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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 18 May, 2022
  • 32 min read
प्रारंभिक परीक्षा

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय

हाल ही में जनज़ातीय मामलों के मंत्रालय ने महाराष्ट्र के नासिक में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) के निर्माण की आधारशिला रखी है।

  • प्रस्तावित EMR स्कूल का उद्देश्य नासिक के दूरदराज़ के आदिवासी इलाकों में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराना है।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय: 

  • परिचय: 
    • EMRS पूरे भारत में भारतीय जनजातियों (ST-अनुसूचित जनजाति) के लिये मॉडल आवासीय विद्यालय बनाने की एक योजना है। इसकी शुरुआत वर्ष 1997-98 में हुई थी। 
    • जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा शिंदे (नासिक) में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की योजना आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बनाई गई है।
    • EMRS में CBSE पाठ्यक्रम का अनुसरण किया जाता है।
    • न केवल शैक्षणिक शिक्षा बल्कि आदिवासी छात्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय विकसित किये जा रहे हैं।
    • वर्तमान में देश भर में फैले 384 कार्यात्मक स्कूल हैं जो नवोदय विद्यालय की तरह ही स्थापित हैं, ये खेल और कौशल विकास में प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा स्थानीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण के लिये विशेष अत्याधुनिक सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।  
  • कवरेज: 
    • वर्ष 2010 के मौजूदा EMRS दिशा-निर्देशों के अनुसार, क्षेत्र में 50% एसटी आबादी वाले प्रत्येक एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी/एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना में कम-से-कम एक EMRS स्थापित किया जाना है।
    • बजट 2018-19 के अनुसार, 50% से अधिक एसटी आबादी और कम-से-कम 20,000 आदिवासी आबादी वाले प्रत्येक ब्लॉक में वर्ष 2022 तक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय होगा।

EMRS का उद्देश्य: 

  • प्रत्येक EMRS में नामांकित सभी छात्रों का व्यापक शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रासंगिक विकास।
  • छात्रों को स्कूल से अपने घरों में, अपने गाँव में और अंत में एक बड़े संदर्भ में परिवर्तन करने के लिये सशक्त बनाने का प्रयास करना।
  • कक्षा XI और XII तथा कक्षा VI से X तक के छात्रों को उपलब्ध कराई जाने वाली शैक्षिक सहायता पर अलग-अलग ध्यान देना, ताकि उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
  • वार्षिक व्ययों का समर्थन इस तरह से करना कि कर्मचारियों को उचित पारिश्रमिक प्रदान करना और सुविधाओं के रखरखाव से संबंधित ढाँचे के निर्माण को बढ़ावा देना जो छात्र जीवन की शिक्षा, भौतिक, पर्यावरण और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूर्ण करता है।

अनुसूचित जनजातियों के लिये कानूनी प्रावधान: 

अनुसूचित जनजातियों से संबंधित अन्य पहल:

विगत वर्ष के प्रश्न:

भारत में विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों (PVTGs) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. PVTGs 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में रहते हैं।
  2. स्थिर या घटती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारित करने हेतु एक मानदंड है।
  3. देश में अब तक आधिकारिक तौर पर 95 PVTG अधिसूचित हैं।
  4. इरुलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ PVTG की सूची में शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(A) 1, 2 और 3
(B) 2, 3 और 4
(C) 1, 2 और 4
(D) 1, 3 और 4

उत्तर: (C)

  • ढेबर आयोग ने 1973 में आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) की एक अलग श्रेणी बनाई जो आदिवासी समूहों में कम विकसित थे। आयोग के अनुसार, अधिक विकसित और मुखर आदिवासी समूह आदिवासी विकास निधि का बड़ा हिस्सा लेते हैं जिसके कारण PVTGs को अपने विकास हेतु निर्देशित अधिक धन की आवश्यकता होती है। इस संदर्भ में भारत सरकार ने 1975 में सबसे कमज़ोर आदिवासी समूहों को एक अलग श्रेणी के रूप में पहचानने की पहल की जिसे आदिम संवेदनशील जनजातीय समूह कहा जाता है।
  • गृह मंत्रालय द्वारा 75 आदिवासी समूहों को विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। PVTGs 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं। अत: कथन 1 सही है और कथन 3 सही नहीं है।
  • PVTGs के निर्धारण हेतु जिन मानदंडों का पालन किया जाता है वे हैं- प्रौद्योगिकी का कृषि-पूर्व स्तर, स्थिर या घटती जनसंख्या, अत्यंत कम साक्षरता और अर्थव्यवस्था का निर्वाह स्तर। अत: कथन 2 सही है।
  • PVTGs की सूची में इरुलर (तमिलनाडु) और कोंडा रेड्डी (आंध्र प्रदेश) जनजातियांँ शामिल हैं। अतः कथन 4 सही है

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

एंडोसल्फान

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने एंडोसल्फान पेस्टीसाइड से प्रभावित पीड़ितों के उपचार हेतु उचित कदम न उठाने पर केरल सरकार को फटकार लगाई है।

  • न्यायालय ने कहा कि राज्य की निष्क्रियता ‘भयावह’ है एवं शीर्ष न्यायालय के 2017 के फैसले का उल्लंघन है जिसने राज्य को तीन महीने में पीड़ितों के लिये 5 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था।
  • न्यायालय ने फैसले के पांँच साल बाद यह पाया कि 3,704 पीड़ितों में से केवल आठ लोगों को ही  मुआवज़ा दिया गया है
  • सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में इसके हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों का हवाला देते हुए देश भर में एंडोसल्फान के निर्माण, बिक्री, उपयोग और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था

एंडोसल्फान:

  • एंडोसल्फान एक ऑर्गेनोक्लोरिन कीटनाशक है जिसे पहली बार वर्ष 1950 के दशक में पेश किया गया था और इसे आमतौर पर इसके वाणिज्यिक नाम थियोडन से जाना जाता है।
  • यह कई गंभीर चिकित्सा स्थितियों से संबंधित है, जैसे कि न्यूरोटॉक्सिसिटी, शारीरिक विकृति, विषाक्तता आदि।
  • सफेद मक्खी, एफिड्स, भृंग, कीड़े आदि कीटों के नियंत्रण के लिये कपास, काजू, फल, चाय, धान, तंबाकू जैसी फसलों पर इसका छिड़काव किया जाता है। 
  • एंडोसल्फान को पूर्व सूचित सहमति पर रॉटरडैम अभिसमय और स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम अभिसमय दोनों के तहत सूचीबद्ध किया गया है।

 एंडोसल्फान के प्रभाव:

  • पर्यावरणीय प्रभाव:
    • पर्यावरण में एंडोसल्फान खाद्य शृंखलाओं में समाहित हो जाता है, जिससे व्यापक स्तर पर समस्याएँ पैदा होती हैं।                                
    • यदि एंडोसल्फान को पानी में छोड़ा जाता है, तो यह तलछट में अवशोषित होकर जलीय जीवों को प्रभावित कर सकता है।
  • मनुष्य और पशु:
    •  एंडोसल्फान के अंतर्ग्रहण के परिणामस्वरूप शारीरिक विकृति, कैंसर, जन्म संबंधी विकार और मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं।

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रॉटरडैम कन्वेंशन 1998: 

  • इस कन्वेंशन का उद्देश्य खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के व्यापार से निपटने हेतु विभिन्न देशों के बीच सहयोग और उत्तरदायित्त्व साझा करने के उपायों को बढ़ावा देना है।
  • पूर्व सूचित सहमति (PIC) इस कन्वेंशन की मुख्य विशेषता है और यह पार्टी के सदस्यों के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी है।
  • PIC पक्षों के सदस्यों के बीच प्रकृति और व्यापार से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करती है।
  • यह कन्वेंशन पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया के कार्यान्वयन के लिये दायित्व का निर्माण करता है।

स्टॉकहोम कन्वेंशन 2001:

  • इस कन्वेंशन का उद्देश्य लगातार कार्बनिक प्रदूषकों (PoP) की सांद्रता को कम करना है जो कि रासायनिक पदार्थ हैं और न केवल लंबे समय तक वातावरण में रहते हैं बल्कि जैव-संचय की क्षमता भी रखते हैं।
  • कन्वेंशन ने 12 PoPs को 'डर्टी डज़न’ के रूप में सूचीबद्ध किया है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

आईएनएस सूरत और युद्धपोत आईएनएस उदयगिरि

हाल ही में रक्षा मंत्री ने मुंबई में भारतीय नौसेना के विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस सूरत और युद्धपोत आईएनएस उदयगिरि का शुभारंभ किया। 

INS सूरत: 

  • परिचय: 
    • 'सूरत' प्रोजेक्ट 15B श्रेणी का चौथा विध्वंसक जहाज़ है, जो P15A (कोलकाता क्लास) विध्वंसक श्रेणी में महत्त्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करता है।
    • इस श्रेणी का पहला जहाज़ (विशाखापत्तनम) वर्ष 2021 में कमीशन किया गया था और इस श्रेणी का दूसरा (मोरमुगाओ) और तीसरा (इंफाल) जहाज़ आउटफिटिंग/ परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं।
  • नामकरण: 
    • इसका नाम गुजरात राज्य की वाणिज्यिक राजधानी के नाम पर रखा गया है और यह मुंबई के बाद पश्चिमी भारत का दूसरा सबसे बड़ा वाणिज्यिक केंद्र भी है।
      • सूरत शहर का एक समृद्ध समुद्री और जहाज़ निर्माण इतिहास है तथा 16वीं एवं 18वीं शताब्दी में शहर में निर्मित जहाज़ों को उनकी लंबी आयु (100 से अधिक वर्षों से) के लिये जाना जाता था।
      • सूरत जहाज़ को ब्लॉक निर्माण पद्धति का उपयोग करके बनाया गया है।
        • इस पद्धति में दो अलग-अलग भौगोलिक स्थानों पर ज़हाज़ निर्माण शामिल है और इसे एमडीएल, मुंबई में एक साथ जोड़ा गया है।
  • प्रोजेक्ट-15बी: 
    •  ये जहाज़ अत्याधुनिक हथियार/सेंसर पैकेज, उन्नत स्टील्थ सुविधाओं और उच्च स्तर के स्वचालन के साथ दुनिया के अधिक तकनीकी रूप से विकसित स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर हैं। 
    • वर्ष 2011 में 29,643.74 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट-15बी कार्यक्रम के तहत चार युद्धपोतों - विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ, इंफाल और सूरत के निर्माण के सौदे पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • हालांकि अंतिम लागत बढ़कर 35,000 करोड़ रुपए हो गई।  
    • सभी चार जहाज़ों को देश के चारों कोनों के शहरों के नाम पर रखा गया है तथा जहाज़ों को शामिल करने का काम वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।
  • P-15B युद्धपोतों की विशेषताएँ: 
    •  ये जहाज़ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) से लैस हैं।
    • जहाज़ में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM), स्वदेशी टारपीडो ट्यूब लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट जैसी कई स्वदेशी हथियार प्रणालियाँ हैं।

आईएनएस उदयगिरि:

  • परिचय:
    • यह 17ए युद्धपोत शृंखला का तीसरा जहाज़ है।
  • नामकरण:
    • आईएनएस 'उदयगिरि' का नाम आंध्र प्रदेश राज्य में एक पर्वत शृंखला के नाम पर रखा गया है।
      • ‘आईएनएस उदयगिरि' एक प्रकार से पूर्ववर्ती 'उदयगिरी', लिएंडर श्रेणी के ASW युद्धपोत का नया रूप है, जिसने 1976 से 2007 तक तीन दशकों में कई चुनौतीपूर्ण अभियानों के दौरान देश की सेवा की है।
  • पी17ए के अंतर्गत प्रगति:
    • P17A कार्यक्रम के तहत मझगाँव  डॉक लिमिटेड (MDL), मुंबई में 04 और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड में 03 जहाज़ निर्माणाधीन हैं। 
    • इस परियोजना में स्वदेशी युद्धपोत डिज़ाइन और निर्माण में पहली बार एकीकृत निर्माण, मेगा ब्लॉक आउटसोर्सिंग, परियोजना डेटा प्रबंधन/परियोजना जीवनचक्र प्रबंधन (PDM/ PLM) आदि जैसी विभिन्न नवीन अवधारणाओं और प्रौद्योगिकियों को अपनाया गया है।

प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स:

  • परिचय:
    • प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स P17 फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलोऑन हैं जिसमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार एवं संवेदक के साथ प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं।
  • विशेषताएँ:
    • P-17A की मुख्य उन्नत स्टील्थ विशेषताएंँ जहाज़ के छोटे रडार क्रॉस-सेक्शन हैं, जो विशेष संरचना का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है, यह रडार तरंग परावर्तन को कम करता है।
    •  जहाज़ की अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषता कम ध्वनिक शोर है जो प्रोपेलर, ऑपरेटिंग मशीनरी जैसे डीज़ल जेनरेटर आदि से निकलती है, यह अन्य जहाज़ो पर सोनार की उपस्थिति का पता लगाने में सहायता करता है।
      • जहाज़ की स्टील्थ विशेषताएंँ संचालन के दौरान किसी भी प्रतिकूल वातावरण में बचे रहने एवं सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद (एनएसएसी)

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद (NSAC) की बैठक में NavIC ग्रैंड चैलेंज का शुभारंभ किया।

  • NavIC ग्रैंड चैलेंज का उद्देश्य NavIC को जियो-पोजज़िशनिंग समाधान और डिजिटल आत्मनिर्भरता के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में बढ़ावा देना है।

NSAC के बारे में

  • परिचय:
    • इसका गठन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा किया गया था।
    • यह सरकार को सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर पैदा करने के साथ ही देश में नवाचार एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने हेतु मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये सलाह देता है।
  • परिषद की संरचना:
    • अध्यक्ष: वाणिज्य और उद्योग मंत्री।
    • परिषद के संयोजक: संयुक्त सचिव उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग।
    • पदेन सदस्य: संबंधित मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के नामांकित व्यक्ति जो संयुक्त सचिव पद स्तर से नीचे के न हों।
    • इस परिषद में गैर-आधिकारिक सदस्‍य भी होंगे जो कि सरकार द्वारा सफल स्‍टार्टअप्‍स के संस्‍थापकों, भारत में कंपनी बनाने और उसे विकसित करने वाले अनुभवी व्‍यक्तियों, स्‍टार्टअप्‍स में निवेशकों के हितों का प्रति‍निधित्‍व करने में सक्षम व्यक्तियों, इन्‍क्‍यूबेटरों (Incubators) एवं उत्‍प्रेरकों के हितों का प्रतिनिधित्‍व करने में सक्षम व्यक्तियों तथा स्‍टार्टअप्‍स हितधारकों के संघों व औद्योगिक संघों के प्रतिनिधियों जैसे विभिन्‍न वर्गों में से नामांकित किये जाएंगे। राष्ट्रीय स्‍टार्टअप सलाहकार परिषद के गैर-आधिकारिक सदस्‍यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा।

NSAC के कार्य: 

  • यह देश भर में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नागरिकों और छात्रों के बीच नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के उपायों का सुझाव देता है। 
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों के सृजन संरक्षण और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार की दृष्टि से सार्वजनिक संगठनों को नवाचार को आत्मसात करने की सुविधा के उपायों का सुझाव देता है।
  • भारतीय स्‍टार्टअप्‍स में निवेश के लिये वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने, मूल प्रमोटरों के साथ स्‍टार्टअप्‍स पर नियंत्रण बनाए रखने तथा विनियामक अनुपालन व लागत को कम करते हुए व्‍यापार शुरू करने, उसे संचालित, विकसित तथा बंद करने की प्रक्रिया को आसान बनाना

भारत में स्टार्टअप की स्थिति: 

  • परिचय: 
    • वर्तमान में भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारितंत्र है (स्टार्टअप की संख्या के अनुसार) जहाँ वर्ष 2010 में 5000 स्टार्टअप्स की तुलना में वर्ष 2020 में 15,000 से अधिक स्टार्टअप्स की स्थापना हुई।
    • इस स्टार्टअप पारितंत्र के अंतर्निहित प्रवर्तकों में स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुँच, क्लाउड कंप्यूटिंग, एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (APIs) तथा एक राष्ट्रीय भुगतान स्टैक शामिल हैं।  
    • इसके अतिरिक्त कोविड-19 महामारी के बीच भारत में केवल वर्ष 2021 में ही इतनी संख्या में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स (1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाले स्टार्टअप) सामने आए हैं, जितने वर्ष 2011-20 की पूरी दशकीय अवधि में भी नहीं आए थे। 
    • हालाँकि अभी भी कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं (भारतीय स्टार्टअप, विविधता और डिजिटल डिवाइड, कॉम्प्लेक्स रेगुलेटरी एन्वायरनमेंट का निर्माण तथा स्केलिंग) जो भारत में स्टार्टअप्स की वास्तविक क्षमता को साकार करने में बाधा के रूप में कार्य करती हैं।
  • अन्य संबंधित पहलें: 
    • स्टार्टअप इकोसिस्टम के आधार पर राज्यों की रैंकिंग: यह एक विकसित मूल्यांकन उपकरण है जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के समर्थन के लिये समग्र रूप से अपने स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। 
    • SCO स्टार्टअप फोरम: पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) स्टार्टअप फोरम को सामूहिक रूप से स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने और सुधारने के लिये अक्तूबर 2020 में लॉन्च किया गया था। 
    • प्रारंभ: 'प्रारंभ' (Prarambh) शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर के स्टार्टअप्स और युवा विचारों को नए नवाचारों व आविष्कारों को एक साथ आने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
    • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना: इसका उद्देश्य अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिये स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • फिशरीज़ स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज:  मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय स्टार्टअप इंडिया के सहयोग से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने फिशरीज़  स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज का उद्घाटन किया।
    • राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार 2021: इसका उद्देश्य उन उत्कृष्ट स्टार्टअप्स और इकोसिस्टम एनेबलर्स को पहचानना एवं पुरस्कृत करना है जो रोज़गार सृजन या राजस्व सृजन की उच्च क्षमता के साथ अभिनव उत्पादों या समाधानों और उद्यमों का निर्माण कर रहे हैं, जो व्यापक  सामाजिक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 मई, 2022

जॉर्ज थॉमस

हाल ही में भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने पहली बार थॉमस कप का खिताब जीता। थॉमस कप पहली बार 1948-49 में खेला गया था। यह कप 1939 में सर जॉर्ज थॉमस ने अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन महासंघ (IBF) द्वारा प्रबंधित पुरुषों की अंतर्राष्ट्रीय टीम प्रतियोगिताओं की शृंखला हेतु दान किया था, जिसके तत्कालीन अध्यक्ष थॉमस थे। जॉर्ज एलन थॉमस का जन्म इस्तांबुल, तुर्की में 14 जून 1881 को हुआ था। वह एक महान लेखक, प्रशासक, सैनिक, शतरंज में ग्रैंडमास्टर, अंतर्राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी और कई अन्य खेलों में उल्लेखनीय खिलाड़ी थे। उन्होंने जनवरी 1903 में डबलिन में पहला अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन मैच खेला था। उनके पास कुल 21 खिताबों (4 पुरुष एकल, 9 पुरुष युगल और 8 मिश्रित युगल) के साथ सर्वाधिक ऑल-इंग्लैंड खिताब का रिकॉर्ड था। वर्ष 1912 से 1920 के बीच लॉन टेनिस के लगातार चार मैचों में उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व भी किया। वर्ष 1906 से 1926 तक उन्होंने विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप में भी भाग लिया। 23 जुलाई, 1972 को 91 वर्ष की आयु में इस महान खिलाड़ी का निधन हो गया।

नाइलिट केंद्र 

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और रेलवे मंत्री ने 17 मई, 2022 को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT) केंद्र लेह, एक्सटेंशन सेंटर कारगिल और हस्तशिल्प एवं हथकरघा क्षेत्र के लिये आईटी सक्षम इनक्यूबेशन सेंटर का वर्चुअल उद्घाटन किया। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलिट) एक निकाय है जिसे वर्तमान में देश के सभी क्षेत्रों तथा समाज के सभी खंडों तक पहुँच की दृष्टि से अद्वितीय स्थान प्राप्त है। नाइलिट, भारत में एक प्रोफेशनल परीक्षा निकाय भी है, जो विशेष रूप में शिक्षण एवं प्रशिक्षण के अनौपचारिक क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिकी में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को परिचालित करता है। यह सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिकी, संचार प्रौद्योगिकियों, हार्डवेयर, साइबर कानून, साइबर सुरक्षा, बौद्धिक संपदा अधिकार, क्लाउड कम्प्यूटिंग, ई-गवर्नेंस  तथा संबद्ध विषयों पर अर्हता प्राप्त मानव संसाधन के विकास में सक्रियता से शामिल है।

डेफलिंपिक्स 

ब्राज़ील में समाप्त हुए डेफलिंपिक्स में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल 17 पदक अपने नाम किये। ब्राज़ील के ‘कासियाज डो सूल’ में बधिर एथलीटों के लिये 15 दिनों (1 मई से 15 मई, 2022) तक हुए इस विशेष खेल आयोजन में भारतीय दल ने 11 खेल स्पर्द्धाओं में भाग लेते हुए 8 गोल्ड, 1 सिल्वर और 8 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किये। यह  भारतीय दल का इन विशेष खेलों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत के 65 एथलीटों के दल ने बैडमिंटन, शूटिंग, कुश्ती, गोल्फ, टेनिस जैसी स्पर्द्धाओं में पदक जीतने में कामयाबी हासिल की। भारतीय दल कुल 17 पदकों के साथ पदक तालिका में 9वें स्थान पर है। यूक्रेन ने 62 गोल्ड के साथ कुल 138 पदक जीतकर पदक तालिका में पहला स्थान हासिल किया, जबकि अमेरिका 20 गोल्ड समेत 55 पदकों के साथ दूसरे और ईरान 14 गोल्ड के साथ कुल 40 पदक लेकर तीसरे स्थान पर रहा। पहले ये खेल 5 से 21 दिसंबर 2021 के बीच आयोजित होने थे, लेकिन कोविड के कारण खेलों की तारीख आगे बढ़ा दी गई। डेफलिंपिक्स, जिसे डेफलिंपिआड के नाम से भी जाना जाता है, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा स्वीकृत बहु-खेल आयोजनों की एक आवधिक शृंखला है, जिसमें बधिर एथलीट एक विशिष्ट स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।

विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस

प्रतिवर्ष 17 मई को विश्व भर में ‘विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य इंटरनेट और अन्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (ITC) के उपयोग से समाज तथा अर्थव्यवस्थाओं में लाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस को ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ और ‘विश्व दूरसंचार समाज दिवस’ के समामेलन के रूप में आयोजित किया जाता है। ‘विश्व दूरसंचार समाज दिवस’ अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की स्थापना तथा वर्ष 1865 में पहले अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर को चिह्नित करता है, जबकि ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ ‘वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसायटी’ (WSIS) द्वारा रेखांकित ITC के महत्त्व और सूचना समाज से संबंधित व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने दोनों दिवसों को संयुक्त तौर पर प्रतिवर्ष एक साथ आयोजित करने का निर्णय लिया था। वर्ष 2022 के लिये विश्व दूरसंचार एंव सूचना समाज दिवस (2022) की थीम "वृद्ध व्यक्तियों और स्वस्थ आयु बढ़ाने के लिये डिजिटल तकनीक" रखी गई है।


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