रक्षा अधिग्रहण परिषद
रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council- DAC) ने सशस्त्र बलों और भारतीय तटरक्षक हेतु 70,500 करोड़ रुपए के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिये 'बाय इंडियन-IDDM’ (स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, विकसित और निर्मित) के तहत आवश्यकतानुसार स्वीकृति (Acceptance of Necessity- AoN) को मंज़ूरी दी।
अधिग्रहण प्रस्तावों की प्रमुख विशेषताएँ:
- भारतीय नौसेना:
- कुल प्रस्तावों में से भारतीय नौसेना के प्रस्तावों में 56,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रस्ताव है, जिसमें बड़े पैमाने पर स्वदेशी ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल, शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सिस्टम, यूटिलिटी हेलीकॉप्टर-मैरीटाइम शामिल हैं।
- वायु सेना:
- भारतीय वायु सेना के लिये लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ हथियारों को मंज़ूरी मिली है, जिसे SU-30 MKI विमान में एकीकृत किया जाना है।
- सेना:
- साथ ही भारतीय सेना के लिये 155mm/52 कैलिबर एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) के साथ-साथ हाई मोबिलिटी और गन टोइंग व्हीकल्स की खरीद की जाएगी।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स:
- DAC द्वारा की गई इस घोषणा का हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स एक बड़ा लाभार्थी है, क्योंकि यह भारतीय तटरक्षक को एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) MK-III की आपूर्ति करेगा। यह हेलीकाप्टर निगरानी सेंसर का पैकेज़ ले जाने में सक्षम होगा जो भारतीय तटरक्षक बल के संचालन के लिये पूरी रात कार्य करने की और निगरानी क्षमताओं में वृद्धि करेगा।
- मध्यम गति के समुद्री डीज़ल इंजन:
- मेक-I कैटेगरी के तहत मध्यम गति के समुद्री डीज़ल इंजन का निर्माण स्वदेश में किया जाएगा।
रक्षा अधिग्रहण परिषद:
- DAC रक्षा मंत्रालय में तीनों सेवाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) तथा भारतीय तटरक्षक हेतु नई नीतियों एवं पूंजी अधिग्रहण पर निर्णय लेने के लिये सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
- रक्षा मंत्री परिषद का अध्यक्ष होता है।
- कारगिल युद्ध (1999) के बाद वर्ष 2001 में 'राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार' पर मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद इसका गठन किया गया था।
स्रोत: द हिंदू
संयुक्त पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास
संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया द्वारा संयुक्त पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास आयोजित किया जा रहा है।
- इसके एक भाग के रूप में सी ड्रैगन 23 अभ्यास 15 मार्च, 2023 को शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य चीन तथा उत्तर कोरिया के खतरों से निपटने के लिये इन देशों के बीच गठबंधन को मज़बूत करना है।
चीन द्वारा समुद्री क्षेत्र के विस्तार की प्रक्रिया:
- चीन की नौसेना ईरान और रूस के साथ ओमान की खाड़ी में संयुक्त खोज एवं बचाव अभ्यास में हिस्सा ले रही है।
- पूर्वी चीन सागर में छोटे द्वीपों को लेकर जापान के साथ चीन का विवाद बढ़ गया है, दोनों पक्ष एक दूसरे पर अपने समुद्री क्षेत्र का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं।
- चीन अन्य देशों के साथ भी सुरक्षा बॉन्ड-2023 अभ्यास कर रहा है।
सी ड्रैगन 23:
- सी ड्रैगन 23 भारत समेत अमेरिका, कनाडा, जापान और दक्षिण कोरिया में साझा पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य मित्र नौसेनाओं के बीच साझा मूल्यों और एक खुले, समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र हेतु प्रतिबद्धता के आधार पर उच्च स्तर का तालमेल तथा समन्वय स्थापित करना है।
- भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्त्व अमेरिकी नौसेना के P8A, जापानी समुद्री आत्मरक्षा बल के P1, रॉयल कैनेडियन वायु सेना के CP140 और कोरिया गणराज्य की नौसेना (RoKN) के P3C के साथ एक P8I विमान द्वारा किया जाता है।
निष्कर्ष:
युद्धाभ्यास सी ड्रैगन 23 में भारतीय नौसेना की भागीदारी अपनी नौसैनिक क्षमताओं में वृद्धि एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 मार्च, 2023
भारतीय मानक ब्यूरो की 'मानकों के माध्यम से विज्ञान सीखो' शृंखला का शुभारंभ
भारतीय मानक ब्यूरो ने एक नई पहल 'मानकों के माध्यम से विज्ञान सीखो' शृंखला का शुभारंभ किया है जो वैज्ञानिक अवधारणाओं, सिद्धांतों एवं नियमों का उपयोग करने के उद्देश्य से पाठ्य योजनाओं की एक शृंखला पर केंद्रित है, यह विद्यार्थियों को संबंधित भारतीय मानकों में बताए गए विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता एवं विशेषताएँ सुनिश्चित करने, कार्य तथा परीक्षण में उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों को समझाने में सहायता करती है। यह शृंखला पहले से ही BIS के साथ निरंतरता में है, जिसके तहत देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में 'मानक क्लब' स्थापित किये जा रहे हैं। एक लाख से अधिक विद्यार्थी सदस्यों के साथ ऐसे 4200 से अधिक क्लब पहले ही बनाए जा चुके हैं। 'मानक क्लब' मानक-लेखन प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी और अन्य प्रतियोगिताओं जैसी विद्यार्थी-केंद्रित गतिविधियों का आयोजन करता है। BIS इन क्लबों को एक वर्ष में अधिकतम तीन गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है। 'लर्निंग साइंस वाया स्टैंडर्ड्स' पहल सिद्धांत तथा वैज्ञानिक शिक्षा के वास्तविक जीवन में उपयोग के मध्य की खाई को पाटने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह देश में गुणवत्ता एवं मानकीकरण की संस्कृति को भी बढ़ावा देगा।
अटल नवाचार मिशन के तहत ATL सारथी की शुरुआत
अटल नवाचार मिशन (AIM)- नीति आयोग ने अटल टिंकरिंग लैब्स (ATL) के बढ़ते इकोसिस्टम को मज़बूत करने के लिये एक व्यापक स्व-निगरानी ढाँचा ATL सारथी शुरू किया है। अटल इनोवेशन मिशन युवा दिमाग में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देने के लिये भारत भर के स्कूलों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं (ATL) की स्थापना कर रहा है और डिज़ाइन थिंकिंग माइंडसेट, कंप्यूटेशनल थिंकिंग, एडाप्टिव लर्निंग, फिज़िकल कंप्यूटिंग आदि जैसे कौशल विकसित कर रहा है। अब तक अटल नवाचार मिशन ने अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएँ (ATL) स्थापित करने के लिये 10,000 स्कूलों को वित्तीय सहायता प्रदान की है। ATL सारथी, अटल टिंकरिंग लैब्स को कुशल और प्रभावी बनाने के लिये एक उपकरण है। इस पहल के चार स्तंभ हैं जो नियमित प्रक्रिया में सुधार के माध्यम से ATL के प्रदर्शन में वृद्धि सुनिश्चित करेंगे, जैसे कि स्व-रिपोर्टिंग डैशबोर्ड जिसे ‘MyATL डैशबोर्ड' और वित्तीय तथा गैर-वित्तीय अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु स्कूलों के लिये कम्प्लायंस SOP, क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से उपयुक्त स्थानीय प्राधिकरण के सहयोग से ATL की ऑन-ग्राउंड सक्षमता और प्रदर्शन-सक्षमता (PE) मैट्रिक्स द्वारा अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिये स्कूलों को स्वामित्त्व प्रदान करने के रूप में जाना जाता है।
बुमचू महोत्सव: सिक्किम
बुमचू एक वार्षिक पवित्र जल फूलदान अनुष्ठान है जो ताशीदिंग मठ (Tashiding Monastery) में मनाया जाता है, यह सिक्किम में रंगीत नदी के ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित सबसे पवित्र बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। बुमचू का अर्थ तिब्बती में "पवित्र जल का बर्तन" है। कलश का जल भक्तों के बीच बाँटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पानी में हीलिंग गुण होते हैं जो इसे पीने वालों को वैभव और धन प्रदान करता है। उत्सव पहले चंद्र महीने की 14वीं और 15वीं तारीख को मनाया जाता है जो अक्सर फरवरी या मार्च में पड़ता है। किंवदंती है कि आठवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म को तिब्बत में लाने वाले एक महान बौद्ध गुरु ने मठ स्थल को आशीर्वाद दिया था। बाद में 17वीं शताब्दी में मठ की स्थापना हुई थी।