प्रारंभिक परीक्षा
पहला स्वदेशी रूप से विकसित पशु-व्युत्पन्न बायोमेडिकल डिवाइस
हाल ही में भारतीय औषधि नियंत्रक ने पहले स्वदेशी रूप से विकसित पशु-व्युत्पन्न वर्ग D बायोमेडिकल डिवाइस, कोलेडर्म (Cholederm) को मंज़ूरी दी है जो त्वचा के घावों का न्यूनतम निशान के साथ कम लागत पर तेज़ी से उपचार कर सकती है।
- चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 के अनुसार, चिकित्सा उपकरणों को जोखिम स्तर के आधार पर चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया है: वर्ग A (न्यूनतम जोखिम), वर्ग B (न्यूनतम से मध्यम जोखिम), वर्ग C (मध्यम उच्च जोखिम); वर्ग D (उच्च जोखिम)।
प्रमुख बिंदु
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी (SCTIMST) ने टिश्यू इंजीनियरिंग स्कैफोल्ड विकसित किया है।
- यह केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation- CDSCO) के मानकों पर खरा उतरने वाला वर्ग D चिकित्सा उपकरणों को विकसित करने वाला भारत का पहला संस्थान है।
- यह स्तनपायी अंगों से टिश्यू इंजीनियरिंग स्कैफोल्ड तैयार करने की एक नवीन तकनीक है।
- उन्नत घाव देखभाल उत्पादों के रूप में पशु-व्युत्पन्न सामग्रियों का उपयोग करने की अवधारणा नई नहीं है।
- हालाँकि औषधि नियंत्रक के मानकों पर खरा उतरने वाले गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के विनिर्माण के लिये अभी तक कोई स्वदेशी तकनीक उपलब्ध नहीं थी।
- उपचार क्षमता:
- कोलेडर्म के रूप में पहचाने जाने वाले स्कैफोल्ड के मेम्ब्रेन रूपों ने चूहे, खरगोश या कुत्तों में जले तथा मधुमेह के घावों सहित विभिन्न प्रकार के त्वचा के घावों का उपचार किया, जो वर्तमान में बाज़ार में उपलब्ध समान उत्पादों की तुलना में कम-से-कम निशान छोड़ती है।
- इससे पता चला कि ग्राफ्ट-सहायता उपचार को एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-Inflammatories) M2 प्रकार के मैक्रोफेज द्वारा नियंत्रित किया गया था, जो विभिन्न ऊतकों में खराब प्रतिक्रियाओं को संशोधित या कम करने में मदद करता था।
- लागत में कमी और बाज़ार क्षमता:
- भारतीय बाज़ार में कोलेडर्म की शुरुआत से इलाज की लागत 10,000/- रुपए से घटकर 2,000/- रुपए होने की उम्मीद है, जिससे यह और अधिक किफायती हो जाएगा।
- इसके अतिरिक्त प्रौद्योगिकी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ प्रदान करती है और आय-सृजन के अवसर पैदा करती है।
- भविष्य के घटनाक्रम:
- अनुसंधान दल वर्तमान में कार्डियक इंजरी के उपचार में आसान उपयोग के लिये स्कैफोल्ड का इंजेक्शन योग्य जेल फॉर्मूलेशन विकसित कर रहा है, जिसका लक्ष्य हृदयपेशीय रोधगलन (Myocardial infarction) से पीड़ित मरीजों के प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
नोट:
- चिकित्सा उपकरणों को औषध एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के तहत दवाओं के रूप में विनियमित किया जाता है।
- CDSCO चिकित्सा उपकरणों और दवाओं के लिये राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है, जबकि NPPA को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिये दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 द्वारा सशक्त बनाया गया है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO):
- CDSCO औषध एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के तहत केंद्र सरकार को सौंपे गए कार्यों के निर्वहन के लिये केंद्रीय औषधि प्राधिकरण है।
- स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत CDSCO भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (NRA) है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- प्रमुख कार्य:
- दवाओं के आयात पर नियामक नियंत्रण, नई दवाओं की मंज़ूरी और क्लिनिकल परीक्षण।
- केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण के रूप में कुछ लाइसेंसों का अनुमोदन करना भी शामिल है।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA):
- NPPA औषध विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत एक संगठन है जिसे वर्ष 1997 में नियंत्रित थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को संशोधित करने तथा देश में दवाओं की कीमतों को लागू करने एवं उपलब्धता हेतु दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO), 1995 के तहत स्थापित किया गया था।
- वर्तमान में कीमतें दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO), 2013 के तहत तय/संशोधित हैं।
- दवाओं की कीमतों को उचित स्तर पर बनाए रखने के लिये यह नियंत्रण मुक्त दवाओं के मूल्य की निगरानी भी करता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
SIPRI इयरबुक 2023
हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने इयरबुक 2023 में खुलासा किया कि इस दशक के अंत तक चीन द्वारा अमेरिका और रूस की भाँति कई इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) तैयार किये जाने की संभावना है।
- रूस के पास सबसे अधिक संख्या में परमाणु शस्त्रागार हैं, उसके बाद क्रमशः अमेरिका और चीन का स्थान है, जबकि अमेरिका ने रूस एवं फ्राँस के बाद सबसे अधिक संख्या में परमाणु शस्त्रागार तैनात किये हैं।
परमाणु शस्त्रागार के संदर्भ में SIPRI का खुलासा:
- वैश्विक परमाणु शस्त्रागार:
- आधुनिकीकरण और विस्तार:
- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन सहित नौ परमाणु-सशस्त्र देशों ने वर्ष 2022 में नए परमाणु-सशस्त्र या परमाणु-सक्षम हथियार प्रणालियों को तैनात करते हुए अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण एवं विस्तार करना जारी रखा है।
- अन्य परमाणु-सशस्त्र देश यूनाइटेड किंगडम, फ्राँस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़रायल हैं।
- कुल वैश्विक सूची:
- जनवरी 2023 तक संभावित उपयोग के लिये सैन्य भंडार में रखे गए लगभग 9,576 वॉरहेड्स के साथ वॉरहेड्स की कुल वैश्विक सूची 12,512 होने का अनुमान है।
- आधुनिकीकरण और विस्तार:
- रूस और यू.एस. का प्रभुत्व:
- सभी परमाणु हथियारों का 90%:
- रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास अपने संबंधित परमाणु शस्त्रागार के अपेक्षाकृत स्थिर आकार के साथ सभी परमाणु हथियारों का लगभग 90% हिस्सा है।
- शस्त्र नियंत्रण चिंताएँ:
- यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच परमाणु बलों के संबंध में पारदर्शिता एवं संवाद में कमी आई है।
- रणनीतिक स्थिरता वार्ता का निलंबन और भविष्य में सामरिक आक्रामक शस्त्रों की कमी और सीमा के लिये उपायों पर संधि (न्यू START) ने अनुवर्ती संधि हेतु चर्चा को रोक दिया है।
- नई START सीमाएँ बनी हुई हैं:
- SIPRI के आकलन के अनुसार, तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका जनवरी 2023 तक अपने तैनात रणनीतिक परमाणु बलों के लिये New START द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर बने रहे।
- सभी परमाणु हथियारों का 90%:
- भारत का परमाणु शस्त्रागार:
- शस्त्रागार में वृद्धि:
- भारत के परमाणु शस्त्रागार का भी विस्तार हुआ, जो वर्ष 2022 के 160 वॉरहेड से बढ़कर वर्ष 2023 में 164 वॉरहेड हो गया और इसी अवधि में पाकिस्तान का वॉरहेड 165 से 170 हो गया।
- लंबी दूरी के हथियारों पर ध्यान केंद्रित करना:
- भारत के परमाणु निवारक लंबी दूरी के हथियारों पर बल दे रहे हैं जो मुख्य रूप से पाकिस्तान पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे चीन में लक्ष्य तक पहुँचने में सक्षम हैं।
- बैलिस्टिक मिसाइलों का उन्नयन:
- भारत अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों को अपग्रेड करने की प्रक्रिया में है, जिसमें पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का विकास और 'अग्नि प्राइम' नामक नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल शामिल है।
- शस्त्रागार में वृद्धि:
- चीन का परमाणु शस्त्रागार:
- शस्त्रागार में वृद्धि:
- SIPRI के अनुसार, जनवरी 2022 में चीन का परमाणु शस्त्रागार 350 वॉरहेड से बढ़कर जनवरी 2023 में 410 वॉरहेड हो गया।
- विस्तार संबंधी चिंताएँ:
- चीन का परमाणु हथियारों का व्यापक विस्तार राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु न्यूनतम परमाणु हथियार रखने के चीन के ही निर्धारित लक्ष्य के विपरीत है।
- शस्त्रागार में वृद्धि:
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI):
- SIPRI एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो संघर्ष, शस्त्रीकरण, शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण हेतु अनुसंधान के लिये समर्पित है।
- स्टॉकहोम में वर्ष 1966 में स्थापित SIPRI नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और इच्छुक जनता को ओपन स्रोतों के आधार पर डेटा, विश्लेषण एवं सुझाव प्रदान करता है।
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
राम प्रसाद बिस्मिल
11 जून, 2023 को राम प्रसाद बिस्मिल की 126वीं जयंती मनाई गई। अपने क्रांतिकारी विचारों और काव्य कौशल के लिये पहचाने जाने वाले बिस्मिल ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध लड़ाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बिस्मिल के बारे में प्रमुख बिंदु:
- जन्म:
- बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले के एक गाँव में मुरलीधर और मूलमती के यहाँ हुआ था।
- परिचय:
- बिस्मिल आर्य समाज (वर्ष 1875 में दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित) में शामिल हो गए और 'बिस्मिल' यानी 'घायल' या 'बेचैन' जैसे नामों का उपयोग करते हुए एक प्रतिभाशाली लेखक और कवि बन गए।
- एक भारतीय राष्ट्रवादी और आर्यसमाजी धर्मप्रचारक भाई परमानंद को मौत की सज़ा के बारे में पढ़कर उनमें पहली बार देशभक्ति की भावना उत्पन्न हुई।
- वह तब 18 वर्ष के थे और उन्होंने अपनी कविता 'मेरा जन्म' के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त की।
- वह गांधीवादी तरीकों के विपरीत स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी तरीकों में विश्वास करते थे ।
- राम प्रसाद बिस्मिल का योगदान:
- मैनपुरी षड्यंत्र:
- बिस्मिल का कॉन्ग्रेस पार्टी की उदारवादी विचारधारा से मोहभंग हो गया और उन्होंने 'मातृवेदी' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की।
- वे वर्ष 1918 के ‘मैनपुरी षडयंत्र’ में शामिल थे, जिसमें बिस्मिल और दीक्षित को सरकार द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकें बेचते हुए पाया गया था।
- 28 जनवरी, 1918 को बिस्मिल ने पैम्फलेट के रूप में अपने दो लेखों- देशवासियों के नाम संदेश (अ मैसेज टू कंट्रीमेन) और मैनपुरी की प्रतिज्ञा (वाउ ऑफ मैनपुरी) को आम लोगों में वितरित किया।
- वर्ष 1918 में तीन मौकों पर उन्होंने अपनी पार्टी के लिये धन इकट्ठा करने हेतु सरकारी खजाने को लूटा।
- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना:
- वर्ष 1920 में उन्होंने सचिंद्र नाथ सान्याल और जादूगोपाल मुखर्जी के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया।
- HRA का घोषणापत्र मुख्य रूप से बिस्मिल द्वारा लिखा गया, जिसका उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से संयुक्त राज्य भारत के रूप में एक संघीय गणराज्य की स्थापना करना था।
- काकोरी कांड:
- वर्ष 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती HRA की एक बड़ी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य अपनी गतिविधियों और प्रचार हेतु धन प्राप्त करना था।
- बिस्मिल और उनके साथी चंद्रशेखर आज़ाद एवं अशफाकउल्ला खान ने लखनऊ के पास काकोरी में ट्रेन लूटने का फैसला किया।
- वे अपने प्रयास में सफल रहे हालाँकि घटना के एक महीने के भीतर एक दर्जन अन्य HRA सदस्यों के साथ गिरफ्तार कर लिये गए और उन पर काकोरी षडयंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया।
- यह कानूनी प्रक्रिया 18 महीने चली। बिस्मिल, लाहिड़ी, खान और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सज़ा दी गई।
- कविता और लेखन:
- हिंदी और उर्दू में देशभक्ति छंदों सहित बिस्मिल के विपुल लेखन ने भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने हेतु प्रेरित किया।
- उनकी कविताओं में सामाजिक मुद्दों और समानता तथा मानवीय गरिमा के सिद्धांतों के लिये सरोकार परिलक्षित होता है।
- हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थन:
- साथी क्रांतिकारी कवि अशफाकउल्ला खान के साथ बिस्मिल की घनिष्ठ मित्रता सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक थी।
- फाँसी से पहले अपने आखिरी पत्र में उन्होंने देश की सेवा के लिये हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट होने की आवश्यकता पर बल दिया।
- मैनपुरी षड्यंत्र:
- मृत्यु:
- 19 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर जेल में उन्हें फाँसी दे दी गई।
- राप्ती नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था और इस स्थल को बाद में राज घाट नाम दिया गया।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
भारत में अपस्फीति
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने कहा कि भारत की अपस्फीति (Disinflation) प्रक्रिया धीरे-धीरे और लंबी होने की उम्मीद है, 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य केवल मध्यम अवधि में प्राप्त होने की संभावना है।
अपस्फीति:
- परिचय:
- अपस्फीति मुद्रास्फीति की दर में कमी को संदर्भित करती है, जिसका अर्थ है कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं लेकिन पहले की तुलना में धीमी गति से।
- यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि अपस्फीति, अवस्फीति से अलग है, जो समग्र मूल्य स्तर में निरंतर कमी को संदर्भित करती है।
- अपस्फीति की एक स्वस्थ दर आवश्यक है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था को अत्यधिक प्रभावित होने से रोकती है।
- अपस्फीति मुद्रास्फीति की दर में कमी को संदर्भित करती है, जिसका अर्थ है कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं लेकिन पहले की तुलना में धीमी गति से।
- कारण:
- अपस्फीति विभिन्न कारकों की वजह से हो सकती है, जैसे:
- आर्थिक विकास या मांग में मंदी
- सख्त मौद्रिक नीति या उच्च ब्याज दरें
- राजकोषीय समेकन या कम सरकारी खर्च
- मज़बूत विनिमय दर
- अपस्फीति विभिन्न कारकों की वजह से हो सकती है, जैसे:
मुद्रास्फीति और अपस्फीति:
- परिचय:
- मुद्रास्फीति दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता वस्तुएँ आदि।
- मुद्रास्फीति समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य परिवर्तन को मापती है।
- वस्तुओं की इस बास्केट के मूल्य सूचकांक में विपरीत और दुर्लभ गिरावट को 'अपस्फीति' कहा जाता है।
- मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में कमी का संकेत है। इसे प्रतिशत में मापा जाता है।
- मुद्रास्फीति दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता वस्तुएँ आदि।
- मूल्यांकन:
- भारत में मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं।
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये CPI डेटा का उपयोग करती है।
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) RBI के गवर्नर के नेतृत्व में मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को 4% तक कम करने के लिये उत्तरदायी है, जबकि लंबे समय में इसे 2% से 6% के बीच बनाए रखता है।
मुद्रास्फीति के संबंध में RBI द्वारा नवीनतम अपडेट:
- वर्तमान मुद्रास्फीति परिदृश्य:
- मई 2023 तक भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति 4.25% थी जो अप्रैल 2023 में 4.7% हो गई। हालाँकि विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति लगातार बनी रहेगी जिससे 4% के लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी।
- वर्ष 2023-24 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान:
- RBI ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिये मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1% है जो पिछले आँकड़ों से कम है लेकिन यह अभी भी लक्ष्य से ऊपर है। यह मुद्रास्फीति के दबाव को रोकने तथा व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये निरंतर सतर्कता एवं नीतिगत उपायों की आवश्यकता को इंगित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित में से मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति किसके कारण बढ़ सकती है?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 जून, 2023
भारतीय अल्ट्रा-रिच इंडिविज़ुअल्स का बहिर्वाह प्रवास
हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 में 6,500 हाई नेट-वर्थ इंडिविज़ुअल्स (HNWI) के कुल बहिर्वाह का अनुमान है, जिससे यह अल्ट्रा-रिच इंडिविज़ुअल्स के बहिर्वाह प्रवास के मामले में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश बन जाएगा, हालाँकि चीन अभी भी प्रथम स्थान पर है। यह रिपोर्ट HNWI को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक की निवेश योग्य संपत्ति के रूप में परिभाषित करती है, जो रुपए के संदर्भ में 8.2 करोड़ या उससे अधिक के बराबर है। यह प्रवृत्ति वर्ष 2022 के ऐसे 7,500 व्यक्तियों के पिछले बहिर्वाह का अनुसरण करती है। इसके विपरीत वर्ष 2023 में HNWI के कुल बहिर्वाह के मामले में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं स्विट्ज़रलैंड के शीर्ष स्थान पर रहने की उम्मीद है। HNWI जनसंख्या के आधार पर विश्व के सबसे धनी देशों में भारत 10वें स्थान पर है। इसमें 3,44,600 HNWI, 1,078 सेंटी-मिलियनेयर्स एवं 123 अरबपति हैं। इसकी तुलना में चीन में 7,80,000 HNWI तथा 285 अरबपति हैं, जबकि अमेरिका, जिसकी आबादी महज 340 मिलियन है, में 52,70,000 HNWI व 770 अरबपति हैं। W10 समूह, जिसमें अमेरिका, जापान, चीन, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्राँस और भारत शामिल हैं, सबसे अधिक HNWI वाले शीर्ष 10 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं
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जोकोविच और स्वोटेक ने फ्रेंच ओपन में ऐतिहासिक जीत दर्ज की
नोवाक जोकोविच ने फ्रेंच ओपन, 2023 में रोलैंड-गैरोस में अपना तीसरा खिताब हासिल कर इतिहास रचने के साथ सबसे सफल पुरुष एकल टेनिस खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति दर्ज की। धीमी शुरुआत के बावजूद 36 वर्षीय इस सर्बियाई खिलाडी ने नाॅर्वे के अपने प्रतिद्वंद्वी कैस्पर रूड को सीधे सेटों में 7-6 (1), 6-3, 6-5 से मात दी। इस जीत के साथ जोकोविच ने 23वाँ प्रमुख पुरुष एकल मुकाबले में जीत दर्ज की है और इस खेल के इतिहास में अन्य सभी खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने ओपन एरा में सबसे ज़्यादा ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने के सेरेना विलियम्स के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली है। इस बीच महिला वर्ग में विश्व की नंबर एक खिलाड़ी इगा स्वियाटेक ने रोलैंड गैरोस में सफलता के साथ अपना खिताब बनाए रखा। कैरोलिना मुचोवा के खिलाफ रोमांचक फाइनल में स्वियाटेक 6-2, 5-7, 6-4 के स्कोर के साथ विजयी हुई। यह फ्रेंच ओपन में स्वियाटेक की तीसरी करियर चैंपियनशिप और कुल मिलाकर उनका चौथा ग्रैंड स्लैम खिताब है।
भारत के प्रेषण में कमी
भारत ने वर्ष 2022 में 24% की वृद्धि के साथ आवक प्रेषण में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि हासिल की जो विश्व बैंक के 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुमान को पार करते हुए 111 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। यह दक्षिण एशिया के प्रेषण प्रवाह का 63% है जो कि 176 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि है। हालाँकि OECD अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के कारण विश्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ के अनुसार, वर्ष 2023 में भारत में प्रेषण प्रवाह में केवल 0.2% की वृद्धि का अनुमान है, विशेष रूप से प्रवासियों के संदर्भ में जो कि रोज़गार के अवसरों और मज़दूरी को प्रभावित करते हैं। औपचारिक प्रेषणों के अनौपचारिक माध्यमों में परिवर्तित होने की भी उम्मीद है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर में उच्च-कुशल भारतीय प्रवासियों ने महामारी के बाद की रिकवरी और वेतन वृद्धि से लाभान्वित होकर भारत के प्रेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गैबॉन की पहली कृषि-SEZ परियोजना
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने आधिकारिक तौर पर गैबॉन की पहली कृषि-SEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) परियोजना शुरू की। परियोजना तकनीकी तथा ज्ञान भागीदार के रूप में सेंचुरियन विश्वविद्यालय के साथ AOM समूह द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। कार्यक्रम के प्रथम चरण में 30 किसान एवं गजपति ज़िले के 20 बी.एससी./एम.एससी. एग्री और बी.टेक/एम.टेक इंजीनियरिंग के छात्र इस परियोजना के तहत विकसित किये जा रहे कृषि-SEZ के लिये कृषि-तकनीकी तथा तकनीकी सलाहकार के रूप में एक साथ गैबॉन की यात्रा करेंगे। गौरतलब है कि गजपति ओडिशा का एक आकांक्षी ज़िला (एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट) है। साथ ही उपनिवेश-विरोधी एकजुटता, प्रवासी सद्भावना और 'दक्षिण-दक्षिण' सहयोग का सिद्धांत भारत तथा अफ्रीकी महाद्वीप के बीच साझेदारी को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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