राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का शुभारंभ किया गया, जिसका मुख्यालय निज़ामाबाद, तेलंगाना में होगा।
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- हल्दी: इसकी स्थापना भारत में हल्दी की खेती, उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने और हल्दी किसानों की आय में वृद्धि के लिये की गई है।
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने चाय, कॉफी, रबर, मसाले और तंबाकू के बाद अपने उत्पाद-समर्पित बोर्डों की संख्या बढ़ाकर छह कर दी है।
- बोर्ड में प्रतिनिधित्व: बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष के अलावा, आयुष मंत्रालय, औषधि विभाग, कृषि और किसान कल्याण विभाग एवं वाणिज्य विभाग के प्रतिनिधियों को भी नामित किया गया है।
- मुख्य उद्देश्य: महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य सहित 20 राज्यों में किसान कल्याण।
- घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के लिये अनुसंधान, नये उत्पादों और मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देना।
- हल्दी के चिकित्सीय लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
हल्दी के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- हल्दी: हल्दी करकुमा लोंगा (Curcuma longa) पौधे का एक भूमिगत तना है, जो जिंजर परिवार (ज़िंगिबरेसी) की एक प्रजाति है।
- हल्दी में सक्रिय यौगिक करक्यूमिन, इसे पीला रंग प्रदान करता है तथा यह अपने एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी लाभों के लिये जाना जाता है।
- खेती: भारत में 20 से अधिक राज्यों में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें से प्रमुख उत्पादन महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है।
- वैश्विक स्थिति: भारत विश्व स्तर पर हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है।
- वर्ष 2022-23 में, भारत ने विश्व की 75% से अधिक हल्दी का उत्पादन किया। हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है।
- निर्यात प्रदर्शन: वर्ष 2022-23 में, भारत ने 207.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की 1,53,400 टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया।
- प्रमुख निर्यात बाज़ारों में बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया शामिल हैं।
- GI टैग: लाकाडोंग हल्दी (मेघालय), कंधमाल हल्दी (ओडिशा), इरोड हल्दी (तमिलनाडु), अरमूर हल्दी (निज़ामाबाद, तेलंगाना) सहित अन्य को GI टैग मिला है ।
- GI टैग एक संकेत है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र से जुड़े उत्पाद को दिया जाता है, जो उस क्षेत्र के विशिष्ट गुण या विशेषताओं को दर्शाता है।
- चिकित्सीय लाभ: हल्दी, अपने सक्रिय यौगिक कर्क्यूमिन के साथ, सूजन को कम करने, मुक्त कणों को बेअसर करने और पित्त उत्पादन को बढ़ावा देकर पाचन स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद करती है।
नोट: वित्त वर्ष 2023 में निर्यात में 51.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर से वित्त वर्ष 2024 में 48.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट के बावजूद भारत 2023 में विश्व का 8वाँ सबसे बड़ा कृषि निर्यातक है।
- भारत अपने जैविक उत्पाद निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि की है, तथा अगले तीन वर्षों में इसका मूल्य तीन गुना बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न 1. निम्नलिखित पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त में से किनके न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने की है? (a) 1, 2, 3 और 7 उत्तर: (b) प्रश्न. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (2008)
कूट: A B C D (a) 2 4 3 1 उत्तर: (b) |
IMD का 150वाँ स्थापना दिवस और मिशन मौसम
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
15 जनवरी, 2025 को भारत के प्रधानमंत्री (पीएम) नई दिल्ली में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के 150वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए।
- उन्होंने मिशन मौसम पहल का शुभारंभ कर IMD विज़न-2047 दस्तावेज़ जारी किया।
- इस कार्यक्रम में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव ने भी भाग लिया।
मिशन मौसम पहल क्या है?
- परिचय: मिशन मौसम एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य मौसम पूर्वानुमान, मॉडलिंग और प्रसार में भारत के मौसम विभाग की क्षमताओं को बढ़ाना है।
- बजट: मिशन के कार्यान्वयन के पहले दो वर्षों के लिये 2,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया जाएगा।
- उद्देश्य:
- मौसम पूर्वानुमान में सुधार: 10 से 15 दिनों की अवधि के साथ, इस मिशन का उद्देश्य लघु से मध्यम अवधि के मौसम पूर्वानुमानों की सटीकता को 5 से 10% तक बढ़ाना, बड़े महानगरीय क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमान में 10% तक सुधार करना, तथा पूर्वानुमानों को पंचायत स्तर तक विस्तारित करना है।
- वर्तमान में, उष्ण लहरों जैसी चरम घटनाओं के लिये IMD के पूर्वानुमान की सटीकता लगभग 98%, जबकि भारी वर्षा के लिये लगभग 80% है।
- प्रौद्योगिकी में निवेश: यह मौसम मॉडल और अवलोकन प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिये AI, मशीन लर्निंग और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करेगा, जिसमें अतिरिक्त डॉपलर रडार और उपग्रहों की तैनाती भी शामिल है।
- मौसम प्रबंधन: मिशन वर्षा प्रबंधन और बाढ़ और सूखे जैसी चरम घटनाओं को कम करने के लिये क्लाउड सीडिंग जैसी मौसम संशोधन तकनीकों का पता लगाएगा।
- क्लाउड चैंबर अनुसंधान: क्लाउड गतिशीलता का अध्ययन करने और क्लाउड सीडिंग प्रयोगों के माध्यम से मौसम प्रबंधन में सुधार करने के लिये पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में एक क्लाउड चैंबर स्थापित किया जाएगा ।
- मौसम पूर्वानुमान में सुधार: 10 से 15 दिनों की अवधि के साथ, इस मिशन का उद्देश्य लघु से मध्यम अवधि के मौसम पूर्वानुमानों की सटीकता को 5 से 10% तक बढ़ाना, बड़े महानगरीय क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमान में 10% तक सुधार करना, तथा पूर्वानुमानों को पंचायत स्तर तक विस्तारित करना है।
- चरण: यह मिशन 5 वर्षों की अवधि में 2 चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा।
- इस चरण में लगभग 70 डॉप्लर रडार, उच्च निष्पादन वाले कंप्यूटर, पवन प्रोफाइलर और रेडियोमीटर की सहायता से प्रेक्षण नेटवर्क का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- द्वितीय चरण (2026 से आगे): उपग्रहों और विमानों के माध्यम से प्रेक्षण क्षमताओं में और वृद्धि।
IMD विज़न-2047 दस्तावेज़ क्या है?
- परिचय:
- यह एक युक्तिपूर्ण दस्तावेज़ है जिसमें वर्ष 2047 तक भारत में मौसम पूर्वानुमान की सटीकता और आपदा प्रबंधन में सुधार करने के उद्देश्य से महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं।
- इसमें आगामी दो वर्षों, दस वर्षों (2035) और बाईस वर्षों (2047) के लिये महत्त्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं।
- मुख्य उद्देश्य:
- उग्र मौसम की पूर्ण पूर्वानुमेयता: उपग्रहों और रडारों जैसी उन्नत प्रेक्षण प्रणालियों का उपयोग करके, वर्ष 2047 तक गाँव और घरेलू स्तर पर उग्र मौसम की घटनाओं की पूर्ण रूप से पूर्वानुमेयता करने का लक्ष्य।
- पूर्वानुमान सटीकता: लक्षित:
- 3 दिनों के सभी पूर्वानुमानों के लिये 100% सटीकता
- 5 दिनों तक 90% सटीकता
- 7 दिनों तक 80% सटीकता
- 10 दिनों तक 70% सटीकता
- मौसम संबंधी घटनाओं से मृत्यु: चरम मौसम संबंधी घटनाओं से होने वाली मृत्यु की पूर्ण रूप से रोकथाम करने का लक्ष्य तथा आपदा प्रबंधन के लिये पूर्व चेतावनी सुनिश्चित करना।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- IMD भारत में मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है जिसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- यह कृषि, विमानन एवं शिपिंग जैसे क्षेत्रों के लिये मौसम पूर्वानुमान और चेतावनियाँ प्रदान करता है तथा राष्ट्रीय विकास के लिये महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है।
- यह मौसम विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिये अनुसंधान भी करता है।
भारत में मौसम विज्ञान से संबंधित प्रमुख पहल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित ‘इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. मौसम-विज्ञान में 'तापमान व्युत्क्रम' की घटना से आप क्या समझते हैं? उस स्थान के मौसम तथा निवासियों को यह कैसे प्रभावित करता है? (2013) |
न्यूरालिंक द्वारा मानव मस्तिष्क का प्रत्यारोपण
स्रोत: एचटी
एलन मस्क ने कहा कि उनकी ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी, न्यूरालिंक द्वारा एक तीसरे व्यक्ति में मानव मस्तिष्क का प्रत्यारोपण किया गया, जो तंत्रिका तंत्र को मशीनों से जोड़ेगा।
- न्यूरालिंक ने वर्ष 2025 तक 20 से 30 और लोगों में प्रायोगिक उपकरण प्रत्यारोपित करने के लक्ष्य के साथ अपने परीक्षणों का विस्तार करने की योजना बनाई है।
- ब्रेन-कम्प्यूटर इंटरफेस (BSI): तंत्रिकाओं और मांसपेशियों जैसे पारंपरिक न्यूरोमस्क्युलर चैनलों को दरकिनार करते हुए, ब्रेन-कम्प्यूटर इंटरफेस (BSI) प्रौद्योगिकी मस्तिष्क और कंप्यूटर या कृत्रिम अंगों जैसे बाह्य उपकरणों के बीच संचार को सक्षम बनाती है।
- BSI मस्तिष्क की गतिविधि का पता लगाने के लिये सेंसर का उपयोग करते हैं, तथा इसे कमांड में परिवर्तित करते हैं, जिससे व्यक्ति अपने विचारों का उपयोग करके उपकरणों को नियंत्रित कर सकता है या विश्व के साथ वार्तालाप कर सकता है।
- संभावित अनुप्रयोग: एपिलेप्सी, पार्किंसंस और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों जैसी स्थितियों के लिये मस्तिष्क इंटरफेसिंग।
- विचार के माध्यम से कृत्रिम अंगों और व्हीलचेयर पर नियंत्रण को सक्षम बनाना।
- लकवाग्रस्त व्यक्तियों के लिये संचार बहाल करना।
- विचारों का उपयोग करके VR/AR अनुभवों को बढ़ाना।
- यह ब्रेनोवेयर से भिन्न है, जो मस्तिष्क के ऑर्गेनोइड्स और माइक्रोइलेक्ट्रोड का उपयोग करके "ऑर्गेनोइड न्यूरल नेटवर्क (ONN)" का निर्माण करता है, जो जीवित मस्तिष्क के ऊतकों को कंप्यूटिंग में एकीकृत करता है ।
- मस्तिष्क ऑर्गेनोइड्स 3D स्टेम-सेल-व्युत्पन्न ऊतक हैं, जो मानव मस्तिष्क संरचना की नकल करते हैं।
और पढ़ें: न्यूरालिंक का ब्लाइंडसाइट इम्प्लांट
डेटा एंबेसी
स्रोत: लाइव मिंट
भारत में संयुक्त अरब अमीरात के पहले डेटा एंबेसी (Data Embassies) की स्थापना पर भारत द्वारा अग्रिम रूप से चर्चा की जा रही है, तथा अनुमान है कि भारत में पहला संभावित डेटा एंबेसी आंध्र प्रदेश में स्थापित किया जाएगा।
- इससे राष्ट्रों को अपने संप्रभु डेटा की एक प्रति संग्रहीत करने तथा उस पर नियंत्रण बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
- यह प्राकृतिक आपदाओं या भू-राजनीतिक अशांति के मामलों में डेटा निरंतरता सुनिश्चित करेगा।
- भारत डेटा केंद्रों के लिये विशेष रणनीतिक क्षेत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है, जहाँ कई देशों के लिये संप्रभु डेटा भंडारण की व्यवस्था होगी।
- वे वाणिज्य दूतावास प्रभागों की तरह ही कार्य करेंगे, जिसमें भारत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करेगा तथा दूतावास डेटा प्रबंधन, पहुँच और गोपनीयता को नियंत्रित करेगा।
- वर्ष 2007 में साइबर हमले के बाद एस्टोनिया लक्ज़मबर्ग में अपने नागरिकों के डेटा की डिजिटल प्रति संग्रहीत करने वाला पहला देश था।
- देश विदेशी डेटा विनियमों का पालन किये बिना डेटा को स्थानीयकृत करने के लिये इन दूतावासों का उपयोग कर सकते हैं।
- डेटा एंबेसी की स्थापना से वैश्विक अस्थिरता के बीच डेटा भंडारण हेतु एक स्थिर क्षेत्र के रूप में भारत की भू-राजनीतिक विश्वसनीयता बढ़ेगी।
नाग मार्क-2 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
भारत द्वारा राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी रूप से विकसित नाग एमके 2 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का सफलतापूर्वक फील्ड परीक्षण किया गया।
नाग एमके 2 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम)
विकास |
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) |
प्रकार और कार्यक्षमता |
यह तीसरी पीढ़ी की, सभी मौसमों में कार्य करने में सक्षम, दागो और भूल जाओ वाली एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल है, जिसमें प्रक्षेपण के बाद लॉक-ऑन करने की क्षमता है, जिससे यह स्वायत्त रूप से लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है तथा उन पर हमला कर सकती है। |
प्रभावशीलता |
इसे आधुनिक सशस्त्र वाहनों को बेअसर करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिसमें विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ERA) वाले वाहन भी शामिल हैं, तथा यह बढ़ी हुई विनाशकारी शक्ति के लिये उच्च विस्फोटक एंटी-टैंक (HEAT) वारहेड का उपयोग करता है। |
श्रेणी |
7 से 10 किलोमीटर सेकेण्ड। इससे पूर्व के संस्करण नाग एमके-1 की रेंज केवल 4 किलोमीटर थी। |
आक्रमण क्षमता |
इसमें उच्च-आक्रमण क्षमता है, जो सशस्त्र वाहनों की कमज़ोर ऊपरी सतह को निशाना बनाती है। |
लॉन्च प्लेटफॉर्म |
नाग एमके-2 को NAMICA (नाग मिसाइल कैरियर) वर्जन 2 द्वारा लॉन्च किया गया है । NAMICA एक टैंक रोधी सशस्त्र वाहन या टैंक रोधी वाहन है जिसका उपयोग भारतीय सेना द्वारा टैंक रोधी मिसाइलों को दागने के लिये किया जाता है। |
और पढ़ें: एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM)
गंगासागर मेला
स्रोत: द हिंदू
पश्चिम बंगाल में वार्षिक गंगासागर मेला आयोजित किया जा रहा है, तथा राज्य सरकार ने इस आयोजन के अनुभव को बढ़ाने के लिये कई पहल शुरू की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बंधन पहल: तीर्थयात्रियों को तीन भाषाओं में प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।
- ई-अनुसंधान: मेला सुविधाओं तक पहुँच की प्रणाली।
- ई-परिचय: लोगों को लापता होने से रोकने के लिये QR कोड वाले पहचान बैंड।
इसके अतिरिक्त, राज्य कई वर्षों से गंगासागर मेले को "राष्ट्रीय मेला" का दर्जा प्रदान करने पर ज़ोर दे रहा है।
गंगासागर:
- गंगासागर मेला पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप पर गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर आयोजित एक वार्षिक धार्मिक उत्सव है।
- गंगोत्री से निकलकर गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है ।
- मकर संक्रांति के साथ मनाए जाने वाले इस त्यौहार में मोक्ष और आध्यात्मिक उत्थान की प्राप्ति के लिये गंगा में पवित्र स्नान करना, सूर्य देव को अर्घ्य देना तथा दीपदान करना जैसे अनुष्ठान शामिल हैं।
- इसे कुंभ मेले के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है।
- इस मेले का ऐतिहासिक उल्लेख महाभारत के वन पर्व और रघुवंश (कालिदास द्वारा) में मिलता है, जिसमें तीर्थयात्रा के 1500-2000 ईसा पूर्व के प्रमाण मिलते हैं, तथा यह ऋषि कपिलमुनि एवं पाल वंश के राजा देवपाल से संबंधित है।
और पढ़ें: बांग्ला को शास्त्रीय भाषा तथा गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग