प्रारंभिक परीक्षा
जापानी इंसेफेलाइटिस
भारत के गोरखपुर ज़िले में जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिये लगाई गई चीनी वैक्सीन SA-14-14-2 (जीवित, क्षीण वैक्सीन) के बाद टीकाकरण किये गए 266 बच्चों पर हुए एक अध्ययन में अलग-अलग समय बिंदुओं पर एंटीबॉडी IgG को निष्क्रिय करने का बहुत कम स्तर पाया गया।
- हालाँकि अध्ययन में कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (टी-सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया) को नहीं मापा गया है।
जापानी इंसेफेलाइटिस की वैक्सीन का अध्ययन:
- परिचय:
- इस अध्ययन में वैक्सीन लगाए गए बच्चों में वायरस के खिलाफ सीरोप्रोटेक्शन कम पाया गया।
- सीरोप्रोटेक्शन एक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया है जो संक्रमण को रोकने में सक्षम है, उदाहरण के लिये टीकाकरण के बाद या किसी सूक्ष्मजीव के साथ पिछले संक्रमण के बाद।
- वैक्सीन लगाने वाले लगभग 98% बच्चों में वायरस के खिलाफ कोई इम्युनोग्लोबुलिन G (IgG) एंटीबॉडी नहीं थी।
- ऐसे ही परिणाम बांग्लादेश में बच्चों को चीनी वैक्सीन से प्रतिरक्षित किये जाने के संदर्भ में किये गए एक अध्ययन में पाए गए थे।
- इस अध्ययन में वैक्सीन लगाए गए बच्चों में वायरस के खिलाफ सीरोप्रोटेक्शन कम पाया गया।
- अन्य वैक्सीन के साथ तुलना:
- इसके विपरीत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा विकसित एक निष्क्रिय टीके (जेनवैक) का उपयोग कर किये गए एक परीक्षण में एकल खुराक के साथ भी दो वर्ष के अंत में बेहतर सुरक्षा पाई गई है।
- जेनवैक को सिंगल-डोज़ वैक्सीन के रूप में मंज़ूरी दी गई है।
- नवंबर 2020 के परीक्षण में पाया गया कि अधिक एंटीबॉडीज़ के उत्पादन के संदर्भ में जेनवैक की दो खुराकों ने चीनी वैक्सीन की दो खुराकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
जापानी इंसेफेलाइटिस:
- परिचय:
- जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क में जलन पैदा कर सकता है।
- यह फ्लेविवायरस के कारण होने वाली एक बीमारी है, जो डेंगू, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस के समान जीनस से संबंधित है।
- जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) भारत में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) का एक प्रमुख कारण है।
- जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क में जलन पैदा कर सकता है।
- संचरण:
- यह रोग क्यूलेक्स प्रजाति के संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
- ये मच्छर मुख्य रूप से धान के खेतों और जलीय वनस्पतियों से भरपूर बड़े जल निकायों में प्रजनन करते हैं।
- इलाज:
- जापानी इंसेफेलाइटिस के रोगियों के लिये कोई एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।
- मौजूद उपचार लक्षणों से छुटकारा पाने और रोगी को स्थिरता प्रदान करने में सहायक है।
- जापानी इंसेफेलाइटिस के रोगियों के लिये कोई एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।
- निवारण:
- इस बीमारी को रोकने के लिये सुरक्षित और प्रभावी जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) टीके उपलब्ध हैं।
- JE टीकाकरण भारत सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत भी शामिल है।
- इस बीमारी को रोकने के लिये सुरक्षित और प्रभावी जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) टीके उपलब्ध हैं।
एंटीबॉडीज़ क्या हैं?
- परिचय: एंटीबॉडी एक प्रोटीन है, जो मानव शरीर में एंटीजन नामक हानिकारक पदार्थों के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित होता है।
- प्रकार: एंटीबॉडी (इम्युनोग्लोबुलिन) में 5 प्रकार के भारी शृंखला स्थायी क्षेत्र होते हैं और इन प्रकारों के अनुसार, उन्हें IgG, IgM, IgA, IgD और IgE में वर्गीकृत किया जाता है।
- IgG रक्त में मुख्य एंटीबॉडी है और इसमें बैक्टीरिया तथा विषाक्त पदार्थों को आबंधित करने की प्रभावशाली क्षमता होती है। इस प्रकार यह जैविक रक्षा प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एकमात्र समप्ररूप है जो प्लेसेंटा से गुज़र सकता है, और माता के शरीर से स्थानांतरित IgG एक नवजात शिशु की रक्षा करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022) (a) वे शरीर को पर्यावरणीय प्रत्युजर्कों (एलर्जनों) से संरक्षित करती हैं। उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 मार्च, 2023
कलक्कड़-मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व (KMTR)
तमिलनाडु के शोधकर्त्ताओं ने कलक्कड़-मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व (KMTR) के बफर ज़ोन में भारत में पहली बार एक दुर्लभ कीट प्रजाति पाई है, इसे आखिरी बार 127 वर्ष पहले वर्ष 1893 में श्रीलंका में देखा गया था। माइमुसेमिया सीलोनिका एक कीट प्रजाति है जो उपप्रजाति अग्रिस्टिन और नोक्टुइडे समूह से संबंधित है। KMTR को वर्ष 1988 में मौज़ूदा और सन्निहित कलक्कड़ तथा मुंडनथुराई वन्यजीव अभयारण्यों को मिलाकर बनाया गया था। कलक्कड़-मुंडनथुराई को तमिलनाडु में पहला टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था। यह पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसमें आर्द्र सदाबहार वन हैं, यह 14 नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है। यह अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व का भी हिस्सा है। अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा भारत में पौधों की विविधता और स्थानिकता के पाँच केंद्रों में से एक माना जाता है। बाघों के अतिरिक्त इस वन में सांभर, चित्तीदार हिरण, हाथी, तेंदुए, जंगली कुत्ते और बड़ी संख्या में पक्षियों की प्रजातियाँ, सरीसृप आदि पाए जाते हैं।
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बहुपक्षीय अभ्यास ला पेरॉस
बहुपक्षीय अभ्यास ला पेरॉस का तीसरा संस्करण 13-14 मार्च, 2023 तक हिंद महासागर क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा। इस संस्करण में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना, फ्राँसीसी नौसेना, भारतीय नौसेना, जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स, रॉयल नेवी और यूनाइटेड स्टेट्स नेवी के कर्मियों, जहाज़ों और इन्टग्रल हेलीकाप्टरों की भागीदारी रहेगी। यह द्विवार्षिक युद्धाभ्यास ‘ला पेरॉस’ फ्राँसीसी नौसेना द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य समुद्री क्षेत्र जागरूकता बढ़ाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच समुद्रीय समन्वय को अधिकतम करना है। स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्रि और फ्लीट टैंकर आईएनएस ज्योति युद्धाभ्यास के इस संस्करण में भाग लेंगे। इस युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना की भागीदारी मैत्रीपूर्ण नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर के तालमेल, समन्वय और परस्पर संचालन के उच्च स्तरों तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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ऑस्कर
हाल ही में 95वें ऑस्कर में नाटू नाटू गीत को मोशन पिक्चर श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ मूल गीत के लिये अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पहला भारतीय गीत है और यह पुरस्कार जीतने वाला दूसरा भारतीय भाषा का गीत है। द एलिफेंट व्हिस्पर्स ने सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र लघु फिल्म का पुरस्कार जीता। ऑस्कर प्रतिमा, जो 13 1/2 इंच लंबी है और सोने से सजी है, विश्व में सबसे अधिक विख्यात ट्राफियों में से एक है। प्रतिमा जिसे आधिकारिक तौर पर मेरिट अकादमी पुरस्कार के रूप में जाना जाता है, ऑस्कर के रूप में प्रसिद्ध है। इस उपनाम को एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ने आधिकारिक तौर पर वर्ष 1939 में अपनाया था।
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ड्रैगन फ्रूट
एकीकृत बागबानी विकास मिशन (MIDH) के तहत विदेशी और विशिष्ट क्षेत्र के फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये चिह्नित संभावित क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिये एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। कमलम् के लिये MIDH के तहत क्षेत्र विस्तार का लक्ष्य 5 वर्षों में 50,000 हेक्टेयर है।
कमलम् या ड्रैगन फ्रूट व्यापक रूप से पिताया के रूप में जाना जाता है, यह दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका मूल का है। इसकी खेती व्यापक रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, अमेरिका, कैरेबियन द्वीप समूह, ऑस्ट्रेलिया में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में की जाती है। इसे "21वीं सदी का चमत्कारिक फल" भी कहा जाता है।
ड्रैगन फ्रूट हिलोसेरियस कैक्टस पर उगता है, जिसे होनोलूलू क्वीन के नाम से भी जाना जाता है। फिलहाल, भारत में कमलम् फल की खेती सीमित है और कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान तथा निकोबार द्वीप, मिज़ोरम एवं नगालैंड के किसानों के द्वारा इसकी खेती की जाती है।
इसे कई नामों से जाना जाता है, जिनमें पिताया, पिठैया और स्ट्रॉबेरी नाशपाती शामिल हैं। दो सबसे आम प्रकारों के छिलके चमकदार लाल रंग की होती है जिसका ऊपरी सिरा हरे रंग का होता है जो एक ड्रैगन के समान दिखाई देती है। सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध किस्म में काले बीजों के साथ सफेद गूदा होता है, हालाँकि लाल गूदे और काले बीजों के साथ एक कम सामान्य प्रकार भी मौजूद है। फल मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें कम कैलोरी और आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों की अधिकता होती है।