सामाजिक न्याय
‘यूथ इन इंडिया 2022’ रिपोर्ट
- 13 Jul 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:जनसांख्यिकीय लाभांश, मृत्यु दर, प्रजनन दर, बुजुर्ग, सामाजिक सुरक्षा। मेन्स के लिये:‘यूथ इन इंडिया 2022’ रिपोर्ट। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 'यूथ इन इंडिया 2022' रिपोर्ट जारी की है, जिससे पता चलता है कि युवाओं की जनसंख्या में गिरावट आ रही है, जबकि 2021-2036 के दौरान बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
- प्रजनन क्षमता में निरंतर गिरावट के कारण कामकाजी उम्र (25 से 64 वर्ष के बीच) की जनसंख्या में वृद्धि हुई है, जिससे प्रति व्यक्ति त्वरित आर्थिक विकास का अवसर पैदा हुआ है। आयु वितरण में यह बदलाव त्वरित आर्थिक विकास के लिये एक समयबद्ध अवसर प्रदान करता है जिसे "जनसांख्यिकीय लाभांश" के रूप में जाना जाता है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- युवा आबादी में गिरावट: वर्ष 2011-2036 की अवधि के शुरुआत में युवा आबादी में वृद्धि हुई है, लेकिन उतरार्द्ध में गिरावट शुरू हो गई है।
- वर्ष 1991 में कुल युवा आबादी 222.7 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2011 में 333.4 मिलियन हो गई और वर्ष 2021 तक 371.4 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है और उसके बाद वर्ष 2036 तक घटकर 345.5 मिलियन हो जाएगी।
- युवाओं और बुजुर्गों की आबादी का अनुपात: कुल आबादी में युवाओं का अनुपात वर्ष 1991 के 26.6% से बढ़कर वर्ष 2016 में 27.9% हो गया था और फिर नीचे की ओर रुझान शुरू होकर वर्ष 2036 तक 22.7% तक पहुँचने का अनुमाना है।
- इसके विपरीत कुल आबादी में बुजुर्ग आबादी का अनुपात वर्ष 1991 में 6.8% से बढ़कर वर्ष 2016 में 9.2% हो गया है और वर्ष 2036 में इसके 14.9% तक पहुँचने का अनुमान है।
- राज्यों में परिदृश्य: केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में वर्ष 2036 तक युवाओं की तुलना में अधिक बुजुर्ग आबादी का अनुमान है।
- बिहार एवं उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2021 तक कुल जनसंख्या में युवा आबादी के अनुपात में वृद्धि का अनुभव किया है और फिर इसमें गिरावट की संभावना है।
- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ इन दोनों राज्यों में देश के आधे से अधिक (52%) युवाओं के होने का अनुमान है।
महत्त्व:
- भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश के लिये अवसर मौजूद हैं, जहाँ "युवा उभार (Youth bulge)" देखा गया है। हालाँकि युवाओं को शिक्षा तक पहुंँच, लाभकारी रोज़गार, लैंगिक असमानता, बाल विवाह, युवाओं के अनुकूल स्वास्थ्य सेवाओं और किशोर गर्भावस्था जैसी विभिन्न विकास चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- युवा उभार जनसांख्यिकीय स्वरुप को संदर्भित करता है जहांँ आबादी का एक बड़ा हिस्सा बच्चों और युवा वयस्कों का होता है।
- वर्तमान में युवाओं के अधिक अनुपात के परिणामस्वरूप भविष्य में जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात अधिक होगा। इससे बुजुर्गों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और कल्याणकारी योजनाओं/कार्यक्रमों के विकास की मांग पैदा होगी।
- बुजुर्ग आबादी की हिस्सेदारी में वृद्धि से सामाजिक सुरक्षा और लोक कल्याण प्रणालियों पर दबाव पड़ेगा तथाअगले 4-5 वर्षों में उत्पादन, रोज़गार सृजन में तेज़ी लाने के लिये इसका अच्छी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता है।
- आमतौर पर असंगठित रोज़गार वाले लोगों के पास सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है, इससे संबंधित राज्य पर बोझ बढ़ेगा।
पहल:
- विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार की हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि जो लोग वर्तमान श्रम शक्ति का हिस्सा हैं, जब वे सेवानिवृत्त होंगे,साथ ही बहुत अधिक आबादी वाले राज्यों में बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ने लगेगी तो यह विस्फोटक स्थिति उत्पन्न कर देगा, जिससे निपटना या इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा।
- अगले 4-5 वर्षों में उत्पादक रोज़गार सृजन में तेज़ी लाने के लिये सक्रिय श्रम बाज़ार नीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।
- सामाजिक सुरक्षा और पेंशन प्रणालियों की स्थिरता में सुधार तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल एवं दीर्घकालिक देखभाल प्रणालियों की स्थापना सहित वृद्ध व्यक्तियों के बढ़ते अनुपात में सार्वजनिक कार्यक्रमों को अनुकूलित करने के लिये कदम उठाने की आवश्यकता है।
युवाओं से संबंधित योजनाएंँ:
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
- युवा लेखकों को सलाह देने के लिये युवा: प्रधानमंत्री योजना
- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) योजना
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
- राष्ट्रीय युवा नीति-2014
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम
- राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम योजना
- साप्ताहिक लौह और फोलिक अम्ल अनुपूरण कार्यक्रम (WIFSP)
- किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना