विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
बृहस्पति का चंद्रमा यूरोपा
- 23 Apr 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:बृहस्पति और उसके चंद्रमा, नासा। मेन्स के लिये:अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा से संबंधित हाल के निष्कर्षों के निहितार्थ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने बृहस्पति के चंद्रमाओं में से एक यूरोपा पर पानी की मौजूदगी की संभावना व्यक्त की है जो सौरमंडल में जीवन के लिये एक प्रमुख उम्मीद है।
- इससे पहले नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के डॉन अंतरिक्षयान द्वारा बौने ग्रह सेरेस (Dwarf Planet Ceres) पर कथित तौर पर खारे पानी की भूमिगत उपस्थिति का पता लगया था।
- पूर्व के शोधों में वैज्ञानिकों को K2-18b के वातावरण में जलवाष्प की मौजूदगी के निशान भी मिले थे।
यूरोपा के बारे में:
- यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है और इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक-चौथाई है।
- भले ही यूरोपा में ऑक्सीजन का वातावरण बहुत पतला है, फिर भी इसे सौरमंडल में सबसे आशाजनक स्थानों में से एक माना जाता है जहांँ वर्तमान वातावरण पृथ्वी से परे जीवन के लिये उपयुक्त हैं।
- यह भी माना जाता है कि यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे पानी की मात्रा पृथ्वी की तुलना में दोगुनी है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा पर बर्फ की 15-25 किमी मोटी परत है जो एक समुद्र पर तैर रही है तथा जिसकी गहराई 60-150 किमी के बीच होने का अनुमान है।
- दिलचस्प बात यह है कि इसका व्यास पृथ्वी से कम है, यूरोपा पर संभवतः पृथ्वी के सभी महासागरों की तुलना में पानी की मात्रा दोगुनी है।
- वर्ष 2024 में नासा द्वाराअपना यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) लॉन्च किये जाने की उम्मीद है।
- मॉड्यूल बृहस्पति की परिक्रमा करेगा और चंद्रमा के वातावरण, सतह तथा इसके आंतरिक भाग पर डेटा एकत्र करने हेतु यूरोपा के पास से करीबी उड़ानों का संचालन करेगा।
निष्कर्ष:
- यूरोपा की सतह पर ज़्यादातर ठोस बर्फ है और इसके नीचे पानी मौजूद है।
- डबल रीजेज़ (Double Ridges)- संरचनाएंँ जो यूरोपा की सतह पर सबसे आम हैं और पृथ्वी की ग्रीनलैंड बर्फ की चादर पर देखी गई हैं।
- चंद्रमा की डबल रीजेज़ संरचनाएँ पानी की उथले या उठे हुए स्थानों के ऊपर बनती हैं।
हाल के निष्कर्षों के निहितार्थ:
- यूरोपा की डबल रीजेज़ चंद्रमा की संभावित आवासीय क्षमता को बढ़ाती हैं।
- बर्फ का आवरण, जिसकी संभावित मोटाई मीलों तक है वैज्ञानिकों के लिये इसका सैंपल/नमूना लेना एक कठिन कार्य है लेकिन स्टैनफोर्ड टीम द्वारा एकत्र किये गए नए नमूनों के अनुसार, माना जाता है कि बर्फ के गोलाकार आवरण कम अवरोधक तथा अधिक गतिशील होते हैं।
- इसका मतलब यह है कि बर्फ का गोला/आवरण बर्फ के एक निष्क्रिय ब्लॉक की तरह व्यवहार नहीं करता है, बल्कि विभिन्न भूवैज्ञानिक और हाइड्रोलॉज़िकल प्रक्रियाओं से गुज़रता है।
- एक संभावना है कि यदि बर्फ के गोले में पानी की उपस्थिति है तो जीवन संभव है।
- यूरोपा पर ये सभी परिस्थितियाँ यदि विद्यमान है तो यदि तंत्र ग्रीनलैंड से समानता दिक्ताना है तथा यह सुझाव दिया जाता है कि यूरोपा पर हर जगह पानी है।
बृहस्पति:
- सूर्य से पाँचवीं पंक्ति में बृहस्पति, सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो अन्य सभी ग्रहों के मुकाबले दोगुने से अधिक बड़ा है।
- बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून को जोवियन ग्रह या गैसीय विशालकाय ग्रह कहा जाता है। इनमें वायुमंडल की मोटी परत पाई जाती है जिसमें ज़्यादातर हीलियम और हाइड्रोजन गैस होती है।
- बृहस्पति का प्रतिष्ठित ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) पृथ्वी से भी बड़ा एक विशाल तूफान है जो सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा है।
- बृहस्पति लगभग हर 10 घंटे में एक बार घूर्णन (एक जोवियन दिवस) करता है, परंतु सूर्य की परिक्रमा (एक जोवियन वर्ष) करने में इसे लगभग 12 वर्ष लगते हैं।
- बृहस्पति के 75 से अधिक चंद्रमा हैं।
- बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं को इटालियन खगोलशास्त्री गैलीलियो गैलीली जिन्होंने पहली बार वर्ष 1610 में इन ग्रहों को देखा था, के नाम पर गैलीलियन उपग्रह कहा जाता है।
- इनके नाम आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो हैं।
- वर्ष 1979 में वॉयजर मिशन ने बृहस्पति की धुँधली वलय प्रणाली की खोज की।
- नौ अंतरिक्षयानों को बृहस्पति पर भेजा जा चुका है। सबसे बाद में जूनो वर्ष 2016 में बृहस्पति पर पहुँचा।