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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 19 Mar, 2025
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

स्वदेश दर्शन योजना

स्रोत: द हिंदू

केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से स्वदेश दर्शन 2.0 (SD 2.0), चुनौती आधारित गंतव्य विकास (Challenge-Based Destination Development- CBDD) और पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता (Special Assistance to States for Capital Investment- SASCI) जैसी योजनाओं के तहत विकास के लिये 116 नए पर्यटन स्थलों को स्वीकृति दी है।

पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता (SASCI) योजना

  • कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में शुरू की गई SASCI योजना का उद्देश्य पूंजी निवेश परियोजनाओं में राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करना, पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ाना है।

स्वदेश दर्शन योजना (SDS) क्या है?

  • स्वदेश दर्शन योजना: यह भारत में सतत् और उत्तरदायित्वपूर्ण पर्यटन को विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई पूर्ण रूप से केंद्र द्वारा वित्त पोषित (केंद्रीय क्षेत्रक योजना) योजना है।
    • इसका उद्देश्य संपूर्ण भारत में बौद्ध, तटीय, मरुस्थलीय, पारिस्थितिकी, विरासत, पूर्वोत्तर आदि थीम आधारित पर्यटन सर्किटों का एकीकृत विकास करना है।
    • इसके अंतर्गत पर्यटन अवसंरचना विकास के लिये राज्य सरकारों, संघ शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • स्वीकृत परियोजनाओं का संचालन एवं अनुरक्षण (O&M) संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों का उत्तरदायित्व है।
  • स्वदेश दर्शन 2.0 (SD 2.0): SD 2.0 सतत् और उत्तरदायित्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के विकास के समग्र दृष्टिकोण पर आधारित है, जो 'वोकल फॉर लोकल' और आत्मनिर्भर भारत विज़न के अनुरूप है।
    • इसका उद्देश्य पर्यटन, आतिथ्य और परिसंपत्ति प्रबंधन में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाना है, जो दीर्घकालिक विकास के लिये सर्किट-आधारित पर्यटन से गंतव्य-केंद्रित मॉडल की ओर बदलाव को दर्शाता है।
  • चुनौती-आधारित गंतव्य विकास (CBDD): CBDD SD 2.0 के तहत एक उप-योजना है जो स्थिरता, डिजिटलीकरण, कौशल विकास, MSME समर्थन और प्रभावी प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिये एक प्रतिस्पर्द्धी दृष्टिकोण अपनाती है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति क्या है? 

और पढ़ें: भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति

भारत में पर्यटन विकास के लिये प्रमुख पहल क्या हैं?

भारत के लिये पर्यटन क्षेत्र का क्या महत्त्व है?

और पढ़ें: भारत के लिये पर्यटन क्षेत्र का महत्त्व  

भारत के पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

और पढ़ें: भारत के पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

मेन्स:

प्रश्न 1. पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है?  (2019)

प्रश्न 2. पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और काश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिक वाहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2015)


रैपिड फायर

पाई (π) डे

स्रोत: द हिंदू

प्रतिवर्ष 14 मार्च को मनाया जाने वाला पाई (π) डे गणितीय स्थिरांक π के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन अल्बर्ट आइंस्टीन की जयंती (वर्ष 1879) और स्टीफन हॉकिंग की पुण्यतिथि (वर्ष 2018) के साथ भी सुमेलित है।

  • पाई का महत्त्व: यह एक वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात को दर्शाता है और एक अपरिमेय, अनंत संख्या है।
    • ग्रीक अक्षर π का ​​पहली बार प्रयोग वर्ष 1706 में वेल्श गणितज्ञ विलियम जोन्स द्वारा किया गया था, जो “परिधि” शब्दों से प्रेरित था।
  • भारतीयों का योगदान: भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट (476-550 ई.) ने अपने कार्य "आर्यभट्टीय" में पाई का अनुमानित मान 3.1416 बताया था।
    • लाखों अंकों तक पाई की गणना करने वाला पहला एल्गोरिदम वर्ष 1914 में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन द्वारा प्रकाशित सूत्रों पर आधारित था।
  • पाई के अनुप्रयोग: गणित और इंजीनियरिंग में, वृत्त के गुणों, तरंग समीकरणों और संरचनात्मक डिज़ाइनों की गणना के लिये पाई अत्यंत आवश्यक है। 
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसी अंतरिक्ष एजेंसियाँ ​​कक्षीय पथ, उपग्रह स्थिति और अंतरिक्ष यान प्रक्षेप पथ निर्धारित करने के लिये π का ​​उपयोग करती हैं। 
    • यहाँ तक कि दैनिक जीवन में, π का उपयोग गुंबदों और पुलों के निर्माण के लिये किया जाता है, जो इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक मौलिक स्थिरांक बनाता है।

और पढ़ें: पाई डे


रैपिड फायर

मेलियोडोसिस

स्रोत: द हिंदू 

एक हालिया अध्ययन में जलवायु परिस्थितियों, विशेषकर मानसून संबंधी कारक, के कारण मेलियोडोसिस के संचरण पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख किया गया।

  • मेलियोडोसिस: यह एक जीवाणुजनित संक्रामक रोग है, जो वर्षा, ताप और आर्द्रता से संबंधित है।
    • यह Burkholderia pseudomallei के कारण होता है और मनुष्य द्वारा टीकाकरण और मुख्य रूप से मृदा और जल में रहने वाले पर्यावरणीय मृतजीवी (Saprophytes) का अंतः श्वसन और/ अथवा अंतर्ग्रहण करने से इसका संचरण होता है।
  • भारत सहित दक्षिण एशिया (बांग्लादेश और श्रीलंका में स्थानिक) में वैश्विक मेलियोडोसिस के 44% मामले हैं, जिसमें ओडिशा अपनी कृषि और चरम मौसम के कारण इसका हॉटस्पॉट है।
    • यह मुख्य रूप से उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
  • इसके लक्षणों में प्रारंभिक चर्म संक्रमण से गंभीर निमोनिया और सेप्सिस शामिल है, तथा सेप्टिक मामलों में इसकी मृत्यु दर 50% है।
    • इसका संचरण पशुओं से मनुष्यों में नहीं होता है, तथा मनुष्य से मनुष्य में इसका संक्रमण दुर्लभ है।
  • मेलियोडोसिस का उपचार प्रतिजैविक औषधियों से किया जा सकता है, लेकिन चिकित्सकों को इससे समस्या होती है क्योंकि:
    • विविध लक्षण: यह प्रारंभिक चर्म संबंधी समस्याओं से लेकर गंभीर निमोनिया और सेप्सिस जैसे अनेक प्रकार के संक्रमणों का कारण बनता है।
    • निदान संबंधी चुनौतियाँ: प्रायः इसे Pseudomonas aeruginosa समझने की भूल की जाती है, जो कि एक अधिक सामान्य जीवाणु है, जिसके कारण अनुचित उपचार किये जाने की संभावना होती है।
    • जटिल उपचार: इसके लिये दीर्घकालीन थेरेपी (12 से 20 सप्ताह) की आवश्यकता होती है और यदि उचित उपचार न किया जाए तो रोग के पुनः जनित होने का खतरा रहता है।

Melioidosis

और पढ़ें: जलवायु परिवर्तन और संक्रामक रोग


रैपिड फायर

मेनहिर

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

तेलंगाना के नारायणपेट ज़िले में स्थित मुदुमल के महापाषाणकालीन (Megalithic) मेनहिर को वर्ष 2025 की यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अनंतिम सूची में शामिल किया गया है।

  • महापाषाण का तात्पर्य प्रागैतिहासिक बड़ी पत्थर की संरचनाओं से है जिनका निर्माण या तो शवाधान या स्मारक स्थलों के रूप में किया गया था।
  • यूरोप के मेनहिर 7,000 वर्ष प्राचीन है, जिसमें फ्राँस के ग्रैंड मेनहिर ब्रिसे की ऊँचाई सर्वाधिक (20.6 मीटर) है।

मेनहिर:

  • परिचय: मेनहिर बृहद, उर्ध्वाधर पाषाण होते हैं, जिनका आकार सामान्यतः ऊपर की ओर पतला होता है और ये मनुष्यों द्वारा स्थापित किये जाते हैं। मुदुमल के मेनहिर भारत के प्राचीनतम (3,500-4,000 BP) मेनहिर हैं, तथा कृष्णा नदी के तट के समीप अवस्थित हैं। 
    • BP 1950 ई. से पहले के वर्षों की गणना करने वाला समय मापक्रम है। 

Menhirs

  • मुदुमल मेनहिर स्थल सुव्यवस्थित रूप से संरक्षित महापाषाणकालीन शवाधान स्थल है।
  • इन्हें विषुव और अयनांत जैसी सौर घटनाओं के साथ सटीक रूप से संरेखित किया गया है, तथा एक पत्थर पर सप्तर्षि मंडल के चषक-चिह्न अंकित हैं, जो दक्षिण एशिया में तारा चित्रण का प्राचीनतम ज्ञात स्रोत है। 
  • स्थानीय लोग प्राचीन परंपराओं को संरक्षित रखते हुए मेनहिरों की उपासना "निलुरल्ला तिम्मप्पा" के रूप में करते हैं, जिनमें से एक की उपासना देवी येल्लम्मा के रूप में की जाती है।
  • हीरो स्टोन से अलग: हीरो स्टोन ( कन्नड़ में वीरगल्लू , तमिल में नटुकल ) युद्ध में मारे गए योद्धाओं के सम्मान में बनाए गए स्मारक हैं। पूरे भारत में, खासकर दक्षिण में पाए जाने वाले, इन्हें वीर बलिदानों की याद में पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व और 18 वीं शताब्दी ई. के बीच स्थापित किया गया था ।
  • हीरो स्टोन से भिन्नता: हीरो स्टोन (कन्नड़ में वीरगल्लू, तमिल में नटुकल) युद्ध में शहीद गए योद्धाओं के सम्मान में स्थापित स्मारक हैं। यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर दक्षिण, में पाए जाते हैं और इन्हें वीर बलिदानों की स्मृति में पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व से 18वीं शताब्दी ई. की अवधि में स्थापित किया गया था।

और पढ़ें: महापाषाणकालीन शवाधान स्थल 


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