क्रीमियन- कांगो हीमोरेजिक फीवर
जैसा कि यूरोप में हीटवेव और वनाग्नि का अनुभव हो रहा है, आमतौर पर गर्म जलवायु से जुड़े वायरस के प्रसार के विषय में चिंताएँ बढ़ रही हैं। टिक्स (Ticks) से फैलने वाले संक्रमण क्रीमियन-कांगो हीमोरेजिक फीवर (CCHF) के बारे में अलर्ट जारी किया गया है।
CCHF:
- परिचय:
- CCHF एक वायरल हीमोरेजिक फीवर है जो टिक्स और विषैले जानवरों के ऊतकों के संपर्क से फैलता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह महामारी की संभावना, उच्च मामले मृत्यु अनुपात (10-40%) और रोकथाम तथा उपचार में कठिनाई के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा करती है।
- CCHF लक्षण और उपचार:
- लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना, सिरदर्द, पेट में दर्द और मनोस्थिति में बदलाव शामिल हैं।
- हालाँकि कोई टीका या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तथा उपचार मुख्य रूप से लक्षण प्रबंधन पर केंद्रित है।
- एंटीवायरल दवा रिबाविरिन का CCHF संक्रमण के उपचार में संभावित लाभ देखा गया है।
- प्रसार:
- CCHF वायरस मुख्य रूप से किलनी या टिक के काटने के दौरान तथा संक्रमित पशु के रक्त या ऊतकों के संपर्क से फैलता है।
- मानव-से-मानव संचरण, संक्रमित व्यक्तियों के निकट संपर्क या चिकित्सा उपकरणों की अनुचित सफाई के माध्यम से हो सकता है।
- CCHF की रोकथाम और नियंत्रण:
- किलनी-पशु-किलनी चक्र तथा व्यापक टिक वैक्टर के कारण पशुओं में CCHF को नियंत्रित करना मुश्किल है।
- यह सुनिश्चित करने के लिये उपाय किये जा सकते हैं कि पशु वध से पहले एक संगरोधक स्टेशन में 14 दिनों तक पशु को किलनी-मुक्त(tick-free) रखा जाए।
- पशुओं में उपयोग के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं।
- लोगों में संक्रमण को कम करने का एकमात्र तरीका जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा उन उपायों के बारे में शिक्षित करना है जो वायरस के जोखिम को कम करने के लिये उठाए जा सकते हैं।
- कपड़ों पर टिक का आसानी से पता लगाने के लिये सुरक्षित कपड़े (लंबी आस्तीन, लंबी पतलून) और हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिये।
- CCHF संक्रमित लोगों के साथ निकट शारीरिक संपर्क से बचें।
- बीमार लोगों की देखभाल करते समय दस्ताने और सुरक्षात्मक उपकरण पहनें।
- CCHF का प्रसार:
- प्रारंभ में अफ्रीका, बाल्कन देशों, मध्य पूर्व और एशिया के कुछ हिस्सों में स्थानिक, CCHF यूरोप में उत्तर और पश्चिम की ओर फैल रहा है।
- स्पेन, रूस, तुर्की और ब्रिटेन में रिपोर्ट किये गए मामले सामने आए हैं।
- जलवायु परिवर्तन और रोग का प्रसार:
- जलवायु परिवर्तन नए क्षेत्रों में रोगजनकों के विस्तार में भूमिका निभाता है।
- गर्म तापमान और परिवर्तित आवास टिक और अन्य कीड़ों को पहले से अनुपयुक्त क्षेत्रों में पनपने की अनुमति देते हैं।
- जल आवासों में परिवर्तन और जानवरों के प्रवासन पैटर्न से बीमारी फैलने में योगदान देते हैं।
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
भारत की एकमात्र वानर प्रजाति: हूलॉक गिब्बन
भारत की एकमात्र वानर प्रजाति हूलॉक गिब्बन की संरक्षण स्थिति एक गंभीर वैश्विक चिंता बन गई है।
- हाल ही में ग्लोबल गिब्बन नेटवर्क (GGN) ने चीन के हैनान प्रांत के हाइकोउ में अपनी उद्घाटन बैठक आयोजित की थी जिसमें इन प्राइमेट्स के सामने आने वाली गंभीर स्थितियों पर प्रकाश डाला गया था।
नोट: ग्लोबल गिब्बन नेटवर्क की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय गिब्बन दिवस 2020 कार्यक्रम में की गई थी। इस कार्यक्रम में पहली बार 20 गिब्बन संरक्षण संगठनों के प्रतिनिधि गिब्बन संरक्षण पर चर्चा करने के लिये एक साथ एक मंच पर आए थे।
हूलॉक गिब्बन के बारे में मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- गिब्बन दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं तथा इन्हें सभी वानरों में सबसे छोटे एवं समझदार वानरों के रूप में भी जाना जाता है।
- इनमें अन्य वानरों के समान उच्च बुद्धि, विशिष्ट व्यक्तित्व और मज़बूत पारिवारिक बंधन होते हैं।
- ये विश्व भर में पाई जाने वाली 20 गिब्बन प्रजातियों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- गिब्बन दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं तथा इन्हें सभी वानरों में सबसे छोटे एवं समझदार वानरों के रूप में भी जाना जाता है।
- जनसंख्या और निवास स्थान:
- हूलॉक गिब्बन की वर्तमान आबादी लगभग 12,000 होने का अनुमान है।
- वे पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, म्याँमार और दक्षिणी चीन के वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- भारत में गिब्बन प्रजातियाँ:
- भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दो अलग-अलग हूलॉक गिब्बन प्रजातियाँ पाई जाती हैं: पूर्वी हूलॉक गिब्बन (हूलॉक ल्यूकोनिडिस) और पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (हूलॉक हूलॉक)।
- हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के एक हालिया अध्ययन में इन गिब्बन के आनुवंशिकी का विश्लेषण किया गया।
- अध्ययन से पता चला कि वास्तव में भारत में गिब्बन की केवल एक ही प्रजाति है, जो बाह्य आवरण के रंग के आधार पर अलग-अलग पूर्वी और पश्चिमी प्रजातियों की पूर्व धारणा को रद्द करती है।
- आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि पूर्वी और पश्चिमी हूलॉक गिब्बन समझी जाने वाली आबादी लगभग 1.48 मिलियन वर्ष पहले अलग हो गई थी।
- अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया कि गिब्बन लगभग 8.38 मिलियन वर्ष पहले एक सामान्य पूर्वज से अलग हुए थे।
- खतरा:
- संरक्षण चुनौतियों के कारण हूलॉक गिब्बन सहित सभी 20 गिब्बन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है।
- पिछली सदी से गिब्बन की आबादी और उनके आवासों में काफी गिरावट आई है, जिससे उनकी बहुत कम आबादी केवल उष्णकटिबंधीय वर्षावनों तक ही सीमित रह गई है।
- भारत में हूलॉक गिब्बन के लिये प्राथमिक खतरा बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये वनों की कटाई के कारण उनके प्राकृतिक आवास का नष्ट होना है।
- संरक्षण की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट:
- पश्चिमी हूलॉक गिब्बन: लुप्तप्राय
- पूर्वी हूलॉक गिब्बन: असुरक्षित
- साथ ही दोनों प्रजातियाँ भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में सूचीबद्ध हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट:
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2010) संरक्षित क्षेत्र के लिये प्रसिद्ध
उपर्यक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: (B) |
स्रोत : द हिंदू
सीमा पार प्रेषण हेतु UPU द्वारा UPI का आकलन
चर्चा में क्यों?
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) ने वैश्विक डाक नेटवर्क का उपयोग करके सीमा पार प्रेषण के साथ यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के एकीकरण का मूल्यांकन करने की योजना की घोषणा की है।
- इस मूल्यांकन का उद्देश्य कुशल और सुरक्षित रूप से अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण की सुविधा में UPI की क्षमता का पता लगाना है।
UPI को UPU के साथ एकीकृत करने के लाभ:
- UPI सुरक्षित, सुविधाजनक और वास्तविक समय पर भुगतान प्रदान करता है जो इसे सीमा पार प्रेषण के लिये एक आशाजनक मंच बनाता है।
- व्यापक पहुँच और बुनियादी ढाँचे वाले वैश्विक डाक नेटवर्क का लाभ उठाकर, UPI-सक्षम प्रेषण की पहुँच का और विस्तार हो सकता है।
- डाक चैनलों के साथ UPI का एकीकरण नागरिकों को एक विश्वसनीय और सुलभ प्रेषण समाधान प्रदान कर सकता है, विशेष रूप से दूरदराज़ के क्षेत्रों में, जहाँ पारंपरिक बैंकिंग सेवाएँ सीमित होती हैं।
- यह पहल वैश्विक स्तर पर कुशल और समावेशी डाक सेवाओं को बढ़ावा देने के UPU के लक्ष्य के अनुरूप है।
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU):
- परिचय:
- UPU संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये डाक क्षेत्र का प्राथमिक मंच है।
- यह दूसरा सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- स्थापना एवं संरचना:
- इसकी स्थापना वर्ष 1874 में बर्न की संधि के माध्यम से की गई थी।
- इसका मुख्यालय बर्न, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- इस संगठन में चार निकाय शामिल हैं: कॉन्ग्रेस, प्रशासन परिषद (CA), पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (POC) और अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो (IB)।
- यह टेलीमैटिक्स और एक्सप्रेस मेल सेवा (EMS) संबंधी सहकारी समितियों की भी देख-रेख करता है।
- सदस्यता:
- संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सदस्य देश UPU का सदस्य बन सकता है।
- संयुक्त राष्ट्र के गैर-सदस्य देश कम-से-कम दो-तिहाई सदस्य देशों के अनुमोदन पर UPU में शामिल हो सकते हैं।
- इसमें अब कुल सदस्य देशों की संख्या 192 है।
- भारत वर्ष 1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन में शामिल हुआ।
- भूमिका और कार्य:
- UPU, सदस्य देशों और वैश्विक डाक प्रणाली के बीच डाक नीतियों का समन्वय करता है।
- संघ अंतर्राष्ट्रीय मेल एक्सचेंजों के लिये नियम निर्धारित करता है और मेल, पार्सल तथा वित्तीय सेवाओं की मात्रा में वृद्धि को प्रोत्साहित करने हेतु सिफारिशें करता है।
- इसका उद्देश्य ग्राहकों के लिये सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना और अंतर्राष्ट्रीय डाक संचालन में दक्षता को बढ़ावा देना है।
UPI:
- UPI भारत की मोबाइल-आधारित तेज़ भुगतान प्रणाली है, जो ग्राहक द्वारा बनाए गए वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) का उपयोग करके ग्राहकों को चौबीस घंटे में कभी भी तुरंत भुगतान करने की सुविधा देती है।
- VPA एक विशिष्ट पहचानकर्त्ता है जो डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से धन हस्तांतरण की सुविधा के लिये किसी व्यक्ति को सौंपा गया है।
- यह एक उपयोगकर्ता-निर्मित पहचानकर्त्ता है जिसका उपयोग भुगतान करते समय संवेदनशील बैंक खाते का विवरण प्रदान करने के स्थान पर किया जा सकता है।
- यह प्रेषक द्वारा बैंक खाता विवरण साझा करने के जोखिम को समाप्त करता है। UPI व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) दोनों भुगतानों का समर्थन करता है तथा यह उपयोगकर्त्ता को पैसे भेजने या प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. डिजिटल भुगतान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. एकीकृत भुगतान अंतरापृष्ठ (यूनिफाइड पेमेंट्स इन्टरफेस/UPI) को कार्यान्वित करने से निम्नलिखित में से किसके होने की सर्वाधिक संभाव्यता है? (2017) (a) ऑनलाइन भुगतानों के लिये मोबाइल वालेट आवश्यक नहीं होंगे। उत्तर: (a) |
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 जुलाई, 2023
खाद्य और कृषि के लिये आनुवंशिक संसाधनों पर आयोग
हाल ही में खाद्य और कृषि के लिये आनुवंशिक संसाधनों पर आयोग (CGRFA) के 19वें सत्र के लिये विश्व भर के प्रतिनिधि रोम, इटली में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) मुख्यालय में एकत्र हुए। यह पाँच दिवसीय सत्र तीन प्रमुख विषयों पर केंद्रित होगा: जैव विविधता, पोषण और मानव स्वास्थ्य पर कार्य की समीक्षा; भोजन एवं कृषि तक पहुँच व लाभ-साझाकरण; खाद्य तथा कृषि के लिये डिजिटल अनुक्रम जानकारी। CGRFA संयुक्त राष्ट्र की FAO की एक विशेष एजेंसी है। यह मुख्य अंतर-सरकारी निकाय है जो खाद्य और कृषि के लिये जैवविविधता से संबंधित सभी मामलों से निपटता है। इसका लक्ष्य विश्व में खाद्य सुरक्षा, मानव कल्याण एवं विकास के लिये इसका संरक्षण तथा उपयोग करना है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये मिशन जैविक मूल्य शृंखला विकास
हाल ही में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये मिशन जैविक मूल्य शृंखला विकास (ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट) की समीक्षा इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हुए की गई कि चरण III की प्रतिबद्ध देनदारी को कैसे समाप्त किया जाए और साथ ही वर्ष 2023-24 से शुरू होने वाली योजना के चरण IV के कार्यान्वयन के लिये रोडमैप कैसे बनाया जाए। देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जैविक खेती की क्षमता को महसूस करते हुए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 12वीं योजना अवधि में मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय राज्यों में कार्यान्वयन के लिये "उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिये मिशन जैविक मूल्य शृंखला विकास" शुरू किया है। यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य प्रसंस्करण, विपणन और ब्रांड निर्माण पहल हेतु उत्पादकों को उपभोक्ताओं के साथ जोड़ने के लिये मूल्य शृंखला मोड में प्रमाणित जैविक उत्पादन का विकास करने के साथ इनपुट, बीज, प्रमाणीकरण से लेकर संग्रह, एकत्रीकरण के लिये सुविधाओं के निर्माण तक संपूर्ण मूल्य शृंखला के विकास का समर्थन करना है।
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भारत-रूस वंदे भारत सौदा
भारत-रूस वंदे भारत संयुक्त उद्यम अनुबंध को हाल ही में दो रूसी व्यवसायों लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स और मेट्रोवैगनमैश द्वारा रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) की सहायक कंपनी किनेट रेलवे सॉल्यूशंस लिमिटेड के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद नवीनीकृत किया गया। इस संयुक्त उद्यम का लक्ष्य 120 वंदे भारत ट्रेन सेट का निर्माण करना है। इस संयुक्त उद्यम का लक्ष्य जून 2025 तक दो प्रोटोटाइप ट्रेनें विकसित करना है, इसके बाद 12 से 18 ट्रेनों का वार्षिक उत्पादन करना है। इसके तहत 35 वर्षों के लिये रखरखाव सेवाएँ प्रदान की जाएंगी जिसमें ट्रेन आपूर्ति के लिये 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर और रखरखाव के लिये 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल निवेश किया जाएगा।
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