प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 Nov, 2024)



ब्लैक होल ट्रिपल सिस्टम

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

एक हालिया अध्ययन में 8,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित प्रथम ब्लैक होल ट्रिपल सिस्टम की खोज की गई है जो कि आमतौर पर पृथक इकाइयों या बाइनरी सिस्टम के रूप में पाए जाने वाले सामान्य ब्लैक होल से भिन्न है। 

नोट: एक प्रकाश वर्ष वह दूरी (5.9 ट्रिलियन मील (9.5 ट्रिलियन किमी) है जिसे प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय किया जाता है। 

ब्लैक होल ट्रिपल सिस्टम क्या है?

  • परिचय: ब्लैक होल ट्रिपल सिस्टम में एक केंद्रीय ब्लैक होल और दो परिक्रमा करते तारे होते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण बलों द्वारा एक दूसरे से बँधे होते हैं।
    • यह एक "प्रत्यक्ष पतन" प्रक्रिया के माध्यम से बनता है जहाँ एक विशाल तारा सुपरनोवा विस्फोट के बिना ही समाप्त हो जाता है, जिससे पास के तारे गुरुत्वाकर्षण से जुड़े रह सकते हैं।
    • प्रत्यक्ष पतन की प्रक्रिया (जिसे "फेल्ड सुपरनोवा" भी कहा जाता है) से आसपास के पदार्थों का अधिक तीव्र इजेक्शन बाधित होता है।
    • इस विशिष्ट संरचना से ब्लैक होल निर्माण के पारंपरिक मॉडलों को चुनौती मिलती है तथा तारकीय प्रणालियों में मौजूद जटिल गुरुत्वाकर्षण गतिशीलता प्रदर्शित होती है।

ब्लैक होल और ट्रिपल ब्लैक होल सिस्टम के बीच अंतर

विशेषता

ब्लैक होल

ट्रिपल ब्लैक होल सिस्टम

अवयव

एक विलक्षण ब्लैक होल

एक केंद्रीय ब्लैक होल (V404 सिग्नी) और दो तारे।

कक्षीय विवरण

कोई भी अन्य खगोलीय पिंड ब्लैक होल से नहीं जुड़ा होता है।

- प्रत्येक 6.5 दिन में एक तारा अपनी परिक्रमा पूरी करता है।

- प्रत्येक 70,000 वर्ष में एक अन्य तारा अपनी परिक्रमा पूरी करता है।

स्थान

पूरे ब्रह्माण्ड में पाया जाता है।

यह लगभग 8,000 प्रकाश वर्ष दूर सिग्नस तारामंडल से संबंधित है।

अनन्य विशेषताएँ

प्रायः आइसोलेशन या बाइनरी प्रणालियों में मिलता है।

इसमें दुर्लभ त्रिगुण विन्यास में गुरुत्वाकर्षण से जुड़े तारे शामिल हैं।

व्यवहार

आस-पास के पदार्थ को नष्ट करने के साथ एक्स-रे उत्सर्जित कर सकता है।

केंद्रीय ब्लैक होल समय के साथ निकटवर्ती तारे को नष्ट कर देता है।

वैज्ञानिक निहितार्थ

इससे ब्लैक होल निर्माण और तारकीय विकास के मानक मॉडल को समर्थन मिलता है।

इससे पारंपरिक ब्लैक होल निर्माण सिद्धांतों को चुनौती मिलने के साथ जटिल गुरुत्वाकर्षण गतिशीलता के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है।

खोज संदर्भ

सामान्यतः दूरबीन डेटा के माध्यम से इसका अध्ययन किया गया।

V404 सिग्नी के खगोलीय डेटा का विश्लेषण करते समय इसकी अचानक खोज हुई।

ब्लैक होल

  • यह अंतरिक्ष में एक ऐसा क्षेत्र है जिसका गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल है कि कोई भी पदार्थ या प्रकाश उससे बाहर नहीं निकल सकता है। यह आमतौर पर सुपरनोवा में किसी विशाल तारे के नष्ट होने से बनता है। 
  • ब्लैक होल के प्रकार:
    • तारकीय ब्लैक होल: यह एक विशाल तारे के नष्ट होने से बनता है।
    • मध्यवर्ती ब्लैक होल: इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 100 से 100,000 गुना अधिक होता है।
    • सुपरमैसिव ब्लैक होल: इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से लाखों से लेकर अरबों गुना तक होता है तथा यह हमारी आकाशगंगा मिल्की वे सहित अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्रों में मिलता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित परिघटनाओं पर विचार कीजिये: (2018)

  1. प्रकाश गुरुत्त्व द्वारा प्रभावित होता है।
  2.  ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है।
  3.  पदार्थ अपने चारों ओर के दिक्काल को विकुंचित करता है।

उपर्युक्त में से अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का/के भविष्य कथन कौन सा/से  है/हैं, जिनका/जिनकी प्रायः समाचार माध्यमों में विवेचना होती है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


वायनाड भूस्खलन और आपदा की स्थिति

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

केंद्र सरकार ने मौजूदा प्रावधानों और राहत कार्यों के लिये उपलब्ध धनराशि का हवाला देते हुए केरल को सूचित किया है कि जुलाई 2024 में हुए वायनाड भूस्खलन को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित नहीं किया जा सकता।

  • वायनाड में भूस्खलन के कारण जान-माल की भारी क्षति हुई, जिसके कारण केरल सरकार को राहत और पुनर्वास के लिये केंद्र से 900 करोड़ रुपए की सहायता राशि की मांग करनी पड़ी।
  • केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत किसी भी आपदा को "राष्ट्रीय आपदा" घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
    • केंद्र सरकार ने कहा कि आपदा प्रबंधन प्राथमिक रूप से राज्य की ज़िम्मेदारी है तथा केंद्र इसके लिये रसद और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। 
    • भूस्खलन और बाढ़  सहित 12 अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के लिये प्रभावित व्यक्तियों को वित्तीय राहत SDRF द्वारा दी जाती है।
    • गंभीर आपदाओं में, अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) द्वारा मूल्यांकन के बाद NDRF से अतिरिक्त धनराशि आवंटित की जा सकती है।
  • आपदा: आपदा प्रबंधन (DM) अधिनियम, 2005 के अनुसार, आपदा को "किसी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानव निर्मित कारण या दुर्घटना से उत्पन्न होने वाली आपदा, दुर्घटना, विपत्ति या गंभीर घटना" के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 46(I) और धारा 48(I)(A) राष्ट्रीय स्तर पर NDRF और राज्य स्तर पर SDRF के गठन का आदेश देती है।

और पढ़ें: वायनाड में भूस्खलन


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 58वीं बैठक

स्रोत: पी.आई.बी

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की 58वीं कार्यकारी समिति की बैठक में पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने तथा गंगा नदी के संरक्षण के उद्देश्य से कई महत्त्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी गई। 

  • स्वीकृत परियोजनाएँ: जल गुणवत्ता और जैव विविधता को बढ़ाने के लिये चंबल, सोन, दामोदर और टोंस नदियों के पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन करने के लिये परियोजना को मंजूरी दी गई।
  • डॉल्फिन एंबुलेंस विकसित करने तथा गंगा नदी डॉल्फिन संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये डॉल्फिन बचाव पहल को मंजूरी दी गई।
  • कछुआ संरक्षण को लुप्तप्राय कछुओं के पुनर्वास और गंगा बेसिन में संकटग्रस्त प्रजातियों को पुनः स्थापित करने के लिये मंजूरी दी गई।
  • जल शोधन में सुधार के लिये कि‍ओरापुकुर में 50 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) क्षमता वाले STP के पुनर्वास के लिये कोलकाता सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) पुनर्वास को मंजूरी दी गई।
  • गंगा के संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिये यात्रा वृत्तांत शृंखला के तीसरे सत्र के लिये बजट के साथ रग-रग में गंगा शृंखला को मंजूरी दी गई।
  • NMCG: इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत वर्ष 2011 में एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था। यह राष्ट्रीय गंगा परिषद (वर्ष 2016 में स्थापित; जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NRGBA) का स्थान लिया) की कार्यान्वयन शाखा है ।
  • NMCG का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और गंगा नदी का कायाकल्प सुनिश्चित करना है।

और पढ़ें: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 57 वीं बैठक


यूरोप का डिजिटल यूरो

स्रोत: द हिंदू

यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने डिजिटल यूरो को एक नई सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसे यूरोप में भुगतान परिदृश्य को आधुनिक बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

  • डिजिटल यूरो का उद्देश्य मध्यस्थ बैंकों या गेटवे के बिना प्रत्यक्ष भुगतान की सुविधा प्रदान करना है। यह नकदी के डिजिटल संस्करण के रूप में कार्य करने के साथ नकदी के समान गुमनामी के स्तर को बनाए रखते हुए ऑफलाइन भी पीयर-टू-पीयर लेन-देन को सक्षम बनाने में सहायक है।
  • ECB द्वारा प्रत्यक्ष रूप से जारी की गई CBDC को लेन-देन लागत को कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिसमें माइक्रो-भुगतान भी शामिल है, जो वर्तमान में पारंपरिक बैंकों के लिये महँगा है।
  • ECB द्वारा डिजिटल यूरो को गैर-यूरोपीय भुगतान प्रदाताओं के प्रति संतुलन तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धियों (विशेष रूप से अमेरिकी कंपनियों) के खिलाफ यूरोप की डिजिटल संप्रभुता को मज़बूत करने के उपकरण के रूप में देखा जा रहा है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2022 में CBDC के रूप में  डिजिटल रुपया (e₹) लॉन्च किया था।
    • CBDC कागजी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है और नियामक शून्यता में संचालित क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, ये केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एवं समर्थित कानूनी निविदाएँ हैं।

और पढ़ें: सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी


अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिलना कोई निहित अधिकार नहीं है, बल्कि यह सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिजनों के लिये एक राहत उपाय है ।

  • यह निर्णय उस मामले पर आधारित था जिसमें नियुक्ति के दावे काफी समय के बाद किये गए थे, जिससे ऐसे आवेदनों की सामान्य तात्कालिकता को नजरअंदाज कर दिया गया।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अनुकंपा नियुक्ति के दावों पर शीघ्र कार्रवाई की जानी चाहिये।
  • नियुक्तियाँ वैधानिक नीतियों और दिशा-निर्देशों पर आधारित हैं, न कि किसी सेवा शर्त या पात्रता पर।
  • यदि कोई नीति या नियम मौजूद नहीं है तो अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियाँ नहीं की जा सकतीं।
  • अनुकंपा आधारित रोज़गार, योग्यता-आधारित नियुक्तियों के नियम का अपवाद है, जो प्रभावित परिवारों की सहायता करने की राज्य की ज़िम्मेदारी को दर्शाता है।

प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक (D-SIBs)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय स्टेट बैंक, HDFC बैंक और ICICI बैंक को घरेलू प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक (D-SIBs) के रूप में बरकरार रखा है

  • रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIBs के रूप में नामित किया, तथा HDFC बैंक वर्ष 2017 में उनके साथ शामिल हो गया।

D-SIBs के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • D-SIBs के बारे में: D-SIBs वे बैंक हैं जिन्हें उनके आकार, जटिलता और वित्तीय प्रणाली के साथ  अंतर्संबंधों के कारण घरेलू अर्थव्यवस्था में 'टू बिग टु फेल' (Too Big to Fail- TBTF) माना जाता है।
    • इन बैंकों को उनके असफल होने पर उत्पन्न होने वाले संभावित आर्थिक व्यवधान के आधार पर वर्गीकृत किया गया है ।
  • महत्त्व: वित्तीय संकटों को सहने की अपनी क्षमता और सुधार करने के लिये, D-SIBs को अतिरिक्त विनियामक आवश्यकताओं जैसे पूंजी बफर, स्ट्रेस टेस्ट और पुनर्प्राप्ति एवं समाधान रणनीतियों के अधीन होना पड़ता है।
  • बकेटिंग स्ट्रक्चर: D-SIBs को उनके प्रणालीगत महत्त्व स्कोर के आधार पर विभिन्न बकेट में वर्गीकृत किया जाता है । 
    • बकेट 1 सबसे कम जोखिम, जबकि बकेट 4 सबसे अधिक जोखिम का प्रतिनिधित्व करता है ।
    • RBI ने SBI को बकेट 4 में, HDFC बैंक को बकेट 3 में तथा ICICI बैंक को बकेट 1 में रखा है।
  • पूंजीगत आवश्यकताएँ: जिस बकेट में D-SIBs रखा गया है, उसके आधार पर उस पर एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी आवश्यकता लागू की जानी चाहिये।
    • SBI के लिये अतिरिक्त 0.80% कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET 1), HDFC बैंक के लिये 0.40% और ICICI बैंक के लिये 0.20% आवश्यक है
  • चयन प्रक्रिया: RBI, D-SIBs की पहचान के लिये दो-चरणीय प्रक्रिया का पालन करता है।
    • नमूना चयन: सभी बैंकों का मूल्यांकन नहीं किया जाता है। केवल आकार के आधार पर महत्त्वपूर्ण प्रणालीगत महत्त्व वाले बैंकों (GDP के 2% से अधिक संपत्ति वाले बैंक) पर विचार किया जाता है।
    • प्रणालीगत महत्त्व मूल्यांकन: प्रतिस्थापनीयता की कमी, अंतर्संबंधता आदि जैसे संकेतकों के आधार पर प्रत्येक बैंक के लिये एक समग्र स्कोर की गणना की जाती है, तथा एक निश्चित सीमा से अधिक स्कोर वाले बैंकों को D-SIBs के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • D-SIBs के लिये रूपरेखा: जुलाई 2014 में, RBI ने एक रूपरेखा जारी की थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि D-SIBs के पास घाटे को कवर करने के लिये पर्याप्त पूंजी हो, ताकि प्रणालीगत व्यवधान को रोका जा सके।
  • वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक (G-SBI): G-SBI बड़े अंतर्राष्ट्रीय बैंक हैं जिनकी विफलता का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ता है। 
    • वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB), बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति (BCBS) तथा राष्ट्रीय प्राधिकरणों के परामर्श से G-SBI की पहचान करता है।
    • वर्ष 2023 तक, JP मॉर्गन चेस, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप, HSBC, एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना, बैंक ऑफ चाइना, बार्कलेज और BNP पारिबा सहित 29 G-SBI हैं।

नोट: 

  • कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) में नकदी और स्टॉक जैसी लिक्विड बैंक होल्डिंग्स शामिल हैं। CET1 एक पूंजी उपाय है जिसे वर्ष 2014 में अर्थव्यवस्था को वित्तीय संकट से बचाने के लिये एहतियाती उपाय के रूप में पेश किया गया था।
  • FSB एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली की निगरानी करता है तथा उसके बारे में सिफारिशें करता है ।
  • FSB की स्थापना वर्ष 2009 में G-20 के तत्त्वावधान में की गई थी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न    

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) वह राशि है जिसे बैंकों को अपनी निधियों के रूप में रखना होता है जिससे वे, यदि खाता-धारकों द्वारा देयताओं का भुगतान नहीं करने से कोई हानि होती है, तो  उसका प्रतिकार कर सकें।
  2.  CAR का निर्धारण प्रत्येक बैंक द्वारा अलग-अलग किया जाता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (a)