लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

ड्रैगन फ्रूट

  • 12 Jul 2022
  • 4 min read

हाल ही में केंद्र ने ड्रैगन फ्रूट  के विकास को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, इसके स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए इसे  "विशेष फल (Super Fruit)" के रूप में मान्यता प्राप्त है।

  • इसके अलावा केंद्र का मानना है कि फल के पोषण लाभ और वैश्विक मांग के कारण भारत में इसकी खेती को बढ़ाया जा सकता है।

Dragon-Fruit

ड्रैगन फ्रूट:

  • परिचय:
    • ड्रैगन फ्रूट हिलोसेरियस कैक्टस पर उगता है, जिसे होनोलूलू क्वीन के नाम से भी जाना जाता है।
    • यह फल दक्षिणी मेक्सिको और मध्य अमेरिका का स्थानीय/देशज फल है। वर्तमान में भी यह पूरी दुनिया में उगाया जाता है।
      • इस समय इस फल की खेती करने वाले राज्यों में मिज़ोरम सबसे आगे है।
    • इसे कई नामों से जाना जाता है, जिनमें पपीता, पिठैया और स्ट्रॉबेरी, नाशपाती शामिल हैं।
    • दो सबसे आम प्रकारों में हरे रंग की परत के साथ यह चमकदार लाल रंग का होता है जो ड्रैगन के समान होता है।
    • सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध इसकी किस्म में काले बीजों के साथ सफेद गूदा होता है, हालांँकि लाल गूदे और काले बीजों के साथ सामान्य प्रकार भी मौजूद होता है।
    • ह फल मधुमेह के रोगियों के लिये उपयुक्त, कैलोरी में कम और आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम तथा जिंक जैसे पोषक तत्त्वों से भरपूर माना जाता है।
  • सबसे बड़ा उत्पादक:
    • दुनिया में ड्रैगन फ्रूट का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक वियतनाम है, जहांँ 19वीं शताब्दी में फ्रांँसीसियों द्वारा इस पौधे को लाया गया था।
      • वियतनामी इसे थान लॉन्ग कहते हैं, जिसका अनुवाद है "ड्रैगन की आंँख", माना जाता है कि यह इसके सामान्य अंग्रेज़ी नाम का मूल है।
      • वियतनाम के अलावा यह विदेशी फल संयुक्त राज्य अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, ताइवान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल और श्रीलंका में भी उगाया जाता है।
  • विशेषताएँ:
    • इसके फूल प्रकृति में उभयलिंगी (एक ही फूल में नर और मादा अंग) होते हैं और रात में खुलते हैं।
    • पौधा 20 से अधिक वर्षों तक उपज देता है, यह उच्च न्यूट्रास्युटिकल गुणों (औषधीय प्रभाव वाले) के साथ मूल्य वर्द्धित और प्रसंस्करण उद्योगों के लिये लाभदायक है।
    • यह विटामिन एवं खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है।
  • जलवायु की स्थिति:
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, इस पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है और इसे शुष्क भूमि पर उगाया जा सकता है।
    • खेती की लागत शुरू में अधिक होती है लेकिन पौधे के लिये उत्पादक भूमि की आवश्यकता नहीं होती; अनुत्पादक, कम उपजाऊ क्षेत्रों में इसका अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है। 

राज्य सरकारों द्वारा उठाए कदम:

  • गुजरात सरकार ने हाल ही में ड्रैगन फ्रूट का नाम कमलम (कमल) रखा और इसकी खेती करने वाले किसानों के लिये प्रोत्साहन की घोषणा की है।
  • हरियाणा सरकार उन किसानों को भी अनुदान प्रदान करती है जो इस विदेशी फल की किस्म को उगाने हेतु तैयार हैं।
  • महाराष्ट्र सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री और इसकी खेती के लिये सब्सिडी प्रदान करके राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने की पहल की है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2