संकटग्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये एक शब्दावली
हाल ही में अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़कर चार दशक के शीर्ष स्तर पर पहुँच गई। सरकार की ओर से जारी आँकड़ों के अनुसार, जून 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति एक वर्ष पहले की तुलना में 9.1 फीसदी बढ़ गई।
- कई अमेरिकी पर्यवेक्षकों ने यह तर्क दिया है कि यील्ड कर्व कि स्थिति में अमेरिकी केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के लिये सॉफ्ट-लैंडिंग हासिल करने में सक्षम नहीं होगा।
- रिवर्स करेंसी वॉर की शुरुआत का पूर्वानुमान भी लगाया गया है।
बॉण्ड यील्ड व्युत्क्रमण ( Bond Yield Inversion)
- बॉण्ड:
- बॉण्ड: यह धन उधार लेने का एक साधन है। किसी देश की सरकार या एक कंपनी द्वारा धन का सृजन करने के लिये बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
- बॉण्ड यील्ड बॉण्ड के कूपन (ब्याज़) भुगतान से निवेशक को प्राप्त लाभ है।
- आमतौर पर सरकारी बॉण्ड यील्ड अर्थव्यवस्था में जोखिम-मुक्त ब्याज़ दर को समझने का एक अच्छा तरीका है।
- यील्ड कर्व:
- यील्ड कर्व अलग-अलग समयावधि में बॉण्ड (समान क्रेडिट रेटिंग के साथ) से यील्ड का ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है।
- दूसरे शब्दों में यदि कोई अमेरिकी सरकार के अलग-अलग अवधि के बॉण्ड लेता है और उन्हें उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली यील्ड के अनुसार प्रबंध करता है, तो उसे यील्ड कर्व मिलेगा।
- बॉण्ड यील्ड व्युत्क्रमण:
- सामान्य परिस्थितियों में:
- किसी भी अर्थव्यवस्था में ऊपर की ओर झुकी हुई यील्ड कर्व होगी।
- जैसे ही कोई लंबी अवधि के लिये उधार देता है या लंबी अवधि के बॉण्ड खरीदता है तो उसे अधिक प्रतिफल मिलता है।
- यदि कोई लंबी अवधि के लिये पैसे की साझेदारी कर रहा है, तो रिटर्न अधिक मिलेगा।
- जब निवेशक अर्थव्यवस्था के बारे में आश्वस्त महसूस करते हैं तो वे लंबी अवधि के बॉण्ड से पैसा निकालते हैं और इसे शेयर बाज़ारों जैसे अल्पकालिक जोखिम वाले परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं।
- बॉण्ड बाज़ार में लंबी अवधि के बॉण्ड की कीमतें गिरती हैं और उनकी यील्ड (प्रभावी ब्याज़ दर) बढ़ जाती है।
- ऐसा इसलिये होता है क्योंकि बॉण्ड की कीमतें और बॉण्ड यील्ड विपरीत रूप से संबंधित हैं।
- किसी भी अर्थव्यवस्था में ऊपर की ओर झुकी हुई यील्ड कर्व होगी।
- संदिग्ध परिस्थितियाँ:
- हालाँकि जब निवेशकों को संदेह होता है कि अर्थव्यवस्था संकट की ओर बढ़ रही है, तो वे अल्पकालिक जोखिम वाली संपत्तियों (जैसे शेयर बाज़ार) से पैसा निकालते हैं और उन्हें लंबी अवधि के बॉण्ड में निवेश करतें हैं।
- इससे लंबी अवधि के बॉण्ड की कीमतें बढ़ती हैं और उनका प्रतिलाभ गिरता है।
- सामान्य परिस्थितियों में:
सॉफ्ट लैंडिंग:
- अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा वर्तमान में अपनाई जा रही कठोर मौद्रिक प्रक्रिया में न केवल मुद्रा आपूर्ति को कम करना शामिल है बल्कि पैसे की लागत (यानी ब्याज़ दर) में वृद्धि करना भी शामिल है।
- अमेरिकी फेडरल रिज़र्व मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये ऐसा कर रहा है।
- जब कोई केंद्रीय बैंक मंदी के बिना अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, तो इसे सॉफ्ट-लैंडिंग कहा जाता है यानी किसी को नुकसान नहीं होता है।
- लेकिन जब केंद्रीय बैंक की कार्रवाई मंदी लाती है, तो इसे हार्ड-लैंडिंग कहा जाता है।
रिवर्स करेंसी वॉर:
- अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की आक्रामक रूप से ब्याज़ दरें बढ़ाने की कार्रवाई का एक दूसरा पहलू यह है कि अमेरिका में निवेश करने के लिये अधिक-से-अधिक निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।
- इसने बदले में डॉलर को अन्य सभी मुद्राओं की तुलना में मज़बूत बना दिया है क्योंकि येन, यूरो, युआन आदि की तुलना में डॉलर की अधिक मांग है।
- डॉलर के मुकाबले अन्य देशों की स्थानीय मुद्रा की सापेक्ष कमज़ोरी उनके निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती है।
- उदाहरण के लिये चीनी या भारतीय निर्यातक को अधिक बढ़ावा मिलता है।
- अतीत में अमेरिका ने अन्य देशों पर अपनी मुद्रा में हेरफेर करने (डॉलर के मुकाबले इसे कमज़ोर रखने) का आरोप लगाया है ताकि वे अमेरिका के खिलाफ व्यापार अधिशेष का लाभ उठा सकें।
- इसे करेंसी वॉर या मुद्रा युद्ध कहा जाता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्रश्न. भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होती है? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में दिखने वाले 'आइ-एफ-सी-मसाला बॉण्ड (IFC Masals Bonds)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
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स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस
INS सिंधुध्वज
हाल ही में भारतीय नौसेना ने 35 साल तक सेवा में रहने के बाद 'किलो क्लास पनडुब्बी' (Kilo class submarine) INS सिंधुध्वज को विशाखापत्तनम में सेवा से मुक्त कर दिया।
- वर्तमान में नौसेना के साथ सेवा में शामिल केवल 15 पारंपरिक पनडुब्बियाँ हैं।
INS सिंधुध्वज की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- इसे जून 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
- यह 10 ‘किलो क्लास पनडुब्बियों’ में से एक थी, जिसे भारत ने वर्ष 1986 और 2000 के बीच रूस (पूर्व सोवियत संघ सहित) से खरीदा था।
- इस पनडुब्बी को इस बात का श्रेय जाता है क्योंकि इसने कई चीजे पहली बार कीं, जैसे- स्वदेशी सोनार USHUS, स्वदेशी उपग्रह संचार प्रणाली रुक्मणी और MSS, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और स्वदेशी टॉरपीडो फायर कंट्रोल सिस्टम का परिचालन इसी पर हुआ था।
- सिंधुध्वज ने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल और कार्मिक स्थानांतरण का काम भी सफलतापूर्वक किया था।
- यह एकमात्र पनडुब्बी थी जिसे प्रधानमंत्री द्वारा नवाचार के लिये रोलिंग ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था।
वर्तमान परिदृश्य:
- भारतीय नौसेना के बेड़े में अब सात रूसी किलो क्लास पनडुब्बियाँ, चार जर्मन HDW पनडुब्बियाँ, चार फ्राँसीसी स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ और स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिहंत शामिल हैं।
- इसके अलावा स्कॉर्पीन श्रेणी की अंतिम दो पनडुब्बियाँ परीक्षण और आउटफिटिंग के विभिन्न चरणों में हैं।
- प्रोजेक्ट-75I के तहत छह उन्नत पनडुब्बियों का निर्माण कार्य जारी है लेकिन इसमें देरी हो रही है।
- प्रोजेक्ट-75I में अत्याधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम से लैस पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसकी अनुमानित लागत 43,000 करोड़ रुपए है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: b व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
एनआईआईओ संगोष्ठी 'स्वावलंबन'
हाल ही में प्रधानमंत्री ने नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO) संगोष्ठी 'स्वावलंबन' के दौरान 'स्प्रिंट चैलेंजेज़' का अनावरण किया।
- 'स्प्रिंट (SPRINT) (आई-डीईएक्स, एनआईआईओ और टीडीएसी के माध्यम से आरएंडडी में पोल-वॉल्टिंग का समर्थन) चैलेंजेज़' का उद्देश्य भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का महत्त्व:
- रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भरता के कई अवसरों के साथ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचाना गया क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था और सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।
- विशाल मानव संसाधन, प्रतिभाशाली पूल और भारतीय सशस्त्र बलों की बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण आवश्यकताओं के चलते इसमें विकास की अपार संभावनाएँ हैं।
- रक्षा क्षेत्र रोज़गार के अवसर पैदा कर और आयात के बोझ को कम करके राजकोष की बचत के माध्यम से अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेगा।
- एयरोस्पेस और नेवल शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री सहित रक्षा उद्योग का आकार 85,000 करोड़ रुपए (2020-21) अनुमानित किया गया था।
- वर्तमान रूस-यूक्रेन संघर्ष भी आत्मनिर्भरता के महत्त्व को दर्शाता है। एक मज़बूत और सुसज्जित सेना किसी भी बाहरी और आंतरिक जोखिम से देश को प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है।
- निजी क्षेत्र, MSME और स्टार्ट-अप की सक्रिय भागीदारी के साथ रक्षा क्षेत्र में नवाचार को iDEX पहल और 'प्रौद्योगिकी विकास कोष' के तहत कई परियोजनाओं के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है।
- 'मेक इन इंडिया' पहल के एक हिस्से के रूप में रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये प्रौद्योगिकी विकास कोष (TDF) की स्थापना की गई है।
- भारतीय नौसेना ने 'क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास' (सागर) की दृष्टि के अनुरूप न केवल भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिये बल्कि अपने मित्र देशों की भी आवश्यक क्षमताओं का विकास किया है।
- निजी क्षेत्र, MSME और स्टार्ट-अप की सक्रिय भागीदारी के साथ रक्षा क्षेत्र में नवाचार को iDEX पहल और 'प्रौद्योगिकी विकास कोष' के तहत कई परियोजनाओं के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है।
नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन
- लॉन्च:
- प्रौद्योगिकी से संबंधित अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य:
- आत्मानिर्भर भारत के विज़न को ध्यान में रखते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिये नवाचार और स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना।
- यह अंतिम उपयोगकर्त्ताओं के लिये अकादमिक और उद्योग के साथ बातचीत करने हेतु समर्पित संरचनाएँ स्थापित करेगा।
- संरचना: NIIO त्रिस्तरीय संगठन है।
- नौसेना प्रौद्योगिकी त्वरण परिषद (N-TAC) नवाचार और स्वदेशीकरण के जुड़वाँ पहलुओं को एक साथ लाएगा और शीर्ष स्तर के निर्देश प्रदान करेगा।
- N-TAC के तहत कार्य समूह परियोजनाओं को लागू करेगा।
- त्वरित समय सीमा में उभरती विघटनकारी प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिये प्रौद्योगिकी विकास त्वरण सेल (TDAC) बनाया गया है।
अन्य संबंधित पहल:
स्रोत: पी.आई.बी.
ग्रीन पिट वाइपर
हाल ही में विश्व साँप दिवस (16 जुलाई, 2022) पर ग्रीन पिट वाइपर के ज़हर को निष्क्रिय करने के लिये प्रभावी एंटीवेनम विकसित करने पर सहमति बनी।
ग्रीन पिट वाइपर से संबंधित चिंताएँ:
- हालाँकि ग्रीन पिट वाइपर रसेल वाइपर से अधिक घातक नहीं है, लेकिन यह काटते समय हेमोटॉक्सिक ज़हर को छोड़ता है, जो शरीर में रक्त के थक्के बनने से रोकता है; परिणामस्वरूप आंतरिक रक्तस्राव होता है।
- इसके अलावा भारत में उपलब्ध एंटीवेनम से ग्रीन पिट वाइपर के ज़हर को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है।
- पूर्वोत्तर भारत में अब तक दर्ज किये गए 64 में से 15 विषैले सांँपों में मोनोकल्ड कोबरा, बैंडेड करैत, काला करैत, ग्रेट ब्लैक करैत, माउंटेन पिट वाइपर और रेडनेक कीलबैक शामिल हैं।
- इस क्षेत्र में सर्पदंश के अधिकांश मामलों में ग्रीन पिट वाइपर की विभिन्न प्रजातियांँ शामिल हैं, जिसमें अन्य विषैले साँप भी पाए जाते है
- सर्पदंश की मानकीकृत रिपोर्टिंग का अभाव है।
- वर्तमान उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, इसमें 1.4 मिलियन से अधिक मामले हैं जिसके परिणामस्वरूप सालाना 1,25,000 मौतें होती हैं।
पिट वाइपर:
- पिट वाइपर, वाइपर की कोई भी प्रजाति (सबफैमिली क्रोटालिने) जिसमें दो जंगम (नुकीले डंक) के अलावा आँख और नथुने के बीच एक गर्मी-संवेदनशील अंग होता है जो इसे शिकार करने में सहायता करता है।
- पिट वाइपर रेगिस्तान से लेकर वर्षा वनों तक में पाए जाते हैं।
- ये स्थलीय, वृक्षीय या जलीय हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ अंडे देती हैं और अन्य प्रजातियाँ जीवित बच्चों को जन्म देती हैं।
- विषैले पिट वाइपर प्रजातियों में हंप-नोज्ड पिट वाइपर, मैंग्रोव पिट वाइपर और मालाबार पिट वाइपर शामिल हैं।
- रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर भारत में पाई जाने वाली दो सबसे ज़हरीली वाइपर प्रजातियांँ हैं जो भारत के चार सबसे ज़हरीले एवं सबसे घातक सांँपों के सदस्य हैं।
- भारत में ज़्यादातर सर्पदंश की घटनाएँ इन्हीं प्रजातियों के कारण होती हैं।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 जुलाई, 2022
आशीष कुमार
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के नए प्रमुख आशीष कुमार चौहान होंगे। आशीष कुमार चौहान की उम्मीदवारी को ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)’ ने मंज़ूरी दे दी है। वह NSE के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनेंगे। वर्तमान में वह बीएसई के एमडी और सीईओ हैं। बीएसई में यह उनका पांँच साल का दूसरा कार्यकाल है। उनका कार्यकाल नवंबर, 2022 में समाप्त होने वाला है। NSE के एमडी और सीईओ विक्रम लिमये के पद से इस्तीफा देने के बाद उनके नाम को मंज़ूरी दे दी गई थी। अब आशीष कुमार चौहान को NSE का कार्यभार संभालने के लिये शेयरधारकों की मंज़ूरी की आवश्यकता होगी।आशीष कुमार चौहान IIT और IIM के पूर्व छात्र हैं। NSE में जाने से पहले उनका कॅरियर IDBI बैंक में शुरू हुआ। उन्होंने वर्ष 1993-2000 के दौरान एनएसई में डेरिवेटिव सेगमेंट के विकास में काम किया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है। वर्ष 1992 में निगमित NSE एक परिष्कृत और इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के रूप में विकसित हुआ, जो इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम (Equity Trading Volume) के लिहाज़ से दुनिया में चौथे स्थान पर था। यह भारत का पहला पूरी तरह से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सुविधा प्रदान करने वाला एक्सचेंज है। NSE के पास भारत में सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का नेटवर्क है। NIFTY 50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड का प्रमुख सूचकांक है। यह सूचकांक ब्लू चिप कंपनियों, सबसे बड़ी और सबसे अधिक तरल भारतीय प्रतिभूतियों के पोर्टफोलियो व्यवहार को ट्रैक करता है। इसमें NSE पर सूचीबद्ध लगभग 1600 कंपनियों में से 50 शामिल हैं। वर्ष 2021 में यह कारोबार किये गए अनुबंधों की संख्या के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज बन गया।
केरल की अपनी इंटरनेट सेवा
हाल ही में केरल अपनी इंटरनेट सेवा KFON (Kerala Fibre Optic Network) शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। दूरसंचार विभाग द्वारा राज्य के सभी निवासियों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने हेतु KFON Ltd को इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) लाइसेंस देने के बाद केरल के मुख्यमंत्री द्वारा इसकी घोषणा की गई है। KFON केरल सरकार की पहल है, जिसे राज्य में डिजिटल अंतर को खत्म करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। सरकार के अनुसार, इस परियोजना के तहत बनाया गया बुनियादी ढाँचा केरल में वर्तमान दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा होगा। इसका उद्देश्य सभी सेवा प्रदाताओं को उनके संपर्क अंतराल को कम करने के लिये गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच प्रदान करने हेतु कोर नेटवर्क अवसंरचना का निर्माण करना है। सभी सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों में विश्वसनीय, सुरक्षित और स्केलेबल इंटरनेट प्रदान किया जाएगा, साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को मुफ्त इंटरनेट प्रदान करने हेतु इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, सिस्टम ऑपरेटरों तथा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी को बढ़ावा जाएगा।
जेद्दा शिखर सम्मेलन
सऊदी अरब के जेद्दा शहर में जेद्दा सुरक्षा और विकास शिखर सम्मेलन का आयोजन 16 जुलाई, 2022 को संपन्न हुआ। इस शिखर सम्मेलन में खाड़ी सहयोग परिषद और अमेरिका के नेताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान नेताओं ने देशों के बीच साझा ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में देशों के संयुक्त सहयोग को बढ़ावा देना है। सम्मेलन के दौरान खाड़ी देशों के नेताओं ने मध्य पूर्व क्षेत्र में अपनी रणनीतिक साझेदारी में अमेरिका द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका को सही ठहराया। नेताओं ने एक समृद्ध और शांतिपूर्ण मध्य-पूर्व के लिये अपने संयुक्त दृष्टिकोण को भी दोहराया तथा क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता की रक्षा के लिये सभी आवश्यक उपाय करने पर ज़ोर दिया। नेताओं ने सहयोग और एकीकरण के आपसी क्षेत्रों को विकसित करने, अच्छे पड़ोसी एवं आपसी सम्मान के सिद्धांतों पर टिके रहने के साथ-साथ खतरों से निपटने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था और UNRWA (United Nations Relief and Works Agency for Palestine Refugees) का समर्थन करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस शिखर सम्मेलन के दौरान सतत् विकास के लिये देशों के बीच संयुक्त परियोजनाओं के निर्माण की प्रतिबद्धता को भी नवीनीकृत किया गया। सम्मेलन के दौरान नेताओं ने संयुक्त टास्क फोर्स 153 और टास्क फोर्स 59 की स्थापना का स्वागत किया। दोनों टास्क फोर्स की स्थापना संयुक्त रक्षा समन्वय को मज़बूत करने, संयुक्त नौसेना रक्षा में सुधार करने और समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने के लिये की गई है।