सामाजिक न्याय
बाल शोषण
- 20 Feb 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:CWC, CHILDLINE India Foundation मेन्स के लिये:बच्चों से जुड़े मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (CHILDLINE India Foundation-CIF) द्वारा संकलित आँकड़ों के अनुसार, आपातकालीन हेल्पलाइन 1098 पर की गई प्रत्येक दस कॉल में से एक में बच्चों द्वारा जीवित रहने हेतु मदद मांगी गई थी।
चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन:
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चाइल्डलाइन हेल्पलाइन 1098 का प्रबंधन करने के लिये नियुक्त नोडल एजेंसी है।
- यह बच्चों की सुरक्षा में शामिल एजेंसियों का सबसे बड़ा नेटवर्क भी है।
कैसे कार्य करता है CIF फाउंडेशन:
- किसी बच्चे या वयस्क द्वारा हेल्पलाइन के ज़रिये संपर्क करने पर हेल्पलाइन के स्थानीय सहयोगी से संपर्क किया जाता है तथा बच्चे के खतरे की स्थिति को देखते हुए स्थानीय सहयोगी उससे संपर्क करता है। यह कार्य 60 मिनट के भीतर कर लिया जाता है।
- इसके तुरंत बाद बच्चे को बचाकर खुले आश्रय (Open Shelter) में ले जाया जाता है और 24 घंटे के भीतर बाल CWC के सामने ले जाया जाता है।
- इसके बाद CWC के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाती है, जैसे- एफआईआर दर्ज करना, बच्चे को अस्पताल भेजना, बाल देखभाल संस्था में भेजना आदि।
- संस्था का अंतिम उद्देश्य बच्चे को फिर से उसके परिवार से मिलाना है, या दीर्घकालिक पुनर्वास सुनिश्चित करना है।
हेल्पलाइन 1098:
यह बच्चों की मदद के लिये नि: शुल्क आपातकालीन फोन सेवा है।
मुख्य बिंदु:
इन आँकड़ों का संकलन CIF फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2018-2019 की अवधि के दौरान किया गया।
कुल मामलों की संख्या:
- हेल्पलाइन को कुल 62 लाख कॉल प्राप्त हुए जिनके आधार पर कुल 3 लाख मामले दर्ज़ करवाए गए।
- दुर्व्यवहार संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिये सबसे ज़्यादा 53,696 फोन कॉल किये गए थे जिनमें से 6,278 फोन कॉल में लोगों द्वारा तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई थी।
- दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों की प्रकृति के विश्लेषण से पता चलता है कि 37% शिकायतें बाल विवाह, 27% शारीरिक शोषण़, 13% यौन शोषण तथा शेष 23% ने भावनात्मक, शारीरिक, घरेलू एवं साइबर अपराध से संबंधित थीं।
- कुल दर्ज़ मामलों की प्रकृति इस प्रकार है-
- दुर्व्यवहार संबंधी 17%
- बाल श्रम से संबंधित 13%
- शिक्षा संबंधी 12%
- भागने संबंधी 11%
- लापता बच्चों संबंधी 11% मामले थे।
पड़ोसी मुख्यतः दोषी:
- दुर्व्यवहार करने वालों की प्रोफाइल की जाँच करने के लिये डेटा को एकत्रित किया गया जिससे पता चला है कि यौन शोषण के कुल 8,000 मामलों की स्थिति इस प्रकार है-
- 35% पड़ोसियों द्वारा
- 25% अनजान लोगों द्वारा
- 11% परिवार के सदस्यों द्वारा
- शेष 29% अपराधी मित्र, रिश्तेदार, शिक्षक, संस्थागत कर्मचारी, अस्पताल के कर्मचारी, पुलिस और सौतेले माता-पिता थे।
आँकड़ों से जुड़े अन्य पक्ष:
- यौन शोषण से बचने वालों में से 80% लड़कियाँ थीं।
- हेल्पलाइन पर कॉल डायल करने वाले बच्चों ने भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, व्यसन, परिवार से संबंधित मुद्दों में भी हस्तक्षेप की मांग रखी।
- अधिकांश मामलों (33%) में बच्चों को मौजूदा व्यवस्था में सहायता प्रदान की जा सकती थी, जबकि 12% मामलों में बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee-CWC) तथा 13% मामलों में पुलिस के हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
बाल कल्याण समिति:
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 जिसे किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है, प्रत्येक ज़िले में बाल कल्याण समिति के गठन का प्रावधान करता है।
- जिसका कार्य बच्चों को संभालने में अधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार के नियम के उल्लंघन पर संज्ञान लेना है।