प्रिलिम्स फैक्ट्स (17 Oct, 2024)



अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 2024

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 2024 डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन को " संस्थाओं के निर्माण और समृद्धि पर उनके प्रभाव के शोध के लिये" दिया गया है।

  • उनके कार्य का आधुनिक महत्व यह समझने में है कि कैसे कमज़ोर देश सालों की तरक्की के बावजूद अमीर देशों की तरह विकसित नहीं हो पाए हैं।
  • पुरस्कार स्वरूप 11 मिलियन क्रोनर (1.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की राशि प्राप्तकर्त्ताओं के बीच उनके योगदान के सम्मान में बांटी जाएगी।

अध्ययन के प्रमुख फोकस क्षेत्र क्या हैं?

  • तीन अर्थशास्त्रियों द्वारा किये गए शोध में यह पता लगाया गया कि किस प्रकार विभिन्न संस्थागत संरचनाओं ने, विशेष रूप से यूरोपीय उपनिवेशित देशों में, समृद्धि के मार्ग को प्रभावित किया।
    • जिन क्षेत्रों में यूरोपीय लोगों को उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ा, वहाँ उनके बसने की संभावना कम तथा शोषणकारी संस्थाएँ स्थापित करने की संभावना अधिक थी, जो अक्सर आधुनिक युग में भी जारी रही।
  • शोध में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भूगोल या संस्कृति के बजाय संस्थागत अंतर आर्थिक परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
    • विभाजित शहर नोगेल्स का उदाहरण, जहाँ मैक्सिकन पक्ष की तुलना में अमेरिकी पक्ष के पास अधिक आर्थिक अवसर और राजनीतिक अधिकार हैं, जो यह दर्शाता है कि संस्थाएँ समृद्धि को कैसे प्रभावित करती हैं।
      • नोगेल्स अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर स्थित एरिज़ोना राज्य है। यह मेक्सिको में स्थित इसके जुड़वाँ शहर हीरोइका नोगेल्स से अपनी सीमा साझा करता है।
      • दोनों शहरों को इंटरनेशनल एवेन्यू द्वारा अलग किया गया है, जो दोनों देशों के बीच सीमा बनाता है।

पुरस्कार प्राप्तकर्त्ताओं के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • साइमन जॉनसन:
    • वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) (2007-2008) में अपने कार्यकाल के लिये जाने जाते हैं, तथा वर्तमान में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रोफेसर हैं
    • डेरॉन ऐसमोग्लू के साथ मिलकर उन्होंने पॉवर एंड प्रोग्रेस: ​​अवर थाउज़ेंड-ईयर स्ट्रगल ओवर टेक्नोलॉजी एंड प्रॉसपेरिटी (2023) नामक पुस्तक लिखी।
    • इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कई देशों में गरीबी राजनीतिक और आर्थिक संस्थागत व्यवस्थाओं से उत्पन्न होती है, जिससे समाधान जटिल तथा दीर्घकालिक हो जाते हैं।
  • डेरॉन ऐसमोग्लू:
    • MIT में प्रोफेसर और साइमन जॉनसन के सहयोगी।
    • उन्होंने कहा कि उनका कार्य व्यापक रूप से लोकतंत्र का समर्थन करता है, तथा गैर-लोकतांत्रिक शासन से संक्रमण करने वाले देशों में आमतौर पर 8-9 वर्षों के भीतर महत्त्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि देखी जाती है, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि लोकतंत्र कोई आसान समाधान नहीं है।
    • जेम्स ए. रॉबिन्सन के साथ मिलकर उन्होंने 'व्हाई नेशंस फेल: द ओरिज़िन्स ऑफ पावर, प्रॉसपेरिटी, एंड पॉवर्टी' (2012) नामक पुस्तक लिखी।
  • जेम्स ए. रॉबिन्सन:
    • शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और डेरॉन ऐसमोग्लू के साथ 'व्हाई नेशंस फेल' के सह-लेखक है।
    • अपने कार्य के आधार पर, उन्होंने सोवियत संघ जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए, दमनकारी राजनीतिक व्यवस्था के तहत आर्थिक समृद्धि बनाए रखने की चीन की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया।
      • इस बात पर प्रकाश डाला गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई समाज, उत्पीड़न और विशेषाधिकार की पिछली प्रणालियों पर काबू पाकर समावेशी समाजों में परिवर्तित हो गए हैं।

अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार के बारे में मुख्य बिंदु क्या है?

  • परिचय:
    • यह पुरस्कार, जिसे औपचारिक रूप से अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार के रूप में जाना जाता है, जिसकी शुरुआत स्वीडिश केंद्रीय बैंक द्वारा वर्ष 1968 में की गई थी।
    • यह भौतिकी , रसायन विज्ञान , चिकित्सा , साहित्य और शांति के क्षेत्र में दिये जाने वाले वार्षिक नोबेल पुरस्कारों का पूरक है, जिसकी शुरुआत अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के अनुसार की गई थी।
  • अन्य उल्लेखनीय अर्थशास्त्र पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता:
    • वर्ष 2023 में , क्लॉडिया गोल्डिन को लैंगिक वेतन अंतर पर उनके शोध के लिये यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
    • वर्ष 2022 में , बेन बर्नान्के, डगलस डायमंड और फिलिप डायबविग ने बैंकों और वित्तीय संकटों पर शोध के लिये प्रदान किया गया था।
    • अन्य उल्लेखनीय पुरस्कार प्राप्तकर्त्ताओं में आर्थिक सिद्धांत के लिये फ्रेडरिक हायेक, जलवायु परिवर्तन विश्लेषण के लिये विलियम नॉर्डहॉस, तथा व्यापार सिद्धांत के लि पॉल क्रुगमैन शामिल हैं।
    • वर्ष 2019 में, अभिजीत बनर्जी, एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को गरीबी उन्मूलन पर शोध हेतु सम्मानित किया गया था।
  • नोबेल पुरस्कारों में लैंगिक असमानता:
    • अर्थशास्त्र का पुरस्कार भौतिकी के बाद दूसरा सर्वाधिक पुरुष-प्रधान पुरस्कार है, जो केवल तीन महिलाओं की प्रदान किया गया हैं।
    • यह वैज्ञानिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं के ऐतिहासिक रूप से कम प्रतिनिधित्त्व को दर्शाता है।
  • अन्य नोबेल पुरस्कार 2024

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक जेम्स डी. वाटसन किस क्षेत्र में अपने काम के लिये जाने जाते हैं? (2008)

(a) धातु विज्ञान
(b) मौसम विज्ञान
(c) पर्यावरण संरक्षण
(d) आनुवंशिकी

उत्तर: (D)


ऑसिफिकेशन टेस्ट

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, एक राजनीतिक नेता की हत्या के मामले में आरोपी व्यक्तियों में से एक का ऑसिफिकेशन टेस्ट (अस्थिभंग परीक्षण) किया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह नाबालिग है या नहीं।  

ऑसिफिकेशन टेस्ट क्या है?

  • परिचय: 
    • ऑसिफिकेशन (अस्थिभंग) हड्डियों के निर्माण की प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो भ्रूण के प्रारंभिक विकासात्मक चरण में शुरू होती है और किशोरावस्था के अंत तक जारी रहती है, तथा यह प्रत्येक व्यक्ति के आधार पर भिन्न होता है। 
    • किसी व्यक्ति की अनुमानित आयु का अनुमान उसकी हड्डियों के विकास के चरण के आधार पर लगाया जा सकता है।
    • इस परीक्षण में कंकाल और जैविक विकास का आकलन करने के लिये विशिष्ट हड्डियों, जैसे हाथ और कलाई आदि का एक्स-रे लिया जाता है।
      • आयु निर्धारित करने में सहायता के लिये एक्स-रे चित्रों की तुलना मानक विकास मानदंडों से की जा सकती है।
      • विश्लेषण में एक स्कोरिंग प्रणाली का भी उपयोग किया जा सकता है जिसमे हाथों और कलाईयों की अलग-अलग हड्डियों का मूल्यांकन, तथा उनकी वृद्धि की तुलना एक विशिष्ट जनसंख्या में स्थापित परिपक्वता मानकों से की जाती है।
  • विश्वसनीयता:
    • अस्थि परिपक्वता के अवलोकन में भिन्नता, ऑसिफिकेशन टेस्ट की सटीकता को प्रभावित कर सकती है।
      • व्यक्तियों के बीच मामूली विकासात्मक अंतर से आयु अनुमान में त्रुटि की संभावना उत्पन्न होती है।
      • ऑसिफिकेशन टेस्ट में आमतौर पर 17-19 वर्ष की आयु सीमा का पता चलता है
    • न्यायालयों ने इस सीमा के भीतर त्रुटि की सीमा के मुद्दे पर विचार किया है तथा इस बात पर ज़ोर दिया है कि सीमा के निम्न या उच्च सीमा को स्वीकार किया जाए।
      • उदाहरण के लिये, वर्ष 2024 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम, 2012 के तहत मामलों में ऑसिफिकेशन टेस्ट की उच्च आयु सीमा पर विचार किया जाना चाहिये।
      • न्यायालय ने यह भी कहा कि आयु निर्धारित करते समय दो वर्ष की त्रुटि सीमा लागू की जानी चाहिये।
  •  परीक्षण के बारे में न्यायालय का दृष्टिकोण:
    • किशोर न्याय अधिनियम की धारा 94 के तहत, यदि व्यक्ति की आयु के संबंध में "संदेह के लिये उचित आधार" हैं, तो बोर्ड को आयु निर्धारण की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
    • आयु सत्यापन के लिये प्राथमिक साक्ष्य के रूप में स्कूल द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र या संबंधित परीक्षा बोर्ड से प्राप्त मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र का उपयोग किया जाना चाहिये।
      • यदि ये दस्तावेज़ उपलब्ध न हों तो नगर निगम, निगम या पंचायत से प्राप्त जन्म प्रमाण पत्र पर विचार किया जा सकता है।
    • अधिनियम में कहा गया है कि इन दस्तावेज़ों के अभाव में ही ऑसिफिकेशन टेस्ट या अन्य आयु निर्धारण चिकित्सा परीक्षण किया जाना चाहिये, जैसा कि समिति या बोर्ड द्वारा निर्धारित किया गया हो।
    • मार्च, 2024 के अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आयु निर्धारण के लिये ऑसिफिकेशन टेस्ट का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिये।
    • न्यायालय ने निर्णय दिया कि ऑसिफिकेशन टेस्ट, दस्तावेज़ी साक्ष्य का स्थान नही ले सकते।

आपराधिक न्याय प्रणाली में आयु निर्धारण क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • आपराधिक कानून प्रक्रियाओं, सुधार, पुनर्वास और दंड के संदर्भ में बच्चों और वयस्कों के बीच अंतर करता है।
    • भारत में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को नाबालिगों की श्रेणी में रखा गया है।
  • नाबालिगों पर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 लागू होता है।
    • कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे को वयस्कों के जेल में नहीं भेजा जाता है, बल्कि उसे पर्यवेक्षण गृह (Observation Home) में रखा जाता है और उसे पारंपरिक न्यायालय के बजाय किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के समक्ष पेश किया जाता है, जिसमें एक मजिस्ट्रेट और बाल कल्याण में विशेषज्ञता वाले दो सामाजिक कार्यकर्त्ता शामिल होते हैं।
    • जाँच के बाद, JJB अन्य विकल्पों के अलावा, बच्चे को चेतावनी देना, सामुदायिक सेवा सौंपने, या अधिकतम तीन वर्षों के लिये विशेष गृह में रखने का निर्णय ले सकता है।
  • किशोर न्याय संशोधन अधिनियम 2021 के बाद, जघन्य अपराधों (कम-से-कम 7 वर्ष के कारावास से दंडनीय) के लिये हिरासत में लिये गए 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये अपराध करने हेतु JJB को उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता का प्रारंभिक मूल्यांकन करना होगा।
    • मूल्यांकन में अपराध के परिणामों और परिस्थितियों के बारे में बच्चे की समझ का भी मूल्यांकन किया जाता है, ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि क्या उन पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  (PYQ)  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न 1. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  1. जब कोई कैदी पर्याप्त आधार प्रस्तुत करता है तो ऐसे कैदी को पैरोल से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह उसके अधिकार का मामला बन जाता है। 
  2. कैदी को पैरोल पर छोड़ने के लिये राज्य सरकारों के अपने नियम हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


साइबेरियन क्रेन, फ्लेमिंगो और ग्रेट व्हाइट पेलिकन

स्रोत: डाउन टू अर्थ

साइबेरियाई सारस और फ्लेमिंगो के साथ-साथ, ग्रेट व्हाइट पेलिकन भी आवास विनाश के कारण भारतीय आर्द्रभूमि से तेज़ी से दूर जा रहे हैं।

  • ये पक्षी मुख्य रूप से यूरोप, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में रहते हैं तथा अधिक सर्दियों के दौरान गर्मी के लिये भारत की ओर प्रवास करते हैं।

प्रजातियाँ

परिचय

संरक्षण स्थिति

साइबेरियाई क्रेन

  • यह प्रजाति ज़्यादातर पूर्वी एशिया में पाई जाती है, तथा पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में इनकी संख्या कम है।

IUCN स्थिति: गंभीर संकटग्रस्त (CR)

CITES: परिशिष्ट I

फ्लेमिंगो

  • अपने चमकीले गुलाबी पंखों के लिये जाने जाने वाले फ्लेमिंगो के पैर और गर्दन की लंबाई अधिक होती है।

IUCN स्थिति: 

संवेदनशील: एंडियन फ्लेमिंगो

निकट संकटापन्न: एंडीन फ्लेमिंगो, पुना फ्लेमिंगो, और चिली फ्लेमिंगो

सीआईटीईएस: परिशिष्ट II

ग्रेट व्हाइट पेलिकन

  • वयस्क नर मादा से बड़ा होता है। 
  • नर पेलिकन की आँखों के चारों ओर एक गुलाबी धब्बा होता है।

IUCN स्थिति: कम चिंताजनक

  • प्रवासन से संबंधित चुनौतियाँ: 
    • आवास का विनाश: आर्द्रभूमि का प्रदूषण और अतिक्रमण उनके प्रवास में बाधा उत्पन्न करता है।
    • जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान से उनके शीतकालीन पैटर्न पर असर पड़ता है।
    • एंटीबायोटिक प्रदूषण: खाद्य जाल में एंटीबायोटिक्स का उत्सर्जन भी इन सुंदर सफेद पक्षियों के प्राकृतिक आवासों को बाधित कर रहा है।

और पढ़ें: आर्द्रभूमि


रणथंभौर टाइगर रिज़र्व

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

राजस्थान वन विभाग ने राजस्थान में रणथंभौर टाइगर रिज़र्व के बफर जोन के भीतर एक परिसर के अवैध निर्माण पर रोक लगा दी है।

और पढ़ें: रणथंभौर टाइगर रिज़र्व, अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2023


प्राचीन भारतीयों की उत्पत्ति का अध्ययन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में, भारत सरकार ने दक्षिण एशिया के जनसंख्या इतिहास का पता लगाने के लिये प्राचीन और आधुनिक जीनोमिक्स का उपयोग करते हुए एक गहन वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया है।

  • परियोजना का नाम: “प्राचीन और आधुनिक जीनोमिक्स का उपयोग करके दक्षिण एशिया के जनसंख्या इतिहास का पुनर्निर्माण”। इसके दिसंबर 2025 तक पूरा होने का अनुमान है।
  • संचालन एजेंसी: यह अध्ययन संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (ANSI) द्वारा बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान, लखनऊ के सहयोग से किया गया है।
  • अध्ययन तंत्र: यह भारत और पाकिस्तान के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त दाँतों सहित 300 प्राचीन कंकाल अवशेषों का विश्लेषण करेगा।
    • इससे प्राचीन आहार, रहन-सहन की स्थिति, रोग की व्यापकता, पर्यावरण अनुकूलन और प्रवासन पैटर्न के बारे में जानकारी मिलेगी।
  • शामिल पुरातत्व स्थल: अवशेष हड़प्पा और मोहनजोदड़ो, बुर्जहोम (जम्मू-कश्मीर), नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश), मास्की (कर्नाटक), रोपड़ (पंजाब) और लोथल (गुजरात) जैसे उत्खनन स्थलों से एकत्र किये गए थे।
    • इनका उत्खनन वर्ष 1922 और 1958 के मध्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया गया था तथा बाद में इन्हें ANSI को सौंप दिया गया,  जो अब उनके संरक्षक के रूप में कार्य करता है।

अधिक पढ़ें: जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट


वालोंग युद्ध की 62वीं वर्षगाँठ

स्रोत: द हिंदू 

भारतीय सेना चीन के साथ वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान हुआ वालोंग युद्ध की 62वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये एक महीने तक कार्यक्रमों की एक शृंखला आयोजित करेगी। 

  • इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने, अपनी कम जनसंख्या और संसाधनों की कमी के बावजूद, किबिथू, वालोंग और नामती ट्राई-जंक्शन (टाइगर्स माउथ) के चुनौतीपूर्ण इलाकों में आगे बढ़ रही चीनी सेना को 27 दिनों तक सफलतापूर्वक रोके रखा।
  • कुमाऊँ, सिख, गोरखा और डोगरा रेजिमेंटों के साथ 11 इन्फैंट्री ब्रिगेड ने चीनी सेना के विरुद्ध वालोंग क्षेत्र की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • यह युद्ध 3,000 से 14,000 फीट की ऊँचाई पर हुआ था, लेकिन 62 वर्षों के बाद, बेहतर बुनियादी ढाँचे और सेना की बढ़ी हुई शक्ति ने स्थिति बदल दी है।
  • इस वर्ष के स्मरणोत्सव में कई साहसिक और सामुदायिक गतिविधियाँ शामिल होंगी हैं, इस दौरान व्हाइट वाटर राफ्टिंग, मोटरसाइकिल रैलियां, साइकिल रैलियाँ, युद्धक्षेत्र ट्रेकिंग, एडवेंचर ट्रेकिंग और हाफ मैराथन जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जाएगे।
    • लामा स्पर में नव पुनर्निर्मित वालोंग युद्ध स्मारक और शौर्य स्थल का उद्घाटन किया जाएगा।
    • 14 नवंबर को वालोंग दिवस पर पुष्पांजलि समारोह, युद्ध वर्णन और मिशमी तथा मेयर नर्तकों द्वारा पारंपरिक प्रदर्शन किया जाता है।  

और पढ़ें: भारत-चीन संघर्ष