मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने लहसुन को सब्जी की श्रेणी में रखा
स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों ?
भारत भर के रसोई घरों में प्रयोग होने वाला लहसुन हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कानूनी मतभेद का केंद्र बन गया। न्यायालय से एक विवादास्पद मुद्दे को हल करने के लिये कहा गया: क्या लहसुन को सब्जी या मसाले के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये?
- इस वर्गीकरण का राज्य के बाज़ारों में लहसुन को कहाँ और कैसे बेचा जा सकता है, इस पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जो सीधे किसानों एवं कमीशन एजेंटों की आजीविका को प्रभावित करता है।
लहसुन के वर्गीकरण के बारे में उच्च न्यायालय का क्या फैसला है?
- केस की पृष्ठभूमि: यह मामला वर्ष 2015 में शुरू हुआ जब मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने किसानों के अनुरोध पर लहसुन को सब्ज़ी के रूप में वर्गीकृत किया। इस फैसले को कृषि विभाग ने चुनौती दी, जिसने वर्ष 1972 के कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम के तहत लहसुन को मसाले के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया।
- आलू, प्याज, लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने वर्ष 2016 में कृषि विभाग के फ़ैसले को चुनौती दी। एकल न्यायाधीश ने अंततः फरवरी 2017 में उनके पक्ष में फ़ैसला सुनाया।
- इस फ़ैसले का व्यापारियों ने विरोध किया, जिन्होंने तर्क दिया कि इससे किसानों के बजाय कमीशन एज़ेटों को लाभ होगा। जुलाई 2017 में एक समीक्षा याचिका दायर की गई, जिसके कारण वर्तमान दो न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया।
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का फैसला:
- न्यायालय ने वर्ष 2017 के आदेश को बनाये रखा, जिसमें कहा गया था कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला पदार्थ है और इसे सब्जी की श्रेणी में रखा जाना चाहिये।
- न्यायालय के निर्णय से लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों बाज़ारों में बेचने की अनुमति मिल गई है, जिससे व्यापार में लचीलापन आएगा तथा किसानों को संभावित रूप से बेहतर कीमतें मिलेंगी।
- न्यायालय ने वर्ष 2017 के आदेश को बनाये रखा, जिसमें कहा गया था कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला पदार्थ है और इसे सब्जी की श्रेणी में रखा जाना चाहिये।
- निहितार्थ: किसान अब सब्जी और मसाला दोनों बाज़ारों में लहसुन बेच सकते हैं, जिससे उनके मूल्य अवसर में वृद्धि हुई है। कमीशन एज़ेट सब्जी बाज़ारों में लहसुन के लिये बोली लगा सकते हैं, जिससे प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी और किसानों एवं व्यापारियों को लाभ होगा।
- लहसुन वर्तमान में अब तक के उच्चतम मूल्य पर है और इस निर्णय से इसके बाज़ार मूल्य में और भी वृद्धि होने की उम्मीद है।
लहसुन के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- वनस्पति विज्ञान में लहसुन (Allium sativum) को सब्जी माना जाता है, क्योंकि इसमें एक गाँठ/कंद, लंबा तना और लंबी पत्तियाँ होती हैं।
- लहसुन और प्याज की विशिष्ट गंध सल्फर युक्त रसायनों की उपस्थिति के कारण होती है।
- 6-8 की pH रेंज की अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ दोमट मृदा में लहसुन की अच्छी पैदावार होती है। कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध मृदा, उनकी नमी और पोषक तत्त्वों की धारण क्षमता के अतिरिक्त क्रस्टिंग और कॉम्पैक्शन के न्यूनतम ज़ोखिम के कारण वांछनीय होती है। कठोर मृदा के कारण गाँठ/कंद विकृत हो सकते हैं, जबकि खराब जल निकासी वाली मृदा के कारण गाँठ का रंग फीका पड़ सकता है।
- लहसुन समुद्र तल से 1200-2000 मीटर की ऊँचाई पर उगता है। वृद्धि के दौरान ठंडी, नम जलवायु और परिपक्वता के दौरान गर्म, शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।
- उत्पादन: चीन में आपूर्ति शृंखला के मुद्दों के कारण भारत वर्ष 2023 में रिकॉर्ड उच्च निर्यात के साथ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लहसुन निर्यातक बन गया है।
- भारतीय लहसुन फलेक्स पश्चिम एशियाई देशों में अधिक लोकप्रिय हो गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, मलेशिया, ब्राज़ील, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम भारत के मुख्य लहसुन निर्यात बाज़ार हैं।
- भौगोलिक संकेत टैग:
- मध्य प्रदेश का GI-टैग वाला लहसुन रियावान लहसुन, अन्य किस्मों की तुलना में अपनी उच्च उपज, तीखे और प्रबल स्वाद और अधिक तेल सामग्री के लिये प्रसिद्ध है।
- कोडईकनाल मलाई पूंडू (पहाड़ी लहसुन) तमिलनाडु का एक GI-टैग वाला लहसुन है, जो अपने एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी क्षमता के कारण औषधीय और संरक्षक गुणों के लिये जाना जाता है, जो कि लहसुन की किस्मों की तुलना में ऑर्गेनोसल्फर यौगिकों, फिनोल और फ्लेवोनोइड्स की उच्च मात्रा की उपस्थिति के कारण है।
- केरल का GI-टैग वाला लहसुन कंथल्लूर वट्टावडा वेलुथुली अपनी तीखी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है। कंथल्लूर और वट्टावडा के ऊँचे इलाकों में उगाया जाने वाला यह छोटा-सा लहसुन अपने औषधीय गुणों और पाक-कला में इस्तेमाल के लिये मशहूर है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. भारत द्वारा आयातित कृषि जिंसों में, पिछले पाँच वर्षों में निम्नलिखित में से किस एक का मूल्य के आधार पर अधिकतम आयात रहा है? (2019) (a) मसाले उत्तर: (d) |
अंतरिक्ष यात्री ISS पर फँसे
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी "बुच" विल्मोर, बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में तकनीकी समस्याओं के कारण, फरवरी 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर ही रहेंगे। ध्यातव्य है कि यह अंतरिक्षयान जून 2024 में इन दोनों यात्रियों को वहाँ लेकर आया था।
- नासा उन मुद्दों को हल करने के लिये कार्य कर रहा है जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा, ISS की क्षमता और मानव स्वास्थ्य पर लम्बी अंतरिक्ष यात्रा के प्रभाव के विषय में चिंताएँ उत्पन्न करते हैं।
नोट:
- स्टारलाइनर एक अंतरिक्ष यान है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाता है, इसे एक रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाता है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री आवास के लिये एक क्रू (Crew) कैप्सूल होता है, जिसे पुन: प्रवेश के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो एक गैर-पुन: प्रयोज्य सर्विस मॉड्यूल जीवन समर्थन (Life Support) और प्रणोदन प्रणाली प्रदान करता है।
- स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन और नासा का स्पेसएक्स डेमो-2, स्टारलाइनर जैसी ही अंतरिक्ष यान सेवाएँ प्रदान करते हैं।
अंतरिक्ष यात्री ISS में कैसे फँस गए?
- जून में सुनिता विलियम्स और बैरी विल्मोर बोइंग के स्टारलाइनर पर ISS की यात्रा पर गए, जो इसका पहला क्रूड मिशन (Crewed Mission) था।
- लॉन्च से पहले और उड़ान के दौरान हीलियम रिसाव के बावजूद स्टारलाइनर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुँच गया, लेकिन अभी भी कुछ समस्याएँ अनसुलझी हैं।
- रेगुलर कार्गो स्पेसक्राफ्ट द्वारा आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है, जिससे ISS को लंबे समय तक चालक दल का संभरण करने में मदद मिलती है।
- अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के पहले के उदाहरण:
- रूसी अंतरिक्ष यात्री वैलेरी पॉलाकोव ने वर्ष 1994-95 में मीर स्पेस स्टेशन (वर्ष 2001 में रूसी अंतरिक्ष स्टेशन कक्षा से बाहर हो गया) पर 438 दिनों के साथ रिकॉर्ड बनाया है।
- अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक रुबियो ने ISS पर 371 दिन (2022-23) पूरे किये।
अंतरिक्ष में मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- अस्थि घनत्व ह्रास: सूक्ष्म-गुरुत्व (न्यूनतम गुरुत्वाकर्षण) के संपर्क में लंबे समय तक रहने से अंतरिक्ष यात्रियों को कई स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल की कमी के कारण प्रति माह 1% तक उनका अस्थि द्रव्यमान ह्रास हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
- पेशी अपक्षय/मस्कुल एट्रोफी: सूक्ष्म-गुरुत्व में माँसपेशी द्रव्यमान और ताकत काफी कम हो सकती है, इन प्रभावों को कम करने के लिये दैनिक रूप से कठोर व्यायाम वाली दिनचर्या की आवश्यकता होती है।
- दृष्टि संबंधी समस्याएँ: शरीर में द्रव वितरण में परिवर्तन के कारण अंतःकपालीय दबाव बढ़ सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें प्रायः स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (Spaceflight Associated Neuro-ocular Syndrome- SANS) कहा जाता है।
- हृदय संबंधी परिवर्तन: सूक्ष्मगुरुत्व में हृदय का आकार और माप बदल सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: लंबे समय तक एकाकीपन और कारावास मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे तनाव, चिंता और अन्य मनोवैज्ञानिक चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)
- यह अंतरिक्ष में सबसे बड़ी मानव निर्मित संरचना है और इसे वर्ष 1998 में प्रक्षेपित किया गया था।
- यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवास के रूप में कार्य करता है और वर्ष 2000 से लगातार इसका उपयोग किया जा रहा है।
- भाग लेने वाली एजेंसियाँ: ISS संयुक्त राज्य अमेरिका (NASA), रूस (Roscosmos), यूरोप (ESA), जापान (JAXA) और कनाडा (CSA) की अंतरिक्ष एजेंसियों का एक संयुक्त प्रयास है।
- ऑर्बिट: ISS पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है।
- गति: यह पृथ्वी के चारों ओर लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से घूमता है तथा प्रत्येक 90 मिनट में एक परिक्रमा पूरी करता है।
- उद्देश्य: ISS का उद्देश्य अंतरिक्ष और सूक्ष्मगुरुत्व के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना, नए वैज्ञानिक अनुसंधान को समर्थन देना एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण प्रस्तुत करना है।
और पढ़ें: अंतरिक्ष मिशन 2024, मस्तिष्क द्रव गतिशीलता पर अंतरिक्ष उड़ान का प्रभाव
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न.1 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहा "भुवन" क्या है? (2010) (a) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा शुरू किया गया एक छोटा उपग्रह। उत्तर: (c) |
1947 का प्रतिष्ठित ध्वज फोर्ट सेंट जॉर्ज में प्रदर्शित किया
स्रोत: पी.आई.बी
चेन्नई स्थित फोर्ट सेंट जॉर्ज संग्रहालय में 12x8 फीट का भारतीय ध्वज प्रदर्शित है, जो 15 अगस्त 1947 को फहराया गया पहला झंडा है। यह भारत का एकमात्र संरक्षित और सुरक्षित राष्ट्रीय ध्वज है।
- शुद्ध रेशम से बना यह धरोहर (ध्वज) भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है। संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता गैलरी भी भारतीय ध्वज के विकास और तिरंगे के पीछे की गाथाओं को प्रदर्शित करती है।
भारतीय ध्वज का विकास:
- पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता में फहराया गया था, जिसमें लाल, पीले और हरे रंग की पट्टियाँ थीं।
- वर्ष 1921 में, पिंगली वेंकैया ने लाल और हरे रंग की पट्टियों वाला एक ध्वज डिज़ाइन किया था, जिसमें बाद में गांधीजी ने एक सफ़ेद पट्टी और चरखा जोड़ा।
- वर्तमान तिरंगा 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था।
फोर्ट सेंट जॉर्ज:
- इसकी स्थापना वर्ष 1639 में चेन्नई में हुई थी। यह भारत में पहला अंग्रेज़ी किला है।
- यह वर्ष 1746 से 1749 तक कुछ समय के लिये फ्राँस के नियंत्रण में था और बाद में प्रथम कर्नाटक युद्ध के बाद ऐक्स-ला-चैपल की संधि (1748) द्वारा अंग्रेज़ों को वापस कर दिया गया।
- यह तमिलनाडु की विधान सभा के लिये एक प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता है और इसमें एक सैन्य चौकी (Garrison) भी है।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा अनुरक्षित इस संग्रहालय में मद्रास के गवर्नरों के चित्रों सहित राज के अवशेष प्रदर्शित हैं।
और पढ़ें: राष्ट्रीय ध्वज दिवस: स्वतंत्रता की ओर भारत की यात्रा का स्मरण
NIRF रैंकिंग 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने NIRF (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) रैंकिंग 2024 की घोषणा की, जो भारत में उच्च शिक्षा परिदृश्य में अग्रणी संस्थानों की सूची प्रदर्शित करती है।
NIRF 2024 से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज ने पहली बार कॉलेजों में शीर्ष स्थान प्राप्त किया तथा मिरांडा हाउस का स्थान लिया जो लगातार सात वर्षों से शीर्ष कॉलेज रहा था।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास: IIT मद्रास ने लगातार ‘समग्र’ श्रेणी में छठे वर्ष और ‘इंजीनियरिंग’ श्रेणी में नौवें वर्ष अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है। संस्थान ने ‘शोध संस्थानों’ और ‘नवाचारों’ श्रेणियों में भी अपना दूसरा स्थान बरकरार रखा।
- भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बंगलूरू: IISc बंगलूरू ने लगातार नौवें और चौथे वर्ष क्रमशः ‘विश्वविद्यालयों’ और ‘अनुसंधान संस्थानों’ श्रेणियों में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा।
- IIM अहमदाबाद: IIM अहमदाबाद ने लगातार पाँचवें वर्ष ‘प्रबंधन’ श्रेणी में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
- एम्स (AIIMS), नई दिल्ली: AIIMS, नई दिल्ली लगातार सात वर्षों से ‘चिकित्सा’ श्रेणी में अग्रणी संस्थान बना हुआ है और ‘समग्र’ श्रेणी में इसका स्थान 7वाँ रहा।
- जामिया हमदर्द: इस वर्ष जामिया हमदर्द ‘फार्मेसी’ श्रेणी में शीर्ष स्थान पर रहा जबकि IIT रुड़की ‘वास्तुकला और योजना’ (Architecture & Planning) में अग्रणी रहा।
- दिल्ली विश्वविद्यालय (DU): समग्र रैंकिंग के संबंध में DU अपनी पूर्व की 11वीं रैंक में सुधार करते हुए छठे स्थान पर रहा और यह देश के शीर्ष 10 विश्वविद्यालय में पुनः शामिल हुआ।
- शीर्ष तीन स्थान बनाते हुए सेंट स्टीफंस कॉलेज ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
- दिल्ली विश्वविद्यालय (DU): समग्र रैंकिंग के संबंध में DU अपनी पूर्व की 11वीं रैंक में सुधार करते हुए छठे स्थान पर रहा और यह देश के शीर्ष 10 विश्वविद्यालय में पुनः शामिल हुआ।
- NIRF 2024 में नवीनतम समावेश:
- नई श्रेणियाँ: NIRF रैंकिंग के 9वें संस्करण में तीन नई श्रेणियाँ - राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय (State Public Universities), मुक्त विश्वविद्यालय (Open Universities) और कौशल विश्वविद्यालय (Skill Universities) - शामिल की गईं और NIRF का उपयोग करते हुए एकीकृत "नवाचार" (Innovation) रैंकिंग की गई, जिससे पोर्टफोलियो का विस्तार 16 श्रेणियों और विषय डोमेन तक हो गया।
- अन्ना विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) क्रमशः नए राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों और मुक्त विश्वविद्यालयों की श्रेणियों में शीर्ष पर रहे।
- सिम्बायोसिस स्किल एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (Symbiosis Skill and Professional University- SSPU), पुणे ने कौशल विश्वविद्यालयों की श्रेणी में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
- भविष्य को देखते हुए, शिक्षा मंत्रालय NIRF के 2025 संस्करण में स्थिरता रैंकिंग के लिये एक नई श्रेणी शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसमें पर्यावरणीय स्थिरता, ऊर्जा दक्षता एवं हरित परिसर पहल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के आधार पर संस्थानों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- नई श्रेणियाँ: NIRF रैंकिंग के 9वें संस्करण में तीन नई श्रेणियाँ - राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय (State Public Universities), मुक्त विश्वविद्यालय (Open Universities) और कौशल विश्वविद्यालय (Skill Universities) - शामिल की गईं और NIRF का उपयोग करते हुए एकीकृत "नवाचार" (Innovation) रैंकिंग की गई, जिससे पोर्टफोलियो का विस्तार 16 श्रेणियों और विषय डोमेन तक हो गया।
- आवेदनों में वृद्धि: रैंकिंग में भाग लेने वाले अद्वितीय संस्थानों की संख्या वर्ष 2016 के 2,426 से बढ़कर वर्ष 2024 में 6,517 हो गई।
- आवेदनों की कुल संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे NIRF रैंकिंग में बढ़ती भागीदारी और इसकी मान्यता उजागर हुई।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क क्या है?
- परिचय: NIRF वर्ष 2015 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक रैंकिंग प्रणाली है। इसका उद्देश्य विभिन्न मापदंडों के आधार पर पूरे भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों का निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन करना है।
- रैंकिंग के लिये मापदंड: NIRF पाँच व्यापक श्रेणियों के आधार पर संस्थानों का मूल्यांकन करता है:
नोट:
- राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) भी शैक्षणिक संस्थानों का मूल्यांकन करती है। NAAC उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन करता है और उन्हें उनकी समग्र गुणवत्ता के व्यापक आकलन के आधार पर मान्यता देता है, जिसमें विभिन्न आयाम शामिल होते हैं। NAAC की मान्यता प्रक्रिया गुणात्मक है, जो एक संस्थान की एक समग्र शैक्षणिक अनुभव प्रदान करने की क्षमता पर केंद्रित है।
- मान्यता प्रणाली संस्थानों को A++ से D तक के ग्रेड में वर्गीकृत करती है, जो उनकी समग्र गुणवत्ता स्थिति को दर्शाती है।
- इसके विपरीत NIRF की प्राथमिक भूमिका विशिष्ट मात्रात्मक मापदंडों के आधार पर प्रतिवर्ष संस्थानों को रैंकिंग प्रदान करना है, जिससे भावी छात्रों को देश भर के संस्थानों के सापेक्ष प्रदर्शन का आकलन करने में मदद मिलती है।
CAA के तहत अफगान सिखों की नागरिकता
स्रोत: द हिंदू
एक उल्लेखनीय घटना में हाल ही में नई दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 के तहत बीस अफगान सिखों को नागरिकता प्रदान की गई, जो कई दीर्घकालिक वीज़ा धारकों के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षण का प्रतिनिधित्व करता है, जो दशकों से भारतीय नागरिकता चाहते थे।
- कुछ आवेदक जो वर्ष 1997 से दीर्घकालिक वीज़ा पर भारत में रह रहे हैं, उनके नागरिकता आवेदन नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत लंबित थे।
- CAA बनाम 1955 अधिनियम: दिसंबर 2019 में, नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया ताकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) से संबंधित अनिर्दिष्ट प्रवासियों को पंजीकरण तथा प्राकृतिकीकरण के माध्यम से नागरिकता की सुविधा प्रदान की जा सके, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए थे। नागरिकता के लिये अर्हता प्राप्त करने की अवधि को 11 वर्ष के निरंतर प्रवास की मौजूदा आवश्यकता से घटाकर पाँच वर्ष कर दिया गया।
- कई अफगान सिख अपने आवेदन को वर्ष 1955 के अधिनियम से CAA में स्थानांतरित करने के लिये याचिका दायर कर रहे हैं, क्योंकि CAA से नागरिकता प्राप्त करने का बेहतर अवसर मिलता है।
- वर्ष 1955 अधिनियम के तहत आवेदनों में कई प्राधिकरणों की भागीदारी के कारण देरी होती थी, जबकि CAA ने राज्य सरकार की भूमिका को हटाकर प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप शीघ्र अनुमोदन हुआ।
और पढ़ें: केंद्र ने CAA के कार्यान्वयन हेतु नियम अधिसूचित किये
हर घर तिरंगा, हर घर खादी अभियान
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष ने खादी से बने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के माध्यम से खादी कपड़ों के उपयोग तथा व्यापार को बढ़ाने के लिये “हर घर तिरंगा, हर घर खादी” अभियान की शुरुआत की।
- खादी/पॉलिएस्टर से बने 3X2 फीट के विशेष राष्ट्रीय ध्वज पूरे देश के खादी स्टोरों पर 198 रुपए की विशेष कीमत पर उपलब्ध हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों से स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा यात्रा अभियान में शामिल होने और खादी के कपड़े खरीदने की अपील की है।
हर घर तिरंगा (HGT) अभियान:
- स्वतंत्रता दिवस समारोह के हिस्से के रूप में HGT अभियान का तीसरा संस्करण 9 से 15 अगस्त 2024 तक मनाया जाएगा।
- इसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिये प्रोत्साहित करके नागरिकों में देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना उत्पन्न करना है।
- इसे वर्ष 2022 में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में लॉन्च किया गया था।अब यह एक जन आंदोलन बन गया है।
- अन्य आउटरीच गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं, जिनमें तिरंगा संगीत कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक, तिरंगा के विकास पर प्रदर्शनियाँ आदि शामिल हैं।
और पढ़ें: राष्ट्रीय ध्वज दिवस
विश्व अंगदान दिवस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में अंग दाताओं की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता के विषय में जागरूकता बढ़ाने और दाता पंजीकरण को बढ़ावा देने के लिये 13 अगस्त 2024 को विश्व अंगदान दिवस मनाया गया।
- विश्व अंगदान दिवस 2024 का थीम है: “बी द रीज़न फॉर समवन्स स्माइल टूडे !”
- अंग प्रत्यारोपण का इतिहास: पहला सफल किडनी/वृक्क प्रत्यारोपण वर्ष 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था।
- भारत में पहला सफल मृतक दाता हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त 1994 को हुआ था।
- अंग दान का महत्त्व: यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग (UNOS) की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1,03,993 लोगों को जीवन रक्षक अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता है, लेकिन उपलब्ध दाताओं की संख्या काफी अपर्याप्त है, जिससे आपूर्ति-मांग में गंभीर अंतर उत्पन्न हो रहा है।
- UNOS के अनुसार, प्रत्येक दाता 8 लोगों का जीवन बचा सकता है तथा 75 से अधिक लोगों का जीवन बेहतर बना सकता है।
- UNOS एक निजी गैर-लाभकारी संगठन है जो केंद्र सरकार के साथ अनुबंध के तहत देश की अंग प्रत्यारोपण प्रणाली का प्रबंधन करता है।
- प्रारंभ में भारत में राष्ट्रीय अंगदान दिवस 27 नवंबर को मनाया जाता था, लेकिन भारत के पहले सफल मृतक दाता हृदय प्रत्यारोपण की वर्षगांठ मनाने के लिये इसे 3 अगस्त को स्थानांतरित कर दिया गया।
- भारत में अंगदान को मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 द्वारा विनियमित किया जाता है।
और पढ़ें: NOTTO वार्षिक रिपोर्ट 2023-24
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश के विभाजन के दौरान प्रभावित हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- सरकार ने वर्ष 2021 में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित किया।
- 14 अगस्त उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने करने का दिन है जिन्होंने विभाजन के दौरान अपनी जान गँवाई या विस्थापित हुए।
- यह दिवस सुनिश्चित करता है कि भावी पीढ़ियाँ लोगों द्वारा सहे गए दर्द और पीड़ा को याद रखें, क्योंकि स्वतंत्र भारत की उत्पत्ति हिंसक विभाजन से हुई थी, जिसने लाखों लोगों पर अमिट छाप छोड़ी।
- विभाजन के कारण इतिहास में सबसे बड़ा और सबसे दुखद मानव पलायन शुरू हुआ, जिसके साथ सांप्रदायिक दंगे और अंतर-धार्मिक संघर्ष भी हुए।
- विभाजन का प्रभाव क्षेत्र में अब भी देखा जा सकता है तथा भारत व पाकस्तान के बीच तनाव ज़ारी है, विशेष रूप से कश्मीर के विवादित क्षेत्र को लेकर।