AK-203 राइफल
भारत और रूस ने संयुक्त रूप से अमेठी, उत्तर प्रदेश के एक कारखाने में AK-203 राइफल्स का निर्माण शुरू कर दिया है।
- रूस और भारत के बीच दिसंबर 2021 में 6,01,427 असॉल्ट राइफल्स की खरीद के लिये अमेठी में कोरवा आयुध कारखाने के माध्यम से एक समझौता हुआ था।
संयुक्त अनुबंध के प्रमुख बिंदु:
- भारतीय आयुध निर्माणी बोर्ड, कलाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट, (रोस्टेक राज्य निगम की दोनों सहायक कंपनियों) के बीच भारत-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के हिस्से के रूप में भारत में छह लाख से अधिक राइफल्स का निर्माण किया जाना है।
- इस संबंध में भारत और रूस के बीच दिसंबर 2021 में 5,124 करोड़ रुपए की डील हुई थी।
- हालिया वर्षों में दोनों देशों के बीच यह सबसे बड़ी रक्षा संबंधी डील है। इस डील में प्रौद्योगिकी के पूर्ण हस्तांतरण संबंधी प्रावधान है। इन राइफल्स को मित्र देशों में भी निर्यात किया जाएगा।
- विचार यह है कि इन राइफल्स का निर्माण 100% स्वदेशी कलपुर्जों के साथ 128 महीनों की अवधि में किया जाए।
AK-203 राइफल:
- AK-203 असॉल्ट राइफल को AK-47 राइफल का नवीनतम तथा सबसे अद्यतन संस्करण माना जाता है।
- यह AK-100 राइफल वर्ग का 7.62×39 मिमी. संस्करण है (यह कई कारतूस और लंबाई में AK-74M प्रणाली प्रदान करता है)।
- यह भारतीय लघु हथियार प्रणाली (INSAS) 5.56×45 मिमी. असॉल्ट राइफल का स्थान लेगी, जिसका उपयोग वर्तमान में अन्य सुरक्षा बलों के अलावा सेना, नौसेना तथा वायु सेना द्वारा किया जा रहा है।
- INSAS राइफल्स अधिक ऊँचाई पर उपयोग के लिये उपयुक्त नहीं हैं। इन राइफल्स के साथ कई अन्य समस्याएँ भी हैं जिनमें गन जैमिंग, तेल रिसाव आदि शामिल हैं।
भारत-रूस रक्षा और सुरक्षा संबंध:
- भारत-रूस सैन्य-तकनीकी सहयोग एक क्रेता-विक्रेता ढांँचे से विकसित हुआ है जिसमें उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन शामिल है।
- दोनों देश नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास 'इंद्र' आयोजित करते हैं।
- भारत और रूस के बीच संयुक्त कार्यक्रमों में शामिल हैं:
- ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल कार्यक्रम
- 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट कार्यक्रम
- सुखोई Su-30MKI कार्यक्रम
- इल्यूशिन/एचएएल (Ilyushin/HAL) सामरिक परिवहन विमान
- KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर
- इसमें भारत द्वारा रूस से खरीदे/पट्टे पर लिये गए सैन्य हार्डवेयर में शामिल हैं:
- एस-400 ट्रायम्फ
- मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में बनेगी 200 कामोव Ka-226
- टी-90एस भीष्म
- INS विक्रमादित्य विमान वाहक कार्यक्रम
- रूस अपने पनडुब्बी कार्यक्रमों द्वारा भारतीय नौसेना की सहायता में भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
- भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी, 'फॉक्सट्रॉट क्लास' रूस से ली गई थी।
- भारत अपने परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम के लिये रूस पर निर्भर है।
- भारत द्वारा संचालित एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी मूल रूप से रूस का है।
स्रोत: प्रिंट
स्पॉट बेलीड ईगल आउल
हाल ही में स्पॉट बेलीड ईगल आउल (बुबो निपलेंसिस) को शेषाचलम वन में पहली बार तथा आंध्र प्रदेश में तीसरी बार देखा गया।
- इसे पहले दो बार नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व (NSTR) में देखा गया था।
स्पॉट बेलीड ईगल आउल:
- परिचय:
- स्पॉट बेलीड ईगल आउल जिसे फाॅरेस्ट ईगल-आउल के रूप में भी जाना जाता है, एक बड़ी आउल (उल्लू) प्रजाति है जो आमतौर पर जंगलों और चट्टानी पहाड़ियों जैसे क्षेत्रों में पाई जाती है तथा अपने पेट पर विशिष्ट धब्बों (Spots) के लिये जानी जाती है।
- स्पॉट-बेलीड ईगल-आउल बड़े, शक्तिशाली और निर्भीक शिकारी पक्षी हैं।
- यह चिड़िया इंसानों जैसी अजीब-सी आवाज़ निकालती है, इसलिये इसे भारत में 'जंगल का भूत' कहा जाता है
- स्पॉट बेलीड ईगल आउल जिसे फाॅरेस्ट ईगल-आउल के रूप में भी जाना जाता है, एक बड़ी आउल (उल्लू) प्रजाति है जो आमतौर पर जंगलों और चट्टानी पहाड़ियों जैसे क्षेत्रों में पाई जाती है तथा अपने पेट पर विशिष्ट धब्बों (Spots) के लिये जानी जाती है।
- वितरण:
- स्पॉट-बेलीड ईगल-आउल प्रजातियाँ भारत, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्याँमार, चीन, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में पाई जाती हैं
- स्पॉट-बेलीड ईगल-आउल प्रजातियाँ भारत, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्याँमार, चीन, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में पाई जाती हैं
- शिकार:
- ये बड़े पक्षियों एवं सुनहरे सियार, खरगोश, सिवेट और शेवरोटाइन जैसे स्तनधारियों का शिकार करने के लिये जानी जाती हैं।
- IUCN और CITES स्थिति:
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट: ‘कम चिंतनीय’।
- CITES (वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन): परिशिष्ट II
नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व:
- नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व को आधिकारिक तौर पर 1978 में घोषित किया गया था और 1983 में प्रोजेक्ट टाइगर द्वारा मान्यता दी गई है।
- नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- वर्ष 1992 में इसका नाम बदलकर राजीव गांधी वन्यजीव अभयारण्य कर दिया गया था।
- यह टाइगर रिज़र्व आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 5 ज़िलों में विस्तृत है। इस क्षेत्र में ज़्यादातर नल्लामाला पहाड़ियाँ हैं।
- बहुउद्देशीय जलाशय- श्रीशैलम और नागार्जुनसागर इसी रिज़र्व में अवस्थित हैं।
- कृष्णा नदी इस रिज़र्व के बेसिन को विभाजित करती है।
स्रोत: द हिंदू
भारत प्रवाह
हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों की शृंखला के माध्यम से दैनिक जीवन में नदियों, बंदरगाहों एवं नौवहन के महत्त्व तथा कल्पना को उज़ागर करने के लिये 'भारत प्रवाह-भारत अपने तटों के साथ (Bharat Pravah-India along its Shores)' पहल शुरू की है।
- केरल में कोच्चि, विझिंजम और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में गैलाथिया बे बंदरगाहों ने पूर्ण रूप से ट्रांसशिपमेंट हब बनने की दिशा में प्रगति की है।
भारत प्रवाह:
- परिचय:
- भारत प्रवाह शिपिंग, नदियों, समुद्रों और लोगों का व्यापक दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों से हितधारकों को एक-साथ लाने के लिये एक सामान्य मंच के रूप में काम करेगा।
- यह समुद्री क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों, नीतिगत मुद्दों और भविष्य के लक्ष्यों को उज़ागर करेगा।
- थीम:
- भारत में नदी और समुद्र केंद्रित विकास-ऐतिहासिक दृष्टिकोण।
- लोक संस्कृति और साहित्य में समुद्र, नदी, बंदरगाह और जहाज़।
- लोकप्रिय संस्कृति में बंदरगाहों और नौवहन का प्रतिनिधितत्त्व।
- पिछले 30 वर्षों में भारत के विकास में नौवहन और बंदरगाहों की भूमिका।
- बंदरगाहों के निजीकरण की राजनीति और अर्थव्यवस्था।
- अंतर्देशीय जलमार्ग - विकास की प्रमुख धारा, उनकी भूमिका और महत्त्व।
- हरित बंदरगाह और नौवहन उद्योग।
- बंदरगाहों और नौवहन उद्योग का भविष्य- प्रबंधन, चुनौतियाँ और नीतियाँ।
भारत में बंदरगाहों से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- सरकार चाहती है कि सभी बंदरगाह वर्ष 2047 तक मेगा बंदरगाह बनने हेतु एक मास्टर प्लान तैयार करें।
- वर्तमान में भारत के ट्रांसशिपमेंट कार्गो का लगभग 75% भारत के बाहर बंदरगाहों पर वहन किया जाता है। मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग के बंदरगाह इस कार्गो के 85% से अधिक का वहन करते हैं।
- ट्रांसशिपमेंट हब ऐसे बंदरगाह होते हैं जिनका मूल और गंतव्य बंदरगाह से संपर्क होता है।
- भारत मेगा बंदरगाहों का निर्माण करना चाहता है जो डिजिटल और पर्यावरण के अधिक अनुकूल होंगे लेकिन इसके समक्ष कई चुनौतियाँ हैं।
- भारत लगभग 35% कंटेनरीकरण करता है, जबकि अन्य विकासशील देश 62% से 65% कंटेनरीकरण करते हैं।
- वर्तमान में भारत कंटेनरों का उपयोग करने के स्थान पर बल्क शिपिंग अधिक करता है, हालाँकि हम कंटेनरीकरण (Containerization) की दिशा में तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं।
- वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2% है। व्यापार संतुलन आयात की ओर है। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत 44वें स्थान पर है।
- कम रैंकिंग का कारण उचित बुनियादी ढाँचे और प्रक्रियात्मक सुधारों का अभाव है।
IL -38 विमान
भारतीय नौसेना का IL- 38 विमान पहली बार और शायद अंतिम बार कर्तव्य पथ पर 74वें गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेगा।
- यह भारतीय वायु सेना के 9 राफेल सहित 50 विमानों में से एक होगा, जो कि इस आयोजन का हिस्सा होगा।
IL-38 विमान:
- IL-38 एक समुद्री टोही विमान है जिसे वर्ष 1977 में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था और लगभग 44 वर्षों तक अपने पूरे सेवाकाल में एक दुर्जेय हवाई संपत्ति बना रहा।
- नौसेना ने IL-38 विमान की शुरुआत के साथ लंबी दूरी की एंटी-सबमरीन सर्च और स्ट्राइक, एंटी-शिपिंग स्ट्राइक, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस एवं रिमोट SAR सहित एकीकृत एयरबोर्न लॉन्ग रेंज मैरीटाइम रिकॉनिसंस (LRMR) के क्षेत्र में प्रवेश किया।
- IL-38 एक बहुउद्देश्यीय विमान है जिसमें सभी मौसम में परिचालन क्षमता है। इसकी लगभग 10,000 घंटे की परिचालन उड़ान क्षमता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire करेंट अफेयर्स 19 जनवरी 2023
सेवानिवृत्त डीजी पंकज कुमार सिंह बने उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
हाल ही में 17 जनवरी को बीएसएफ के सेवानिवृत्त डीजी पंकज कुमार सिंह को दो साल की अवधि के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy National Security Adviser) नियुक्त किया गया है। वे 31 दिसंबर, 2022 को BSF प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। राजस्थान कैडर के 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह को पुनर्नियोजन अनुबंध पर नियुक्त किया गया है। पंकज कुमार सिंह के पास भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद से एमबीए के अलावा एलएलबी और एमफिल की डिग्री है। वह 1959 बैच के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह के पुत्र हैं, जिन्होंने जून, 1993 से जनवरी, 1994 तक BSF का नेतृत्त्व भी किया था। सिंह ने केंद्र सरकार के साथ छत्तीसगढ़ में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के महानिरीक्षक और दिल्ली में CRPF मुख्यालय में आईजी (संचालन) के रूप में कार्य किया था। BSF के महानिदेशक बनने से पहले उन्होंने BSF में पूर्वी सीमांत के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया, जहाँ उन्होंने पश्चिम बंगाल और असम की सीमाओं के माध्यम से होने वाली पशु तस्करी को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजस्थान के जैसलमेर में वर्ष 2021 में उन्होंने बीएसएफ का स्थापना दिवस मनाने का विचार भी पेश किया था। वर्तमान में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी दत्तात्रय पडसलगिकर, पूर्व R&AW प्रमुख राजिंदर खन्ना और सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी पंकज सरन भी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं।
दिल्ली के पुराना किला परिसर में फिर होगी खुदाई
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (The Archaeological Survey of India- ASI) द्वारा दिल्ली के पुराना किला परिसर में फिर से खुदाई शुरू की जाएगी। वर्ष 2013-14 और 2017-18 में हुई खुदाई के बाद से पुराने किले में खुदाई का यह तीसरा दौर होगा। नवीनतम उत्खनन का उद्देश्य पिछले वर्षों में खोदी गई खाइयों का अनावरण और संरक्षण करना है। पिछले दौर की खुदाई में मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले थे। इस बार की खुदाई में स्लेटी रंग के बर्तनों की खोज को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पहले हुई खुदाई में मिली कलाकृतियों में नौ सौ ईसा पूर्व काल के चित्रित स्लेटी बर्तन और मौर्य से लेकर क्रमिक रूप से शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल काल तक के मिट्टी के बर्तन शामिल हैं। वहाँ मिली वस्तुएँ जैसे- दरांती, टेराकोटा के खिलौने, भट्ठे की जली हुई ईंटें, मनके, टेराकोटा मूर्तियाँ, मोहरे अब किला परिसर के भीतर पुरातत्त्व संग्रहालय में दर्शाए गए हैं। 16वीं सदी का पुराना किला शेर शाह सूरी और दूसरे मुगल बादशाह हुमायूँ ने बनवाया था। पुराना किला उस स्थल पर स्थित है जो हज़ारों वर्ष पूर्व के इतिहास को समेटे हुए है।
नारंगी रंग का चमगादड़
छत्तीसगढ़ के बस्तर में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पराली बोडल गाँव में केले के बागान में एक ‘दुर्लभ नारंगी रंग का चमगादड़’ देखा गया, जिसे 'पेंटेड बैट' के नाम से भी जाना जाता है। भारत में यह पश्चिमी घाट, केरल, महाराष्ट्र एवं ओडिशा और अब छत्तीसगढ़ में देखा जा चुका है। यह आमतौर पर बांग्लादेश, ब्रुनेई, बर्मा, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम में पाया जाता है। इस प्रजाति के चमगादड़ की काले और नारंगी रंग के पंख एवं उंगलियाँ होती हैं। ये अक्सर असामान्य रोस्टिंग साइट्स जैसे- बुनकर फ़िंच और सनबर्ड्स, केले के पत्तों के घोंसले बनाते है, इन चमगादड़ों को जोड़े में बसेरा करने के लिये जाना जाता है। चमगादड़ों की इस प्रजाति को वैश्विक स्तर पर विलुप्तप्राय की श्रेणी में रखा गया है। भारत में यह दुर्लभ चमगादड़ मात्र 7-8 बार ही देखा गया है।
GMRT ने परमाणु हाइड्रोजन का पता लगाया
मैकगिल यूनिवर्सिटी, कनाडा और IISc, बंगलूरू के खगोलविदों ने जाइंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope- GMRT) के डेटा का उपयोग करते हुए एक अत्यंत दूर की आकाशगंगा (अब तक की सबसे अधिक दूर) में परमाणु हाइड्रोजन से उत्पन्न होने वाले रेडियो संकेत का पता लगाया है। परमाणु हाइड्रोजन आकाशगंगा में तारे के निर्माण के लिये आवश्यक बुनियादी ईंधन है। यह 21 सेमी. तरंग दैर्ध्य की रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करता है, जिसे GMRT जैसे कम आवृत्ति वाले रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है। अब तक तक 21 सेमी. उत्सर्जन के साथ पहचानी जाने वाली सबसे दूर की आकाशगंगा z = 0.376 पर थी, (संकेत का पता लगाने और इसके मूल उत्सर्जन के बीच के समय के अनुरूप- 4.1 बिलियन वर्ष)। अब जो पता चला है वह रेडशिफ्ट z = 1.29 पर है। रेडशिफ्ट वस्तु के स्थान और गति के आधार पर संकेत की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन का प्रतिनिधित्त्व करता है; z का अधिक मान किसी दूर की वस्तु को इंगित करता है। यह पता लगाना गुरुत्त्वाकर्षण लेंसिंग नामक घटना से संभव हुआ। गुरुत्त्वाकर्षण लेंसिंग आकाशगंगाओं और आकाशगंगाओं के समूहों में पदार्थ के वितरण की जाँच करता है एवं दूर के ब्रह्मांड के अवलोकन को सक्षम बनाता है।
और पढ़ें… परमाणु हाइड्रोजन, GMRT
वायु गुणवत्ता निगरानी हेतु AI-AQMS v1.0
हाल ही में MeitY द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के लिये प्रौद्योगिकी- AI-AQMS v1.0 लॉन्च की गई। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC), कोलकाता ने पर्यावरण प्रदूषकों की निगरानी के लिये एक बाह्य वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन विकसित किया है। इसमें पर्यावरण के निरंतर वायु गुणवत्ता विश्लेषण के लिये PM1.0, PM2.5, PM10.0, SO2, NO2, CO, O2, परिवेशीय तापमान, सापेक्ष आर्द्रता आदि जैसे मानदंड शामिल हैं।
और पढ़ें… वायु गुणवत्ता की निगरानी
बायोसेंसिंग आधारित EDC डिटेक्शन प्रणाली
MeitY ने हाल ही में जलीय पारिस्थितिक तंत्र में अंत:स्रावी अवरोध रसायन (EDC) का पता लगाने के लिये बायोसेंसिंग प्रणाली हेतु प्रौद्योगिकी लॉन्च की है। जल निकायों में EDC सामग्री के गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण के लिये ICAR-CIFRI के सहयोग से C-DAC, कोलकाता द्वारा प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। अंत:स्रावी अवरोधक वे रसायन होते हैं जो शरीर की अंत:स्रावी प्रणाली में हस्तक्षेप कर सकते हैं और मानव तथा वन्यजीव दोनों में प्रतिकूल विकासात्मक, प्रजनन, न्यूरोलॉजिकल और प्रतिरक्षा प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
और पढ़ें… अंत:स्रावी अवरोधक
ऋण हानि प्रावधान
RBI ने हाल ही में बैंकों द्वारा 'हानि-आधारित' अनुमानित दृष्टिकोण के प्रावधान को अपनाने के लिये एक रूपरेखा का प्रस्ताव दिया है। वैश्विक मानकों के अनुसार, वर्तमान में बैंकों को 'हानि' दृष्टिकोण के आधार पर ऋण हानि प्रावधान करने की आवश्यकता होती है। यह एक अधिक अग्रगामी 'अपेक्षित क्रेडिट लॉस' युक्त दृष्टिकोण होगा। प्रस्तावित ढाँचे के तहत बैंकों को वित्तीय परिसंपत्तियों (प्राथमिक ऋण और निवेश) को मूल्यांकित करने हेतु क्रेडिट नुकसान के आधार पर तीन श्रेणियों में से एक में वर्गीकृत करने की आवश्यकता होगी- चरण 1, चरण 2 और चरण 3। ऋण हानि प्रावधान- यह एक ऐसा व्यय है जो बैंक बकाया ऋणों के लिये अलग से रखते हैं। बैंक अपने पोर्टफोलियो में सभी ऋणों में से अनुमानित ऋण पुनर्भुगतान का एक हिस्सा अलग से रखते हैं ताकि नुकसान को पूरी तरह से या आंशिक रूप से कवर किया जा सके। नुकसान की स्थिति में अपने नकदी प्रवाह में नुकसान उठाने की बजाय बैंक नुकसान की पूर्ति के लिये अपने ऋण हानि संचय (कोष) का उपयोग कर सकता है।
और पढ़ें… भारतीय रिज़र्व बैंक