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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्लोबल केमिकल आउटलुक-II

  • 07 Sep 2019
  • 60 min read

परिचय

रसायन हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। रसायन विज्ञान में नवाचार से दवाईयों, फसल सुरक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में सुधार हो सकते हैं। हालाँकि इनके दुरुपयोग और कुप्रबंधन से मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को खतरा भी हो सकता है। द्वितीय ग्लोबल केमिकल्स आउटलुक के अनुसार, वैश्विक रुझानों जैसे कि जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और आर्थिक विकास के कारण रसायनों के उपयोग में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में। वर्ष 2017 में रसायन उद्योग 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का था और वर्ष 2030 तक यह दोगुना हो जाएगा। मनुष्यों के लिये यह वृद्धि सकारात्मक है या नकारात्मक यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम रसायनों से संबद्ध चुनौतियों का प्रबंधन किस प्रकार करते हैं।

बड़ी मात्रा में खतरनाक रसायन और प्रदूषक वातावरण में रिसते हैं, खाद्य श्रृंखलाओं को दूषित करते हैं और हमारे शरीर में जमा होकर गंभीर क्षति भी पहुँचाते हैं। यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी के एक अनुमान से पता चलता है कि वर्ष 2016 में यूरोप में जितने रसायनों की खपत हुई उनमें से 62 प्रतिशत रसायन स्वास्थ्य के लिये खतरनाक थे। हमने विभिन्न देशों और हितधारकों के प्रयासों, अंतर्राष्ट्रीय संधियों तथा स्वैच्छिक साधनों के माध्यम से रसायनों के प्रबंधन में कुछ प्रगति की है। वर्ष 2002 में सतत् विकास हेतु विश्व शिखर सम्मेलन में, विभिन्न देशों को वर्ष 2020 तक रसायनों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये प्रतिबद्ध किया गया था।

वर्तमान गति से, हम इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएँगे। बाज़ार के विस्तार और संदूषण में वृद्धि को देखते हुए, हम अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जारी नहीं रख सकते। सतत् आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान में नवाचार तथा रसायन प्रबंधन के लिये सामान्य दृष्टिकोण अपनाने से मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र और अर्थव्यवस्थाओं को जोखिम कम हो सकते हैं लेकिन एक समाधान केवल उतना ही अच्छा होता है जितना इसको लागू करने की इच्छाशक्ति हो। अब पहले से कहीं अधिक, निवेशकों, उत्पादकों, खुदरा विक्रेताओं, नागरिकों, शिक्षाविदों और मंत्रियों जैसे महत्त्वपूर्ण प्रभावितों को इसके लिये कार्य करना चाहिये। हम 2030 के एजेंडा को सतत् विकास के लिये लागू कर रहे हैं और वर्ष 2020 तक रसायनों और अपशिष्टों के उचित प्रबंधन के लिये भविष्य की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।

सतत् विकास के संदर्भ में रसायन एवं अपशिष्ट

एक स्थायी भविष्य की परिकल्पना करने वाले बैककास्टिंग दृष्टिकोण का उपयोग करके GCO-II ने दुनिया भर के नीति-निर्माताओं द्वारा विचार किये जाने और वर्ष 2020 तक रसायनों और अपशिष्ट प्रबंधन को सूचित करने के लिये कई कार्यों की पहचान की है।

व्यापक सतत् विकास के संदर्भ में रसायन और अपशिष्ट

अंतर्राष्ट्रीय नीति एजेंडा को जोड़ने के अवसर

2030 एजेंडा में रसायनों और अपशिष्ट की प्रासंगिकता को देखते हुए, वर्ष 2020 तक की अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया रसायन, अपशिष्ट प्रबंधन और अन्य अंतर्राष्ट्रीय नीति एजेंडे में सहयोग स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है। इन सहयोगों में शामिल हैं:

  • रसायन और स्वास्थ्य
  • रसायन और श्रमिक
  • रसायन और जलवायु परिवर्तन
  • रसायन और जैवविविधता
  • रसायन, कृषि और खाद्य पदार्थ
  • रसायन एवं सतत् उपयोग तथा उत्पादन
  • रसायन और अंतर्राष्ट्रीय नीति एजेंडा

रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन के इंटरफ़ेस की पहचान

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एवं कई देशों में रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन को कई वर्षों तक अलग-अलग संबोधित किया गया है। उदाहरण के लिये एजेंडा 21 में रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन को अलग-अलग अध्यायों में शामिल किया गया था। हालाँकि व्यापक रूप से यह माना गया है कि रासायनिक उत्पादों के जीवन चक्र (पुनःप्रयोग, पुन:चक्रीकरण और निस्तारण) के दौरान उनसे रसायनों के रिसाव को कम करने के लिये सुरक्षित रसायनों एवं उनके सतत् उत्पादन की योजना तथा रसायनों का सुरक्षित उपयोग आवश्यक हैं। फ्रंट-ऑफ-द-पाइप समाधान यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि प्राथमिक उत्सर्जन द्वितीयक कच्चे माल के रूप में चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) में उपयोग किये जाएँ ताकि अवांछित खतरनाक रसायन उत्सर्जित न हों।

“फ्रंट-ऑफ-द-पाइप समाधान का अर्थ यह है कि रासायनिक उत्पादों के निर्माण में ऐसे कच्चे माल एवं उत्पादन विधि का उपयोग हो जिससे रासायनिक उत्सर्जन कम-से-कम हो अर्थात् प्रदूषण कम हो जबकि चक्रीय अर्थव्यवस्था में ऐसी तकनीकों का उपयोग होता है जिनमें प्राथमिक उत्सर्जन का पुनःप्रयोग द्वितीयक कच्चे माल के रुप में किया जाता है।”

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रसायनों और अपशिष्ट प्रबंधन की अवधारणाओं को एक साथ लाने के लिये सतत् विकास लक्ष्य 12 सतत् उपयोग और उत्पादन के तहत SDG 12.4 के माध्यम से महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है। वर्ष 2020 तक अपशिष्टों एवं रसायन के समुचित प्रबंधन के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य सामरिक दृष्टिकोण में अपशिष्टों को शामिल करना भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

नीति निर्माताओं हेतु मुख्य संदेश: सभी स्तरों पर अधिक इच्छाशक्ति के साथ कार्य करने का आह्वान

2020 का लक्ष्य प्राप्त नहीं होगा: साधारण कार्य उपाय नहीं हो सकते

GCO-II के निष्कर्ष से पता चलता है कि रसायन और अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन एवं प्रतिकूल प्रभावों को कम करने का लक्ष्य वर्ष 2020 तक प्राप्त नहीं होगा। रुझानों के आँकड़ों से यह भी पता चलता है कि यदि रसायनों और अपशिष्टों का समुचित प्रबंधन नहीं किया गया तो वर्ष 2017 से 2030 के मध्य रासायनिक बाज़ार के दुगने होने से वैश्विक स्तर पर रसायनों के रिसाव, एक्सपोज़र, सांद्रता तथा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभावों में वृद्धि होगी। इसके लिये विश्व भर में सभी हितधारकों और देशों द्वारा अधिक इच्छाशक्ति के साथ तत्काल तथा सहयोगी कार्यों की आवश्यकता होगी।

  • महत्त्वाकांक्षी प्राथमिकताओं और सुसंगत संकेतकों के साथ एक व्यापक वैश्विक ढाँचे की आवश्यकता है।
  • वर्ष 2020 तक योजनाओं का कार्यान्वन
  • प्रभावी प्रबंधन तंत्रों का विकसित करना
    • जोखिमों का आकलन और प्रबंधन
    • जीवन चक्र दृष्टिकोण का उपयोग
    • कॉरपोरेट गवर्नेंस का सशक्तीकरण
    • शिक्षा और नवाचार
    • पारदर्शिता में वृद्धि
    • वैश्विक प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा
  • वर्तमान हितधारकों की प्रतिबद्धता और नए कार्यकर्त्ताओं की सहभागिता को बढ़ाना

उभरती हुई रसायन अर्थव्यवस्था: धारणीयता के लिये प्रासंगिक स्थिति और रुझान

हालाँकि कई रसायन ऐसे हैं जो सतत् विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। रासायनिक प्रदूषकों पर GCO-II में प्रदर्शित आँकड़ों के अनुसार, हवा, पानी, मिट्टी, प्राणिजात और वनस्पति जात में रासायनिक सांद्रता एवं मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर उनके प्रतिकूल प्रभाव चिंता का प्रमुख कारण हैं। यदि रसायनों और अपशिष्टों का समुचित प्रबंधन नहीं किया गया तो रासायनों के उत्पादन तथा उपयोग में संभावित वृद्धि के परिणामस्वरूप अधिक प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होंगे।

सभी क्षेत्रों में रसायनों के उत्पादन, उपयोग और व्यापार में वृद्धि

वर्ष 2000 से 2017 के मध्य वैश्विक रसायन उद्योग की उत्पादन क्षमता 1.2 बिलियन टन से 2.3 बिलियन टन तक (लगभग दोगुनी) हो गई है (इसमें दवाइयाँ शामिल नहीं हैं)। यदि दवाईयों को भी इसमें शामिल करलें तो वर्ष 2017 में 5.68 ट्रिलियन डॉलर के साथ रसायन उद्योग विश्व का दूसरा सबसे बड़ा निर्माण उद्योग है। यह वृद्धि सिर्फ रसायनों की बिक्री में ही नहीं हुई है बल्कि उत्पादन क्षमता में भी हुई है जिससे भविष्य में उत्पादित रसायनों की मात्रा में वृद्धि जारी रहने का अनुमान है। वर्ष 2017 से 2030 तक एक बार फिर रसायनों की बिक्री के दोगुने होने की संभावना है। एशिया में यह वृद्धि सबसे अधिक होगी जिसमें विश्व के कुल रासायनिक व्यापार में चीन की 50% हिस्सेदारी होगी। निर्मित रसायनों का उत्पादन और खपत विश्व भर में तेज़ी से हो रही है तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में इनकी बढ़ती हुई हिस्सेदारी देखी जा सकती है इनमें से कुछ देश ऐसे हैं जिनकी नियामक क्षमताएँ सीमित हैं।

वैश्विक मेगाट्रेंड और औद्योगिक क्षेत्रक के रुझान जोख़िम और अवसर का सृजन करते हैं:

जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, वैश्वीकरण, डिजिटलीकरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मेगाट्रेंड से प्रेरित वैश्विक समाज तेज़ी से बदल रहा है। वैश्विक आर्थिक विकास और वैश्विक जनसंख्या परिवर्तन, बाज़ार में रसायनों की माँग को प्रभावित करते हैं जिससे जोखिम और अवसर दोनों का सृजन होता है। इसका मतलब है कि प्रति व्यक्ति रसायनों की खपत लगातार बढ़ रही है जो वर्ष 2030 एजेंडा में SDG 12 के सतत् खपत तथा उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। यह आर्थिक विकास पदार्थों के उपयोग को कम करने, संसाधन बढ़ाने और पर्यावरण-दक्षता, अग्रिम सतत् पदार्थ प्रबंधन और स्रोत में कमी, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी बल देता है।

रसायन वैश्विक पदार्थ प्रवाह से संबंधित हैं और उसे प्रभावित करते हैं:

शोधकर्त्ताओं ने रासायनिक क्षेत्र के भौतिक संसाधनों के प्रवाह की मात्रा का आकलन किया है। केवल एक वर्ष (2015) के दौरान ही लगभग 1.7 बिलियन टन कच्चे माल (मुख्यतः जीवाश्म ईंधन लेकिन इसमें जैविक और नवीकरणीय कच्चे माल भी शामिल थे) तथा द्वितीयक अभिकारक (अधिकतर जल) का उपयोग 820 मिलियन टन रासायनिक उत्पादों के उत्पादन के लिये किया गया था इससे लगभग इतनी ही मात्रा में उत्सर्जक पदार्थ (मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड) भी उत्पन्न हुए। संसाधनों से रसायनों युक्त उत्पादों के निर्माण के गुणात्मक पहलू भी हैं। नए-नए रासायनिक यौगिक बनाए जाते हैं जिनमें से कुछ के कारण जोखिम या तो उत्पन्न होते हैं अथवा बढ़ जाते हैं। ज़हरीले रसायनों जैसे- पारा, सीसा और अन्य भारी धातुओं का खनन किया जाता है और रासायनिक पदार्थों के उत्पादन में इनका उपयोग किया जाता है तथा बाद में इनके अपशिष्टों को पर्यावरण में उत्सर्जित कर दिया जाता है। यह भी चिंता का विषय है कि पुनर्चक्रण में कमी होने के कारण महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाओं में से प्रमुख संसाधनों का क्षय हो रहा है।

रासायनिक गहन उत्पाद और जटिल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएँ चक्रीकरण के मार्ग में चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं:

आधुनिक उत्पादों में अक्सर सैकड़ों रसायन होते हैं। इनमें से कई रसायन खतरनाक हो सकते हैं। इनमें से कुछ के प्रति संभावित स्वास्थ्य या पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में सरकारी प्राधिकरणों ने चिंताएँ व्यक्त की हैं। उदाहरण के लिये शैंपू में फॉर्मेल्डिहाइड, टूथपेस्ट में माइक्रोबीड्स (Microbeads), खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में थैलेट्स (Phthalates), टेलीविजन में कुछ अग्निरोधक तथा साबुन में एंटीमाइक्रोबियल (जैसे ट्राइक्लोसन) शामिल हैं। विभिन्न उत्पादों में जाने-अनजाने हानिकारक रसायनों के प्रयोग से चक्रीयता तथा अपशिष्ट पदानुक्रम (Waste Hierarchy) के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं जो अपशिष्टों के स्रोत में कमी, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण पर बल देती हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एवं रसायनों तथा रासायनिक-गहन उत्पादों के अंतर्देशीय व्यापार की जटिलता से विशिष्ट चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं जिनसे निपटने हेतु कई देश विशिष्ट नियामक ढाँचे का विस्तार कर रहे हैं। रसायनों के प्रबंधन में अनेक समस्याएँ हैं जिनमें विनिर्माण से रसायनों के निस्तारण की पहचान करना और उन्हें कम करना, उपयोग करते समय उपभोक्ता से संपर्क एवं पुनः चक्रीकरण तथा निपटान के समय इनसे होने वाले रिसाव आदि शामिल हैं।

नए जोखिम मूल्यांकन दृष्टिकोण जैसे कि कंप्यूटर-आधारित स्क्रीनिंग का उपयोग और रसायनों का वर्गीकरण रसायन प्रबंधन के विकास में महत्त्वपूर्ण हैं हालाँकि पशु परीक्षण को पूर्णतः समाप्त करने हेतु इस क्षेत्र में आगे काम करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न देशों या क्षेत्रों के जोखिम आकलनों का साझाकरण एवं पारस्परिक स्वीकृति (वैश्विक सहमति की सत्यापन प्रक्रिया पर आधारित) से रासायनिक प्रबंधन की दक्षता में वृद्धि होगी। रासायनिक जोखिमों के बारे में बढ़ते ज्ञान को साझा करने के मंच और युक्तियाँ उन्नत हो रही हैं जिनसे बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होती है विशेष रूप से सीमित संसाधनों वाले देश इनसे लाभान्वित होते हैं।

रासायनिक प्रबंधन के क्षेत्र में तीव्र प्रगति करने हेतु जोखिम आकलन की विधियों को परिष्कृत करना

रासायनिक जोखिम आकलनों को उन्नत करने हेतु वर्ष 2002 में सतत् विकास पर विश्व शिखर सम्मेलन के आह्वान पर कई राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय तथा औद्योगिक प्रयासों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। रासायनिक जोखिम एवं सुरक्षा आकलनों में तीव्रता लाने हेतु कानूनी और नियामक सुधार किये गए हैं, उदाहरण के लिये ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, कनाडा, दक्षिण कोरिया तथा संयुक्त राज्य अमेरिका। कुछ देशों के कानूनों के अनुसार, रासायनिक जाँच का भार सरकार के बजाय उद्योगों पर आ गया है जैसा कि किसी औद्योगिक रसायन की सुरक्षात्मकता दर्शाने हेतु कीटनाशकों और फार्मास्यूटिकल के मामले में पहले से कई देशों में है।

रासायनिक जोखिम प्रबंधन निर्णय की प्रक्रिया को व्यवस्थित करना

हालाँकि रासायनिक जोखिम प्रबंधन राष्ट्रीय और/अथवा क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के अंतर्गत आते हैं किंतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी जोखिम प्रबंधन हेतु समन्वयक विशिष्टताएँ उभर रही हैं। प्रभावी रासायनिक जोखिम प्रबंधन हेतु एक आवश्यक शर्त प्रथम चरण में यह सुनिश्चित करना है कि सुरक्षा डेटा शीट और रासायनिक लेबल में सटीक तथा संपूर्ण जानकारी शामिल हो और ये डेटाशीट GHS (Globally Harmonized System) प्रारूप के अनुसार तैयार किये गए हों। व्यावसायिक तंत्र में सक्रिय और सुरक्षात्मक उपाय विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं जिसमें अनौपचारिक तथा लघु एवं मध्यम उद्योग शामिल हैं। यह विकासशील देशों, संक्रमणनीय अर्थव्यवस्थाओं में विशेष रूप से चिंता का विषय हैं। जोखिम प्रबंधन में सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण रासायनिक निष्क्रियता एवं लाभदायक अनुयोजन की लागत को संबोधित करता है तथा यह निर्णय लेने में उपयोगी होता है।

सुरक्षित विकल्पों से प्रतिस्थापन समाधानों एवं नवाचारों का वाहक बन रहा है।

वैकल्पिक मूल्यांकन पारंपरिक जोखिम मूल्यांकन एवं जोखिम प्रबंधन से अधिक उन्नत होता है, जो एक स्वीकार्य स्तर तक जोखिम को कम करने तथा अक्सर एक ही रासायनिक वर्ग और एक समान खतरनाक लक्षणों के साथ ‘ड्रॉप-इन’ प्रतिस्थापन का मूल्यांकन करने की प्रवृत्ति पर केंद्रित होता है।

“ड्रॉप-इन प्रतिस्थापन का तात्पर्य पारंपरिक रसायन को एक ऐसे वैकल्पिक रसायन से प्रतिस्थापित करने से है जिसकी विशेषताएँ पूर्णतः पारंपरिक रसायन के समान ही होती हैं।”

हाल ही में कुछ देशों या क्षेत्रों (जैसे यूरोपीय संघ) द्वारा ऐसे नियमों और नीतियों जिनमें प्रतिस्थापन के प्रावधान शामिल हैं, को प्रवर्तित करना, इस क्षेत्र में मील का पत्थर सिद्ध हुए हैं। प्रतिस्थापन में सुधार लाने हेतु अतिरिक्त एवं व्यापक नीतियों को एक ऐसी दिशा देने की आवश्यकता है जो विशिष्ट रसायनों को प्रतिस्थापित करने के लिये सिर्फ एक युक्ति प्रदान करने के बजाय व्यापक नवाचारों को उत्प्रेरित करें।

एकीकृत कीट प्रबंधन और गैर-रासायनिक विकल्पों के माध्यम से अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों को प्रतिस्थापित करना

कई देशों ने एकीकृत कीट प्रबंधन को अपनाकर अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को कम करने हेतु सफल पहल की है। फसल उत्पादन एवं सुरक्षा हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है जिसमें बेहतर फसलें उगाने और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने हेतु विभिन्न प्रबंधन रणनीतियों तथा विधियों को एकीकृत किया गया है जिसमें गैर-रासायनिक विकल्पों का उपयोग भी शामिल है। इस क्षेत्र में सफलता हासिल करने वाले देशों में क्यूबा एक उदाहरण स्थापित करता है जहाँ कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन में बदलाव किये हैं जिसमें जैविक एजेंटों का उपयोग, सांस्कृतिक परिवर्तन और एंडोसल्फान को प्रतिस्थापित करने हेतु अन्य कीटनाशकों का केंद्रित अनुप्रयोग शामिल हैं। इसका एक अन्य उदाहरण कोस्टा रीका है जहाँ HHP के उपयोग को कम करते हुए अच्छी पैदावार बनाए रखने हेतु निम्न दर से HHP रहित कवकनाशी के उपयोग के साथ-साथ गैर-रासायनिक विकल्पों का उपयोग एक व्यवहार्य तथा कम खर्चीली रणनीति के रूप में पाया गया।

समग्र धारणीयता मूल्यांकन के महत्त्व को पहचानना

मानव स्वास्थ्य और पर्यावरणीय पहलुओं से परे समग्र धारणीयता मूल्यांकन के महत्त्व को पहचानते हुए जीवन चक्र मूल्यांकन (LCA) युक्तियाँ व्यापक धारणीय विचारों की बेहतर समझ को बढ़ावा देने में मदद करती हैं जिनमें सामाजिक मुद्दों सहित रासायनिक एवं उत्पाद जीवन चक्र के सभी चरण शामिल होते हैं।

सतत्॒ आपूर्ति श्रृंखला जोखिम प्रबंधन हेतु जीवन चक्र मूल्यांकन दृष्टिकोण का कंपनियों द्वारा तेज़ी से उपयोग किया जा रहा है। संबोधित किये गए प्रासंगिक कारकों में सामग्री निष्कर्षण, रासायनिक संश्लेषण और उत्पाद निर्माण के दौरान ऊर्जा एवं जल का उपयोग, कार्बन फुटप्रिंट, अपशिष्ट अपवाहों में रसायनों की प्रकृति तथा उपस्थिति, पुनः प्रयोग हेतु रसायनों के पुनर्चक्रण की संभावनाएँ आदि शामिल हैं। अतः सतत्॒ पदार्थ प्रबंधन, गैर विषैले पदार्थों के प्रवाह तथा चक्रीय अर्थव्यवस्था को उन्नत बनाने हेतु जीवन चक्र मूल्यांकन दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण हैं। विश्व बैंक समूह के अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम द्वारा निर्धारित सतत् फ्रेमवर्क का उपयोग बाज़ार की विफलताओं को दूर करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है। इसमें प्रदर्शन के मानक शामिल हैं जो उन सभी निवेशकों एवं पक्षकारों पर लागू होते हैं जिनकी परियोजनाएँ क्रेडिट समीक्षा प्रक्रिया से गुजरती हैं। एक विशेष चुनौती बाज़ार को विकृत करने वाले सब्सिडी कार्यक्रमों के कारण उत्पन्न होती है जो रसायनों के उपयोग का प्रोत्साहन करते हैं, उदाहरण के लिये कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु उर्वरकों का उपयोग।

रसायनों के अनुचित विकल्पों के उदाहरण (भाग-3, अध्याय-5)

चिंताजनक रसायन (कार्य) चिंताजनक रसायन के जोखिम वैकल्पिक रसायन वैकल्पिक रसायन के जोखिम
बिसफिनोल ए-बीपीए (प्लास्टिक उत्पादन में उपयोगी) अंतःस्रावी अवरोध BPS, बिसफिनोल F अंतः स्रावी क्रियाओं पर प्रभाव
DEHP (प्लास्टिककारी) अंतःस्रावी अवरोध डायिसोनीएल फथैलेट कैंसर जनक,अंतःस्रावी अवरोध की संभावना
मैथिलीन क्लोराइड (चिपकाने वाले पदार्थों में विलायक) तीव्र विषाक्तता, कैंसर जनक 1-ब्रोमोप्रोपेन (nPB) कैंसर जनक, न्यूरोटॉक्सिसिटी
मैथिलीन क्लोराइड (ब्रेक क्लीनर) तीव्र विषाक्तता, कैंसर जनक n-हेक्सेन न्यूरोटॉक्सिसिटी
पॉलिब्रोमीनेटेड बाई फिनायल ईथर (ज्वाला मंदक) पर्यावरण में दीर्घ अवधि तक रहना, न्यूरोटॉक्सिसिटी, प्रजनन विषाक्तता, कैंसर जनक ट्रिस फॉस्फेट कैंसर जनक, जल विषाक्तता
ट्राइक्लोरोएथेन (धातु क्षरण) कैंसर जनक nPB (n-propylbromide) कैंसर जनक, न्यूरोटॉक्सिसिटी

निवारक जोखिम प्रबंधन कार्यवाही: रासायनिक दुर्घटनाएँ एवं प्राकृतिक आपदाएँ

रासायनिक दुर्घटनाओं और खतरनाक पदार्थों के आकस्मिक निस्तारण से बड़ी संख्या में मानव घातक परिणाम, पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव एवं उच्च आर्थिक हानि होना लगातार जारी है। रासायनिक दुर्घटनाएँ कुछ तकनीकी एवं मानवीय कारकों से हो सकती हैं लेकिन ये प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, तूफान, सुनामी, जंगल की आग और बाढ़ के कारण भी हो सकती हैं, जिसके कारण पर्यावरण में विषैले रसायनों का व्यापक रूप से प्रसार हो सकता है और ये अन्य खतरनाक पदार्थों के साथ मिश्रित हो सकते हैं। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए इन कारकों की संख्या में वृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान रासायनिक दुर्घटनाओं को प्रबंधित करने के बजाय रासायनिक दुर्घटनाओं को रोकने एवं व्यापक आपतकाल की योजनाओं में रासायनिक दुर्घटना निपटान को शामिल करने हेतु प्रयासरत है। भविष्य में रासायनिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिये जागरूकता बढ़ाने, प्रबल निरीक्षण, जानकारी साझा करने तथा इस क्षेत्र में बेहतर कार्यों को बढ़ावा देने हेतु अधिक व्यवस्थित प्रयासों की आवश्यकता है।

अग्रणी निजी नियमन रसायन प्रबंधन का वाहक हो सकता है:

विनियामक क्रियाएँ, गैर-नियामक रणनीतियाँ एवं स्वैच्छिक औद्योगिक पहल पारस्परिक रूप से सहायक हो सकती हैं। नियामक निर्णयों ने कई देशों में कंपनियों को रासायनिक प्रतिस्थापन में उन्नति करने, सतत् नवाचार करने तथा अग्रणी बनने हेतु प्रेरित किया है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की जटिलता को ध्यान में रखते हुए एवं कई देशों में सीमित नियामक क्षमता को देखते हुए, वैश्विक स्तर पर धारणीयता में उन्नति करने हेतु अग्रणी निजी क्षेत्र के प्रयास महत्त्वपूर्ण हैं। रसायनों एवं रासायनिक उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखलाओं में निजी क्षेत्र की अग्रणी पहलें रासायनिक नियमों के अनुपालन से परे हो सकती हैं तथा ये पहलें रासायनिक सुरक्षा में खामियों को दूर करती हैं। ये उन देशों में विशेष रूप से आवश्यक हो जाती हैं जहाँ नियामक निकाय कमज़ोर होते हैं, जैसे कि कई विकासशील देशों में हैं। अग्रगामी पहलें और निजी नियमन विशिष्ट मंचों के माध्यम से उन्नत हुए हैं। वर्ष 2020 तक रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन में निजी नियमन को एक महत्त्वपूर्ण भूमिका सौंपने के अवसर मौज़ूद हैं। वैश्विक रूप से इस विषय पर चर्चा इस क्षेत्र में नई पहलों को सामने ला सकती है और इसके परिणामस्वरूप सार्वभौमिक भागीदारी हेतु एक दृष्टिकोण तैयार कर सकती है।

विषाक्तता, हरित तथा सतत् रसायन विज्ञान की शिक्षा हेतु मानसिकता विकसित करना

अंततः सतत् विकास हेतु रसायनज्ञों को ही रसायन विज्ञान की पूरी क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है। रसायन विज्ञान अनुसंधान और नवाचार जो सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय मुद्दों को जोड़ते हैं, को बढ़ावा देने हेतु नई पीढ़ी के रसायनज्ञों की आवश्यकता होती है। विषाक्तता, हरित रसायन विज्ञान, सतत् रसायन विज्ञान एवं सतत् विकास पर वर्ष 2030 एजेंडा के प्रासंगिक विषयों को सभी स्तरों पर एकीकृत करके तथा प्राथमिक स्तर से तृतीयक स्तर की शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा के जरिए इस उद्देश्य को पूरा किया जा सकता है।

अभी तक विश्व के कुछ विश्वविद्यालयों ने ही हरित और सतत् रसायन विज्ञान की शिक्षा शुरु की है। अतः शिक्षा में इस क्षेत्र की अवधारणाएँ अभी भी सीमित हैं। हालाँकि कई देशों में अब हरित एवं सतत् रसायन शास्त्र की शिक्षा दी जाती है इससे रसायन विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग हेतु अवसरों का सृजन होता है। उदाहरण के लिये भारतीय शिक्षा मंत्रालय एक कार्यक्रम संचालित कर रहा है जिसमें सभी रसायनज्ञ हरित रसायन विज्ञान में एक वर्षीय पाठ्यक्रम में भाग लेते हैं। इस तरह के प्रयासों से अन्य देश भी प्रेरित हो सकते हैं। इन प्रयासों को विकसित करने हेतु प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और व्यावसायिक स्तरों पर उपयोग हेतु हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान की प्रासंगिक युक्तियाँ तथा सामग्री बड़ी मात्रा में उपलब्ध है।

हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने हेतु सभी हितधारक समूहों की प्रतिबद्धता तथा समर्थन की आवश्यकता है जिसमें शैक्षणिक संस्थानों, रासायनिक प्रतिष्ठानों, शिक्षा मंत्रालयों तथा निजी क्षेत्र के मध्य सहयोग शामिल है। मौजूदा राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक नेटवर्क का उपयोग सर्वोत्तम कार्यों के विनिमय तथा रसायन विज्ञान संबंधी जानकारी के प्रसार हेतु किया जा सकता है। मौजूदा उपायों पर अमल करना, शिक्षा में धारणीयता लाने हेतु व्यापक प्रयासों में हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान को शामिल करना एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हो सकता है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन की सतत् शिक्षा पर पहल।

हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान हेतु सहयोगी नवाचार को प्रबल करना

हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान अनुसंधान एवं नवाचारों में वृद्धि नवाचार पारिस्थितिकी के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को प्रबल करने पर निर्भर करता है। यह एक मज़बूत नीति और नवाचार वाहक नियामक ढाँचे से लेकर रसायन विज्ञान में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने तक होता है जो समस्या समाधान को को उन्नत करता है, धारणीयता की चुनौतियों का समाधान निकालता है। अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नवाचार प्रक्रिया के दौरान विशेष रूप से शुरुआती चरणों में सार्वजनिक वित्तपोषण महत्त्वपूर्ण होता है, हालाँकि इसमें निजी क्षेत्र द्वारा वित्तपोषित निधि तंत्र शामिल है।

हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान अनुसंधान एवं नवाचारों में वृद्धि नवाचार पारिस्थितिकी के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को प्रबल करने पर निर्भर करता है। यह एक मज़बूत नीति और नवाचार वाहक नियामक ढाँचे से लेकर रसायन विज्ञान में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने तक होता है जो समस्या समाधान को को उन्नत करता है, धारणीयता की चुनौतियों का समाधान निकालता है। अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नवाचार प्रक्रिया के दौरान विशेष रूप से शुरुआती चरणों में सार्वजनिक वित्तपोषण महत्त्वपूर्ण होता है, हालाँकि इसमें निजी क्षेत्र द्वारा वित्तपोषित निधि तंत्र शामिल है।

सहयोगात्मक नवाचार तंत्र अनुसंधान और नवाचार को दिशा देने में इस प्रकार से प्रभावी है जो कई हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। उदाहरण के लिये वस्त्र उत्पादन क्षेत्र में नए उत्पादों को डिजाइन करने हेतु सहयोगात्मक नवाचार में रासायनिक उद्योग, रसायन विज्ञान स्टार्ट-अप कंपनियाँ, डिज़ाइनर, अंतिम उपभोक्ता, अनुसंधान संस्थान तथा सशक्त निवेशक शामिल हो सकते हैं। नीतियाँ तैयार करने हेतु हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान में नवाचार भागीदारी का समर्थन करने वाली नीतियों, अनुदान योजनाओं या प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों को एकीकृत कर सरकारें इन प्रयासों का समर्थन कर सकती हैं।

सतत् व्यवसाय मॉडलों से नए अवसर सृजित होते हैं:

बदलते विश्व में नए व्यवसाय मॉडल तेज़ी से उभर रहे हैं जिसमें रासायनिक उद्योग एवं रसायनों तथा अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष निहितार्थ हैं। धारणीयता पर ध्यान देने वाले व्यवसाय मॉडलों में हरित उत्पाद और प्रक्रिया-आधारित मॉडल, अपशिष्ट पुनर्जनन प्रणाली, दक्षता अनुकूलन, प्रबंधन सेवाएँ तथा औद्योगिक सहयोगी मॉडल शामिल हैं। रासायनिक उद्योग के लिये विशिष्ट क्षेत्र औद्योगिक पार्क हैं, जो विभिन्न उत्पादन सुविधाओं के लिये सामान्य सेवाएँ (जैसे ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन) प्रदान करते हैं, संसाधन दक्षता और पर्यावरण प्रदर्शन को बढ़ाते हैं। इन पार्कों में शामिल होना SME के लिये विशेष रूप से मूल्यवान हो सकता है जो निम्न से लेकर वृहद् स्तर पर लाभान्वित हो सकते हैं।

श्रमिकों, नागरिकों और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना: सूचना एवं अधिकार आधारित दृष्टिकोण

श्रमिकों, नागरिकों एवं उपभोक्ताओं को सूचनाओं तक पहुँच प्रदान करना साथ ही समझ को बढ़ावा देना, प्रभावी सार्वजनिक भागीदारी और सूचित निर्णय लेने तथा इस प्रकार रसायनों एवं अपशिष्टों का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये एक आवश्यक शर्त है। श्रमिकों की सुरक्षा में यह सुनिश्चित करना शामिल है कि उनके पास रसायनों के कारण होने वाले खतरों और सुरक्षा के बारे में जानकारी उपलब्ध हो। GHS के अनुरूप उत्पादों में खतरनाक रसायनों के बारे में नागरिकों और उपभोक्ताओं को जानकारी प्रदान करना न केवल उन्हें स्वयं की सुरक्षा करने हेतु प्रोत्साहित करता है बल्कि सुरक्षित एवं अधिक सतत् उत्पादों, प्रासंगिक सरकारी नीतियों और निजी क्षेत्र में अनुयोजन की माँग को भी बढ़ावा मिलता है।

रसायनों एवं अपशिष्ट प्रबंधन और मानवाधिकारों के इंटरफेस को प्रबल करना:

मानवाधिकार आधारित दृष्टिकोणों के उपयोग से सुरक्षा एवं प्रभावी उपायों तक पहुँच सुनिश्चित करने में विधायी और विनियामक उपायों की पूर्ति होती है। कई अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दस्तावेज़ों के तहत विभिन्न देशों का यह कर्त्तव्य है कि वे मानवाधिकारों की रक्षा करें एवं व्यवसायियों की ज़िम्मेदारी है की उन मानवाधिकारों को ध्यान में रखा जाए जिन्हें खतरनाक रसायनों तथा अपशिष्टों से चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। प्रत्येक देश ने एक या एक से अधिक ऐसे मानवाधिकारों को मान्यता दी है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित हैं। उदाहरण के लिये प्रत्येक देश ने बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का अनुसमर्थन किया है, जो स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानकों हेतु बाल अधिकारों को मान्यता देता है एवं पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों तथा जोखिमों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राष्ट्रों से बीमारी और कुपोषण से निपटने हेतु उचित उपायों की अपेक्षा करता है।

वर्ष 2020 तक एकीकृत अनुयोजन को तीव्र करने हेतु सतत् विकास लक्ष्यों का उपयोग करना

रसायनों एवं अपशिष्टों का समुचित प्रबंधन 17 सतत् विकास लक्ष्यों का एक हिस्सा है। यह वर्ष 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन की योजना के तहत एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है क्योंकि रसायन एवं अपशिष्ट विकास के कई पहलुओं को प्रभावित करते हैं। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कई लक्ष्यों एवं प्रयोजनों में परिलक्षित होता है। वर्ष 2030 का एजेंडा सभी देशों तथा हितधारकों को एक साथ लाने वाला वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करना, रसायनों एवं अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन करने हेतु सभी स्तरों पर सहयोगात्मक कार्रवाई का अवसर प्रस्तुत करता है। सतत् विकास लक्ष्य 12.4 और 3.9 रसायनों एवं अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन पर केंद्रित हैं। रासायनिक गहन क्षेत्रों के लिये प्रासंगिक कई सतत् विकास लक्ष्य जैसे- भोजन, स्वच्छ ऊर्जा तथा सुरक्षित आवास से संबंधित हैं जो कि समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं, रसायनों एवं अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन पर ध्यान दिये बिना प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कई सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त प्राप्त करने हेतु रसायनों एवं अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन के लिये एक सक्षम वातावरण स्थापित करना आवश्यक है जिसमें सूचना, शिक्षा तथा वित्तपोषण शामिल हैं।

वर्ष 2030 एजेंडा रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन को राष्ट्रीय विकास योजना की मुख्यधारा में लाने हेतु नया अवसर प्रदान करता है। सतत् विकास लक्ष्यों की श्रृंखला में गरीबी समाप्त करना (सतत् विकास लक्ष्य 1), सतत् एवं समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा, सभी के लिये पूर्ण तथा लाभदायक रोज़गार तथा सम्माननीय कार्य (सतत् विकास लक्ष्य 8), जलवायु अनुयोजन (सतत् विकास लक्ष्य 13) और अन्य शामिल हैं। इस प्रकार की श्रृंखलाएँ राष्ट्रीय एवं उप-राष्ट्रीय बजट निर्धारण तथा वित्तीय संसाधनों के आवंटन में रसायनों और अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों को शामिल करने की सुविधा प्रदान कर सकती हैं, जो वित्तपोषण के लिये एकीकृत दृष्टिकोण के अनुरूप है। अंतरराष्ट्रीय विकास सहायता और क्षमता निर्माण (सतत् विकास लक्ष्य 17.6 एवं 17.8) में रसायनों तथा अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों का एकीकरण भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।

रसायनों एवं अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रमों को प्रबल करना

रसायनों एवं अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रमों को प्रबल करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति पहले ही की जा चुकी है यद्यपि वर्ष 2020 लक्ष्य के कार्यान्वयन में प्रमुख खामियाँ अभी भी विद्यमान हैं। सतत् विकास लक्ष्य 12.4 और 3.9 रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन पर केंद्रित हैं। ये रसायनों एवं अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन हेतु प्रभावी, एकीकृत तंत्र और कार्यक्रमों को विकसित एवं कार्यान्वित करते हैं। समग्र नीति एवं मार्गदर्शन और इसके 11 घटकों के अनुरूप बुनियादी कानून तथा संस्थागत क्षमता का विकास राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय स्तर पर रसायनों एवं अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन की प्राप्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय रसायन प्रबंधन हेतु सामरिक दृष्टिकोण (Strategic Approach to International Chemicals Management-SAICM) के तहत महत्त्वपूर्ण माना गया है। पर्यावरणीय सुरक्षित विकल्पों के विकास और संवर्द्धन के लिये ये घटक कानूनी ढाँचे (जो रसायनों एवं अपशिष्टों के जीवन चक्र से संबंधित हैं) की स्थापना से लेकर औद्योगिक भागीदारी तथा उत्तरदायित्वों तक विस्तारित होते हैं।

क्षेत्रीय नीतियों एवं अनुयोजनों में रसायनों एवं अपशिष्ट का एकीकरण

  • 2030 एजेंडा अंतर-मंत्रालयी समन्वय तंत्र को मज़बूत करने और प्रासंगिक क्षेत्रों में रसायन एवं अपशिष्ट मुद्दों को एकीकृत करने हेतु एक नया अवसर प्रदान करता है।
  • इसमें नीतियों एवं अनुयोजनों को लागू करना शामिल है जैसे कि शिक्षा (सतत् विकास लक्ष्य 4.7), नवाचार (सतत् विकास लक्ष्य 9.5) तथा वित्तपोषण (सतत् विकास लक्ष्य 17.3)।
  • प्रभावी क्षेत्रीय नीतियों और अनुयोजनों को विकसित करने में प्रासंगिक मंत्रालय रसायनों एवं अपशिष्ट पर अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के अनुबंधों को ध्यान में रखने से लाभान्वित हो सकते हैं। IOMC (The Inter-Organization Programme for the Sound Management of Chemicals) में भाग लेने वाले संगठन क्षेत्रीय रणनीतियों के विकास को सुगम बनाने के साथ-साथ संचार माध्यमों को स्थापित करने और उन्हें मज़बूत बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

संबंधित नीति समुदायों के साथ मिलकर काम करने वाले मंत्रालय एक संरचित दृष्टिकोण शुरू करने पर विचार कर सकतें हैं जिसमें निम्नलिखित विमर्श शामिल हो सकते हैं:

  • ऐसे उद्योग क्षेत्रों की पहचान करना जहाँ रसायन एवं अपशिष्ट पदार्थ चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं। इनमें हॉटस्पॉट भी शामिल हैं।
  • संवाद शुरू करने हेतु संबंधित उद्योग क्षेत्रों, संगठनों और समूहों को संलग्न करना।
  • ग्लोबल हार्मोनाइज़्ड सिस्टम के अनुसार संकट एवं जोखिमों से निपटने हेतु संचार सुनिश्चित करना, सुरक्षित विकल्पों हेतु जोख़िम प्रबंधन दृष्टिकोणों एवं अवसरों की पहचान करना।
  • सतत् रसायन विज्ञान नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिये क्षेत्रीय नीति सुधार एवं मानकों पर विचार करना।

प्रासंगिक क्षेत्रों में रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन तथा हरित, सतत् रसायन विज्ञान नवाचारों को एकीकृत करना

क्षेत्र सतत् विकास लक्ष्य प्रबंधन एवं नवाचारों के अवसर
कृषि एवं खाद्य पदार्थ लक्ष्य 2.4: सतत् खाद्य उत्पादन एकीकृत कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management-IPM) और कृषि-पारिस्थितिक दृष्टिकोण को बढ़ावा जिसमें गैर-रासायनिक विकल्प तथा अन्य अच्छी कृषि विधियों का विकास एवं उपयोग शामिल है।
स्वास्थ्य लक्ष्य 3.8: सुरक्षित औषधियाँ एवं टीकाकरण फार्मास्यूटिकल्स और कीटाणुनाशक का समुचित प्रबंधन जिनका रोगाणुरोधी प्रतिरोध में योगदान होता है।
ऊर्जा लक्ष्य 7.a: स्वच्च्छ ऊर्जा शोध एवं प्रोद्योगिकी प्रौद्योगिकियों में सुधार कर संसाधन-कुशल, सतत् सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना तथा ऊर्जा क्षेत्र की कार्बन आधारित निर्भरता को कम करना।
अवसंरचना लक्ष्य 9.1: सतत् अवसंरचना उन्नत सामग्री के द्वारा भविष्य के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न किये बिना अपरिष्कृत सामग्री के उपयोग एवं अपशिष्ट उत्पादन को कम करना।
उद्योग लक्ष्य 9.2: सतत् औद्योगीकरण रासायनिक-गहन उद्योगों की निर्भरता सर्वोत्तम तकनीकों और सबसे अच्छी पर्यावरण अनुकूल विधियों पर सुनिश्चित करना।
आवास लक्ष्य 11.1: सुरक्षित आवास सुरक्षित तापरोधन (insulation) के द्वारा घरों के अंदर वायु प्रदूषण को कम करना, चुनौतीपूर्ण निर्माण सामग्री (जैसे-अभ्रक) के विकल्प ढूँढना।
परिवहन लक्ष्य 11.2: सतत् परिवहन तंत्र परिवहन व्यवस्था को उन्नत करना उदाहरण के लिये बैटरियों में सुरक्षित रसायनों का उपयोग।
पर्यटन लक्ष्य 8.9: सतत् पर्यटन पर्यटन सेवाओं के रासायनिक फुटप्रिंट को कम करने हेतु बेहतर विधियों को अपनाना।
खनन लक्ष्य 12.2: प्राकृतिक संसाधनों का सतत् उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से खनन अवशेषों का समुचित प्रबंधन।
श्रम लक्ष्य 8.8: कार्य के लिये सुरक्षित वातावरण व्यावसायिक रासायनिक जोखिमों को कम करने के लिये हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान निवेश में वृद्धि कर चुनौतीपूर्ण रसायनों के जोखिम आकलन को बढ़ावा देना।
शिक्षा लक्ष्य 4.7: सतत् विकास हेतु शिक्षा हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान को पाठ्यक्रमों की मुख्यधारा में शामिल करना।
वित्त लक्ष्य 17.3: कई स्रोतों से वित्तीय संसाधन जुटाना हरित एवं सतत् रसायन मीट्रिक्स के उपयोग को निवेश के मापदंड के रूप में बढ़ावा देना।

रसायनों और अपशिष्ट प्रबंधन में वर्ष 2020 तक प्रमुख क्षेत्रों और अनुयोजकों को संलग्न करना महत्त्वपूर्ण होगा

2030 एजेंडा इस आधार पर बनाया गया है कि सभी देशों और हितधारकों को एक साथ लाकर ही सतत् विकास हासिल किया जा सकता है। सतत् विकास लक्ष्य-SDG 17 वैश्विक समुदाय से सतत् विकास के लिये वैश्विक साझेदारी को पुनर्जीवित करने का आह्वान करता है। यह रसायनों एवं अपशिष्ट प्रबंधक समुदाय में अनुयोजकों की भागीदारी तथा स्वामित्व को सुगम करने हेतु एक रूपरेखा प्रदान करता है (प्रमुख आर्थिक और सक्षम क्षेत्रों के अनुयोजकों सहित), जिनमें से अब तक कुछ ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त भागीदारी नहीं की है।

महत्त्वाकांक्षी प्रतिबद्धता को पूरा करने रसायनो एवं अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन हेतु सहयोगात्मक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने एक वैश्विक फ्रेमवर्क के लिये प्रमुख अनुयोजक समूहों की प्रतिबद्धता, भागीदारी और सहयोगी कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिये तंत्र बनाने की आवश्यकता होगी, जिसमें शामिल हैं:

  • प्रमुख आर्थिक और सक्षम क्षेत्र प्रासंगिक मंत्रालयों के सहयोग से राष्ट्रीय रणनीतियों को विकसित करें जो एक वैश्विक फ्रेमवर्क में लागू हों एवं जिनमें व्यापक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय रणनीतियाँ शामिल हों।
  • कंपनियाँ, उद्योग समूह, व्यापारिक संगठन: अग्रणी खुदरा विक्रेताओं तथा निचले स्तर के निर्माताओं के लिये एक मंच तैयार करना और नए अनुयोजनों के द्वारा रासायनिक प्रबंधन में उपलब्धियाँ प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
  • श्रमिक संगठन: प्रशिक्षण और जोखिमों की पहचान से संबंधित अच्छी विधियों का आदान-प्रदान कर रासायनिक प्रबंधन की चर्चा को बढ़ावा देना साथ ही इस क्षेत्र में रोज़गार हेतु सक्षम नीतियाँ बनाना।
  • नागरिक सामाजिक समूह: स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सक्रिय संगठनों तक पहुँच स्थापित करना जो अभी तक रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य नहीं कर रहे हैं किंतु इस क्षेत्र में बेहतर योगदान दे सकते हैं।
  • अकादमिक एवं अनुसंधान समुदाय: यह सुनिश्चित करना कि वैज्ञानिक रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर लक्षित नीतियाँ प्रस्तुत करें एवं वैज्ञानिकों को एक व्यवस्थित तंत्र बनाने हेतु चर्चा करने के लिये आमंत्रित किया जाए।
  • दानकर्त्ता, निवेशक एवं वित्तीय समुदाय: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दानकर्त्ताओं से अन्य विषयों (जैसे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता) के साथ रसायन एवं अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे पर चर्चा करना तथा सतत् रसायन विज्ञान जैसे नए निवेश मानदंड पर विचार करने हेतु निवेशकों को तैयार करना।
  • मीडिया और आम जनता में प्रमुख व्यक्ति: व्यापक दर्शकों के लिये पत्रकारों को सरल भाषा में महत्त्वपूर्ण संदेश प्रदान करके अथवा सोशल मीडिया अभियानों की सहायता लेना।

रिपोर्ट का सारांश

  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 तक रसायनों और अपशिष्टों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने का वैश्विक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकेगा। समाधान मौजूद तो हैं लेकिन इसके लिये सभी हितधारकों को अधिक इच्छाशक्ति के साथ कार्य करने की शीघ्र आवश्यकता है।
  • वैश्विक रसायन उद्योग वर्ष 2017 में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। वर्ष 2030 तक इसके दोगुना होने का अनुमान है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं में रासायनिक खपत और उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएँ, रसायनों एवं रासायनिक उत्पादों का व्यापार तेज़ी से जटिल होता जा रहा है।
  • वैश्विक मेगाट्रेंड द्वारा प्रेरित, रासायनिक-गहन उद्योग क्षेत्रों (जैसे निर्माण, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स) में वृद्धि जोखिम उत्पन्न करती है लेकिन सतत् उपयोग, उत्पादन और उत्पादों में नवाचार को बढ़ाने के अवसर भी हैं।
  • खतरनाक रसायन और अन्य प्रदूषक (जैसे प्लास्टिक कचरा और दवा प्रदूषक) अधिक मात्रा में निष्कासित किये जाते हैं। ये मनुष्य जीवन और पर्यावरण में सर्वव्यापी हैं तथा विभिन्न पदार्थों के रूप में संचित हो रहे हैं। भविष्य में इन खतरों से बचने के लिये सतत् प्रबंधन एवं चक्रीय व्यापार पर बल देने की आवश्यकता है।
  • इनके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये किये जाने वाले प्रयासों में सैकड़ों बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष खर्च होने का अनुमान है। वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने कुछ चुनिंदा रसायनों के कारण 1.6 मिलियन लोगों में बीमारियाँ होने का अनुमान लगाया। (इसके कम होने की संभावना है।) रासायनिक प्रदूषण से पारिस्थितिकी तंत्र भी खतरा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संधियों और स्वैच्छिक साधनों ने कुछ रसायनों एवं उत्पन्न अपशिष्टों के जोखिम को कम किया है लेकिन यह अनियमित है तथा इनके कार्यान्वयन में अंतराल बने हुए हैं। वर्ष 2018 तक 120 से अधिक देशों ने रसायनों के वर्गीकरण और लेबलिंग के वैश्विक हार्मोनाइज़्ड सिस्टम को लागू नहीं किया था।
  • विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कानून और क्षमता निर्माण पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। उपलब्ध संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं हैं। वित्तपोषण के लिये नए एवं परिवर्तनात्मक माध्यमों की आवश्यकता है, जैसे- लागत वसूली एवं वित्तीय क्षेत्र की भागीदारी।
  • रासायनिक खतरों से लेकर वैकल्पिक मूल्यांकन के क्षेत्रों तक विभिन्न दृष्टिकोणों में पारस्परिक स्वीकृति को बढ़ाकर तथा रासायनिक प्रबंधन के तरीकों को अधिक व्यापक रूप से साझा करके महत्त्वपूर्ण संसाधनों को बचाया जा सकता है।
  • अग्रणी कंपनियाँ रासायनिक उत्पादकों से लेकर खुदरा विक्रेताओं तक सतत् आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन, संपूर्ण पदार्थों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने तथा जोखिम में कमी लाने हेतु प्रयासरत हैं। साथ ही मानवाधिकार आधारित नीतियों की शुरुआत कर रही हैं। हालाँकि इस तरह के प्रयासों का व्यापक कार्यान्वयन अभी तक नहीं हो पा रहा है।
  • बदलाव लाने के लिये उपभोक्ता माँग, साथ ही हरित एवं सतत् रसायन विज्ञान की शिक्षा और नवाचार (जैसे कि स्टार्टअप्स) महत्त्वपूर्ण हैं।
  • वैश्विक ज्ञान अंतरालों को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिये- इस लक्ष्य की प्राप्ति अनुसंधान प्रोटोकॉल, स्वास्थ्य या पर्यावरणीय प्रभाव की जानकारी और प्राथमिकताओं (जैसे उभरते मुद्दों) का निर्धारण करके, नुकसान के पीछे के कारणों पर विचार करके तथा वैज्ञानिकों एवं निर्णयकर्त्ताओं के सहयोग से विज्ञान-नीति इंटरफ़ेस को मज़बूत करके की जा सकती है।
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