोपोकंडक्टर) का उपयोग करता है। यह पारंपरिक ठोस, तरल या गैसीय अवस्थाओं से अलग एक नई टोपोलॉजिकल अवस्था बनाता है।
- यह इंडियम आर्सेनाइड (अर्द्धचालक) और एल्युमीनियम (अतिचालक) से बना है, जो क्वांटम स्थिरता और प्रदर्शन में सुधार करता है।
- यह चिप मेजराना फर्मियन पर आधारित है, जो स्वयं अपने प्रतिकण के रूप में कार्य करता है।
- इसमें आठ क्यूबिट्स हैं, लेकिन इसकी टोपोलॉजिकल कोर संरचना एक मिलियन क्यूबिट्स तक त्रुटि-प्रतिरोधी स्केलिंग को सक्षम बनाती है, जिससे स्थिर क्वांटम गणना सुनिश्चित होती है।
- बाइनरी बिट्स (0 और 1) का उपयोग करने वाले पारंपरिक कंप्यूटरों के विपरीत, क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स का उपयोग करते हैं, जो एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद होते हैं, जिससे गणनाएँ तेज़ी से होती हैं।
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- अनुप्रयोग: यह माइक्रोप्लास्टिक्स के विघटन, स्व-उपचार सामग्री (self-healing materials) के निर्माण, स्वास्थ्य देखभाल समाधानों में सुधार तथा जटिल रसायनिकी एवं पदार्थ विज्ञान से जुड़ी समस्याओं के समाधान में मदद कर सकता है।
और पढ़ें: क्वांटम प्रौद्योगिकी
रैपिड फायर
दिनेश खारा समिति
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा अधिनियम, 1938 की समीक्षा के लिये दिनेश खारा की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है।
- यह प्रस्तावित बीमा संशोधन विधेयक के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य FDI सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करना है।
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वर्तमान में, बीमा अधिनियम, 1938 बीमा क्षेत्र को विनियमित करने के लिये एक व्यापक विधिक ढाँचा प्रदान करता है।
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विचाराधीन प्रमुख सुधार :
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कंपोजिट लाइसेंस (जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा), कैप्टिव लाइसेंस,
- विभेदक पूंजी (जोखिम प्रोफाइल के आधार पर पूंजी आवश्यकताओं को समायोजित करना),
- सॉल्वेंसी मानदंडों में कमी, निवेश नियमों में बदलाव
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बिचौलियों आदि के लिये वन-टाइम रजिस्ट्रेशन।
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IRDAI एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना IRDA अधिनियम, 1999 के तहत की गई है और यह भारत में बीमा उद्योग को विनियमित तथा प्रोत्साहित करने हेतु उत्तरदायी है।
और पढ़ें: भारत में बीमा क्षेत्र
रैपिड फायर
चिड़ियाघर में पहला बायोबैंक
स्रोत: IE
पद्मजा नायडू हिमालयन ज़ूलॉजिकल पार्क (दार्जिलिंग चिड़ियाघर) में स्थित भारत का पहला वन्यजीव बायोबैंक वर्तमान में पूर्ण से क्रियाशील है।
- जुलाई 2024 में इसकी स्थापना की गई और तभी से यहाँ संकटापन्न प्रजातियों को प्राथमिकता देते हुए 23 प्रजातियों के 60 जंतुओं से DNA और ऊतक के नमूने एकत्र किये गए हैं।
- बायोबैंक: बायोबैंक (फ्रोज़न चिड़ियाघर) में संरक्षण और अनुसंधान हेतु जंतुओं के आनुवंशिक तत्त्वों को संरक्षित किया जाता है।
- इसमें संकटापन्न एवं मृत जंतुओं की कोशिकाएँ, ऊतक और जननात्मक नमूने शामिल हैं।
- आनुवंशिक विविधता बनाए रखने के लिये नमूनों को क्रायोजेनिक परिस्थितियों (तरल नाइट्रोजन में -196°C) में संग्रहित किया जाता है।
- यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) के सहयोग से राष्ट्रीय संरक्षण योजना का हिस्सा है।
- भविष्य में, दिल्ली राष्ट्रीय चिड़ियाघर और नंदनकानन चिड़ियाघर (ओडिशा) में बायोबैंक स्थापित करने की योजना है।
- अमेरिकन ब्लैक-फुटेड फेरेट और उत्तरीय एक-सींग वाले गैंडे (Northern One-horned Rhino) जैसी प्रजातियों को बंदी प्रजनन और संरक्षित DNA का उपयोग करके पुनर्जीवित किया गया है।
- दार्जिलिंग चिड़ियाघर:
- यह भारत का सबसे बड़ा उच्च ऊँचाई वाला चिड़ियाघर है, जो हिम तेंदुए, हिमालयी भेड़ियों और लाल पांडा जैसी अल्पाइन प्रजातियों के बंदी प्रजनन में विशेषज्ञता रखता है।
- इसमें लुप्तप्राय जीव-जंतु रहते हैं, जिनमें गोरल, साइबेरियाई बाघ और दुर्लभ पक्षी शामिल हैं।
रैपिड फायर
डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल
स्रोत: पी.आई.बी.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सभी सरकारी प्लेटफाॅर्मों पर एक मानकीकृत एवं निर्बाध डिजिटल उपस्थिति स्थापित करने के क्रम में डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल की शुरुआत की है।
- DBIM: यह सरकारी वेबसाइटों, मोबाइल एप्स और सोशल मीडिया पर कलर पैलेट, टाइपोग्राफी और आइकनोग्राफी को मानकीकृत करता है, साथ ही निर्बाध अपडेट के लिये एक केंद्रीकृत सामग्री प्रबंधन प्रणाली Gov.In CMS की शुरुआत करता है ।
- यह सभी सरकारी वेबसाइटों की बेहतर पहुँच और उपयोगकर्त्ताओं के अनुभव के लिये जनरल UI/UX (यूजर इंटरफेस/यूजर अनुभव) सिद्धांतों को सुनिश्चित करता है।
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DBIM की सेंट्रल कंटेंट पब्लिशिंग सिस्टम (CCPS) आधिकारिक घोषणाओं, नीतियों और योजनाओं को लगातार अद्यतन करने में सक्षम बनाती है।
- महत्त्व: DBIM एक सुसंगत डिजिटल पहचान सुनिश्चित करके, एक्सेसिबिलिटी में सुधार, पॉलिसी एक्सेस को सुव्यवस्थित करने और भारत के ई-गवर्नेंस नेतृत्व को सुदृढ़ करके "मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस" को बढ़ाता है।
और पढ़ें... भारत के डिजिटल विकास की उन्नति