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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 18 Apr, 2023
  • 10 min read
प्रारंभिक परीक्षा

मैंग्रोव पिट्टा पक्षी

हाल ही में ओडिशा के दो तटीय ज़िलों (केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर) में पहली मैंग्रोव पिट्टा पक्षी गणना की गई।

मैंग्रोव पिट्टा:

  • परिचय: 
    • मैंग्रोव पिट्टा पक्षी (पिट्टा मेगरिन्चा) पक्षी की एक प्रजाति है जो ओडिशा के भितरकनिका और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन सहित पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
  • IUCN स्थिति: 
  • वितरण: 
    • भारत, बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया।
  • महत्त्व: 
    • यह प्रजाति महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह मैंग्रोव वनों के स्वास्थ्य का जैव-संकेतक है, जो तटीय क्षेत्रों में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

मैंग्रोव पिट्टा पक्षियों की पहली जनगणना:

  • यह जनगणना एक बिंदु गणना पद्धति (Point Count Method) का उपयोग करके आयोजित की गई थी, जहाँ पक्षियों को गिनने के लिये प्रत्यक्ष दृष्टि और चहकने की आवाज़ का उपयोग किया गया था।
  • मैंग्रोव पिट्टा पक्षियों की जनगणना में कुल 179 अलग-अलग पक्षियों की गिनती की गई थी।
  • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के अंदर महिपुरा नदी के मुहाने के पास मैंग्रोव में इन पक्षियों की सबसे अधिक सघनता पाई गई।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 अप्रैल, 2023

ब्लास्टोमायकोसिस  

ब्लास्टोमायकोसिस एक दुर्लभ कवक संक्रमण है जो ब्लास्टोमायसेस कवक (Blastomyces Fungus) के कारण होता है, यह अमेरिका के मध्य-पश्चिमी, दक्षिण-मध्य एवं दक्षिण-पूर्वी राज्यों में पाया जाता है। कवक सामान्यतः नम मृदा तथा लकड़ी व सड़ी हुई पत्तियों में मौजूद होता है। यह कवक मिशिगन राज्य, अमेरिका का स्थानिक है। फंगस के बीजाणु, जो साँस के साथ अंदर जाते हैं, बीमारी का कारण बनते हैं, साथ ही मृदा में असंतुलन होने पर वायु में फैल सकते हैं। ब्लास्टोमायकोसिस के लक्षणों में बुखार, खाँसी, साँस लेने में कठिनाई और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। यह गंभीर संक्रमण संभावित रूप से त्वचा, हड्डियों तथा मस्तिष्क जैसे अन्य अंगों में फैल रहा है, जबकि रोग के इलाज हेतु एंटीफंगल दवाएँ उपलब्ध हैं, हालाँकि दवा के इस्तेमाल लंबे समय तक करना पड़ सकता है, यह अवधि छह महीने से एक वर्ष के बीच हो सकती है। 

और पढ़ें… फंगल इन्फेक्शन - म्यूकोर्मिकोसिस

सुंदरबन में बाघों की घटती आबादी 

सुंदरबन, जो बंगाल टाइगर के कुछ शेष अभयारण्यों में से एक है और जहाँ विश्व में सबसे बड़े मैंग्रोव वन पाए जाते हैं, अब भारत के शीर्ष बाघ अभयारण्यों में शामिल नहीं है। हाल ही में जारी प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (Management Effectiveness Evaluation- MEE) रिपोर्ट के अनुसार, बाघों की आबादी में वृद्धि के बावजूद वन प्रबंधन के संदर्भ में सुंदरबन को देश के 51 बाघ अभयारण्यों में 31वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। पर्याप्त जनशक्ति की कमी और जलवायु परिवर्तन तथा समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण जलमग्नता जैसी स्थितियों को इस स्थान की सुभेद्यता के लिये प्रमुख चुनौतियों के रूप में चिह्नित किया गया है। हालाँकि अवैध शिकार और बाघ-मानव संघर्ष जैसी बड़ी समस्याओं के समाधान में सुंदरबन का प्रदर्शन अच्छा रहा है। MEE रिपोर्ट के अनुसार, 94.38% के स्कोर के साथ केरल स्थित पेरियार शीर्ष स्थान पर रहा, इसके बाद 93.16% स्कोर के साथ मध्य प्रदेश का सतपुड़ा दूसरे स्थान पर रहा। MEE की रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि अवैध पर्यटन की निगरानी के लिये क्षेत्र विकास समितियों को संभागीय आयुक्तों के अधीन कार्य करना चाहिये और भारत तथा बांग्लादेश के सुंदरबन वन क्षेत्रों के बीच प्रबंधन हेतु अधिक समन्वय की आवश्यकता है। सुंदरबन, विशेष रूप से वे वन जो वर्तमान टाइगर रिज़र्व को कवर करते हैं तथा दक्षिण 24 परगना ज़िले पर जलवायु परिवर्तन से बढ़ते प्रभावों को देखते हुए संबद्ध मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।

Bangladesh

और पढ़ें…सुंदरबन, बाघ गणना 2022 

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) 

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने "लो पावर स्माल रेंज FM रेडियो प्रसारण से संबंधित मुद्दों" पर एक परामर्श पत्र जारी किया है। यह ड्राइव-इन थिएटर एप्लीकेशन हेतु एक नए सेवा प्रदाता की शुरुआत के साथ-साथ कम-शक्ति शॉर्ट-रेंज FM रेडियो प्रसारण से संबंधित मुद्दों पर हितधारकों से प्रतिक्रिया और टिप्पणियाँ एकत्र करेगा। इस तरह के प्रसारण को सीमित स्थानों और स्वागत क्षेत्रों, जैसे- अस्पताल रेडियो सेवाओं, मनोरंजन पार्कों, व्यावसायिक परिसरों, बंद समुदायों, छोटे आवासों तथा स्थानीय कार्यक्रमों के लिये लक्षित सेवाओं हेतु ध्वनि प्रसारण का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। ट्राई टेलीकॉम सेवाओं को नियंत्रित करता है जिसमें टेलीकॉम सेवाओं के लिये टैरिफ का निर्धारण/संशोधन शामिल है जो पहले केंद्र सरकार में निहित थे। 

और पढ़ें… भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) 

संपीड़ित बायोगैस पर वैश्विक सम्मेलन (CBG)  

हाल ही में इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी (IFGE) ने संपीड़ित बायोगैस (CBG) पर एक वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री ने जैव ईंधन के घरेलू उत्पादन के महत्त्व पर प्रकाश डाला। इसे जीवाश्म ईंधन के आयात को कम करने एवं अंततः शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की एक महत्त्वपूर्ण रणनीति के रूप में देखा जाता है। CBG उत्पादन कई लाभ प्रदान करता है, जिसमें प्राकृतिक गैस के आयात में कमी, GHG उत्सर्जन, कृषि अवशेषों को जलाना, किसानों को लाभकारी आय प्रदान करना, रोज़गार सृजन और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त जैविक खेती को प्रोत्साहित करने और कृत्रिम उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिये कृषि क्षेत्र में CBG के उप-उत्पाद, किण्वित जैविक खाद (FOM) को लागू किया जा सकता है। भारत ने वर्ष 2030 में ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है और CBG के तेज़ी से विस्तार से घरेलू संसाधनों की अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलेगी। सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT) योजना को सम्मेलन में रेखांकित किया गया जो CBG उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में विभिन्न अपशिष्ट स्रोतों की पड़ताल करती है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक 5,000 वाणिज्यिक CBG संयंत्र स्थापित करना और 15 MMT CBG का उत्पादन करना है। सरकार ट्रिपल बॉटम लाइन (पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था) के सभी कर्त्ताओं की स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है तथा हाल ही में घोषित अमृत काल बजट वर्ष 2023 भारत की बायोगैस और महत्त्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा क्रांति को बढ़ावा देगा।

और पढ़ें… संपीड़ित बायोगैस (CBG)


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