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फिशरीज़ स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज

  • 14 Jan 2022
  • 5 min read

हाल ही में मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय स्टार्टअप इंडिया के सहयोग से वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने फिशरीज़ स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह चुनौती देश के भीतर स्टार्ट-अप्स को मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के भीतर अपने अभिनव समाधानों को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
    • जलीय कृषि उत्पादकता को वर्तमान राष्ट्रीय औसत 3 टन से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करने, निर्यात आय को दोगुना करने और फसल के बाद के नुकसान को 25% से 10% तक कम करने के लिये तथा मत्स्य पालन मूल्य शृंखला में मुद्दों को हल करने हेतु समाधान खोजे जाने चाहिये।
    • इस क्षेत्र के सामने स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देने और उद्यमिता मॉडल की एक मज़बूत नींव स्थापित करने की चुनौती है, मत्स्य विभाग ने इस चुनौती के लिये 3.44 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की है। 
  • संबंधित पहल:
    • वर्ष 2018-19 के दौरान मात्स्यिकी एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) की स्थापना।
    • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: कार्यक्रम का लक्ष्य 2024-25 तक 22 मिलियन टन मछली उत्पादन लक्ष्य हासिल करना है। साथ ही इससे 55 लाख लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
    • नीली क्रांति: यह मछुआरों और मछली किसानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये मत्स्य पालन के एकीकृत व समग्र विकास एवं प्रबंधन हेतु एक सक्षम वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • मछुआरों और मछली किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधाओं का विस्तार।
    • समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण: एमपीईडीए एक नोडल समन्वयक, राज्य के स्वामित्त्व वाली एजेंसी है जो मत्स्य उत्पादन और संबद्ध गतिविधियों में लगी हुई है।
    • समुद्री मात्स्यिकी विधेयक: विधेयक में केवल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के तहत पंजीकृत जहाजों को अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में मछली पकड़ने के लिये लाइसेंस देने का प्रस्ताव है।
    • समुद्री शैवाल पार्क: तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क हब और स्पोक मॉडल पर विकसित गुणवत्ता वाले समुद्री शैवाल आधारित उत्पादों का केंद्र होगा।

मत्स्य पालन क्षेत्र का महत्त्व:

  • परिचय:
    • मत्स्य पालन क्षेत्र देश के आर्थिक और समग्र विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। "सूर्योदय क्षेत्र" के रूप में संदर्भित, मत्स्य पालन क्षेत्र में समान और समावेशी विकास की अपार संभावनाएँ है।
    • भारत दुनिया में जलीय कृषि के माध्यम से मछली का दूसरा प्रमुख उत्पादक है।
    • भारत दुनिया में मछली का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है क्योंकि यह वैश्विक मछली उत्पादन में 7.7% का योगदान देता है।
    • वर्तमान में यह क्षेत्र देश के भीतर 2.8 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है। फिर भी, यह अप्रयुक्त क्षमता वाला क्षेत्र बना हुआ है।
      • भारत के आर्थिक सर्वेक्षण, 2019-20 का अनुमान है कि अब तक देश की अंतर्देशीय क्षमता का केवल 58% का ही दोहन किया गया है।
  • अप्राप्त क्षमता
    • मात्स्यिकी क्षेत्र में मौजूद समग्र क्षमता स्केलेबल व्यापार समाधान लाने और मछुआरों और मछली किसानों हेतु लाभ को अधिकतम करने के लिये विभिन्न अवसर प्रदान करती है।
    • प्राथमिक उत्पादक क्षेत्रों में मत्स्य पालन सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है।
    • हालाँकि, मात्स्यिकी क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिये मात्स्यिकी मूल्य शृंखला की दक्षता और उत्पादन को बढ़ाने हेतु तकनीकी उपायों की आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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