काज़िंद- 2022
भारत-कज़ाखस्तान संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास काज़िंद-22 का छठा संस्करण उमरोई (मेघालय) में आयोजित किया जा रहा है।
काज़िंद- 2022
- परिचय:
- यह कज़ाखस्तान सेना के साथ एक संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास है और वर्ष 2016 में अभ्यास प्रबल दोस्तिक के रूप में स्थापित किया गया था, जिसे बाद में कंपनी स्तर के अभ्यास में अपग्रेड किया गया और वर्ष 2018 में इसका नाम काज़िंद अभ्यास रखा गया।
- लक्ष्य:
- सकारात्मक सैन्य संबंध बनाने के लिये एक-दूसरे के सर्वोत्तम तरीकों को आत्मसात करना और अर्द्ध शहरी/जंगल परिदृश्य में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन करते समय एक साथ काम करने की क्षमता को बढ़ावा देना।
कज़ाखस्तान भारत के लिये महत्त्वपूर्ण:
- पश्चिम में कैस्पियन सागर से उत्तर में रूस और पूर्व में चीन से घिरा कज़ाखस्तान मध्य एशिया का सबसे बड़ा देश और दुनिया का नौवाँ सबसे बड़ा देश सामरिक महत्त्व रखता है।
- कज़ाखस्तान विशेष रूप से ऊर्जा संसाधनों और इसकी आर्थिक क्षमता के संदर्भ में एवं इसके भू-रणनीतिक स्थान के कारण भी भारत के लिये बहुत महत्त्व रखता है।
- ऊर्जा संसाधनों के दृष्टिकोण से कज़ाखस्तान यूरेनियम का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत और कज़ाखस्तान एशिया में विश्वास-निर्माण उपायों (CICA), शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) संगठनों सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों के तत्त्वावधान में सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
वाटर वर्ल्ड
खगोलविदों की एक टीम ने पाया कि अंतरिक्ष में लाल बौने तारे की परिक्रमा करने वाले दो एक्सोप्लैनेट पर ज़्यादातर वाटर वर्ल्ड हो सकता है।
प्रमुख बिंदु
- एक्सोप्लैनेट:
- ये एक्सोप्लैनेट केप्लर-138C और केपलर-138D हैं, जिन्हें नासा (NASA) के हबल एवं सेवानिवृत्त स्पिट्ज़र स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करके देखा गया था।
- यह पहली बार है कि ग्रहों को स्पष्ट तौर पर वाटर वर्ल्ड के रूप में मान्यता दी गई है, ग्रह की एक श्रेणी जिसके होने के बारे में खगोलविदों को लंबे समय से संदेह है।
- एक्सोप्लैनेट एक ग्रह प्रणाली में स्थित हैं जो 218 प्रकाश वर्ष दूर तारामंडल लायरा में हैं और हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह से अलग हैं।
- नए ग्रह को एक परिक्रमा पूरी करने में 38 दिन लगते हैं।
- ये रहने योग्य क्षेत्र में हैं, जिसका अर्थ है कि ये एक ऐसी कक्षा में स्थित हैं जहाँ जल तरल अवस्था में मौज़ूद है तथा यह अपने तारे से सही मात्रा में ऊष्मा प्राप्त करता है।
- निष्कर्ष:
- केपलर- 138C और D चट्टान (पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रह) की तुलना में हल्के अवयवों से बने हैं लेकिन हाइड्रोजन या हीलियम (बृहस्पति जैसे गैस-विशाल ग्रह) से भारी होते हैं।
- यह जल की उपस्थिति का संकेत देता है, जुड़वाँ विश्व के द्रव्यमान का आधा हिस्सा जल होना चाहिये।
- उन्होंने गणना की कि दोनों का आयतन पृथ्वी से तीन गुना अधिक है और द्रव्यमान दोगुना ज़्यादा है।
- वे एन्सेलाडस (शनि का चंद्रमा) और यूरोपा (बृहस्पति का चंद्रमा) का बड़े पैमाने पर संस्करण भी हैं।
- इन जुड़वाँ बहिर्ग्रहों (एक्सोप्लैनेट) का घनत्त्व पृथ्वी से कम है लेकिन इसकी तुलना एन्सेलाडस और यूरोपा से की जा सकती है।
- अब तक की जानकारी के अनुसार, पृथ्वी से थोड़े बड़े इन वाटर वर्ल्डस में चट्टानी विशेषताएँ होने की संभावना है।
- समान आकार और द्रव्यमान के ये जुड़वाँ ग्रह पृथ्वी से अधिक विशाल हैं लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे आइस जायंट्स से हल्के हैं।
- लेकिन वे हमारे सौरमंडल के ग्रहों से भिन्न हैं और इसका मुख्य कारण पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों और बृहस्पति जैसे गैस जायंट्स से बना होना है।
- महत्त्व:
- यह शोधकर्त्ताओं की इनके प्रति अज्ञानता को दूर करने तथा भविष्य में और अधिक वाटर वर्ल्ड खोजने में मदद कर सकता है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
इक्की जथरे
हाल ही में केरल के एक संगठन थानाल ने जनजातीय भाषा में इक्की जथरे या चावल के त्योहार का शुभारंभ किया, जिसके तहत पनावली, वायनाड में पारंपरिक चावल की 300 जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों को लगाया गया।
- थानाल ने वर्ष 2009 में हमारे चावल बचाओ अभियान के तहत पनावली में चावल विविधता ब्लॉक (Rice Diversity Block- RDB) की शुरुआत की, जिसमें चावल की 30 किस्में शामिल थीं, जो अब बढ़कर 300 हो गई हैं।
इक्की जथरे:
- इस पहल का उद्देश्य लोगों को उन पारंपरिक फसलों के संरक्षण के महत्त्व के प्रति संवेदनशील बनाना है जो कठोर जलवायु परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता रखती हैं।
- त्योहार ज्ञान साझा करने और जनजातीय किसानों एवं विशेषज्ञों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिये भी मंच तैयार करता है।
- RDB के लिये अधिकांश किस्मों को केरल, कर्नाटक, असम, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से एकत्र किया गया था।
- इसके अलावा वियतनाम और थाईलैंड के चावल की तीन पारंपरिक किस्में भी हैं।
हमारा चावल बचाओ अभियान:
- परिचय:
- हमारा चावल बचाओ अभियान विविध चावल संस्कृतियों, ज्ञान की रक्षा और खाद्य संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिये एक जन आंदोलन है।
- भारत में यह वर्ष 2004 में शुरू हुआ और समुदायों को स्थायी खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका का निर्माण करने के लिये सशक्त बनाता है।
- कार्य:
- सामुदायिक RDB और बीज बैंकों की स्थापना करना, धान के बीज की स्वदेशी किस्मों का संरक्षण एवं प्रचार करना।
- शहरी उपभोक्ताओं के बीच चावल विविधता के मूल्य के बारे में जागरूकता पैदा करना।
- चावल के पारिस्थितिक तंत्र में कृषि-पारिस्थितिक खेती को अपनाने की सुविधा देना और किसानों, राज्यों एवं स्थानीय सरकारों को स्वदेशी बीज अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- स्वदेशी बीजों और कृषि पारिस्थितिक खेती के बारे में मीडिया में सक्रिय चर्चाओं को सक्षम बनाना।
चावल:
- चावल भारत की अधिकांश आबादी का मुख्य भोजन है।
- यह एक खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिये उच्च तापमान (25°C से अधिक तापमान) तथा उच्च आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है।
- कम वर्षा वाले क्षेत्रों में धान की फसल के लिये सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- दक्षिणी राज्यों और पश्चिम बंगाल में जलवायु परिस्थितियों की अनुकूलता के कारण चावल की दो या तीन फसलों का उत्पादन किया जाता है।
- पश्चिम बंगाल के किसान चावल की तीन फसलों का उत्पादन करते हैं जिन्हें 'औस', 'अमन और 'बोरो' कहा जाता है।
- भारत में कुल फसली क्षेत्र का लगभग एक-चौथाई चावल की खेती के अंतर्गत आता है।
- प्रमुख उत्पादक राज्य: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब।
- अधिक उपज देने वाले राज्य: पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल।
- भारत चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. भारत में पिछले पांँच वर्षों में खरीफ फसलों की खेती के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (a) अतः कथन 1 और 3 सही हैं तथा कथन 2 एवं 4 सही नहीं हैं। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। प्रश्न. निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-सी खरीफ फसलें हैं? प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन पिछले पांँच वर्षों में विश्व में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है? (2019) प्रश्न. कृषि की “धान गहनता प्रणाली”, जिसमें धान के खेतों का बारी-बारी से क्लेदन और शुष्कन किया जाता है, का क्या परिणाम होता है? ( 2022)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित फसलों में से कौन सी एक मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड दोनों का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मानावोद्भवी स्रोत है? (2022) (a) कपास उत्तर: (b) |
स्रोत: द हिंदू
केरल के पाँच कृषि उत्पादों को जीआई दर्जा
केरल के पाँच कृषि उत्पादों- अट्टापडी अट्टुकोम्बु अवारा, अट्टापडी थुवारा, ओनाटुकारा एलु, कंथल्लूर-वट्टावदा वेलुथुल्ली और कोडुंगल्लूर पोट्टुवेलारी को भौगोलिक संकेत (GI) का दर्जा प्रदान किया गया है।
- असम के गमोसा (पारंपरिक कपड़ा), महाराष्ट्र के अलीबाग सफेद प्याज, लद्दाख के रक्तसे कारपो खुबानी और तेलंगाना के तंदूर रेडग्राम को भी हाल ही में जीआई टैग मिला है।
नवीनतम GI के बारे में मुख्य बिंदु:
- अट्टापडी अट्टुकोम्बु अवारा (बीन्स):
- जैसा कि इसके नाम से संकेत मिलता है, यह बकरी के सींग की तरह घुमावदार होती है।
- अन्य डोलिचोस बीन्स की तुलना में इसकी उच्च एंथोसायनिन सामग्री तने और फलों में बैंगनी रंग प्रदान करती है।
- एंथोसायनिन अपने एंटीडायबिटिक गुणों के साथ हृदय रोगों के खिलाफ मददगार है।
- अट्टापडी अटुकोम्बु अवारा की उच्च फेनोलिक सामग्री कीट और रोगों के खिलाफ प्रतिरोध प्रदान करती है, जिससे फसल जैविक खेती के लिये उपयुक्त हो जाती है।
- अट्टापडी थुवारा (लाल चना):
- इसके बीज सफेद आवरण वाले होते हैं।
- अन्य लाल चने की तुलना में अट्टापडी थुवारा के बीज बड़े होते हैं और बीज का वज़न अधिक होता है।
- ओनाटुकारा एलु (तिल):
- ओनाटुकारा एलु और इसका तेल अपने अनोखे स्वास्थ्य लाभों के लिये प्रसिद्ध है।
- ओनाटुकारा एलु में अपेक्षाकृत उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री मुक्त मूलकों से लड़ने में मदद करती है, जो शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं।
- साथ ही असंतृप्त वसा की उच्च सामग्री इसे हृदय रोगियों के लिये फायदेमंद बनाती है।
- कंथलूर-वट्टवडा वेलुथुल्ली (लहसुन):
- अन्य क्षेत्रों में उत्पादित लहसुन की तुलना में इस लहसुन में सल्फाइड, फ्लेवोनोइड्स, प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और यह आवश्यक तेल से भी भरपूर होता है।
- यह एलिसिन से भरपूर होता है, जो माइक्रोबियल संक्रमण, ब्लड शुगर, कैंसर आदि के खिलाफ प्रभावी है।
- कोडुंगलूर पोट्टुवेलारी (स्नैपमेलन):
- गर्मियों में काटे जाने वाले इस स्नैप तरबूज में विटामिन C की उच्च मात्रा होती है।
- अन्य कुकुरबिट्स की तुलना में कोडुंगल्लूर पोट्टुवेलारी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर और वसा की मात्रा जैसे पोषक तत्त्व भी अधिक होते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: व्याख्या:
अतः विकल्प (C) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 दिसंबर, 2022
आइएनएस मोरमुगाओ
स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक 'आइएनएस मोरमुगाओ (INS Mormugao)' को 18 दिसंबर को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। भारतीय नौसेना के अनुसार यह युद्धपोत सेंसर, आधुनिक रडार प्रणाली और सतह\-से-सतह पर और सतह से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से पूरी तरह लैस है। इसकी लंबाई 163 मीटर और चौड़ाई 17 मीटर है, रक्षा मंत्री मुंबई में इस युद्धपोत का जलावतरण करेंगे। इसका नाम पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक गोवा के बंदरगाह शहर पर रखा गया है। यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, यह दिवस पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष का प्रतीक है। 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत इस स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण मझगाँव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा किया गया है। यह युद्धपोत परमाणु, जैविक सहित रासायनिक युद्ध लड़ने में सक्षम है।
एस्केप टनल टी-49
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल बनाई गई है। यह सुरंग दक्षिण की ओर सुंबर स्टेशन यार्ड और सुरंग टी-50 को जोड़ते हुए उत्तर की ओर खोड़ा गाँव में खोड़ा नाला पर ब्रिज नंबर 04 को जोड़ती है। भारतीय रेलवे का प्रयास है कि रेल नेटवर्क को बेहतर तरीके के साथ आम यात्रियों के लिये तैयार किया जाए। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (USBRL) के कटरा-बनिहाल सेक्शन पर सुंबर और खारी स्टेशनों के बीच भारत ने सबसे लंबी एस्केप टनल टी-49 का निर्माण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रेलवे ने भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल की लाइन और लेबल को सटीकता के साथ हासिल किया। टनल टी-49 एक जुड़वा ट्यूब सुरंग है जिसमें मुख्य सुरंग (12.75 किलोमीटर) और एस्केप टनल (12.895 किलोमीटर) है तथा यह 33 क्रॉस पैसेजों से जुड़ी है। इसकी फाइनल लाइनिंग का कार्य तेज़ गति से चल रहा है। वास्तव में इसका निर्माण आपातकालीन परिस्थितियों में बचाव और राहत कार्यों के लिये किया जाता है। एस्केप सुरंग हिमालय पर्वत के रामबन फॉर्मेशन के साथ-साथ खोड़ा, हिंगनी, पुंदन, नालों जैसी चिनाब नदी की विभिन्न सहायक नदियों/नालों के समनांतर गुज़रती है।