व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
रूस ने हाल ही में संकेत दिया है कि वह व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty- CTBT) के अपने अनुसमर्थन को रद्द करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT):
- CTBT की उत्पत्ति:
- CTBT एक बहुपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाना है, भले ही वे सैन्य अथवा शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये हों।
- CTBT की जड़ें शीत युद्ध के युग में निहित हैं जब संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु हथियारों को प्राप्त करने में लगे थे तथा कई परमाणु परीक्षण कर रहे थे।
- वर्ष 1945 से लेकर वर्ष 1996 तक विश्व स्तर पर 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण हुए, जिनमें से अमेरिका ने 1,032 परीक्षण और सोवियत संघ ने 715 परीक्षण किये।
- परमाणु परीक्षणों के पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रभावों के विषय में चिंताओं के जवाब में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने परीक्षण को सीमित करने के प्रयास किये।
- वर्ष 1963 की सीमित परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (Limited Nuclear Test-Ban Treaty- LTBT) ने वायुमंडल, बाह्य अंतरिक्ष और जल के भीतर परमाणु परीक्षण पर रोक लगा दी लेकिन भूमिगत परीक्षणों को अनुमति दी।
- वर्ष 1974 की थ्रेसहोल्ड टेस्ट प्रतिबंध संधि (TTBT), 150 किलोटन से अधिक की क्षमता वाले परीक्षणों पर रोक लगाकर एक परमाणु "सीमा" स्थापित करती है, फिर भी यह सभी परमाणु परीक्षणों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने में विफल रही है।
- CTBT के साथ सफलता:
- शीत युद्ध की समाप्ति और सोवियत संघ के विघटन ने व्यापक हथियार नियंत्रण उपायों के लिये अनुकूल वातावरण तैयार किया।
- CTBT पर वर्ष 1994 में जिनेवा में निरस्त्रीकरण सम्मेलन में वार्त्ता की गई थी।
- वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने CTBT को अपनाया, जिसने पिछली संधियों द्वारा रिक्त अंतराल को समाप्त करते हुए परमाणु हथियारों के परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
- CTBT सितंबर 1996 में हस्ताक्षर के लिये उपलब्ध हो गया, जो विश्व में परमाणु परीक्षण को रोकने के वैश्विक प्रयास में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है।
- इसके अनुसार, संधि के अनुलग्नक 2 में सूचीबद्ध सभी 44 देशों द्वारा अनुसमर्थन किये जाने के 180 दिन बाद CTBT लागू हो जाएगा, ये ऐसे राज्य हैं जिनके पास इसे अपनाते समय परमाणु या अनुसंधान रियेक्टर थे।
- वर्तमान स्थिति:
- इस पर 187 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं और 178 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालाँकि यह संधि तब तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हो सकती जब तक कि इसे 44 विशिष्ट देशों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। इनमें से आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है, ये हैं:
- चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इज़राइल, ईरान, मिस्र व संयुक्त राज्य अमेरिका।
- इस पर 187 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं और 178 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालाँकि यह संधि तब तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हो सकती जब तक कि इसे 44 विशिष्ट देशों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। इनमें से आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है, ये हैं:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. किसी देश के 'नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह' का सदस्य बनने के क्या परिणाम होते हैं/होते हैं?
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (A) प्रश्न. दक्षिण-पश्चिमी एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्यसागर तक नहीं फैला है? (2015) (a) सीरिया उत्तर: (B) प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त में से कौन-से परमाणु हथियार वाले राज्य हैं, जिन्हें परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसे आमतौर पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के रूप में जाना जाता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (A) मेन्स:प्रश्न. इस समय जारी अमरीका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद भारत के राष्ट्रीय हितों को किस प्रकार प्रभावित करेगा? भारत को इस स्थिति के प्रति क्या रवैया अपनाना चाहिये? (2018) प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों एवं भयों की विवेचना कीजिये। (2018) प्रश्न. भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिये। भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम का क्या लाभ है? (2017) |
भारतीय औषधकोश आयोग PDG में शामिल
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय औषधकोश आयोग (IPC), औषधकोश चर्चा समूह (Pharmacopoeial Discussion Group- PDG) में शामिल हो गया है, जो वैश्विक फार्मास्यूटिकल मानकों, नियामक अनुपालन और भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- IPC विश्व का एकमात्र औषधकोश निकाय है जिसे सितंबर 2022 में शुरू किये गए पायलट चरण के लिये चुना गया था। एक वर्ष के पायलट चरण के बाद IPC को स्थायी PDG सदस्य के रूप में शामिल करने की पुष्टि सितंबर 2023 में की गई थी।
औषधकोश चर्चा समूह (PDG):
- PDG एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जिसका उद्देश्य निर्माताओं पर बोझ को कम करने और लगातार गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये वैश्विक औषधकोश मानकों में सामंजस्य स्थापित करना है।
- PDG की स्थापना वर्ष 1989 में यूरोपीय औषधकोश (Ph. Eur.), जापानी औषधकोश (JP) और US औषधकोश (USP) द्वारा की गई थी।
- वर्ष 2001 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस मंच के पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुआ।
PDG में IPC की सदस्यता से भारत को लाभ:
- IPC के मानकों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलेगी, जिससे संभावित रूप से वैश्विक स्तर पर भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पादों की स्वीकार्यता बढ़ेगी। यह IPC को एक दूरदर्शी निकाय के रूप में स्थापित करेगा जो वैश्विक मानकों के अनुरूप दवा गुणवत्ता मानक निर्धारित करता है।
- वैश्विक फार्मास्यूटिकल गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए IPC अन्य प्रमुख नियामक निकायों के साथ मानकों हेतु सहयोग और सामंजस्य स्थापित कर सकता है।
- IPC अपनी प्रक्रियाओं को वैश्विक मानकों के अनुरूप बना सकता है, जिससे भारतीय दवा कंपनियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय नियमों का अनुपालन करना आसान हो जाएगा।
- PDG में सदस्यता से देशों को भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की सुविधा मिलेगी, जिससे व्यापार बाधाओं में कमी आएगी।
भारतीय औषधकोश आयोग (Indian Pharmacopoeia Commission- IPC):
- IPC स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक स्वायत्त संस्था है।
- IPC भारत में दवाओं के मानक तय करने के लिये बनाया गया है। इसका मूल कार्य इस क्षेत्र में प्रचलित रोगों के इलाज के लिये आमतौर पर आवश्यक दवाओं के मानकों का नियमित रूप से अद्यतन करना है।
- यह भारतीय औषधकोश (IP) में नई दवाओं को शामिल करने और मौजूदा मोनोग्राफ को अद्यतन करने के साथ ही दवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये आधिकारिक दस्तावेज़ प्रकाशित करता है।
- यह नेशनल फॉर्मूलरी ऑफ इंडिया का प्रकाशन कर जेनेरिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देता है।
- भारतीय औषधकोश आयोग मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य देखभाल के दृष्टिकोण से आवश्यक दवाओं की पहचान, शुद्धता तथा शक्ति के लिये मानक निर्धारित करता है।
- IPC, IP संदर्भ पदार्थ (IP Reference Substances- IPRS) भी प्रदान करता है जो परीक्षण के तहत किसी वस्तु की पहचान और IP में निर्धारित उसकी शुद्धता के लिये फिंगरप्रिंट के रूप में कार्य करता है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 अक्तूबर, 2023
फोनोटैक्सिस घटना
हाल ही में यह पता चला है कि कीड़े, चमगादड़ जैसे कुछ जीव मौजूदा पर्यावरणीय और शारीरिक स्थितियों की प्रतिक्रिया में फोनोटैक्सिस की सकारात्मक तथा नकारात्मक घटनाएँ प्रदर्शित करते हैं।
- फोनोटैक्सिस किसी ध्वनि की प्रतिक्रिया में किसी जानवर द्वारा की जाने वाली हरकत है। यह ज़्यादातर झींगुर, पतंगें, मेंढक और टोड समेत कुछ अन्य जीवों में देखी गई है।
- सकारात्मक फोनोटैक्सिस का उद्देश्य आकर्षण है। यह सामान्यतः तब होता है जब किसी विशेष प्रजाति की मादाएँ, जिनमें झींगुर और मेंढक भी शामिल हैं, नर द्वारा निकाली गई आवाज़ से आकर्षित होती हैं। मेडिटेरेनियन हाउस गेकोस (Hemidactylus turcicus) सकारात्मक फोनोटैक्सिस का उपयोग करते हैं।
- दूसरी ओर, नकारात्मक फोनोटैक्सिस पीछे हटने या चेतावनी देने में सहायता करता है, जैसे कि जब पास के शिकारी की आवाज़ किसी जानवर को सचेत करती है कि उसे वहाँ से चले जाना चाहिये। कम तीव्रता वाले अल्ट्रासाउंड को अक्सर चमगादड़ों (जो इसे इकोलोकेशन के लिये उपयोग करते हैं) से जोड़ा जाता है, लेकिन यह पाया गया है कि विशेष रूप से झींगुर इससे दूर रहते हैं।
और पढ़ें…डाल्फिन
स्वायत्त निकाय ‘मेरा युवा भारत’ की स्थापना को मंज़ूरी
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक स्वायत्त निकाय मेरा युवा भारत (MY Bharat) की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है, जो युवा विकास और युवा नेतृत्व के विकास के लिये प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित एक व्यापक सक्षम तंत्र के रूप में कार्य करेगा।
- स्वायत्त निकाय ‘मेरा युवा भारत’, राष्ट्रीय युवा नीति में 'युवा' की परिभाषा के अनुरूप 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं को लाभान्वित करेगा। इस कार्यक्रम के घटक, विशेष रूप से किशोरों के लिये बनाए गए हैं, जिसके लाभार्थी 10-19 वर्ष के आयु वर्ग के किशोर होंगे।
- इस नई व्यवस्था के तहत संसाधनों तक पहुँच और अवसरों के साथ जुड़ाव के माध्यम से युवा समुदायिक बदलाव के वाहक एवं राष्ट्र निर्माता बन जाएंगे, जिससे उन्हें सरकार एवं नागरिकों के बीच युवा सेतु के रूप में कार्य करने का मौका मिलेगा।
- यह निकाय अलग-अलग व्यक्तिगत संपर्क के बजाय प्रोग्रामेटिक कौशल का विकास कर अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से नेतृत्व कौशल में सुधार करेगा और एक केंद्रीकृत युवा डेटाबेस तैयार करेगा।
और पढ़ें… यूथ इन इंडिया 2022, रिपोर्ट, राष्ट्रीय युवा दिवस
भारतीय सेना का रणनीतिक परिवर्तन
भारतीय सेना महत्त्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुज़र रही है, जिसमें इसकी रसद और परिवहन इकाइयों को प्रादेशिक सेना (TA) में बदलने की संभावना है।
- TA न केवल अपनी भूमिका का विस्तार कर रही है बल्कि सीमा कर्मियों की बैठकों के लिये चीनी भाषा के दुभाषियों और सेना की सहायता के लिये साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की भर्ती कर अपनी क्षमताओं को भी बढ़ा रही है।
- TA का प्राथमिक कार्य नियमित सेना को स्थैतिक कर्त्तव्यों से मुक्त करना और आपात स्थिति एवं आपदाओं के दौरान महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करना है।
और पढ़ें… भारतीय सेना
यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड
हाल ही में इज़रायल में बढ़ते संघर्ष के आलोक में अमेरिका ने इज़रायल के प्रति समर्थन और सैन्य अभियानों में वाहक की भूमिका को प्रदर्शित करते हुए पूर्वी भूमध्य सागर में यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) को तैनात किया है।
- वर्ष 2017 में कमीशन किये गए यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड (CVN 78) का नाम पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति गेराल्ड आर फोर्ड के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने वर्ष 1974 से वर्ष 1977 तक सेवाएँ दी थीं।
- इसे अब तक निर्मित सबसे बड़े युद्धपोतों में से एक माना जाता है। यह 100,000 टन तक युद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम है। यह 56 किलोमीटर प्रति घंटे के समान 30 नॉट से अधिक की शीर्ष गति प्राप्त कर सकता है।
- जेराल्ड आर फोर्ड सहित विमान वाहक, आक्रामक हथियार और देश की सैन्य शक्ति के प्रतीक हैं। परिणामस्वरूप वे हमेशा एक वाहक समूह के हिस्से के रूप में कार्य करते हैं।