किशोर न्याय अधिनियम पर मंत्री समूह की बैठक
प्रीलिम्स के लिये:GoM, बाल कल्याण समिति मेन्स के लिये:किशोर न्याय से संबंधित मुद्दे, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम [Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act], 2015 में संशोधन के संदर्भ में चर्चा करने हेतु मंत्री समूह (Group of Ministers- GoM) की बैठक का आयोजन किया गया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इस बैठक का आयोजन जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देश के फलस्वरूप हुआ है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में उन अपराधों की श्रेणी का निर्धारण करने का निर्देश दिया था जो जघन्य अपराध तो नहीं हैं लेकिन फिर भी उनके लिये 7 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2018 पर मंत्रालयों के बीच अधिक तालमेल बनाने के लिये GoM की बैठक बुलाई गई थी।
मंत्री समूह की बैठक के मुख्य बिंदु
- मंत्री समूह की बैठक का मुख्य उद्देश्य किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में प्रस्तावित संशोधनों पर व्यापक चर्चा करना है।
- इस बैठक में ज़िला मजिस्ट्रेटों को नाबालिगों के विरुद्ध मामलों में प्रशासक के रूप में कार्य करने हेतु सशक्त बनाने पर भी चर्चा की गई।
- किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार, कोई भी ज़िला अधिकारी जो राज्य के उपसचिव रैंक से नीचे का नहीं है और जिसे मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ प्राप्त हैं, प्रशासक की श्रेणी में आता है।
- सरकार उपसचिव को जिला मजिस्ट्रेट के साथ प्रतिस्थापित करने पर विचार कर रही है जिससे कि मामलों का त्वरित निपटान किया जा सके।
- प्रशासक प्रारंभिक जाँच का हिस्सा होता है जिसका काम यह पता लगाना है कि कानून का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति नाबालिग है या नहीं। ध्यातव्य है कि प्रशासक पुलिस रिपोर्ट के आधार पर इस संदर्भ में अपनी राय देता है।
- यदि प्रशासक, अपराध में किसी नाबालिग की संलिप्तता पाता है तो वह मामले को किशोर न्याय बोर्ड के पास भेजता है जहाँ न्यायिक मजिस्ट्रेट किशोर की उम्र के साथ-साथ मामले के संदर्भ में अपना फैसला सुनाता है।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015
- यह अधिनियम किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 का स्थान लेता है। यह बिल उन बच्चों से संबंधित है जिन्होने कानूनन कोई अपराध किया हो और जिन्हें देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता हो।
- यह बिल जघन्य अपराधों में संलिप्त 16-18 वर्ष की आयु के बीच के किशोरों (जुवेनाइल) के ऊपर बालिगों के समान मुकदमा चलाने की अनुमति देता है। साथ ही कोई भी 16-18 वर्षीय जुवेनाइल जिसने कम जघन्य अर्थात् गंभीर अपराध किया हो उसके ऊपर बालिग के समान केवल तभी मुकदमा चलाया जा सकता है जब उसे 21 वर्ष की आयु के बाद पकड़ा गया हो।
- इस अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक ज़िले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (Juvenile Justice Board- JJB) और बाल कल्याण समितियों (Child Welfare Committees) के गठन का प्रावधान है।
- इस अधिनियम में बच्चे के विरुद्ध अत्याचार, बच्चे को नशीला पदार्थ देने और बच्चे का अपहरण या उसे बेचने के संदर्भ में दंड निर्धारित किया गया है।
- इस अधिनियम में गोद लेने के लिये माता-पिता की योग्यता और गोद लेने की पद्धति को शामिल किया गया है।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2018
- यह विधेयक ज़िला मजिस्ट्रेट को बच्चे को गोद लेने के आदेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है ताकि गोद लेने संबंधी लंबित मामलों की संख्या को कम किया जा सके।
- इस विधेयक में किसी भी अदालत के समक्ष गोद लेने से संबंधित सभी लंबित मामलों को ज़िला मजिस्ट्रेट को स्थानांतरित करने का प्रावधान है। इसके माध्यम से मामलों की कार्यवाही में तेज़ी लाने का प्रयास किया जा रहा है।
मंत्री समूह
(Group of Ministers- GoM)
- विभिन्न मुद्दों/विषयों पर चर्चा करने के लिये समय-समय पर मंत्रियों के समूह (GoM) का गठन किया जाता है।
- ये तदर्थ निकाय हैं जो उभरते मुद्दों और महत्त्वपूर्ण रूप से समस्या ग्रस्त क्षेत्रों पर कैबिनेट को सिफारिशें देने के लिये गठित किये जाते हैं।
- मंत्री समूह में मंत्रालयों के प्रमुखों को शामिल किया जाता है और जब समस्या का समाधान हो जाता है तो उन मंत्री समूहों को भंग कर दिया जाता है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2015 में देश के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिये 16 अनौपचारिक मंत्री समूह (GoMs) बनाए गए थे।
- कुछ मंत्री समूहों को कैबिनेट की ओर से फैसले लेने की शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। जिन्हें शक्ति प्राप्त मंत्री समूह (Empowered Groups of Ministers- EGoMs) कहा जाता है।