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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 19 Oct, 2023
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

एंजेल टैक्स पर CBDT के निर्देश

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक निर्देश जारी किया है कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप पर वित्त अधिनियम, 2023 में संशोधित एंजेल टैक्स प्रावधानों के तहत अनावश्यक जाँच का बोझ न पड़े।

स्टार्ट-अप से संबंधित नए कर निर्देश: 

  • CBDT ने अपने अधिकारियों को DPIIT से मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप के लिये एंजेल टैक्स प्रावधानों की जाँच करने से परहेज करने का निर्देश दिया है।
    • यह निर्देश एंजल टैक्स के लिये जाँच नोटिस के संबंध में कई स्टार्ट-अप द्वारा उठाई गई चिंताओं के जवाब में आया है।
  • CBDT ने जाँच के तहत मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप के संबंध में दो परिदृश्यों की रूपरेखा तैयार की है:
    • एकल-मुद्दे की जाँच: ऐसे मामलों में जहाँ जाँच पूरी तरह से आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (viib) की प्रयोज्यता निर्धारित करने के लिये शुरू की जाती है, मूल्यांकन अधिकारी मूल्यांकन कार्यवाही के दौरान कोई सत्यापन नहीं करेंगे।
      • इसके बदले मुद्दे के संबंध में मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप के तर्क को संक्षेप में स्वीकार किया जाएगा।
    • विविध-मुद्दे की जाँच: जब एक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप कई मुद्दों को लेकर जाँच के दायरे में है, जिसमें एक मुद्दा आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (viib) के तहत भी शामिल है, तो मूल्यांकन कार्यवाही के दौरान एंजेल टैक्स प्रावधान की प्रयोज्यता का पालन नहीं किया जाएगा।

एंजेल टैक्स:

  • एंजेल टैक्स एक आयकर है जो 30.6% की दर से तब लगाया जाता है जब कोई असूचीबद्ध कंपनी किसी निवेशक को उसके उचित बाज़ार मूल्य से अधिक कीमत पर शेयर जारी करती है।
    • उचित बाज़ार मूल्य (Fair Market Value- FMV) परिसंपत्ति का वह मूल्य  है, जब क्रेता और विक्रेता को इसके संबंध में जानकारी होती है तथा वे बिना दबाव के व्यापार करने के लिये तैयार हो जाते हैं।
  • प्रारंभ में एंजेल टैक्स केवल निवासी निवेशकों द्वारा किये गए निवेश पर लागू था। वित्त अधिनियम, 2023 ने विदेशी निवेशकों को भी इसमें शामिल करने के लिये इस प्रावधान का विस्तार किया है।
    • इसका अर्थ यह है कि जब कोई स्टार्ट-अप किसी विदेशी निवेशक से धन जुटाती है, तो इसे भी आय के रूप में गिना जाएगा और कराधान के अधीन किया जाएगा।
      • हालाँकि उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स को एंजेल टैक्स लेवी से बाहर रखा गया है।

नोट: मई 2023 में वित्त मंत्रालय ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्राँस जैसे 21 देशों के निवेशकों को भारतीय स्टार्ट-अप में अनिवासी निवेश के लिये एंजेल टैक्स लेवी से छूट दी।

स्टार्ट-अप्स से संबंधित अन्य प्रमुख सरकारी पहल:

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes- CBDT):

  • यह केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 द्वारा स्थापित एक वैधानिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
    • यह वित्त मंत्रालय के अंतर्गत राजस्व विभाग का एक अभिन्न अंग है।
  • यह भारत में प्रत्यक्ष कराधान से संबंधित नीतियों और योजना के निर्माण में योगदान देता है तथा आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
    • प्रत्यक्ष करों में आयकर, निगम कर और इसी तरह की श्रेणियाँ शामिल हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014)

(a) उद्योगों को प्रदान की जाने वाली एक अल्पकालिक पूंजी।
(b) नए उद्यमियों को प्रदान की गई एक दीर्घकालिक स्टार्ट-अप पूंजी।
(c) हानि की स्थिति में उद्योगों को प्रदान की जाने वाली धनराशि।
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीनीकरण के लिये प्रदान की गई धनराशि।

उत्तर: (B)

व्याख्या:

  • उद्यम पूंजी (Venture Capital) एक नए या बढ़ते व्यवसाय के लिये वित्त के स्रोत का एक स्वरूप है। यह आमतौर पर उद्यम पूंजी फर्मों से प्राप्त होती है जो उच्च जोखिम वाले वित्तीय पोर्टफोलियो के निर्माण में विशेषज्ञ होते हैं।
  • उद्यम पूंजी के साथ उद्यम पूंजी फर्म स्टार्ट-अप में इक्विटी के बदले स्टार्ट-अप कंपनी का वित्तपोषण करते हैं।
  • जो लोग इसमें निवेश करते हैं उन्हें उद्यम पूंजीपति कहा जाता है। उद्यम पूंजी निवेश को जोखिम पूंजी या रुग्ण जोखिम पूंजी के रूप में भी संदर्भित किया जाता है, क्योंकि इसमें उद्यम सफल नहीं होने पर निवेश के डूबने का जोखिम शामिल होता है और निवेश से लाभ प्राप्ति के लिये मध्यम से लंबी अवधि का समय लगता है।
  • अतः विकल्प (B) सही है।

प्रारंभिक परीक्षा

विमान नियमावली, 1937 में संशोधन

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमानन विनियमन के तहत सुरक्षा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विमान नियमावली, 1937 में संशोधन को अधिसूचित किया है।

  • ये संशोधन भारत के विमानन नियमों को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization- ICAO) के मानकों और अनुशंसित प्रथाओं (SARP) तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करते हैं।

विमान नियमावली, 1937 में प्रमुख संशोधन:

  • लाइसेंस की वैधता का विस्तार:
    • संशोधन ने एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (ATPL) और कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) धारकों के लाइसेंस की वैधता पाँच साल से बढ़ाकर दस साल कर दी।
    • इस बदलाव से लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) जैसे- पायलट्स एवं विमानन प्राधिकरणों पर प्रशासनिक बोझ कम होने का अनुमान है।
  • फाल्‍स लाइट पर बेहतर नियंत्रण:
    • संशोधन में विभिन्न स्रोतों को शामिल करने के लिये "लाइट" की परिभाषा को स्पष्ट किया गया और सरकार के अधिकार क्षेत्र को एक हवाई अड्डे के आसपास 5 किलोमीटर से 5 समुद्री मील तक बढ़ा दिया गया है।
    • इसने सरकार को विमान संचालन में बाधा डालने वाली लाइट प्रदर्शित करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया और अज्ञात स्रोत वाली लाइट के मामले में सरकार हस्तक्षेप कर सकती है तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत कानूनी कार्रवाई के लिये संबंधित अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट कर सकती है।
  • निरर्थक नियम को हटाना:
    • विदेशी लाइसेंसों के सत्यापन से संबंधित नियम 118 को विमानन क्षेत्र की उभरती ज़रूरतों के साथ नियमों को संरेखित करने के लिये हटा दिया गया था।
  • हवाई यातायात नियंत्रक लाइसेंस के लिये उदारीकृत आवश्यकताएँ:
    • इस संशोधन ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर लाइसेंस धारकों के लिये नवीनता और योग्यता आवश्यकताओं में लचीलापन प्रदान किया है, जिससे सिम्युलेटेड अभ्यास, आपात स्थिति एवं कौशल मूल्यांकन करने की अनुमति मिल गई।
    • यह निरंतर क्षमता सुनिश्चित करता है, विशेष रूप से सीमित गतिविधियों या वॉच ऑवर के दौरान।

इन संशोधनों का महत्त्व: 

  • ये संशोधन हवाई अड्डों के आसपास "फॉल्स लाइट्स" के प्रदर्शन से संबंधित चिंताओं का समाधान करके विमानन सुरक्षा को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • विस्तारित क्षेत्राधिकार और स्पष्ट परिभाषाएँ एक सुरक्षित परिचालन परिवेश सुनिश्चित करती हैं, जिससे विमान संचालन में संभावित खतरों एवं व्यवधानों को कम किया जाता है।
  • सुव्यवस्थित लाइसेंसिंग प्रक्रिया और अनावश्यक नियमावलियों को हटाने से अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण में योगदान मिल सकता है, निवेश आकर्षित हो सकता है तथा विमानन उद्योग में विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

ICAO का परिचय:

  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जिसे वर्ष 1944 में दुनिया भर में सुरक्षित, संरक्षित और कुशल हवाई परिवहन को बढ़ावा देने के लिये बनाया गया था।
  • ICAO विमानन के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों और अनुशंसित प्रथाओं को विकसित करता है, जिसमें हवाई नेविगेशन, संचार और हवाई अड्डे के संचालन के लिये नियम शामिल हैं।
  • यह हवाई यातायात प्रबंधन, विमानन सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे वैश्विक विमानन मुद्दों को संबोधित करने के लिये भी काम करता है।
  • इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है।

प्रारंभिक परीक्षा

राफा क्रॉसिंग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

दक्षिणी गाज़ा में राफा क्रॉसिंग ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष के कारण संभावित इज़रायली हमले की आशंका के चलते फिलिस्तीनी गाज़ा छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

राफा क्रॉसिंग:

  • परिचय:
    • राफा क्रॉसिंग गाज़ा पट्टी से सबसे दक्षिणी निकास बिंदु है और यह मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के साथ सीमा साझा करता है।
      • इस क्रॉसिंग पर मिस्र का नियंत्रण है।
    • यह एकमात्र निकास है जो इज़रायली क्षेत्र की ओर नहीं जाता है।
    • गाजा में और इसके बाहर केवल दो अन्य सीमा क्रॉसिंग हैं।
      • इरेज़ उत्तर में स्थित है और इसका उपयोग इज़रायल के लोगों द्वारा किया जाता है।
      •   दक्षिण में स्थित केरेम शालोम, विशेष रूप से वाणिज्यिक वस्तुओं के लिये प्रसिद्ध है।
        • इज़रायल द्वारा नियंत्रित इरेज़ और केरेम शालोम दोनों की वर्तमान में घेराबंदी की गई है।
  • महत्त्व:
    • इरेज़ क्रॉसिंग पर हमास के हमले के बाद राफा क्रॉसिंग का महत्त्व बढ़ गया, जिसके कारण दक्षिणी इज़रायल में 1,300 से अधिक लोग हताहत हुए।
      • इसके प्रत्युत्तर में इज़रायल ने इरेज़ और केरेम शालोम दोनों को अनिश्चित काल के लिये बंद कर दिया, जिससे राफा सीमा गाज़ा के लोगों के लिये प्रवेश और निकास का एकमात्र साधन और मानवीय सहायता के लिये एकमात्र क्रॉसिंग रह गई है।

मिस्र का सिनाई प्रायद्वीप:

  • सिनाई प्रायद्वीप मिस्र में एक त्रिकोण के आकार का प्रायद्वीप है। यह देश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है।
  • इस प्रायद्वीप की सीमा उत्तर में भूमध्य सागर, दक्षिण में लाल सागर और पूर्व में अकाबा की खाड़ी से लगती है।
  • प्रायद्वीप में स्वेज़ नहर शामिल है, जो एक मानव निर्मित जलमार्ग है और भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. योम किप्पुर युद्ध किन पक्षों/देशों के बीच लड़ा गया था? (2008) 

(a) तुर्किये और ग्रीस 
(b) सर्ब और क्रोट्स 
(c) मिस्र और सीरिया के नेतृत्व में इज़रायल और अरब देश 
(d) ईरान और इराक 

उत्तर: (c) 


प्रश्न. भूमध्य सागर निम्नलिखित में से किस देश की सीमा है? (2017)

  1. जॉर्डन
  2. इराक
  3. लेबनान
  4. सीरिया

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्यसागर तक  नहीं फैला है? (2015)

(a) सीरिया
(b) जॉर्डन 
(c) लेबनान 
(d) इज़रायल 

उत्तर: (b)


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 अक्तूबर, 2023

अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण-II

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने लद्दाख में 13 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना के लिये हरित ऊर्जा गलियारा (Green Energy Corridor- GEC) चरण- II-अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) परियोजना को स्वीकृति दी।

  • यह वित्त वर्ष 2029-30 तक स्थापित की जाएगी और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (POWERGRID) इस परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी होगी।
  • यह परियोजना वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावाट स्थापित बिजली क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगी। इससे देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही कार्बन उत्‍सर्जन कम कर पारिस्थितिक रूप से धारणीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र में विद्युत और अन्य संबंधित क्षेत्रों में कुशल एवं अकुशल दोनों कर्मियों के लिये प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोज़गार के कई अवसर सृजित होंगे।
  • यह परियोजना अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण-II (InSTS GEC-II) के अतिरिक्त है, जो पहले से ही गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में ग्रिड एकीकरण के क्रम में है। वर्ष 2026 तक 20 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त होने की उम्मीद है।

भारत की तकनीकी प्रगति में IBM की भूमिका

इंटरनेशनल बिज़नेस मशीन्स कॉरपोरेशन (IBM) ने भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता/आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी और क्वांटम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से जुड़ी संस्थाओं के साथ तीन समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है।

  • इन सहयोगों का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिये भारत की राष्ट्रीय रणनीति को गति प्रदान करना, सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को आगे बढ़ाना है।
  • इस साझेदारी में AI कौशल और विकास को बढ़ावा देने के लिये एक राष्ट्रीय एआई इनोवेशन प्लेटफॉर्म (AIIP) तथा सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने हेतु एक सेमीकंडक्टर अनुसंधान केंद्र की स्थापना करना शामिल है।

और पढ़ें…भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र


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