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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 21 Aug, 2023
  • 17 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ज्ञानवापी मस्जिद में गैर-आक्रामक पुरातत्त्व सर्वेक्षण

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का एक विस्तृत गैर-आक्रामक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया अथवा नहीं।

सर्वेक्षण का उद्देश्य:

  • सर्वेक्षण की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस मस्जिद की नींव एक मंदिर संरचना के ऊपर रखी गई है जिस कारण मस्जिद के अंदर कई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और संरचनाएँ पाए जाने की काफी संभावना है।
  • न्यायालय ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) और कार्बन डेटिंग जैसी तकनीकों का उपयोग कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का व्यापक भौतिक सर्वेक्षण करने के लिये विशेषज्ञों की पाँच सदस्यीय समिति का गठन करने का निर्देश दिया है।
  • इस सर्वेक्षण से मस्जिद के नीचे या भीतर किसी मंदिर अथवा अन्य हिंदू संरचनाओं का पता लगाने में सहायता मिलने की उम्मीद है। साथ ही यह भी पता लगाया जा सकेगा कि मौजूदा संरचनाएँ कितनी पुरानी हैं और इनका निर्माण कब किया गया है
  • न्यायालय ने सर्वेक्षण प्रक्रिया की निगरानी और पर्यवेक्षण तथा किसी भी अनियमितता अथवा उल्लंघन के विषय में रिपोर्ट करने के लिये एक पर्यवेक्षक की भी नियुक्ति की है।

पुरातात्त्विक पूर्वेक्षण की गैर-आक्रामक विधि:

भारत में ऐसे कई स्थल हैं जहाँ खुदाई की अनुमति नहीं है, ऐसे में इन निर्मित संरचनाओं के आतंरिक भाग की जाँच हेतु प्रयोग में लायी जाने वाली विधि गैर-आक्रामक विधि कहलाती है।

विधियों के प्रकार:

  • सक्रिय विधि: इलेक्ट्रोमैग्नेटिक की सहायता से विद्युत धाराओं को प्रवाहित कर निर्दिष्ट स्थान के घनत्त्व, विद्युत प्रतिरोध और तरंग वेग जैसे भौतिक गुणों का अनुमान लगाया जा सकता है।
    • भूकंपीय तकनीक: उपसतही संरचनाओं का अध्ययन करने के लिये शॉक वेव्स का उपयोग।
    • विद्युत चुंबकीय विधियाँ: इलेक्ट्रोमैग्नेटिक से प्राप्त विद्युत चुंबकीय प्रतिक्रियाओं की माप।
  • निष्क्रिय तरीके: मौजूदा भौतिक गुणों की जाँच करने में सहायक।
    • मैग्नेटोमेट्री: यह नीचे दबी हुई संरचनाओं के कारण उत्पन्न होने वाली चुंबकीय विसंगतियों का पता लगाने में मदद करती है।
    • गुरुत्वाकर्षण सर्वेक्षण: यह विधि उपसतही विशेषताओं के कारण उत्पन्न होने वाले गुरुत्वाकर्षण बल भिन्नता को मापने में सहायता करती है।
  • ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार(GPR):
    • ज़मीन के नीचे पड़े/दबे पुरातात्त्विक विशेषताओं का 3D मॉडल बनाने के लिये पुरातात्त्विक विभाग द्वारा GPR तकनीक का उपयोग किया जाएगा
    • GPR तकनीक में सरफेस एंटीना के माध्यम से एक संक्षिप्त रडार आवेग को प्रसारित किया जाता है और उपमृदा से प्राप्त होने वाले रिटर्न सिग्नल के समय एवं तीव्रता को मापा जाता है।
    • इससे पहले कि अध्ययन की जा रही वस्तु के ऊपर से एंटीना गुजरे, रडार किरण एक शंकु की तरह फैलती है और प्रतिबिंब बनाती है।
    • रडार किरणें एक शंकु की आकार में फैलती हैं, जिससे बनने वाले प्रतिबिंब प्रत्यक्ष तौर पर भौतिक आयामों के अनुरूप नहीं होते हैं।
  • कार्बन डेटिंग:
    • कार्बनिक पदार्थ की आयु का निर्धारण करने के लिये कार्बन सामग्री का मापन किया जा सकता है।

पुरातत्त्व सर्वेक्षण के विभिन्न तरीकों की सीमाएँ:

  • विभिन्न पदार्थों के समान भौतिक गुण समान प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे लक्ष्यों की पहचान करने में अस्पष्टता देखी जा सकती है।
  • एकत्र किया गया डेटा सीमित होने के कारण माप संबंधी त्रुटियाँ हो सकती हैं, जिससे संपत्तियों के स्थानिक वितरण का सटीक अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • पुरातात्त्विक संरचनाएँ प्राय: जटिल ज्यामिति वाले विषम पदार्थों से बनी होती हैं, जिससे डेटा की व्याख्या करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • भू-भौतिकीय उपकरण, विशेष रूप से जटिल परिदृश्यों में लक्षित छवियों (Target Images) का सटीकता से पुनर्निर्माण नहीं कर सकते हैं।
  • धार्मिक स्थलों पर विवाद जैसे मामलों में भावनात्मक और राजनीतिक कारक व्याख्याओं तथा निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI):

  • संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के तहत ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
  • यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों तथा राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
  • इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज तथा उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव आदि शामिल है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम (Alexander Cunningham) ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व के जनक (Father of Indian Archaeology)" के रूप में भी जाना जाता है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

अग्निबाण सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजिकल डिमॉन्स्ट्रेटर (SOrTeD)

हाल ही में चेन्नई स्थित एक अंतरिक्ष तकनीक स्टार्ट-अप, अग्निकुल कॉसमॉस (AgniKul Cosmos) ने अपने अभूतपूर्व अग्निबाण सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजिकल डिमॉन्स्ट्रेटर (Agnibaan SubOrbital Technological Demonstrator- SOrTeD) को लॉन्च करने की तैयारी की है, जो विश्व का पहला 3D-प्रिंटेड रॉकेट है।

अग्निकुल के SOrTeD की मुख्य विशेषताएँ:

  • अग्निबाण SOrTeD एक अनुकूलन योग्य प्रक्षेपण यान (Customisable Launch Vehicle) है जिसे एक या दो चरणों में लॉन्च किया जा सकता है। यह अग्निकुल के पेटेंटेड अग्निलेट इंजन (AgniKul’s Patented Agnilet Engine) द्वारा संचालित है।
    • अग्निलेट, एक 3D-प्रिंटेड, 6 किलोन्यूटन (kN) अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन है जो प्रणोदक के रूप में तरल ऑक्सीजन और केरोसिन का उपयोग करता है।
  • गाइड रेल (Guide Rails) से लॉन्च होने वाले पारंपरिक साउंडिंग रॉकेटों (Sounding Rockets) के विपरीत अग्निबाण SOrTeD लंबवत रूप से उड़ान भरेगा और एक पूर्व निर्धारित प्रक्षेपवक्र का पालन करेगा, अपनी उड़ान के दौरान सटीक रूप से व्यवस्थित युद्धाभ्यास को पूरा करेगा।
    • यह पाँच अलग-अलग कॉन्फिगरेशन में 100 किलोग्राम तक के पेलोड को 700 किमी. की ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है।
  • अग्निबाण SOrTeD विश्व के पहले 3D-प्रिंटेड रॉकेट को अंतरिक्ष में लॉन्च करने की दिशा में पहला कदम होगा।

3डी प्रिंटिंग:

  • 3डी प्रिंटिंग को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के रूप में भी जाना जाता है जो प्लास्टिक और धातुओं जैसी सामग्रियों का उपयोग कर कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन पर परिकल्पित उत्पादों को वास्तविक त्रि-आयामी वस्तुओं में परिवर्तित करती है।
    • 3D प्रिंटिंग सबट्रेक्टिव मैन्युफैक्चरिंग के विपरीत है जिसका उपयोग धातु या प्लास्टिक के टुकड़े को काटने/खोखला करने के लिये किया जाता है, जैसे- मिलिंग मशीन।
  • 3डी प्रिंटिंग का पारंपरिक रूप से प्रोटोटाइपिंग (Prototyping) के लिये उपयोग किया जाता रहा है। 3D प्रिंटिंग में कृत्रिम उपकरण, स्टेंट, डेंटल क्राउन, ऑटोमोबाइल के पुर्जे और उपभोक्ता वस्तुएँ आदि बनाने की काफी गुंज़ाइश है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLV से वे उपग्रह प्रमोचित किये जाते हैं जो पृथ्वी संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी हैं, जबकि GSLV को मुख्यतः संचार उपग्रहों को प्रमोचित करने के लिये अभिकल्पित किया गया है। 
  2. PSLV द्वारा प्रमोचित गए उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं जैसा कि पृथ्वी पर एक विशिष्ट स्थान से देखा जाता है। 
  3. GSLV MK III एक चार चरण वाला प्रमोचन वाहन है, जिसमें प्रथम एवं तृतीय चरणों में ठोस रॉकेट मोटरों का तथा दूसरा और चौथे चरण में द्रव्य रॉकेट इंजनों का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 2
(D) केवल 3

उत्तर: (a)

स्रोत: बिज़नेस टुडे


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 अगस्त, 2023

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, 11 अगस्त, 2023 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 708 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 602.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

  • विदेशी मुद्रा भंडार का आशय एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में रिज़र्व पर रखी गई परिसंपत्ति से है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं।
  • भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं:
    • विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के पास आरक्षित स्थिति।
      • FCA ऐसी परिसंपत्तियाँ हैं जिनका मूल्यांकन देश की अपनी मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा के आधार पर किया जाता है।
  • अक्तूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 645 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया।

तूफान हिलेरी

  • तूफान हिलेरी, श्रेणी- 4 का एक प्रमुख तूफान है जो 16 अगस्त, 2023 को पूर्वी प्रशांत महासागर में देखा गया था।
  • तूफानों को सैफिर-सिम्पसन तूफान विंड स्केल पर वर्गीकृत किया जाता है तथा हवा की गति के आधार पर 1 से 5 के पैमाने पर उनकी श्रेणी तय की जाती है।
    • जो तूफान श्रेणी तीन या उससे ऊपर तक पहुँचते हैं उन्हें प्रमुख तूफान के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • वर्ष 1939 के बाद दक्षिणी कैलिफोर्निया में आने वाला यह पहला उष्णकटिबंधीय तूफान है।
    • तूफान हिलेरी कई कारकों के संयोजन के कारण कैलिफोर्निया की ओर बढ़ रहा है, जैसे कि पश्चिमी अमेरिका में उच्च दबाव प्रणाली, पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में कम दबाव प्रणाली और एक अल नीनो घटना जो भूमध्य रेखा के पास समुद्र के पानी को गर्म करती है।
    • ये कारक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बनने और मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका के तट के साथ उत्तर की ओर बढ़ने के लिये अनुकूल वातावरण बनाते हैं।
  • हालाँकि अमेरिका के पश्चिमी तट पर ठंडे पानी, ठंडी धाराओं और प्रतिकूल हवाओं के कारण इनमें से अधिकांश तूफान कैलिफोर्निया पहुँचने से पहले कमज़ोर हो जाते हैं या पश्चिम की ओर मुड़ जाते हैं।
  • हिलेरी एक अपवाद है क्योंकि उसने अपनी ताकत बरकरार रखी है और सामान्य से अधिक उत्तरी ट्रैक का पालन किया है।

स्पेन ने जीता महिला फीफा विश्व कप 2023 

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की संयुक्त मेज़बानी में 32 टीमों की भागीदारी वाला महिला फीफा विश्व कप 2023 हाल ही में संपन्न हुआ।

  • फाइनल मैच 20 अगस्त, 2023 को आयोजित किया गया था जहाँ स्पेन ने इंग्लैंड को 1-0 से हराकर अपनी पहली विश्व कप ट्रॉफी जीती थी। इस जीत के साथ स्पेन, जर्मनी के बाद पुरुष और महिला दोनों विश्व कप जीतने वाला दूसरा देश बन गया।
  • प्रतियोगिता के चार पिछले चैंपियन हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, जापान और नॉर्वे।

और पढ़ें फीफा विश्व कप कतर 2022

ओणम

केरल में रोमांचक और जीवंत ओणम त्योहार शुरू हो गया है, जो एकता, सांस्कृतिक उत्सव और खुशियों का पर्व है। यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है, जो अथम (ओणम का पहला दिन) से शुरू होता है तथा थिरुवोनम (अंतिम दिन) पर समाप्त होता है।

  • यह केरल का एक प्रमुख फसल उत्सव है और असुर राजा महाबलि के पुनः घर आगमन का भी प्रतीक है, जो केरल में शांति एवं समृद्धि लेकर आए थे।
  • यह केरल के तीन प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो मलयालम कैलेंडर, कोल्लावर्षम (Kollavarsham) के पहले महीने चिंगम (Chingam) के दौरान मनाया जाता है।
    • राज्य के अन्य दो प्रमुख त्योहार- विशु (Vishu) और तिरुवथिरा (Thiruvathira) हैं।
  • ओणम के एक केंद्रीय पहलू में पुक्कलम (Pookkalam), जटिल फूलों की रंगोली बनाना शामिल है। इसके साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान इस उत्सव को समृद्ध करते हैं, जिनमें वल्लम काली (नाव दौड़), पुलिकली (बाघ नृत्य), कुम्मट्टिकाली (मुखौटा नृत्य) और ओनाथल्लू (मार्शल आर्ट) सहित अन्य मनोरम परंपराएँ शामिल हैं।

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