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डेली न्यूज़


आंतरिक सुरक्षा

SIPRI इयरबुक 2022

  • 14 Jun 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रिपोर्ट की मुख्य बातें 

मेन्स के लिये:

सैन्य खर्च और संबंधित चिंताएँ 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा ‘SIPRI ईयरबुक 2022’ रिपोर्ट जारी की गई, जो हथियारों, निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की वर्तमान स्थिति का आकलन करती है। 

Sipri-Yearbook

SIPRI : 

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, आयुध, हथियार नियंत्रण व नि:शस्त्रीकरण में अनुसंधान के लिये समर्पित है। 
  • इसकी स्थापना वर्ष 1966 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुई थी। 
  • यह नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया एवं जागरूक नागरिकों को पारदर्शी स्रोतों के आधार पर डेटा, डेटा विश्लेषण एवं सिफारिशें प्रदान करता है। 

मुख्य बिंदु: 

  • परमाणु हथियार: 
    • वैश्विक परिदृश्य: 
      • नौ परमाणु हथियार संपन्न देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांँस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इज़रायल और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) - अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण जारी रखे हैं, हालांँकि जनवरी 2021 और जनवरी 2022 के बीच परमाणु हथियारों की कुल संख्या में थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन संभवतः अगले दशक में यह संख्या बढ़ेगी। 
    • भारत: 
      • जनवरी 2022 तक भारत के पास 160 परमाणु हथियार थे और ऐसा लगता है कि यह अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है। 
        • परमाणु हथियार मिसाइल या टारपीडो के विस्फोटक सिर होते हैं जो परमाणु ऊर्जा का उपयोग करते हैं। 
      • भारत का परमाणु भंडार जनवरी 2021 में 156 से बढ़कर जनवरी 2022 में 160 हो गया। 
    • चीन: 
      • जनवरी 2021 की तरह ही जनवरी 2022 में भी चीन के पास 350 परमाणु हथियार थे। 
        • भारत अपने परमाणु शस्त्रागार पर आधिकारिक डेटा साझा नहीं करता है। 
    • रूस और अमेरिका के पास कुल मिलाकर 90% से अधिक परमाणु हथियार हैं। 
  • प्रमुख हथियारों के आयातक: 
    • SIPRI ने 2016-20 में 164 राज्यों को प्रमुख हथियारों के आयातक के रूप में चिह्नित किया। 
    • देशवार:  
      • पांँच सबसे बड़े हथियार आयातक सऊदी अरब, भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन थे, जो कुल हथियारों के आयात का 36% हिस्सा आयात करते थे। 
    • क्षेत्रवार: 
      • 2016-20 में प्रमुख हथियारों की आपूर्ति की सबसे बड़ी मात्रा प्राप्त करने वाला क्षेत्र एशिया और ओशिनिया था, जो वैश्विक कुल आपूर्ति का 42% था, इसके बाद मध्य-पूर्व जिसने 33% हथियार प्राप्त किये। 
  • प्रमुख हथियारों के आपूर्तिकर्त्ता: 
    • वर्ष 2016 से वर्ष 2020 में पाच सबसे बड़े आपूर्तिकर्त्ता देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, फ्रांँस, जर्मनी और चीन की प्रमुख हथियारों के निर्यात में कुल 76% हिस्सेदारी रही। 

परमाणु कूटनीति में महत्त्वपूर्ण कदम: 

  • परमाणु हथियार निषेध संधि (TPNW): 
    • आवश्यक 50 देशों का अनुसमर्थन प्राप्त करने के बाद जनवरी 2021 में परमाणु हथियार निषेध (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons- TPNW) संधि लागू हुई। 
  • न्यू स्टार: 
    • यूएस-रूस हथियार नियंत्रण समझौता न्यू स्टार्ट संधि को पाँच वर्षों के लिये बढ़ा दिया गया था। 
  • संयुक्त व्यापक कार्ययोजना (JCPOA): 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका के पुनः ईरान परमाणु समझौते, संयुक्त व्यापक कार्ययोजना (JCPOA) के अनुपालन में लौटने पर बातचीत की शुरुआत में पुनः शामिल होना। 
  • परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि: 
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के परमाणु-सशस्त्र स्थायी सदस्यों (P5) ने परमाणु हथियारों के अप्रसार पर 1968 की संधि के तहत अप्रसार, निरस्त्रीकरण और हथियार नियंत्रण समझौतों एवं प्रतिज्ञाओं के साथ-साथ अपने दायित्वों का पालन करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। 

परमाणु कूटनीति में बाधाएँ: 

  • सभी P5 सदस्य अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार या आधुनिकीकरण करना जारी रखे हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपनी सैन्य रणनीतियों में परमाणु हथियारों के महत्त्व को बढ़ा रहे हैं। 
  • रूस ने यूक्रेन में युद्ध के संदर्भ में संभावित परमाणु हथियारों के उपयोग के बारे में खुली धमकी भी दी है।  
  • युद्ध के कारण द्विपक्षीय रूस-यूएसए रणनीतिक स्थिरता वार्ता रुक गई है और कोई भी अन्य परमाणु- संपन्न राज्य हथियार नियंत्रण वार्ता को नहीं मान रहा है।  
  • इसके अलाव, UNSC के P5 सदस्यों ने TPNW के विरोध में आवाज़ उठाई है और JCPOA वार्ता अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँची है। 

स्रोत: द हिंदू 

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